Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • विमान गिरने के मामले में मोदी सरकार ने देश को गुमराह कियाः खड़गे
    • Satya Hindi News Bulletin। 31 मई, सुबह तक की ख़बरें
    • बड़े मुद्दों पर चुप क्यों रहते हैं बॉलीवुड सितारे?
    • धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर
    • ऑपरेशन सिंदूर पर बॉलीवुड सितारों में सन्नाटा क्यों है?
    • ‘लव जिहाद’ के झूठे जाल में फंसा साक़िब, 5 साल बाद मिला इन्साफ़
    • लव जिहाद का पहला मामला यूपी कोर्ट में धराशायी, योगी सरकार लाई थी कानून
    • मणिपुर: बीजेपी गुटों में बंटी लेकिन 23 विधायक ‘सरकार’ बनाने पर आमादा
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Holi Ka Itihas: होली का इतिहास, किन राज्यों में कैसे मनाई जाती है होली यहाँ जाने
    Tourism

    Holi Ka Itihas: होली का इतिहास, किन राज्यों में कैसे मनाई जाती है होली यहाँ जाने

    By March 16, 2025No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Holi Ka Itihas 

    Holi Ka Itihas 

    Holi History in Hindi: होली भारत का एक प्रमुख और प्राचीन त्योहार है, जिसे रंगों का पर्व कहा जाता है। यह त्योहार वसंत ऋतु में फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जो फरवरी या मार्च में पड़ता है। होली न केवल रंगों और उल्लास का प्रतीक है, बल्कि यह सामाजिक एकता, प्रेम, और बुराई पर अच्छाई की विजय का भी संदेश देता है।

    होली मनाने की परंपराएँ

    होली का उत्सव मुख्यतः दो दिनों तक चलता है:

    पहला दिन: होलिका दहन

    इस दिन को ‘छोटी होली’ या ‘होलिका दहन’ कहा जाता है। शाम के समय लोग एकत्रित होकर लकड़ियों और उपलों का ढेर बनाते हैं और उसमें अग्नि प्रज्वलित करते हैं। यह प्रथा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

    दूसरा दिन: रंगवाली होली

    अगले दिन को ‘धुलेंडी’, ‘धुरड्डी’, ‘धुरखेल’ या ‘रंगवाली होली’ कहा जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे पर रंग, गुलाल और पानी डालकर होली खेलते हैं। ढोलक की थाप पर गीत गाए जाते हैं, नृत्य किया जाता है, और विशेष मिठाइयाँ बाँटी जाती हैं।

    होली से संबंधित पौराणिक कथाएँ

    होली के पर्व से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ प्रचलित हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं:

    प्रह्लाद और होलिका की कथा

    यह कथा भक्त प्रह्लाद, उनकी राक्षस बहन होलिका और उनके पिता हिरण्यकश्यप से संबंधित है। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद की भगवान विष्णु के प्रति अटूट भक्ति से क्रोधित होकर उसे मारने की योजना बनाई। उसने होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठे, क्योंकि होलिका को वरदान था कि आग उसे नुकसान नहीं पहुँचाएगी। लेकिन भगवान की कृपा से प्रह्लाद सुरक्षित रहे और होलिका जलकर भस्म हो गई। यह घटना बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और होलिका दहन की परंपरा का आधार है।

    राधा-कृष्ण की लीला

    भगवान कृष्ण और राधा की प्रेम कथाएँ भी होली से जुड़ी हैं। वृंदावन और मथुरा में कृष्ण ने गोपियों के साथ रंग खेला था, जो आज भी वहाँ की होली की विशेषता है। यह प्रेम, आनंद और सामाजिक समरसता का प्रतीक है।

    कामदेव की कथा

    दक्षिण भारत में होली को कामदेव के पुनर्जन्म से भी जोड़ा जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव की तपस्या भंग करने के लिए कामदेव ने उन पर पुष्प बाण चलाया, जिससे क्रोधित होकर शिव ने उन्हें भस्म कर दिया। बाद में, कामदेव की पत्नी रति के विलाप पर शिव ने उन्हें पुनर्जीवित किया। यह कथा प्रेम और त्याग का संदेश देती है।

    भारत के विभिन्न राज्यों में होली के विविध रंग

    भारत की सांस्कृतिक विविधता के कारण, होली का उत्सव विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है:

    उत्तर प्रदेश

    लठमार होली: बरसाना और नंदगांव में लठमार होली खेली जाती है, जहाँ महिलाएँ पुरुषों को लाठियों से मारती हैं, और पुरुष खुद को ढाल से बचाते हैं। यह परंपरा राधा-कृष्ण की लीलाओं से प्रेरित है।

    फूलों की होली: मथुरा-वृंदावन में फूलों की होली खेली जाती है, जहाँ रंगों की जगह फूल बरसाए जाते हैं।

    राजस्थान

    शाही होली: उदयपुर में मेवाड़ राजघराने द्वारा होली का आयोजन किया जाता है, जिसमें शाही परंपराओं के साथ होलिका दहन और शोभायात्रा निकाली जाती है।

    पंजाब

    होला मोहल्ला: सिख समुदाय होली के अगले दिन ‘होला मोहल्ला’ मनाता है, जिसमें युद्ध कौशल, घुड़सवारी, गतका प्रदर्शन और कीर्तन का आयोजन होता है।

    महाराष्ट्र

    रंगपंचमी: यहाँ होली के पाँचवें दिन रंगपंचमी मनाई जाती है, जिसमें लोग रंग और पानी से खेलते हैं।

    शिग्मो: गोवा में होली को ‘शिग्मो’ कहा जाता है, जो फसल कटाई के बाद किसानों द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है। इसमें पारंपरिक नृत्य, संगीत और रंगों का उत्सव होता है।

