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    Home » Northern Lights Mystery: उत्तरी आकाश की रहस्यमयी रोशनी, एक बार जरूर देखें प्रकृति का सबसे खूबसूरत अद्भुत दृश्य
    Tourism

    Northern Lights Mystery: उत्तरी आकाश की रहस्यमयी रोशनी, एक बार जरूर देखें प्रकृति का सबसे खूबसूरत अद्भुत दृश्य

    By January 13, 2025No Comments7 Mins Read
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    Aurora Borealis AKA Northern Lights Kya Hai

    Northern Lights: उत्तरी आकाशीय रौशनी (Aurora Borealis), जिसे नॉर्दर्न लाइट्स (Northern Lights) भी कहा जाता है, एक प्राकृतिक घटना है, जो मुख्य रूप से पृथ्वी के उत्तरी ध्रुवीय क्षेत्रों में देखी जाती है। इसका कारण सौर पवन (Solar Wind) और पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के बीच होने वाली परस्पर क्रियाएं हैं।

    धरती पर प्रकृति की अनेक अद्भुत और अनोखी घटनाएँ होती हैं, जो हमें इसकी शक्ति, सुंदरता और विविधता का अनुभव कराती हैं। इन घटनाओं का हर पहलू हमें चकित करता है। यह समझने का अवसर प्रदान करता है कि प्रकृति कितनी व्यापक और रहस्यमयी है। इन घटनाओं में से कुछ इतनी आकर्षक और जादुई हैं कि वे न केवल वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के लिए अध्ययन का विषय बनती हैं, बल्कि आम लोगों को भी गहरी जिज्ञासा और प्रेरणा देती हैं।

    क्या है नॉर्दर्न लाइट्स (Northern Lights Kya Hai)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    ऐसी ही एक अद्वितीय और खूबसूरत घटना है उत्तरी आकाशीय रोशनी, जिसे हम ‘नॉर्दर्न लाइट्स’ या ‘ऑरोरा बोरियलिस’ कहते हैं। यह घटना उन क्षणों में से एक है, जो सीधे हमारी आत्मा को छूती है और हमें प्रकृति के साथ गहरे संबंध का अनुभव कराती है। यह चमकदार रोशनी, जो रात के आकाश में रंग-बिरंगी लहरों के रूप में दिखाई देती है, धरती की वायुमंडलीय प्रक्रियाओं और सौर गतिविधियों का एक चमत्कारी परिणाम है।

    नॉर्दर्न लाइट्स का जादुई दृश्य ऐसा होता है, मानो आसमान ने अपनी कैनवास पर रंगों का उत्सव मनाया हो। यह घटना इतनी मनमोहक होती है कि इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्रों की यात्रा करते हैं। इन रोशनियों का हर रंग, हर हलचल हमें यह महसूस कराता है कि धरती पर प्रकृति का यह अद्भुत खेल कितना अलौकिक और अविस्मरणीय है। इस घटना के बारे में जानने की जिज्ञासा हर किसी के मन में होती है, क्योंकि यह न केवल एक वैज्ञानिक चमत्कार है, बल्कि यह धरती पर प्रकृति का सबसे बड़ा अजूबा भी है।

    आज इस लेख के माध्यम से हम इस अलौकिक और जादुई घटना का विस्तार से वर्णन करेंगे।

    कैसे उत्पन्न होते हैं नॉर्दन लाइट्स (How Auroras Form/Northern Lights)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    नॉर्दर्न लाइट्स एक भौतिक घटना है। यह घटना उत्तरी आकाशीय रौशनी (Northern Lights), या ऑरोरा बोरियलिस (Aurora Borealis) जैसे नामों से जानी जाती है । यह दृश्य उस समय उत्पन्न होता है जब सूर्य के प्रकाश से निकलने वाले चार्ज पार्टिकल्स (Charged Particles) पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते है और ऑक्सीजन और नाइट्रोजन जैसी गैसों से टकराते हैं। जिस कारण आकाश में पीले, हरे, नीले, लाल या नारंगी जैसे रंगबिरंगी रंग उत्पन्न होते है। इस दौरान सौर हवाएं सामान्य के मुकाबले ज्यादा तेज होती हैं। आमतौर पर नॉर्दर्न लाइट्स पृथ्वी से 88-500km की ऊंचाई पर दिखाई देते हैं।

    क्या है इस अलौकिक और अद्भुत घटना का रहस्य

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    सूर्य से सौर पवन का उत्सर्जन:- सूर्य से लगातार चार्ज़्ड पार्टिकल्स (इलेक्ट्रॉन्स और प्रोटॉन्स) का प्रवाह निकलता है, जिसे सौर पवन कहा जाता है। जब सूर्य पर कोई बड़ा विस्फोट (सौर ज्वालामुखी) होता है, तो ये पार्टिकल्स बड़ी मात्रा में पृथ्वी की ओर आते हैं।

    पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र:- पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र इन सौर पवनों को सीधा सतह पर आने से रोकता है। यह चुंबकीय क्षेत्र इन कणों को ध्रुवीय क्षेत्रों की ओर निर्देशित करता है, जहां चुंबकीय बल रेखाएं केंद्रित होती हैं।

    गैस कणों से टकराव:- ये चार्ज़्ड पार्टिकल्स वायुमंडल ऑक्सीजन और नाइट्रोजन जैसे गैसों से टकराते हैं। ऑक्सीजन हरे और लाल रंग की रौशनी उत्पन्न करता है और नाइट्रोजन नीले और बैंगनी रंग की रौशनी उत्पन्न करता है।

    ऊर्जा का उत्सर्जन:- टकराव के दौरान, गैस के अणु उत्साहित हो जाते हैं और फिर अपनी ऊर्जा को प्रकाश के रूप में छोड़ते हैं। यही चमक हमें उत्तरी आकाशीय रौशनी यानि नॉर्दर्न लाइट्स के रूप में दिखाई देती है।

