Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • Azamghar News: पूर्व मुख्यमंत्री बोले – “भाजपा की प्राथमिकता शराब की दुकानें हैं, न कि स्कूल”
    • Bhool Bhulaiya Ka Itihas: लखनऊ की भूल भुलैया किसी रहस्य से कम नहीं, आइए जानें इसके पीछे के इतिहास को
    • Politician Devesh Thakur Wikipedia: बिहार की सियासत में एक पुराना चेहरा, नई ताकत- देवेश ठाकुर
    • पहले ही बिगड़ गया खेल! तेजस्वी की इस चाल से बिहार का बदल जाएगा ‘चुनावी गणित’, ओवैसी रह गए अकेले
    • बिहार में ‘AAP’ अकेली पड़ेगी भारी! केजरीवाल बोले- अब किसी की जरूरत नहीं.. विरोधियों के उड़ गए होश
    • Meghalay Tourist Place: कश्मीर भूल जाएँगे मॉसिनराम आ कर, दुनिया का सबसे गीला ठिकाना
    • Odanthurai Village History: ओदन्थुराई, एक ऐसा गांव जो देता है सरकार को बिजली, आइए इसे जानते हैं
    • E.T Muhammad Basheer Wikipedia: ई.टी. मुहम्मद बशीर का मिशन शिक्षा, संविधान और समावेश: संसद में IUML की एक सशक्त आवाज
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » क्या नेहरू आरक्षण विरोधी थे? जानिए, मुख्यमंत्रियों को लिखे उनके ख़त में क्या है
    भारत

    क्या नेहरू आरक्षण विरोधी थे? जानिए, मुख्यमंत्रियों को लिखे उनके ख़त में क्या है

    By December 16, 2024No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    संविधान पर बहस के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित नेहरू को निशाने पर लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जवाहर लाल नेहरू से लेकर राजीव गांधी तक आरक्षण के ख़िलाफ़ थे। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू का अपना संविधान चलता था और वे अपने तरीके से काम करते थे। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू ने सभी मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर कहा था कि अगर संविधान बदलने की ज़रूरत पड़ेगी तो इसे बदला जाएगा।

    तो सवाल है कि आख़िर आरक्षण और इसको लेकर राज्यों के मुख्यमंत्रियों को लिखे ख़त में पंडित नेहरू ने ऐसा क्या कहा था कि पीएम मोदी उन्हें आरक्षण विरोधी बता रहे हैं 

    नेहरू ने आजादी के दो महीने बाद 15 अक्टूबर 1947 को प्रांतीय सरकारों के प्रमुखों और बाद में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखना शुरू किया था। उन्होंने अपनी मृत्यु से चार महीने पहले 21 दिसंबर 1963 तक यह काम जारी रखा। इन पत्रों में नेहरू के राजनीतिक विचार दिखते हैं। इसके साथ ही नागरिकता और लोकतंत्र से लेकर अंतरराष्ट्रीय संबंधों तक कई विषयों पर उनके विचार का पता चलता है।

    मुख्यमंत्रियों को लिखे गए नेहरू के पत्रों का कानूनी जानकार माधव खोसला ने संकलन संपादित किया है। इसके अनुसार, 27 जून 1961 को लिखे गए एक पत्र में पूर्व प्रधानमंत्री ने आरक्षण की बात की थी।

    द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार पत्र में नेहरू ने ‘इस जाति या उस समूह को दिए जाने वाले आरक्षण और विशेष विशेषाधिकारों की पुरानी आदत से बाहर निकलने’ की बात कही है।

    ख़त में नेहरू ने कहा कि मुख्यमंत्रियों की हाल ही में हुई बैठक में ‘यह तय किया गया था कि मदद जाति के आधार पर नहीं बल्कि आर्थिक आधार पर दी जानी चाहिए’।

    उन्होंने आगे कहा, ‘यह सच है कि हम अनुसूचित जातियों और जनजातियों की मदद करने के बारे में कुछ नियमों और परंपराओं से बंधे हुए हैं। वे मदद के हकदार हैं, लेकिन फिर भी, मैं किसी भी तरह के आरक्षण को नापसंद करता हूं, खासकर नौकरियों में। मैं किसी भी ऐसी चीज के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया देता हूँ जो अकुशलता और दूसरे दर्जे के मानकों की ओर ले जाती है। मैं चाहता हूँ कि मेरा देश हर चीज में प्रथम श्रेणी का देश बने। जिस क्षण हम दूसरे दर्जे को बढ़ावा देते हैं, हमरा नुक़सान होता है।’

    नेहरू ने तब तर्क दिया था कि ‘पिछड़े समूह की मदद करने का एकमात्र वास्तविक तरीका अच्छी शिक्षा के अवसर देना है, विशेष रूप से तकनीकी शिक्षा। उन्होंने कहा, ‘बाकी सब कुछ किसी प्रकार की बैसाखी का प्रावधान है, जो शरीर की ताकत या स्वास्थ्य में वृद्धि नहीं करता है’। नेहरू ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने इस संबंध में दो निर्णय लिए थे: सार्वभौमिक मुफ्त प्राथमिक शिक्षा, और छात्रवृत्ति। उन्होंने कहा, ‘मैं प्रतिभाशाली और योग्य लड़के और लड़कियों पर जोर देता हूं क्योंकि यह केवल वे ही हैं जो हमारे मानकों को ऊपर उठाएंगे। मुझे कोई संदेह नहीं है कि इस देश में संभावित प्रतिभाओं का एक विशाल भंडार है, अगर हम केवल उन्हें अवसर दे सकें। लेकिन अगर हम सांप्रदायिक और जातिगत आधार पर आरक्षण लेते हैं, तो हम प्रतिभाशाली और योग्य लोगों को डुबो देंगे और दूसरे दर्जे या तीसरे दर्जे के बने रहेंगे।’ 

    उन्होंने कहा, ‘मुझे यह जानकर दुख हुआ कि सांप्रदायिक विचारों के आधार पर आरक्षण का यह मामला कितनी दूर तक चला गया है। यह जानकर मुझे आश्चर्य हुआ कि कभी-कभी पदोन्नति भी सांप्रदायिक या जातिगत विचारों पर आधारित होती है। यह न केवल मूर्खता है, बल्कि आपदा है। उन्होंने कहा, ‘आइए, हम पिछड़े समूहों की हर तरह से मदद करें, लेकिन कार्यकुशलता की कीमत पर कभी नहीं।’

    बता दें कि नेहरू के पूरे कार्यकाल के दौरान आरक्षण का प्रावधान बना रहा। 1950 में तैयार किए गए संविधान के अनुच्छेद 334 ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और एंग्लो-इंडियन समुदाय को 10 साल की अवधि के लिए आरक्षण दिया गया। इसके बाद इस अनुच्छेद को 1969, 1980, 1989, 1999 में संशोधित किया गया। मौजूदा स्थिति के अनुसार, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए आरक्षण 80 वर्ष और एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए 70 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleRaja Bhaiya Statement : हिन्दू धर्मस्थल तोड़कर मंदिर नहीं बनाता, संभल के पत्थरबाजों को भी दी नसीहत
    Next Article क्या मोदी ने देश को गुमराह किया?

    Related Posts

    ट्रंप की तकरीर से NATO में दरार!

    June 25, 2025

    ईरान ने माना- उसके परमाणु ठिकानों को काफी नुकसान हुआ, आकलन हो रहा है

    June 25, 2025

    Satya Hindi News Bulletin। 25 जून, शाम तक की ख़बरें

    June 25, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.