
Telangana Foundation Day History
Telangana Foundation Day History
Telangana Foundation Day History: निजामों की धरती कहे जाने वाले हैदराबाद आज जिस तरह दिखता है, वह कभी आंध्र प्रदेश का हिस्सा हुआ करता था । आज उसी तेलंगाना की बात करेंगे जिसका गठन 2 जून 2014 को हुआ था और इसकी राजधानी हैदराबाद शहर है। नक्शे में तेलंगाना को देखें तो तेलंगाना की सीमा उत्तर और उत्तर पश्चिम में महाराष्ट्र, उत्तर में छत्तीसगढ़, उत्तर पूर्व में ओडिशा (खम्मम जिले से सटा हुआ), पश्चिम में कर्नाटक और पूर्व और दक्षिण में आंध्र प्रदेश से लगती है। तेलंगाना का क्षेत्रफल 114,840 वर्ग किलोमीटर (44,340 वर्ग मील) है और इसकी जनसंख्या 35,193,978 (2011 की जनगणना) है। यह भारत का बारहवां सबसे बड़ा राज्य है और भारत का बारहवां सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। इसके प्रमुख शहरों में हैदराबाद, वारंगल, निजामाबाद, करीमनगर और रामागुंडम शामिल हैं।
इतिहास को समझते हैं:
हैदराबाद शहर पर निज़ाम का शासन था, जो 1948 में भारत संघ में शामिल हुआ। 1956 में, राज्यों के भाषाई पुनर्गठन के हिस्से के रूप में हैदराबाद राज्य को भंग कर दिया गया और तेलंगाना को आंध्र प्रदेश बनाने के लिए पूर्व आंध्र राज्य के साथ मिला दिया गया। अलगाव के लिए एक आंदोलन के बाद, इसे 2 जून 2014 को अलग राज्य का दर्जा दिया गया।

हैदराबाद दस साल से अधिक की अवधि के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए संयुक्त राजधानी के रूप में काम करना जारी रखेगा।
तेलंगाना आंदोलन
चालीस के दशक में कामरेड वासुपुन्यया की अगुवाई में कम्युनिस्टों ने एक अलग तेलंगाना बनाने की मुहिम की शुरूआत की थी। उस समय इस आंदोलन का उद्देश्य भूमिहीनों को भूपति बनाना था । छह वर्षों तक यह आंदोलन चला लेकिन बाद में इसकी कमर टूट गई और इसकी कमान नक्सलवादियों के हाथ में आ गई।

आज भी इस इलाक़े में नक्सलवादी सक्रिय हैं। 1969 में तेलंगाना आंदोलन फिर शुरू हुआ था। दरअसल दोनों इलाक़ों में भारी असमानता है। आंध्र मद्रास प्रेसेडेंसी का हिस्सा था और वहाँ शिक्षा और विकास का स्तर काफ़ी ऊँचा था जबकि तेलंगाना इन मामलों में पिछड़ा है। तेलंगाना क्षेत्र के लोगों ने आंध्र में विलय का विरोध किया था। उन्हें डर था कि वो नौकरियों के मामले में पिछड़ जाएंगे। अब भी दोनों क्षेत्र में ये अंतर बना हुआ है। साथ ही सांस्कृतिक रूप से भी दोनों क्षेत्रों में अंतर है। तेलंगाना पर उत्तर भारत का ख़ासा प्रभाव है।
आंदोलन का शुरुआती प्रभाव
शुरुआत में तेलंगाना को लेकर छात्रों ने आंदोलन शुरू किया था लेकिन इसमें लोगों की भागीदारी ने इसे ऐतिहासिक बना दिया। इस आंदोलन के दौरान पुलिस फ़ायरिंग और लाठी चार्ज में साढे तीन सौ से अधिक छात्र मारे गए थे। उस्मानिया विश्वविद्यालय इस आंदोलन का केंद्र था।

उस दौरान एम. चेन्ना रेड्डी ने ‘जय तेलंगाना’ का नारा उछाला था लेकिन बाद में उन्होंने अपनी पार्टी तेलंगाना प्रजा राज्यम पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। इससे आंदोलन को भारी झटका लगा। इसके बाद इंदिरा गांधी ने उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया था। 1971 में नरसिंह राव को भी आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया था क्योंकि वे तेलंगाना क्षेत्र के थे।
चंद्रशेखर राव की भूमिका
