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    Home » Pandupol Hanuman Ji Mandir: जहां हनुमान जी की पूंछ को एक इंच भी खिसका पाने में असमर्थ रहे थे गदाधारी भीम
    Tourism

    Pandupol Hanuman Ji Mandir: जहां हनुमान जी की पूंछ को एक इंच भी खिसका पाने में असमर्थ रहे थे गदाधारी भीम

    By January 9, 2025No Comments6 Mins Read
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    Pandupol Hanuman Temple History and Mystery

    Pandupol Hanuman Temple History: पौराणिक महत्व के चलते बेहद चर्चित सरिस्का टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बने पांडुपोल मंदिर की दूरी अलवर शहर से करीब 55 किलोमीटर है। अलवर जिले के प्रमुख पर्यटन केंद्र सरिस्का टाइगर रिजर्व मे स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर देश-दुनिया भर में मशहूर है। इस मंदिर का मुख्य आकर्षण हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा है। पांडुपोल हनुमान मंदिर में हर साल भादो शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन लख्खी मेला लगता है। जिसमें कई राज्यों से असंख्य श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। यह मंदिर भक्तों की आस्था का बड़ा केंद्र माना जाता है। जिला प्रशासन की ओर से भी हर साल पांडुपोल मेले पर राजकीय अवकाश घोषित किया जाता है। पांडुपोल का संबंध महाभारत के महाकाव्य की अवधि से माना जाता है। आइए जानते हैं अलवर स्थित पांडुपोल सिद्ध स्थल से जुड़े महत्व के बारे में –

    पांडुपोल से जुड़ी ये हैं किदवंती

    पांडुपोल स्थल से जुड़ी मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि पांडवों ने निर्वासन के दौरान कुछ साल पांडुपोल में भी व्यतीत किए थे। एक अन्य कथा के अनुसार, यह पांडुपोल वही स्थान था जहा भगवान हनुमान ने भीम को पराजित कर उनके अपनी शक्ति के अभिमान को चकनाचूर किया था। कहते हैं जब पांडव पुत्र अपना बारह वर्ष का वनवास पूरा कर चुके थे तो अज्ञातवास का एक वर्ष पूर्ण करने के लिए पांडुपोल आए थे। उस समय उन्हें यहां पर आते समय मार्ग में दो पहाड़ियां आपस में जुडी रास्ता अवरुद्ध करती हुईं नजर आईं। तब माता कुंती ने अपने पुत्रों से पहाड़ी को तोड़ रास्ता बनाने का आदेश दिया। अपनी माता का आदेश सुनते ही महाबली भीम ने अपनी गदा से उस पहाड़ी पर एक भरपूर प्रहार किया। जिससे पहाड़ियों के बीच एक रास्ता निर्मित हो गया।

    भीम के इस तरह के पराक्रम को देख कर उनकी माता और उनके समस्त भाई उनकी शक्ति और साहस की प्रशंसा करने लगे। जिसको सुनकर भीम के मन में कुछ समय के लिए अहंकार पैदा हो गया। इस अहंकार को तोड़ने के लिए हनुमानजी ने भीम को सबक सिखाने की एक योजना बनाई। जिसके अनुरूप आगे बढ़ रहे पांडवों के रास्ते में बूढ़े वानर का रूप रखकर लेट गए। जब पांडवों ने देखा कि रास्ते में एक वृद्ध वानर लेटा हुआ है तो उन्होंने उससे रास्ता छोड़ने का आग्रह करते हुए कहा कि वह उनका रास्ता छोड़ कहीं और जाकर विश्राम करें। पांडवों द्वारा बारम्बार किए गए इस प्रकार के आग्रह पर उस बूढ़े वानर ने कहा कि वे बूढ़े होने के कारण चल फिर सकने में पूरी तरह से असमर्थ हैं।

    इसलिए वे मार्ग से नहीं हट सकते बेहतर है कि पांडव कोई दूसरा मार्ग तलाश लें। वृद्ध वानर के कहे इस तरह के वचनों को सुनकर अहंकार में चूर भीम को क्रोध आ गया। हनुमानजी की यह बात उन्हें अच्छी नहीं लगी और वे वृद्ध वानर के रूप में मौजूद हनुमान जी को उस जगह से हट जाने के लिए ललकारने लगे। भीम की ललकार सुन हनुमानजी ने बड़ी ही विनम्रता से कहा कि वे तो हटने में असक्षम हैं अच्छा होगा कि उनकी पूंछ को हटाकर निकल जाएं। जिस पर भीम तैयार हो गए। लेकिन उनकी पूंछ को हटाना तो दूर भीम एक इंच भी हिला भी न सके। अब भीम को अपनी शक्ति पर बड़ी ही शर्मिंदगी महसूस हुई और अपने अहंकार पर पछताने लगे। उन्हें इस बात का भी एहसास हो गया कि ये कोई साधारण वानर नहीं हैं। जिसके उपरांत भीम ने हनुमानजी से अपने खराब व्यवहार के कारण क्षमा भी मांगी।

