Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • पीएम मोदी साइप्रस यूं ही नहीं गए थे, कुछ नतीजा निकलेगा कूटनीतिक मुहिम का?
    • Satya Hindi News Bulletin। 17 जून, दोपहर तक की ख़बरें
    • Satya Hindi News Bulletin। 17 जून, सुबह तक की ख़बरें
    • बारिश, ब्रेक और बॉन्डिंग- मानसून माइक्रोकैशन से बदलती वीकेंड ट्रैवल की तस्वीर
    • G7 अपडेटः ट्रम्प ने सम्मेलन छोड़ा, मैक्रों को लताड़ा, ईरान के साथ युद्धविराम की बातें
    • War Live: तेल अवीव में धमाके, ट्रम्प ने ईरानियों से तेहरान छोड़ने को कहा
    • इसराइल-ईरान वॉरः ट्रम्प ने G7 के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर से इनकार क्यों किया
    • हरियाणा की मॉडल मर्डर मिस्ट्री, आखिर शीतल का कातिल कौन ?
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » ट्रंप की छटपटाहट सही, पर समाधान ग़लत!
    भारत

    ट्रंप की छटपटाहट सही, पर समाधान ग़लत!

    By March 8, 2025No Comments4 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    चीन ने अपना डिफेन्स बजट 7.6 प्रतिशत बढ़ा दिया है। जानकार बताते हैं कि यह प्रतिशत भी इस मद में अघोषित व्यय से काफ़ी कम है। चीन चूँकि खुली यानी पारदर्शी इकॉनमी और लिबरल प्रजातंत्र नहीं है इसलिए उसके बारे में कयास ही लगाये जा सकते हैं। चूँकि धरातल पर यह देश बहुत कुछ ऐसा करता रहा है जो विश्व को अचंभित कर देता है– डीपसीक उसका सबसे नया उदाहरण है— लिहाज़ा उसके बारे में कुछ भी अनुमान कयास ही माना जाता है। बहरहाल, यही डर अमेरिका का भी है। अमेरिका और चीन के तुलनात्मक आँकड़े बताते हैं कि जीडीपी आयतन, सामरिक क्षमता, मैन्युफैक्चरिंग, विश्व व्यापार और हाल के दिनों में तकनीकी में बड़ी तेज़ी से चीन अमेरिका को पछाड़ने की स्थिति में है। लिहाज़ा अमेरिकी जनता को राष्ट्रपति ट्रंप का नारा ‘अमेरिका फर्स्ट’ और ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ भा रहा है।

    लेकिन इसका समाधान क्या दूसरों की जमीन हड़पना (कनाडा), किसी संप्रभु देश का कोई इलाक़ा बलात ‘खरीदने’ का दबाव डालना (डेनमार्क से ग्रीनलैंड हासिल करना) और इसराइल से युद्ध में कमजोर पड़े फिलिस्तीनियों को ग़ज़ा से निकाल कर वहाँ सामुद्रिक रिसोर्ट बनाने का मंसूबा है तीन दशक पहले वर्ल्ड ट्रेड को नया आयाम देने के लिए बने संगठन डब्ल्यूटीओ की बुनियाद थी यह सोच कि बड़े देश छोटे देशों को भी आगे आने में मदद करें और इसके लिए डिफरेंशियल टैरिफ़ का सिद्धांत आया यानी छोटे देश ज़्यादा टैरिफ़ ले सकें और बड़े देश कम। 34 साल बाद अमेरिका में एक शासक आता है ट्रंप जैसा जो इसे सिरे से ख़ारिज कर देता है। नतीजतन पूरी दुनिया का व्यापार ही नहीं, आर्थिकी भी हिल जाती है। 

    ट्रंप की शैली के मूल में कुतर्क है। एक उदाहरण देखें। रूस आक्रामक था यह बात पूरी दुनिया जानती है लेकिन तीन साल इसी सत्य के आधार पर रूस में प्रतिबन्ध और उक्रेन को आर्थिक और सामरिक मदद के बाद अब ट्रम्प ने राष्ट्रपति बनने के बाद उक्रेन को हमलावर और उसके राष्ट्रपति जेलेंस्की को ‘कॉमेडियन’ बता कर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में बददिमागी, अनैतिक आचरण, कुतर्क और दबंगई का नया व्याकरण लिखना शुरू किया।

