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    Home » Salbardi Travel Guide: सतपुड़ा की गोद में बसा प्रकृतिक स्थान, जानिए सालबर्डी के बारे में
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    Salbardi Travel Guide: सतपुड़ा की गोद में बसा प्रकृतिक स्थान, जानिए सालबर्डी के बारे में

    Janta YojanaBy Janta YojanaSeptember 4, 2025No Comments5 Mins Read
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    Salbardi Beautiful Tourist Places

    Salbardi Beautiful Tourist Places

    Salbardi Beautiful Tourist Places: भारत के मध्य प्रदेश में सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला की खूबसूरत वादियों में बसा छोटा-सा गाँव सालबर्डी प्रकृति और आस्था दोनों का संगम है। यह जगह अपने हरे-भरे जंगलों, झरनों, रहस्यमयी गुफाओं और प्राचीन मंदिरों के लिए मशहूर है। हर साल यहाँ हजारों श्रद्धालु, पर्यटक और रोमांच प्रेमी आते हैं। सालबर्डी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी बहुत खास है जो इसे और आकर्षक बनाता है।

    सालबर्डी का भूगोल और प्राकृतिक सौंदर्य

    सालबर्डी गाँव मध्य प्रदेश के बैतूल जिले की प्रभातपट्टन तहसील में, महाराष्ट्र की सीमा के पास बसा एक सुंदर स्थान है। यह गाँव सतपुड़ा की हरी-भरी पहाड़ियों से घिरा हुआ है, जिससे यहाँ का मौसम पूरे साल सुहावना और शांत रहता है। खासकर मानसून में यह जगह हरियाली से भर जाती है और यहाँ के झरने पूरे जोर से बहने लगते हैं। साल और सागौन के घने जंगल इस क्षेत्र की खूबसूरती बढ़ाते हैं और इन्हीं साल के पेड़ों से इस गाँव का नाम सालबर्डी पड़ा माना जाता है। यह जगह धार्मिक और रोमांच प्रेमियों दोनों के लिए खास है क्योंकि यहाँ भगवान शिव की प्राचीन गुफाएँ, शिवलिंग, प्राकृतिक जलधाराएँ और रहस्यमयी गुफाएँ हैं। लोग यहाँ ट्रैकिंग, पिकनिक और जंगल सफारी का आनंद लेने आते हैं। सालबर्डी की खास बात यह है कि यह गाँव मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में फैला हुआ है, जिससे इसका सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

    सालबर्डी का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

    सालबर्डी का हनुमान मंदिर यहाँ का सबसे बड़ा आस्था केंद्र माना जाता है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि यहाँ स्थापित हनुमानजी की प्रतिमा स्वयंभू है, यानी यह प्राकृतिक रूप से प्रकट हुई है। यद्यपि इसके ऐतिहासिक प्रमाण सीमित हैं फिर भी यह मंदिर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की सीमा पर रहने वाले लोगों के लिए विशेष महत्व रखता है। लोककथाओं के अनुसार त्रेतायुग में भगवान राम की सीता-खोज के दौरान हनुमानजी ने यहाँ तपस्या की थी, इसलिए यह जगह और भी पवित्र मानी जाती है। साल में दो बार चैत्र और माघ मास में यहाँ बड़ा मेला लगता है, जिसमें हजारों श्रद्धालु आते हैं। इन मेलों में भजन-कीर्तन, पूजन जैसे धार्मिक कार्यक्रम होते हैं और साथ ही स्थानीय लोकनृत्य और व्यापार मेलों की रौनक बढ़ाते हैं।

    सालबर्डी की गुफाएँ और रहस्य

    सालबर्डी में कई प्राचीन प्राकृतिक गुफाएँ हैं जिन्हें ऋषि-मुनियों की तपोस्थली माना जाता है। यहाँ की गुफाएँ आध्यात्मिक महत्व रखती हैं और इनमें मौजूद जलस्रोत पूरे साल ठंडा पानी देते हैं। इन गुफाओं में जाना अपने आप में एक रोमांचक अनुभव है क्योंकि कुछ गुफाएँ बहुत संकरी होती हैं और उनके अंदर रेंगकर जाना पड़ता है, जो साहसिक यात्रियों को खासा आकर्षित करता है। खासकर शिवगुफा के आसपास का वातावरण बेहद शांत और मन को सुकून देने वाला होता है। कुछ गुफाओं से निकलने वाली जलधारा सीधे शिवलिंग पर गिरती है जो देखने में एक अद्भुत और चमत्कारिक दृश्य लगता है।