    जिसके उपरांत हनुमानजी अपने असली रूप में आए और भीम से बोले- तुम वीर ही नहीं महाबली हो । लेकिन वीरों को इस तरह अहंकार शोभा नहीं देता। इसके बाद हनुमानजी भीम को महाबली होने का वरदान देकर वहां से अंतर्ध्यान हो गए। वह जिस स्थान लेटे थे वहां आज भी उनकी लेटी हुई प्रतिमा मौजूद है। ये स्थल उनके प्रसिद्ध धाम के रूप में पूज्य है। यहां हर मंगलवार और शनिवार को हनुमानजी के इस अद्भुत रूप के दर्शन करने भक्तों का मेला सा लगता है। यहीं से कुछ दूरी पर वह पहाड़ी भी मौजूद है जिसे भीम ने गदा से चकना चूर कर रास्ता बनाया था।इस पहाड़ी को भीम पहाड़ी के नाम से जाना जाता है। इस पहाड़ी से जल की एक अविरल धारा बहती रहती है जिसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।

    पांडुपोल हनुमान मंदिर अपने धार्मिक महत्व के साथ ही साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए भी एक शानदार पर्यटन स्थल भी है।

    इस तरह पांडुपोल अब बन चुका है धार्मिक सिद्ध स्थल�

    पौराणिक कथा के अनुसार भीम ने अपनी गदा से प्रहार किया जिससे पहाड़ मे दरवाजा निकल गया और पहाड़ पर बना दरवाजा ही पांडुपोल हनुमान मंदिर के नाम से एक धार्मिक स्थल के तौर पर स्थापित हो गया। एक अन्य कथा के अनुसार, यह पांडुपोल वही स्थान था जहा भगवान हनुमान ने भीम को पराजित कर उसके अभिमान पर अंकुश लगाया था। पांडुपोल हनुमान मंदिर का इतिहास 5000 साल पुराना माना जाता है…

    1. पांडुपोल हनुमान जी के दर्शन का समय
    2. पांडुपोल हनुमान मंदिर पर्यटकों के लिए प्रतिदिन सुबह 5.00 बजे से रात 10.00 बजे तक खुला रहता है।
    3. पांडुपोल हनुमान मंदिर की यात्रा का सबसे बेहतर समय
    4. पांडुपोल हनुमान मंदिर की यात्रा करना चाहते हैं तो वैसे तो यहां वर्ष पर पर्यटकों का आना जाना लगा रहता है।
    5. लेकिन पांडुपोल हनुमान मंदिर घूमने जाने के लिए अक्टूबर से मार्च का समय सबसे बेहतर समय माना जाता है। पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने के लिए सर्दियों का समय अनुकूल होता है।

    कैसे पहुंचें :-

    राज्य के विभिन्न शहरों से अलवर के लिए 24 घंटे नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं। जयपुर, जोधपुर आदि स्थानों से आप अलवर के लिए टैक्सी ,कैब किराए पर ले कर या अपनी कार से यात्रा करके पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर पहुच सकते हैं। वहीं दिल्ली से 165 किलोमीटर और जयपुर से 110 किलोमीटर दूर, स्थित पांडुपोल हनुमान मंदिर अलवर आप ट्रेन, सड़क या हवाई मार्ग से यात्रा करके पहुच सकतें हैं। अगर आप फ्लाइट से यात्रा करके पांडुपोल हनुमान मंदिर जाने का प्लान बना रहे है तो बता दे की पांडुपोल हनुमान मंदिर का निकटतम हवाई अड्डा जयपुर हवाई अड्डा है, जो पांडुपोल हनुमान मंदिर से लगभग 110 किलोमीटर दूर है। जयपुर से पांडुपोल हनुमान मंदिर पहुंचने के लिए बस या एक टैक्सी किराए पर ले सकते है।

    पांडुपोल हनुमान मंदिर का सबसे निकटम रेलवे स्टेशन अलवर जंक्शन है,जो शहर का प्रमुख रेलवे स्टेशन है, जहां के लिए भारत और राज्य के कई प्रमुख शहरों से नियमित ट्रेन संचालित हैं।

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