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    Home » History Of Shah Jahan: मुगलों का ऐसा राज्य जो अपने ही बेटों के हाथों मारा गया, अंत समय में किन्नरों और नौकरों ने कंधा दिया
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    History Of Shah Jahan: मुगलों का ऐसा राज्य जो अपने ही बेटों के हाथों मारा गया, अंत समय में किन्नरों और नौकरों ने कंधा दिया

    By January 5, 2025No Comments8 Mins Read
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    Shah Jahan Kaun Tha Wiki in Hindi (Photo – Social Media)

    History Of Shah Jahan Wiki in Hindi: (Shahjahan) शाहजहाँ (1592-1666) भारतीय उपमहाद्वीप में मुग़ल साम्राज्य के पाँचवे शासक के रूप में जाने जाते हैं। उनके शासनकाल को मुग़ल इतिहास के स्वर्ण युग के रूप में देखा जाता है। शाहजहां के शासन में प्रजा बहुत खुश थी। भारत का सबसे ज्यादा विकास और भारत में सबसे ज्यादा इमारतों का निर्माण भी इसी काल में हुआ।कला, वास्तुकला, प्रशासन और व्यक्तिगत जीवन में उनके योगदान ने उन्हें इतिहास में अमर बना दिया। शाहजहाँ ने न केवल अपने साम्राज्य का विस्तार किया, बल्कि उसकी सांस्कृतिक और स्थापत्य धरोहर को भी नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

    शाहजहाँ का प्रारंभिक जीवन (Shahjahan early life )

    शाहजहाँ का जन्म 5 जनवरी, 1592 को लाहौर (अब पाकिस्तान में) हुआ। उनका असली नाम खुर्रम था। वे मुग़ल सम्राट जहाँगीर और राजकुमारी जोधाबाई के पुत्र थे। बचपन से ही खुर्रम को शिक्षा और सैन्य प्रशिक्षण में गहरी रुचि थी।

    वे बहादुरी और चतुराई के कारण अपने पिता और दादा अकबर के प्रिय बने। खुर्रम का नाम ‘शाहजहाँ’ तब पड़ा, जब वे सिंहासन के उत्तराधिकारी बने। इस नाम का अर्थ है ‘दुनिया का शासक।’

    शाहजहाँ का राज्यारोहण (Shahjahan Ka Safar in Hindi)

    शाहजहाँ ने 1628 में मुग़ल साम्राज्य की बागडोर संभाली। उनके शासनकाल में साम्राज्य का विस्तार और स्थिरता अपने चरम पर थी। उन्होंने गुजरात, बंगाल, डेक्कन और कश्मीर सहित कई क्षेत्रों में सफल सैन्य अभियानों का नेतृत्व किया।

    उनका शासनकाल न केवल राजनीतिक सफलता का युग था, बल्कि कला, संगीत और साहित्य के क्षेत्र में भी उन्नति का समय था।

    शाहजहाँ द्वारा निर्मित प्रमुख स्मारक

    शाहजहाँ का शासनकाल मुग़ल स्थापत्य कला के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। उन्होंने कई भव्य स्मारकों का निर्माण करवाया, जो उनकी वास्तुकला की समझ और कला के प्रति प्रेम को दर्शाते हैं।

    1 – ताजमहल (Tajmahal History in Hindi)

    ताजमहल, शाहजहाँ की सबसे प्रसिद्ध कृति, आगरा में यमुना नदी के किनारे स्थित है। यह उनकी पत्नी मुमताज़ महल की याद में बनाया गया था, जिनकी 1631 में मृत्यु हो गई थी। इस अद्भुत स्मारक का निर्माण सफेद संगमरमर से किया गया है। इसे बनाने में लगभग 22 वर्षों का समय लगा और 20,000 से अधिक कारीगरों ने काम किया।

    ताजमहल के निर्माण में फारसी, तुर्की और भारतीय वास्तुकला का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। इसके गुंबद, मीनारें और जटिल नक्काशी, इसे विश्व की महानतम इमारतों में से एक बनाती हैं। इसे 1983 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।और आज यह दुनिया के सात अजूबों में शामिल है।

    2 – लाल किला (Lal kila in Hindi)

    शाहजहाँ ने दिल्ली में लाल किले का निर्माण करवाया, जो मुग़ल साम्राज्य की शाही राजधानी का केंद्र बना। इसका निर्माण 1638 में शुरू हुआ और 1648 में पूरा हुआ।

