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    Sabse Bada Jwalamukhi: कल्पना से परे, ब्रह्मांड का सबसे बड़ा ज्वालामुखी धरती पर नहीं, बल्कि इस ग्रह पर है

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 12, 2025No Comments5 Mins Read
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    Brahmand Ka Sabse Bada Jwalamukhi

    Brahmand Ka Sabse Bada Jwalamukhi

    Brahmand Ka Sabse Bada Jwalamukhi: क्या आपने कभी सोचा है कि पृथ्वी पर मौजूद विशाल ज्वालामुखी ही इस ब्रह्मांड के सबसे बड़े होंगे? अगर हां, तो आपको जानकर हैरानी होगी कि सौरमंडल का सबसे विशाल ज्वालामुखी ओलंपस मॉन्स (Olympus Mons) धरती पर नहीं, बल्कि मंगल ग्रह (Mars Planet) पर है। यह ज्वालामुखी इतना बड़ा है कि अगर आप उसके आधार से चढ़ना शुरू करें, तो आपको एवरेस्ट से भी ढाई गुना ऊपर चढ़ना पड़ेगा। विज्ञान और ब्रह्मांड की इस रहस्यमय ताकत को समझना केवल रोमांच नहीं, बल्कि मानव अस्तित्व की दृष्टि से भी जरूरी है। धरती पर भी कई ज्वालामुखी (Volcano) हैं जो समय-समय पर तबाही मचाते आए हैं और अब जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के दौर में उनका खतरा और बढ़ गया है।

    आइए जानते हैं मंगल के ओलंपस मॉन्स की विस्मयकारी जानकारी के साथ उन पृथ्वी के सबसे खतरनाक ज्वालामुखियों के बारे में और कैसे पर्यावरणीय बदलाव इन ज्वालामुखियों को और भी खतरनाक बना रहे हैं:-

    ओलंपस मॉन्स: मंगल ग्रह का अजूबा

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    ओलंपस मॉन्स (Olympus Mons) हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी है। यह मंगल ग्रह पर स्थित है और इसकी खूबियों की बात करें तो इसकी ऊंचाई: लगभग 22 किलोमीटर (72,000 फीट), जो कि माउंट एवरेस्ट से करीब ढाई गुना अधिक है। इसका व्यास: लगभग 600 किलोमीटर, यानी यह पूरा फ्रांस देश समा जाए इतना बड़ा है। जबकि इसकी ढलान बेहद कम है, जिससे यह दूर से एक विशाल प्लेटो की तरह दिखता है। वर्तमान स्थिति की बात करें तो वैज्ञानिकों का मानना है कि यह एक निष्क्रिय ज्वालामुखी है। लेकिन यह कभी भी फिर से सक्रिय हो सकता है।

    क्यों इतना बड़ा है ओलंपस मॉन्स?

    मंगल पर टेक्टोनिक प्लेट्स नहीं हैं, इसलिए जब कोई ज्वालामुखी सक्रिय होता है, तो वह एक ही स्थान पर लंबे समय तक लावा उगलता रहता है। धरती पर प्लेट्स की गति के कारण ज्वालामुखी अपनी स्थिति बदलते हैं, जिससे उनका आकार सीमित रहता है। लेकिन मंगल पर स्थिरता के कारण ओलंपस मॉन्स इतना विशाल हो पाया।

    कौन से हैं धरती के सबसे खतरनाक ज्वालामुखी (Which Are The Most Dangerous Volcanoes On Earth)?

    धरती पर कई सक्रिय और सुप्त (Dormant) ज्वालामुखी हैं, जो विभिन्न समयों पर तबाही मचा चुके हैं। निम्नलिखित ज्वालामुखी विशेष रूप से खतरनाक माने जाते हैं:-

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    1. माउंट वेसुवियस (Mount Vesuvius), इटली

    79 ई. की प्रसिद्ध पोंपेई त्रासदी का कारण बना ये ज्वालामुखी अब भी एक सक्रिय ज्वालामुखी है और नेपल्स जैसे घनी आबादी वाले क्षेत्र के पास स्थित है।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    2. माउंट सेंट हेलेंस (Mount St. Helens), अमेरिका

    1980 में माउंट सेंट हेलेंस ज्वालामुखी में हुए विस्फोट ने 57 लोगों की जान ली और भारी पर्यावरणीय नुकसान किया।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    3. क्राकाटोआ (Krakatoa), इंडोनेशिया

    क्राकाटोआ ज्वालामुखी में 1883 में हुए विस्फोट ने करीब 36,000 लोगों की जान ली। इसका प्रभाव हजारों किलोमीटर तक महसूस किया गया।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    4. माउंट फुजी (Mount Fuji), जापान