    पश्चिम बंगाल

    बसंत उत्सव और डोल जात्रा: यहाँ होली को ‘दोल पूर्णिमा’ या ‘दोल जात्रा’ कहा जाता है। इस दिन लोग भगवान कृष्ण की मूर्ति को पालकी में बिठाकर झूला झुलाते हैं, कीर्तन करते हैं, और रंग खेलते हैं। शांति निकेतन में ‘बसंत उत्सव’ बड़े उल्लास से मनाया जाता है, जिसमें छात्र रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर नृत्य और संगीत के माध्यम से उत्सव का स्वागत करते हैं।

    होली: बुराई पर अच्छाई की विजय का उत्सव

    होली से जुड़ी प्रमुख किंवदंतियाँ और उनका संदेश

    होली से जुड़ी विभिन्न किंवदंतियाँ लोगों को सच्चाई की शक्ति में विश्वास करने के लिए प्रेरित करती हैं। इन सभी कथाओं का नैतिक संदेश यही है कि अंततः बुराई पर अच्छाई की विजय होती है।

    प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा:

    यह कथा भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद और उनके राक्षस पिता हिरण्यकश्यप से संबंधित है। हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र को मारने का प्रयास किया, लेकिन भगवान ने प्रह्लाद की रक्षा की और अंततः होलिका का अंत हुआ। यह कहानी बताती है कि भगवान हमेशा अपने सच्चे भक्त की रक्षा करते हैं।

    नैतिक शिक्षा:

    होली की ये कथाएँ लोगों को अच्छे आचरण का पालन करने, सच्चाई में विश्वास रखने, और बुराई के विरुद्ध खड़े होने की प्रेरणा देती हैं। यह त्योहार इस बात का प्रतीक है कि सत्य और भक्ति के मार्ग पर चलकर कोई भी विजय प्राप्त कर सकता है।

    कृषि और प्रकृति से जुड़ा उत्सव

    होली का त्योहार वर्ष के उस समय में मनाया जाता है, जब खेतों में फसलें लहलहाती हैं और किसान अच्छी पैदावार की आशा करते हैं।

    प्राकृतिक आनंद का उत्सव:

    यह समय प्रकृति के खिलने का होता है, जब सर्दी समाप्त हो जाती है और वसंत का आगमन होता है। फसलों के पकने की खुशी और मौसम के बदलाव के साथ लोग रंगों में डूब जाते हैं।

    आनंद और उमंग का अवसर:

    लोगों के लिए यह पर्व आनंद और उत्सव का समय है, जहाँ वे जीवन के रंगों में डूबकर उल्लास का अनुभव करते हैं।

    होलिका दहन: बुराई पर अच्छाई की विजय

    होली का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है।

    होलिका दहन की परंपरा:

    फाल्गुन पूर्णिमा की शाम को लोग लकड़ियों का ढेर जलाकर होलिका दहन करते हैं, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व भक्त प्रह्लाद की भक्ति और होलिका के अंत की स्मृति में मनाया जाता है।

    होलिका पूजा का महत्व:

    पौराणिक मान्यता है कि होलिका की पूजा करने से घर में समृद्धि और धन का आगमन होता है। लोग मानते हैं कि इस पूजा से सभी प्रकार के भय का नाश होता है।

    धुलेंडी: रंगों का त्योहार

    होलिका दहन के अगले दिन को ‘धुलेंडी’ कहा जाता है, जिसमें रंग-गुलाल से खेला जाता है।

    सौहार्द्र और मेल-जोल का दिन:

    इस दिन लोग एक-दूसरे पर अबीर-गुलाल डालकर उत्साह के साथ होली खेलते हैं। पुराने गिले-शिकवे भुलाकर लोग आपसी सौहार्द्र का परिचय देते हैं।

    समाज में मेल-मिलाप का प्रतीक:

    रंगों का यह त्योहार लोगों को जोड़ने, उनके संबंधों को प्रगाढ़ करने और समाज में एकता का संदेश देने का माध्यम बनता है।

    होली भारतीय संस्कृति का एक ऐसा पर्व है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय, प्रेम, सौहार्द्र, और सामाजिक एकता का प्रतीक है। यह पर्व जीवन में सच्चाई, ईमानदारी, और भक्ति के मार्ग पर चलने का संदेश देता है। साथ ही, यह प्रकृति के बदलाव और नए जीवन का उत्सव भी है। होली का पर्व न केवल भारत में, बल्कि अब विश्वभर में प्रेम, उल्लास, और रंगों के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleक्या त्योहार अब ‘सांप्रदायिक दंगों के बहाने’ बन गए हैं?
    Next Article कनाडा में नए प्रधानमंत्री कार्नी के मंत्रिमंडल में भारतीय मूल की दो महिलाओं को अहम जिम्मेदारियां

    Related Posts

    India’s First LEGO Store: क्रिएटिविटी, क्रिएशन और कल्चर का फ्यूजन- भारत के पहले LEGO स्टोर में मिलेगा ऐसा सब कुछ

    May 31, 2025

    Vishnu Varaha Temple History: इस मंदिर के रहस्य हैं गहरे, मध्यप्रदेश में वराह अवतार का पहला और आखिरी मंदिर

    May 31, 2025

    Secrets of Aurangzeb: औरंगजेब के वो राज़, जो किताबों में दर्ज नहीं, इतिहास की वो कहानियां जो पत्थरों में गूंजती हैं

    May 30, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025

    सरकार की वादा-खिलाफी से जूझते सतपुड़ा के विस्थापित आदिवासी

    May 14, 2025

    दीपचंद सौर: बुंदेलखंड, वृद्ध दंपत्ति और पांच कुओं की कहानी

    May 3, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.