    लाल किला लाल बलुआ पत्थर से बना है। इसमें दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंग महल और मोती मस्जिद जैसे भव्य हिस्से शामिल हैं। यह किला न केवल एक स्थापत्य का चमत्कार है, बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम का भी प्रतीक है।

    3 – जामा मस्जिद (Jama Masjid History in Hindi)

    लाल किले के पास स्थित जामा मस्जिद शाहजहाँ द्वारा निर्मित एक और भव्य इमारत है।

    यह मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक है और इसमें 25,000 से अधिक लोग एक साथ प्रार्थना कर सकते हैं।

    4 – मोती मस्जिद (Moti Masjid History in Hindi)

    आगरा किले के भीतर स्थित मोती मस्जिद को शाहजहाँ ने निजी प्रार्थना के लिए बनवाया था।

    यह मस्जिद सफेद संगमरमर से बनी है और इसे ‘मोती’ की तरह चमकदार बनाया गया है।

    5 – शालीमार बाग (Shalimar Bagh History in Hindi)

    कश्मीर की प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाने के लिए शाहजहाँ ने शालीमार बाग का निर्माण करवाया।

    यह बाग मुग़ल उद्यान शैली का उत्कृष्ट उदाहरण है और आज भी पर्यटकों को आकर्षित करता है।

    6 – तख्त-ए-ताउस (मयूर सिंहासन)

    शाहजहाँ ने अपने शासनकाल में तख्त-ए-ताउस का निर्माण करवाया। यह सिंहासन हीरे, पन्ने, मोती और सोने से जड़ा हुआ था और इसका उपयोग राजकीय समारोहों में किया जाता था। बाद में इसे फारस के राजा नादिर शाह ने चुरा लिया।

    मुमताज़ महल (Mumtaj Mehal Ki Kahani) और उनकी कहानी

    मुमताज़ महल का असली नाम अर्जुमंद बानो बेगम था। वे जहाँगीर के मंत्री आसफ खान की बेटी और नूरजहाँ की भतीजी थीं। 1612 में, शाहजहाँ और मुमताज़ महल का विवाह हुआ। मुमताज़ महल ने शाहजहाँ के जीवन और शासनकाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे न केवल उनकी पत्नी थीं, बल्कि उनकी सलाहकार और साथी भी थीं।

    मुमताज़ महल के बारे में यह कहा जाता है कि वे दयालु, बुद्धिमान और बेहद सुंदर थीं। उनकी मृत्यु 1631 में, अपने 14वें बच्चे को जन्म देते समय हुई। उनकी मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण कराया, जो उनके प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।

    शाहजहाँ का सांस्कृतिक योगदान

    शाहजहाँ का शासनकाल न केवल स्थापत्य कला के लिए प्रसिद्ध था, बल्कि संगीत, साहित्य और चित्रकला के क्षेत्र में भी योगदान दिया। उनके दरबार में फारसी, तुर्की और भारतीय कला का समृद्ध संगम देखने को मिलता था।

    संगीत और साहित्य उनके दरबार में प्रसिद्ध कवि और संगीतकार रहते थे। शाहजहाँ स्वयं भी संगीत और कविता में रुचि रखते थे। उनके शासनकाल में फारसी और उर्दू साहित्य का विकास हुआ।शाहजहाँ ने प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार किया। उन्होंने राजस्व प्रणाली को व्यवस्थित किया और कानून व्यवस्था को मजबूत बनाया। उनके शासनकाल में व्यापार और कृषि को बढ़ावा मिला।

    शाहजहाँ की पत्नियाँ (Shah Jahan Ki Kitni Patniya Thi)

    शाहजहां की पहली पत्नी: कंधारी बेगम

    कंधारी बेगम शाहजहां की पहली पत्नी थीं। वह फारस की राजकुमारी और सफविद वंश के राजकुमार सुल्तान मुजफ्फर हुसैन मिर्जा की सबसे छोटी बेटी थीं। उनका जन्म अफगानिस्तान के कंधार में हुआ था।

    12 दिसंबर, 1609 को शाहजहां से उनकी शादी हुई। कंधारी बेगम की सौतेली मां राजकुमारी खानम सुल्तान थीं, जो बादशाह अकबर की बेटी और जहांगीर की बहन थीं। कंधारी बेगम अपनी रूहानी प्रकृति के कारण महल से प्रायः अलग रहती थीं।