    लेकिन क्या इससे अमेरिका फिर से ‘ग्रेट’ बनेगा या ‘छिछोरा’ महान और बड़ा बनने में मूल अंतर यह है कि पहला मकाम हासिल करने के लिए वहाँ के लोगों की सापेक्ष गुणवत्ता बेहतर हो। ट्रंप के ही सलाहकार रामास्वामी ने एक्स पर लिखा था कि जिस देश (अमेरिका) में ओलम्पियाड की मैथ्स टॉपर की जगह बेस्ट डांसर को सम्मानित किया जाता हो वह देश महान कैसे बनेगा 

    ट्रंप-भक्तों की नाराजगी देख ट्रंप ने रामास्वामी को हटा दिया क्योंकि अहंकारी अमेरिकियों को एक भारतीय-अमेरिकन का आइना दिखाना यह नागवार गुजरा। लेकिन क्या आज अमेरिका के ‘फन-सीकिंग’ (मजे लेने वाले) युवा वाक़ई एआई के दौर में अमेरिका को सक्षम बनाने के लिए बौद्धिक रूप से तैयार हैं

    यह सच है कि पिछले 14 वर्षों में जहाँ चीन का ट्रेड सरप्लस लगातार बढ़ता हुआ एक ट्रिलियन (958 बिलियन) डॉलर जा पहुँचा है वहीं अमेरिका का ट्रेड डेफिसिट लगातार गिरता हुआ 1.17 ट्रिलियन डॉलर हो गया है।

    यानी चीन लगातार जहाँ ज़्यादा एक्सपोर्ट कर रहा है और कम खरीद रहा है वहीं इसके उलट अमेरिका ज़्यादा खरीद रहा है कम बेच रहा है। उधर, कॉर्पोरेट्स को विकसित देशों खासकर चीन, भारत, ताइवान, इसराइल में अपेक्षाकृत सस्ते तकनीकी एक्सपर्ट्स मिल रहे हैं या उत्पादन कर रहे हैं लिहाज़ा अमेरिकी युवा की काबिलयत कॉर्पोरेट के लिए अनुपयुक्त हो रही है। 

    चीन का डीपसीक कम समय, कम ख़र्च, कम गुणवत्ता वाले जीपीयू के सहारे भी बेहद कम बिजली ख़पत वाला एआई मॉडल है। लिहाज़ा ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ केवल टैरिफ़ बढ़ाने से नहीं होगा। क्या अमेरिकी युवाओं को सही शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ाने का उपक्रम भी किया जा रहा है 36 करोड़ आबादी वाले सबसे शक्तिशाली मुल्क का युवा समाज क्या वाक़ई आराम की ज़िंदगी छोड़ नए दौड़ में शामिल होने को तैयार है

    ट्रंप के उक्रेन से समझौते की मूल शर्त वहां के खनिज पर अमेरिकी हक़। क्या यह ताक़त के दम पर डकैती नहीं है उत्तर भारत, खासकर मध्य यूपी में एक कहावत है— जबरा मारै, रोवै न दे (बलशाली मारता भी है और रोने भी नहीं देता)। लेकिन इससे अमेरिकी युवा की नए दौर में उपादेयता नहीं बढ़ेगी लिहाज़ा अमेरिका को ट्रंप ग्रेट तो नहीं बना सकेंगे, दबंगई से बड़ा ज़रूर बना सकते हैं।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleकर्नाटक में इज़राइली पर्यटक और एक अन्य महिला से गैंगरेप, साथी की हत्या
    Next Article क्या नीतीश ने लालू को बिहार का सीएम बनाया था? जानें सच क्या

    Related Posts

    पीएम मोदी साइप्रस यूं ही नहीं गए थे, कुछ नतीजा निकलेगा कूटनीतिक मुहिम का?

    June 17, 2025

    Satya Hindi News Bulletin। 17 जून, दोपहर तक की ख़बरें

    June 17, 2025

    Satya Hindi News Bulletin। 17 जून, सुबह तक की ख़बरें

    June 17, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.