नब्बे के दशक में के. चंद्रशेखर राव ‘तेलुगू देशम पार्टी’ के हिस्सा हुआ करते थे। 1999 के चुनावों के बाद चंद्रशेखर राव को उम्मीद थी कि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा, लेकिन उन्हें डिप्टी स्पीकर बनाया गया। वर्ष 2001 में उन्होंने पृथक तेलंगाना का मुद्दा उठाते हुए ‘तेलुगू देशम पार्टी’ छोड़ दी और ‘तेलंगाना राष्ट्र समिति’ का गठन कर दिया। 2004 में वाई. एस. राजशेखर रेड्डी ने चंद्रशेखर राव से हाथ मिला लिया और पृथक तेलंगाना राज्य का वादा किया। लेकिन बाद में उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद ‘तेलंगाना राष्ट्र समिति’ के विधायकों ने इस्तीफ़ा दे दिया और चंद्रशेखर राव ने भी केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफ़ा दे दिया था।

07 फरवरी, 2014 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विधेयक पास करके और हैदराबाद को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की सीमांध्र नेताओं की मांग खारिज कर दी थी। इसके बाद सीमांध्र और तेलंगाना सांसदों के बीच हंगामे और झड़प के बीच विधेयक लोकसभा में पेश किया गया। 18 फ़रवरी, 2014 को लोकसभा ने तेलंगाना विधेयक पास कर दिया और फिर अगले ही दिन किरण रेड्डी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। 20 फ़रवरी, 2014 को राज्य सभा ने विधेयक पास किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीमांध्र के लिए पैकेज की घोषणा कर दी। 1 मार्च, 2014 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तेलंगाना विधेयक पर अपनी सहमति दे दी और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुआ। इसके बाद 30 अप्रैल, 2014 को 119 सदस्यीय तेलंगाना विधानसभा और 17 लोकसभा सीटों पर एक साथ चुनाव हुए। 2 जून, 2014 को नए राज्य के रूप में तेलंगाना का जन्म हुआ और के. चंद्रशेखर राव ने राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
तेलंगाना का भूगोल
तेलंगाना राज्य भारतीय प्रायद्वीप के पूर्वी तट पर 112,077 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। कृष्णा और गोदावरी दो प्रमुख नदियाँ हैं जो इस क्षेत्र से होकर बहती हैं। हार्डविकिया बिनाटा और अल्बिजिया अमारा घाटी में विशिष्ट वनस्पतियाँ हैं। लगभग 27,292 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पहाड़ी इलाकों, पर्वत श्रृंखलाओं और घने जंगलों से घिरा हुआ है। तेलंगाना आने वाले पर्यटक राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों में जीवों का आनंद ले सकते हैं।
तेलंगाना के गठन की टाइमलाइन को समझते हैं:
तेलंगाना का गठन एक लंबी प्रक्रिया का परिणाम है, जिसमें कई अहम घटनाएँ शामिल हैं।
1955 में राज्य पुनर्गठन समिति (एसआरसी) ने हैदराबाद को एक अलग राज्य के रूप में बनाए रखने की सिफारिश की जा रही थी, लेकिन इसे नजरअंदाज कर दिया गया।
तेलंगाना के लोगों ने विरोध करते हुए कहा कि यह क्षेत्र अधिक पिछड़ा हुआ है और बजट, रोजगार के अवसरों और पानी के वितरण में अन्याय हो रहा है।
1 नवंबर 1956 को, तेलंगाना को आंध्र प्रदेश राज्य में मिलाने की वजह से सभी तेलुगू भाषी लोग एक साथ हो गए।

इसके बाद, लोगों के बीच ‘जय तेलंगाना’ और ‘जय आंध्र’ जैसे नारे लगे।
विशेष रूप से 1969 और 1972 में हिंसक आंदोलन हुए, जिनमें पुलिस की गोलीबारी में कई लोग मौत के घाट उतार दिए गए।
इस आंदोलन के बाद उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पिछड़े क्षेत्रों के तेजी से विकास करने और रोजगार मे मदद के लिए स्थानीय उम्मीदवारों को वरीयता देने के लिए 6 सूत्र वाला फॉर्मूला पेश किया।
1997 में फिर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने अलग राज्य के गठन का समर्थन किया।
2001 में, के. चंद्रशेखर राव ने अपनी एक क्षेत्रीय पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) का गठन किया, जिसने आंदोलन को फिर से जीवित कर दिया। राव की इस पार्टी को जनता से खूब समर्थन मिला।