    सालबर्डी का मेला

    मध्य भारत के ग्रामीण इलाकों में माघ पूर्णिमा का खास धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व होता है और इस दिन कई जगह मेले आयोजित किए जाते हैं। सालबर्डी में भी माघ पूर्णिमा पर मेला लगता है जिसमें हनुमान चालीसा का पाठ, भजन-कीर्तन, धार्मिक अनुष्ठान, झूले और खेल-तमाशे जैसी गतिविधियाँ होती हैं। इस समय स्थानीय बाजार सज जाते हैं और आसपास के गाँवों के लोग शहद, जंगल के फल, हस्तशिल्प, लकड़ी की वस्तुएँ और घरेलू सामान बेचने आते हैं। इससे गाँव की अर्थव्यवस्था को अच्छा सहारा मिलता है और लोगों को आपसी मेल-जोल का अवसर भी मिलता है।

    पर्यटक आकर्षण

    सालबर्डी में आने वाले पर्यटकों के लिए कई आकर्षक स्थान हैं।

    हनुमान मंदिर – हनुमान मंदिर सालबर्डी का प्रमुख धार्मिक स्थल है और यहाँ पर भक्तों की बड़ी संख्या में श्रद्धा देखी जाती है।

    प्राकृतिक गुफाएँ – प्राकृतिक गुफाएँ सालबर्डी की खास पहचान हैं, जो प्राचीन काल से जुड़ी हुई हैं और ट्रैकिंग व साहसिक अनुभव के लिए उपयुक्त हैं। इनमें से कई गुफाएँ शिवगुफा के रूप में प्रसिद्ध हैं जहां शिवलिंग स्थित है।

    जंगल और वादियाँ – जंगल और वादियाँ सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला की हरियाली से घिरी हुई हैं, जो प्रकृति प्रेमियों के लिए आकर्षक स्थल हैं।

    झरने और जलस्रोत – मानसून के समय यहाँ के झरने और जलस्रोत बेहद सुंदर दृश्य प्रस्तुत करते हैं, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

    स्थानीय मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम – सालबर्डी में स्थानीय मेले और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं, जिसमें ग्रामीण जीवन और परंपराओं की जीवंत झलक मिलती है।

    सालबर्डी की यात्रा का सही समय

    सालबर्डी घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी तक माना जाता है। इस समय यहाँ का मौसम ठंडा और सुहावना रहता है, जिससे यात्रा आरामदायक हो जाती है। खासतौर पर माघ महीने (जनवरी-फरवरी) में लगने वाला वार्षिक मेला पर्यटकों के लिए बड़ा आकर्षण होता है। मानसून में यहाँ की हरियाली और झरने बहुत सुंदर लगते हैं। लेकिन इस समय रास्ते फिसलन भरे हो सकते हैं इसलिए यात्रा थोड़ी मुश्किल हो सकती है।

    कैसे पहुँचें सालबर्डी

    सड़क मार्ग से – बैतूल और अमरावती दोनों से सालबर्डी सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बैतूल जिले के मुख्यालय से सालबर्डी की दूरी लगभग 115 किलोमीटर है। अमरावती से सालबर्डी की दूरी लगभग 65-70 किलोमीटर (मोर्शी के माध्यम से) है जो सड़क द्वारा पहुँचा जा सकता है।

    रेल मार्ग से – निकटतम रेलवे स्टेशन बैतूल है, जो सालबर्डी से लगभग 60 – 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

    हवाई मार्ग से – निकटतम हवाई अड्डा नागपुर है जहाँ से सड़क मार्ग द्वारा सालबर्डी पहुँचा जा सकता है। भोपाल हवाई अड्डा भी निकटतम विकल्पों में है लेकिन नागपुर अधिक समीप है।

    स्थानीय संस्कृति और भोजन

    सालबर्डी का स्थानीय खान-पान बहुत ही देसी और स्वादिष्ट होता है। यहाँ के पारंपरिक भोजन में भाकरी, पिठला और वरण-भात जैसे व्यंजन सबसे ज्यादा खाए जाते हैं जो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों में आम हैं। मेलों और त्योहारों के समय महुआ से बनी मिठाइयाँ खास तौर पर बनाई जाती हैं। मेले में लोग चाट-पकौड़ी, गुड़-तिल की गजक और गर्मागर्म जलेबियों का भी खूब आनंद लेते हैं।

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