    जापान का प्रतीक माना जाने वाला यह माउंट फुजी ज्वालामुखी अब भी सुप्त है, लेकिन इसके फिर से सक्रिय होने की आशंका बनी रहती है।

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    5. येलोस्टोन सुपरवोल्केनो (Yellowstone Supervolcano), अमेरिका

    येलोस्टोन सुपरवोल्केनो एक सुपरवोल्केनो है जो यदि फटा तो पूरी पृथ्वी के वातावरण को प्रभावित कर सकता है। इसके अंदर लाखों क्यूबिक किलोमीटर लावा और राख भरी है।

    जलवायु परिवर्तन और ज्वालामुखियों का संबंध (Relationship Between Climate Change And Volcanoes)

    जलवायु परिवर्तन अब वैश्विक संकट बन चुका है और इसके प्रभाव प्रकृति के हर कोने में महसूस किए जा रहे हैं। लेकिन क्या यह ज्वालामुखियों को भी प्रभावित करता है?आइए जानते हैं इन प्रभावों के बारे में:-

    ग्लेशियर पिघलने से दवाब में बदलाव

    ग्लेशियर पिघलने से जमीन पर दवाब में कमी आती है, जिससे ज्वालामुखीय गतिविधियां बढ़ सकती हैं। यह विशेष रूप से आइसलैंड और अलास्का जैसे क्षेत्रों में देखा गया है।

    भूगर्भीय तनाव में वृद्धि

    जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र स्तर में वृद्धि और भू-सतह के पुनर्संयोजन से ज्वालामुखी क्षेत्रों में भूगर्भीय तनाव बढ़ता है। इससे सुप्त ज्वालामुखी भी जाग सकते हैं।

    वायुमंडलीय परिवर्तन और गैस रिलीज

    ज्वालामुखी से निकलने वाली गैसें जैसे सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन डाइऑक्साइड, जलवायु परिवर्तन को और तेज करती हैं। इसी प्रकार जलवायु असंतुलन भी ज्वालामुखियों की प्रतिक्रिया को बढ़ा सकता है।

    मानव जीवन पर प्रभाव

    ज्वालामुखी फटने से होने वाले प्रभावों में कई तरह के नुकसान शामिल हैं, जिसमें जान-माल की हानि, लंबे समय तक कृषि और पेयजल पर असर, वायुमंडलीय परिवर्तन से वैश्विक तापमान में गिरावट (जैसे कि टैंबोरा विस्फोट के बाद ‘वर्ष बिना गर्मी’ 1816 में हुआ था), वायुयात्रा पर असर (जैसे 2010 में आइसलैंड के ज्वालामुखी विस्फोट से यूरोपीय हवाई यातायात ठप हो गया था) आदि।

    भविष्य की तैयारी और समाधान, अर्ली वार्निंग सिस्टम्स

    उन्नत भूगर्भीय यंत्रों की सहायता से समय रहते ज्वालामुखी विस्फोट की चेतावनी दी जा सकती है।

    वैज्ञानिक रिसर्च और सैटेलाइट मॉनिटरिंग

    NASA और अन्य संस्थान लगातार सैटेलाइट्स की मदद से ज्वालामुखियों पर नजर रख रहे हैं।

    स्थानीय प्रशासन और आपदा प्रबंध

    जो क्षेत्र ज्वालामुखीय जोन में आते हैं वहां की सरकारों को आपदा प्रबंधन योजनाओं को अपडेट करते रहना चाहिए।

    जन-जागरूकता और शिक्षा

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    लोगों को ज्वालामुखी से जुड़ी सतर्कता, प्राथमिक चिकित्सा और आपदा के समय के व्यवहार के बारे में शिक्षित किया जाना जरूरी है। ज्वालामुखी चाहे मंगल ग्रह पर हो या पृथ्वी पर, ये हमें ब्रह्मांड की शक्तियों की याद दिलाते हैं। ओलंपस मॉन्स जैसे ज्वालामुखी हमारे लिए खगोलीय रोमांच हैं, वहीं धरती के सक्रिय ज्वालामुखी हमारी सुरक्षा और अस्तित्व के लिए खतरा बन सकते हैं।

    जलवायु परिवर्तन ने इस खतरे को और भी बढ़ा दिया है, जिससे हमारी सतर्कता और तैयारी पहले से कहीं अधिक जरूरी हो गई है। इसलिए, अब वक्त है कि हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रकृति की समझ के साथ मिलकर इन आपदाओं से निपटने के लिए सामूहिक प्रयास करें। यही एकमात्र रास्ता है जिससे हम खुद को और आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित रख सकते हैं।

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