2009 में राव के भूख हड़ताल के आंदोलन ने लोगों को पोट्टी श्रीरामुलु की भूख हड़ताल और उनकी मृत्यु की याद दिलाई, जिन्होंने आंध्र राज्य के लिए आंदोलन किया था। इस दौरान कई युवाओं ने आत्महत्या भी की थी।
2010 में इस मुद्दे के एक स्थाई समाधान निकालने के लिए श्रीकृष्ण समिति बनाई गई। इस रिपोर्ट मे आंध्र प्रदेश के तीनों क्षेत्रों में समान विकास होने की बात कही।
जिसके बाद आंध्र प्रदेश का दोबारा गठन वाला विधेयक 2014 में पारित किया गया। इसमें हैदराबाद को एक साझा राजधानी बताया गया था, लेकिन यह व्यवस्था दस साल से अधिक समय तक नहीं रहने वाली थी। इसके बाद, तेलंगाना की अपनी राजधानी होगी और आंध्र प्रदेश को एक नई राजधानी मिलेगी।
आखिरकार, 2 जून, 2014 को तेलंगाना भारत के 29वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया। 17 सितंबर,1948 से 1 नवंबर 1956 तक हैदराबाद राज्य का हिस्सा था।
एक अलग राज्य के लिए दशकों के आंदोलन के बाद, संसद के दोनों सदनों में आंध्र प्रदेश राज्य पुनर्गठन विधेयक पारित करके तेलंगाना को एक अलग राज्य के रूप में बनाया गया। तेलंगाना उत्तर में महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़, पश्चिम में कर्नाटक और दक्षिण और पूर्व दिशा में आंध्र प्रदेश से घिरा हुआ है। राज्य के प्रमुख शहरों में हैदराबाद, वारंगल, निज़ामाबाद, नलगोंडा, खम्मम और करीमनगर शामिल हैं।
यहाँ की भाषा:
आंध्र प्रदेश की 294 में से 119 विधानसभा क्षेत्र और 17 लोकसभा क्षेत्र भी इसी में आते हैं। क़रीब 3.5 करोड़ आबादी वाले तेलंगाना की भाषा तेलुगु और दक्कनी उर्दू है।
आर्थिक और आधारभूत विकास
तेलंगाना बनने के बाद से राज्य में कृषि, उद्योग, और सूचना प्रौद्योगिकी को बढ़ावा मिल है। ‘रुको’ जैसी योजनाओं ने किसानों को राहत देते हुए बड़े पैमाने पर सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गईं। हैदराबाद शहर IT हब के रूप में जाना जाने लगा।
शिक्षा और स्वास्थ्य
शिक्षा के क्षेत्र में स्कूलों और विश्वविद्यालयों के विस्तार से युवाओं के लिए बेहतर अवसर मिल रहे हैं। स्वास्थ्य देखभाल पर जोर दिया जा रहा है, जिसके तहत प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुधार और अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जा रही है। सरकार ने गरीब और पिछड़े वर्गों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं।
सामाजिक सुधार
तेलंगाना ने अपनी सांस्कृतिक विरासत भ किया , जैसे कि भाषा, लोक कला और नृत्य को बढ़ावा दिया। राज्य सरकार ने स्थानीय त्योहारों और साहित्यिक कार्यक्रमों का संरक्षण किया। साथ ही, समाज में समरसता और समानता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सामाजिक योजनाएं लागू की गईं।
वर्तमान स्थिति:
तेलंगाना आज एक तेजी से विकसित होते हुए अपनी आर्थिक रूप से मजबूत होता जा रहा है। राज्य की जीडीपी में निरंतर वृद्धि हो रही है और रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। हालांकि, गरीबी, बेरोजगारी, और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास जैसे मुद्दे अभी भी महत्वपूर्ण हैं। जल संरक्षण, पर्यावरण सुरक्षा और सतत विकास भी प्राथमिकता के क्षेत्र हैं।
चुनौतियां
तेलंगाना के सामने कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं, जिनसे निपटना आवश्यक है। इनमें जल संकट, कृषि संकट, बेरोजगारी, युवाओं के लिए पर्याप्त अवसर, शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार शामिल हैं। साथ ही, सामाजिक समरसता और क्षेत्रीय विकास में समानता बनाए रखना भी आवश्यक है। तेजी से छानबीन करते बिगड़ते पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन को भी ध्यान में रखना होगा।