    ऑक्सीजन के अणुओं से 100-300 किमी की ऊंचाई पर हरा और 300 किमी से अधिक ऊंचाई पर लाल रंग उत्सर्जित होता है। तो वही नाइट्रोजन के अणुओं से नीला और बैंगनी रंग उत्सर्जित होता है।

    क्यों केवल ध्रुवीय क्षेत्रों में दिखाई देते हैं नॉर्दर्न लाइट्स (Why Do Auroras Only Occur In Polar Regions)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र ध्रुवीय क्षेत्रों में सबसे मजबूत होता है, इसलिए सौर पवन के कण वहां ज्यादा केंद्रित होते हैं। इस वजह से नॉर्दर्न लाइट्स ज्यादातर इन क्षेत्रों में ही दिखाई देती हैं।

    कहां दिखाई देते हैं नॉर्दर्न लाइट्स (Northern Lights Kaha Dikhai Dete Hai)

    नॉर्दर्न लाइट्स आर्कटिक (उत्तर ध्रुवीय) और अंटार्कटिक (दक्षिण ध्रुवीय) जैसे उच्च अक्षांश क्षेत्रों में दिखाई देते है | इनमे नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड, आइसलैंड, कनाडा और अलास्का (अमेरिका) जैसे देश शामिल हैं।

    नॉर्दर्न लाइट्स को लेकर रहस्यमय मिथक और मान्यताएं (Mysterious Myths And Beliefs About Northern Lights)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    उत्तरी रोशनी (नॉर्दर्न लाइट्स) को लेकर विभिन्न संस्कृतियों में कई रोचक और रहस्यमय मिथक और मान्यताएँ रही हैं। वाइकिंग्स का मानना था कि ये रोशनियाँ कुंवारी आत्माओं की परछाइयाँ हैं। तो वही स्वदेशी सामी जनजाति ने इसे गुओवस्साहास (Guovssahas) का नाम दिया, जिसका अर्थ है “ऐसी रोशनी जिसे सुना जा सकता है।” उनका विश्वास था कि उत्तरी रोशनी को सुना जा सकता है। इनुइट जनजाति ने इसे मृत आत्माओं का नृत्य माना, जबकि नेटिव अमेरिकन जनजातियों का मानना था कि यह विशाल कड़ाहों के नीचे जलती हुई ज्वालाएँ हैं, जहाँ योद्धा अपने शत्रुओं को उबालते हैं।

    किसने की नॉर्दर्न लाइट्स की खोज (Who Discovered The Northern Lights)?

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    नॉर्वे के वैज्ञानिक क्रिश्चियन ब्रिकलैंड (Kristian Birkeland) को “नॉर्दर्न लाइट्स के जनक” (Northern Lights Ke Janak) कहा जाता है, क्योंकि उन्होंने सबसे पहले इसके कारणों की व्याख्या की। लगभग 1900 में उन्होंने इस घटना का वर्णन शुरू किया, हालांकि इसे हजारों वर्षों से देखा जा रहा था। बिर्कलैंड ने साबित किया कि जब सूर्य से आने वाले इलेक्ट्रॉन पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते हुए गैसों से टकराते हैं, तो रोशनी उत्पन्न होती है। उन्हें नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) के लिए सात बार नामांकित किया गया, लेकिन वे इसे कभी प्राप्त नहीं कर सके।

    कैसे पड़ा नॉर्दर्न नाम

    इस घटना का वैज्ञानिक नाम उत्तरी गोलार्ध में औरोरा बोरेलिस (Aurora Borealis) है, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में इसे औरोरा ऑस्ट्रेलिस (Aurora Australis) कहा जाता है। नॉर्वे में कम से कम 4,580 महिलाएं/लड़कियां हैं जिनका नाम औरोरा है। यह नाम हज़ार सालों की अवधि के आरंभ के बाद से अत्यधिक लोकप्रिय हो गया है।

    नॉर्दर्न लाइट्स देखने का सबसे अच्छा समय कोन सा है (Northern Lights Dekhne Ka Sabse Achcha Samay)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    नॉर्दर्न लाइट्स देखने के लिए उत्तरी स्कैंडिनेविया, उत्तरी रूस, अलास्का, उत्तरी कनाडा, ग्रीनलैंड और आइसलैंड सबसे उपयुक्त स्थान हैं। दक्षिणी नॉर्वे में यह महीने में एक बार और यूरोप के और दक्षिणी हिस्सों में इससे भी कम बार दिखाई देता है। स्वालबार्ड में नॉर्दर्न लाइट्स का सीजन सितंबर के अंत से मार्च के मध्य तक होता है। इसे देखने का सबसे अच्छा समय शाम 6 बजे से आधी रात तक है, हालांकि सुबह 4 बजे से 8 बजे तक भी इसे देखा जा सकता है।

    दिसंबर और जनवरी में, जब स्वालबार्ड में साल का सबसे अंधकारमय समय होता है, तब नॉर्दर्न लाइट्स (Northern Lights) को दिन के समय भी देखा जा सकता है। स्वालबार्ड दुनिया का एकमात्र स्थान है जहाँ आप “दिन के समय नॉर्दर्न लाइट्स” का अनुभव कर सकते हैं। इसी कारण स्वालबार्ड में नॉर्दर्न लाइट्स पर अंतरराष्ट्रीय शोध कार्य किए जाते हैं और यहाँ एक नॉर्दर्न लाइट्स वेधशाला (ऑब्जर्वेटरी) और “ईआईएससीएटी रडार” (‘European Incoherent Scatter Radar’, एक वैज्ञानिक उपकरण ) स्थित हैं।

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