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    Prayagraj Ka Itihas: वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है लाल पत्थरों से बना प्रयागराज में स्थित एशिया का सबसे बड़ा चर्च

    By January 12, 2025No Comments4 Mins Read
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    Prayagraj All Saints Cathedral Church History

    Prayagraj Saints Cathedral Church History: धार्मिक नगरी प्रयागराज में हेरिटेज के तौर पर मौजूद अनमोल खजानों में एक नाम कैथेड्रल चर्च का भी आता है। जिसे एशिया का सबसे बड़ा गिरजाघर कहा जाता है और इसकी गिनती दुनिया के दस सबसे खास गिरिजाघरों में की जाती है। प्रयागराज में मौजूद इस चर्च में क्रिसमस के अवसर पर रौनक देखते ही बनती है। इसके अलावा यहां हर रविवार प्रार्थना सभाएं होती हैं साथ ही आने वाले हर नये साल पर आयोजन होते हैं। इस चर्च को इसकी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। आइए जानते हैं प्रयागराज में स्थित एशिया के सबसे बड़े चर्च के बारे में-

    इस नाम से मशहूर है यह चर्च

    प्रयागराज सिर्फ महाकुंभ के तौर पर ही नहीं बल्कि अपनी सर्व धर्म संभाव की भावना के लिए भी जाना जाता है। यही वजह है कि यहां पर अनगिनत मंदिरों के साथ ही एशिया का सबसे बड़ा चर्च भी मौजूद है। ऑल सेंट कैथेड्रल के नाम से मशहूर इस चर्च को यहां के लोग पत्थर गिरजाघर के नाम से जानते हैं।

    चर्च की बिल्डिंग अपने साथ तमाम ऐतिहासिक रहस्यों को जोड़े हुए है तो वहीं दूसरी तरफ इसकी वास्तुकला देखकर कोई भी आश्चर्यचकित हो सकता है। दुनिया के दस सबसे महत्वपूर्ण चर्चों में शुमार लाल पत्थरों से तैयार तकरीबन एक सौ तीस साल पुराना यह चर्च अपनी कई खूबियों की वजह से समूची दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। कैथेड्रल चर्च को एशिया का सबसे बड़ा गिरजाघर कहा जाता है और इसकी गिनती दुनिया के दस सबसे महत्वपूर्ण चर्च में होती है।

    ऑल सेंट कैथेड्रल चर्च का इतिहास

    प्रयागराज स्थित ऑल सेंट कैथेड्रल गिरिजाघर के इतिहास की बात करें तो ब्रिटिश बेस पर आधारित इस चर्च की परिकल्पना 1871 में भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल मिस्टर म्योर और उनकी पत्नी एलिजाबेथ द्वारा की गई थी। उन्होंने चर्च की इस इमारत के निर्माण की जिम्मेदारी उस वक्त के नामचीन वास्तुकार विलियम इमरसन के हाथों में सौंपी थी।

    सैकड़ों मजदूरों द्वारा की गई तेरह सालों तक लगातार दिन-रात कड़ी मेहनत के बाद यह चर्च 1887 में यह अंतिम रूप के साथ बनकर तैयार हुआ था। इस चर्च को लेकर यह भी कहा जाता है कि इंग्लैंड में रहने वाले साई धर्मगुरु इसे आस्ट्रेलिया में तैयार कराना चाहते थे।लेकिन किसी गलतफहमी की वजह से इसकी फाइल भारत आ गई थी। अंग्रेजों ने इसे प्रभु यीशु की इच्छा मानकर इसे फिर प्रयागराज में ही स्थापित करने का मन बनाया।

    बेहद आकर्षक है इस गिरिजाघर की वास्तुकला

    इस चर्च को लाल पत्थरों से बेहद खूबसूरती से तैयार किया गया है. पत्थरों पर शानदार नक्काशी की गई है। चर्च के अंदर की छत हो या दीवारें, खिड़कियां हों या पूजा घर या फिर यहां रखे एक-एक सामान, सभी में अलग-अलग तरह की कलाओं का ऐसा बेजोड़ नमूना पेश किया गया है, जो इस चर्च को दुनिया में अलग पहचान दिलाते हैं। चर्च के अंदर की ऊंची छत देखकर आश्चर्य होता है कि इसे उस समय कम संसाधनों के बीच कैसे निर्मित किया गया होगा। इस चर्च के अंदर की खिड़कियों के नीचे कांच पर प्रभु यीशु के जन्म से लेकर उनके पुनर्जीवित होते की पूरी कहानी चित्रों के जरिये बेहद खूबसूरती के साथ उकेरी गई है। प्रभु ईसा मसीह के जीवन और उनके संदेशों पर आधारित तस्वीरों की इस सीरीज पर जब सूरज की रोशनी अपनी चमक बिखेरती है तो कांच सोने सा दमकने लगता है और इस पर से नजरें नहीं हटतीं। प्रयागराज के सिविल लाइंस इलाके में स्थित इस ऑल सेंट कैथेड्रल चर्च का कैम्पस इतना बड़ा है कि यह चार अलग-अलग रास्तों पर बसा हुआ है।

    चर्च की इमारत के बाहर बेहद खूबसूरत गार्डन है, जिसमें ज्यादातर क्रिसमस ट्री लगे हुए हैं। साथ ही रंग बिरंगे फूलों वाले दूसरे पौधे भी लगे हुए हैं। इस चर्च को हर साल बेहद खूबसूरती से सजाया जाता है। इस मौके पर यहां विशेष प्रार्थना सभाएं व दूसरे खास आयोजन होते हैं, जिसकी तैयारियां महीनों पहले से ही शुरू हो जाती हैं। खास मौकों को छोड़कर इस चर्च के कैम्पस में किसी को भी अंदर जाने की इजाजत नहीं होती, लेकिन फिर भी सिर्फ इसकी इमारत को देखने के लिए रोजाना देश के अलग-अलग हिस्सों से सैकड़ों की तादात में पर्यटक आते हैं। इस अनूठे चर्च की भव्यता बस देखते ही बनती है।

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