तेलंगाना का भारत के संघ में सम्मिलित होना एक लंबी और जटिल प्रक्रिया का परिणाम है। इसका इतिहास सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संघर्षों से भरा रहा है। तेलंगाना ने अपनी विशिष्ट पहचान को पुनः स्थापित किया और विकास के नए मार्ग अपनाए। आज यह राज्य आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक दृष्टि से पूरे देश में अपनी एक अलग जगह बना चुका है। हालांकि चुनौतियां बनी हुई हैं, लेकिन सरकार और जनता मिलकर तेलंगाना को एक संतुलित और समृद्ध राज्य बनाने के लिए प्रयासरत हैं।
तेलंगाना के बारे में रोचक तथ्य
तेलंगाना को सबसे युवा राज्य कहते हैं, जो 2 जून 2014 को आंध्र प्रदेश से अलग हुआ था। क्षेत्रफल के हिसाब से देखा जाए तो, यह दुनिया का 33वां सबसे बड़ा राज्य है। ऐसा पहली बार हुआ है, ज किसी राज्य को दो हिस्सों में बांटा गया है,जबकि दोनों ही राज्यों की भाषा एक ही है। कोथापल्ली जयशंकर को तेलंगाना का जनक माना जाता है। 1952 से ही वे अलग राज्य के निर्माण के लिए संघर्ष करते आ रहे थे।
तेलंगाना को 12 नंबर से भी जोड़कर देखा जाता है। जैसे यह देश का 12वां सबसे बड़ा और 12वां सबसे अधिक आबादी वाला राज्य है। निजामों के समय से लेकर स्वतंत्र भारत तक भी 1724 से 1948 तक हैदराबाद भारत का सबसे बड़ा और सबसे अमीर राज्य था। ऐसा माना जाता है कि तेलंगाना का नाम त्रिलिंगा देसा से लिया गया है। त्रिलिंगा देसा के तीन पहाड़ों में से एक वह जगह है जहाँ देश के इस हिस्से के देवता भगवान शिव लिंग के रूप में अवतरित हुए थे। तेलंगाना इन पहाड़ों में से एक था।
चंद्रबाबू नायडू के मुख्यमंत्री रहने के दौरान तेलंगाना को साइबराबाद के नाम से जाना जाने लगा था। इस राज्य पर कई बड़े राजाओं ने शासन किया, जिनमें मौर्य साम्राज्य, सातवाहन राजवंश, चालुक्य राजवंश और काकतीय राजवंश शामिल हैं।
तेलंगाना का राजकीय फल आम है! यहाँ 1,000 स्तंभों वाला मंदिर है, जो दुनिया के सबसे अनोखे पुरातात्विक स्थलों में से एक है। यह वारंगल जिले में बना है।
कुछ सबसे खूबसूरत जगहें जिन्हें आपको जरूर देखना चाहिए वे निम्न हैं:
चारमीनार
सालार जंग संग्रहालय
गोलकोंडा किला
रामोजी फिल्म सिटी
हुसैन सागर झील
तेलंगाना न केवल अपनी खूबसूरत जगहों के लिए, बल्कि अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के लिए भी जाना जाता है। जैसे कि हैदराबादी बिरयानी, दही चावल, पेसरट्टू और गोंगुरा अचार अंबाडी तेलंगाना के कुछ फेंस व्यंजन हैं।
तेलंगाना में हिंदू और इस्लाम दोनों ही ज्यादा माने जाने वाले धर्म हैं। राज्य में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जैसे कि बिड़ला मंदिर, साथ ही मस्जिदें भी हैं, जैसे कि मक्का मस्जिद।
कहते हैं, दुनिया का सबसे रंगहीन कोहिनूर हीरा 13वीं शताब्दी में भारत के गोलकुंडा किले के पास पाया गया था। पंजाब की हार के बाद इस हीरे को अंग्रेजों ने अपने कब्ज़े में ले लिया था।
तेलंगाना कई उल्लेखनीय भारतीयों का घर है, जिनमें सरोजिनी नायडू (भारत की कोकिला), सीके नायडू (भारतीय क्रिकेट टीम के पहले कप्तान), पीवी सिंधु (ओलंपिक पदक विजेता बैडमिंटन खिलाड़ी), सानिया नेहवाल (बैडमिंटन में दुनिया की नंबर 1 खिलाड़ी), जाकिर हुसैन (भारत के पहले मुस्लिम राष्ट्रपति) और पीवी नरसिम्हा राव (भारत के 9वें प्रधान मंत्री) शामिल हैं।
तेलंगाना में कई अलग-अलग संस्कृतियां और जनजातियाँ हैं। प्राचीन साम्राज्य जो देश में सबसे बड़े राजवंशीय शासन के रूप में पनपे, वे इस बात के प्रमाण हैं कि तेलंगाना ने भारत की समृद्ध परंपरा और विरासत को कैसे अपनाया है।