    मुमताज महल: शाहजहां की प्रिय पत्नी

    अर्जुमंद बानो बेगम, जिन्हें मुमताज महल के नाम से जाना जाता है, शाहजहां की सबसे खास बेगम थीं। वह नूरजहां के बड़े भाई की बेटी थीं। मुमताज महल और शाहजहां की शादी 30 अप्रैल, 1612 को आगरा में हुई।

    उनकी सगाई 30 जनवरी, 1607 को हुई थी और पांच साल बाद शादी संपन्न हुई। मुमताज महल ने शाहजहां के 14 बच्चों को जन्म दिया। 17 जून 1631 को गौहर बानो बेगम को जन्म देते समय उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु के पश्चात, शाहजहां ने उनके स्मृति में ताजमहल का निर्माण करवाया।

    मुमताज महल 1628 से 1631 तक मुगल साम्राज्य की मुख्य पत्नी और महारानी रहीं।

    अकबराबादी महल

    अकबराबादी महल, जिन्हें इज़्ज़ उन निस्सा बेगम के नाम से भी जाना जाता है, शाहजहां की चौथी पत्नी थीं। उनकी शादी 2 सितंबर, 1617 को शाहजहां से हुई थी। वह शाहनवाज खान की बेटी और अब्दुर रहीम खान-ए-खाना की पोती थीं। साथ ही, वह प्रधानमंत्री बैरम खान की परपोती थीं। उन्होंने 25 जून, 1619 को एक पुत्र, सुल्तान जहान अफरोज मिर्जा को जन्म दिया, लेकिन मार्च 1621 में उनकी मृत्यु हो गई।

    फतेहपुरी महल और सरहिंदी बेगम

    फतेहपुरी महल और सरहिंदी बेगम भी शाहजहां की पत्नियों में शामिल थीं। ये महिलाएं मुगल साम्राज्य की राजनीतिक और सामाजिक व्यवस्थाओं में अहम भूमिका निभाती थीं।

    अंत समय में शाहजहां को अपने बेटों का भी साथ नहीं मिला और उनकी अर्थी को कंधा देने शाही दरबार के नौकर और किन्नर सामने आए थे। पूरी घटना के बारे में जानने के लिए हमें सन् 1658 के इतिहास पर गौर करना होगा। यह वही साल था जब शाहजहां के बेटे औरंगजेब (Aurangjeb)ने अपने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए शाहजहां को आगरा के किले में नजरबंद कर दिया था। किले में 8 साल बिताने के बाद शाहजहां की 1666 में मृत्यु हो गई थी। कहा जाता है कि इन 8 वर्षों के दौरान अगर शाहजहां की देखभाल किसी ने की तो वह जहांआरा थी। जहांआरा शाहजहां की पुत्री थी जो बुरे वक्त में अपने पिता की हर वक्त देखभाल करती रही।

    शाहजहाँ के सात पुत्रों में से चैट की तो पहले ही मृत्यु हो चुकी थी । बाकी तीन ने शाहजहाँ से अदावत कर ली, जिसके कारण उन्होंने मरते समय भी अपने पिता को कंधा नहीं दिया । जिस वजह से शाहजहाँ को अंतिम यात्रा में उनकी बेटी जहांआरा, राज्य की किन्नर और नौकरों ने अलविदा किया । अंततः 22 जनवरी, 1666 में आगरा किले में उनकी मौत हो गई।

    शाहजहाँ(shahjahan) का जीवन प्रेम, कला, और महत्वाकांक्षा का प्रतीक है। उनकी स्थापत्य कृतियाँ, विशेष रूप से ताजमहल, न केवल उनकी पत्नी मुमताज़ महल के प्रति उनके प्रेम को दर्शाती हैं, बल्कि मानव इतिहास में शाश्वत सुंदरता और भावनाओं की एक अद्वितीय अभिव्यक्ति हैं। उनकी कहानी हमें यह सिखाती है कि सत्ता और वैभव के पीछे भी मानवीय भावनाएँ कितनी गहरी हो सकती हैं। आज, शाहजहाँ की धरोहर भारतीय संस्कृति और इतिहास का गर्व है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।

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