बुध वृश्चिक राशि में मार्गी: एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग हमारे पाठकों के लिए तैयार किया गया है जिसके माध्यम से आपको बुध वृश्चिक राशि में मार्गी के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त होगी। बता दें कि वैदिक ज्योतिष में बुध देव को बुद्धि, वाणी, तर्क और संचार कौशल का कारक माना गया है जो कि सूर्य देव के सबसे निकट स्थित हैं। बुध ग्रह का संबंध धन और भाग्य से भी है। हालांकि, बुध को एक आकर्षक व्यक्तित्व वाला ग्रह माना जाता है और यह अपनी मधुर वाणी से सबको मोहित करने की क्षमता रखते हैं। अब बुध देव 16 दिसंबर 2024 को वृश्चिक राशि में मार्गी होने जा रहे हैं। हमारा यह स्पेशल ब्लॉग आपको बताएगा कि बुध कब और किस समय मार्गी होंगे। साथ ही जानेंगे, इसका प्रभाव आपके जीवन को कैसे प्रभावित करेगा और कुंडली में कमज़ोर बुध की कैसे पहचान करें? तो आइये आगे बढ़ते हैं और शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।
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बात करें बुध देव के महत्व की तो, वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धिमान, युवा और असामान्य क्षमता से पूर्ण ग्रह का दर्जा प्राप्त है। इनका स्वभाव बेहद शांत है और यह तेज़ गति से आगे बढ़ते हैं। करियर के क्षेत्र में बुध महाराज किसी व्यक्ति के सीखने और प्रतिक्रिया देने की क्षमता के साथ-साथ वाणी, व्यापार, गैजेट्स, बैंकिंग, ह्यूमर, किताबें और मीडिया से जुड़े सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। राशि चक्र की 12 राशियों में से बुध देव मिथुन और कन्या राशि के अधिपति देव हैं। ग्रहों के राजकुमार होने के नाते बुध ग्रह द्वारा किये जाने वाले कामों में राजसी झलक नज़र आती है।
कब और क्या रहेगा समय बुध मार्गी का?
ज्योतिष में ग्रहों के राजकुमार कहे जाने वाले बुध महाराज तेज़ गति से चलने वाले ग्रह माने जाते हैं इसलिए समय-समय पर इनकी चाल, स्थिति और दशा में परिवर्तन होता रहता है। बता दें कि अब बुध ग्रह साल के अंतिम महीने यानी कि दिसंबर में दूसरी बार अपनी स्थिति में परिवर्तन करते हुए 16 दिसंबर 2024 की दोपहर 01 बजकर 52 मिनट पर वृश्चिक राशि में मार्गी होने जा रहे हैं जो 26 नवंबर 2024 को वृश्चिक राशि में वक्री हो गए थे। ऐसे में, इनकी इस चाल का प्रभाव सभी राशियों समेत देश-दुनिया पर भी दिखाई देगा।
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क्या होता है ग्रह के मार्गी होने का अर्थ?
हमने कभी न कभी ग्रहों की मार्गी चाल के बारे में अवश्य सुना होगा, लेकिन शायद ही आप इसका अर्थ जानते होंगे इसलिए आज हम सबसे पहले बात करेंगे कि क्या होता है ग्रह का मार्गी होना। बता दें कि ज्योतिष में किसी ग्रह की मार्गी चाल का अर्थ उसके वक्री अवस्था (उल्टी चाल) से बाहर आते हुए पुनः सीधी चाल चलने से होता है।
ग्रहों की इस स्थिति को शुभ माना जाता है क्योंकि इनके पुनः मार्गी होने से वक्री अवस्था के दौरान मिलने वाले नकारात्मक परिणामों का अंत हो जाता हैं। मार्गी होने के बाद ग्रह पहले से ज्यादा अपने नियंत्रण में होते हैं और कुंडली में स्थिति के अनुसार जातक को परिणाम देते हैं। लेकिन, कभी-कभी ग्रहों की वक्री चाल मार्गी की तुलना में अधिक सकारात्मक परिणाम दे सकती हैं।
कैसे करते हैं बुध आपके जीवन को प्रभावित?
बुध को पृथ्वी तत्व का ग्रह माना गया है। ज्योतिष में इन्हें विष्णु जी तथा लाल किताब में देवी दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। बुध देव की दिशा उत्तर और दृष्टि तिरछी है। कुंडली में यह जिस भाव में मौजूद होते हैं और अगर वहां से सातवें भाव को देखते हैं, तो इससे जातक की बुद्धि, विद्या और मामा आदि के बारे में जाना जा सकता है।
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
करियर में बुध
ऐसे जातक जिनकी कुंडली में बुध ग्रह मज़बूत स्थिति में होते हैं, वह लेखन, अर्थशास्त्र, रसायन, चिकित्सा और शिल्पकला आदि में अपना करियर बनाते हैं। बुध के शुभ परिणाम विशेष रूप से व्यक्ति को 32 से 36 वर्ष की आयु में प्राप्त होते हैं। अगर इस दौरान कुंडली में दशा और अन्य ग्रहों की स्थिति भी अनुकूल होती है, तो जातक अपार सफलता हासिल करता है।
ऐसे लोग अनेक तरह के व्यापार भी करते हुए दिखाई देते हैं और इसके अंतर्गत पैसों का लेने-देन, ब्याज पर धन उधार देना, टाइपिस्ट, ज्योतिष या कर्मकांड पुरोहित, प्राध्यापक, अध्यापक, अनुवादक, संपादक, वकालत, प्रिंटिंग प्रेस प्रकाशक, शिल्पकार, पत्रकार, पुस्तक विक्रेता, सेल्समैन, भवन निर्माता आदि शामिल होते हैं।
आइए हम आगे बढ़ते हैं और आपको अवगत करवाते हैं कमज़ोर बुध के लक्षणों से।
कुंडली में कमज़ोर बुध को कैसे पहचानें?
कुंडली में बुध कमज़ोर होने पर व्यक्ति खुद को दूसरों से कम समझने लगता हैं और अपनी क्षमताओं पर विश्वास नहीं करता है। कमज़ोर बुध होने पर जातक के बोलने की क्षमता प्रभावित हो जाती है और ऐसे में, वह साफ नहीं बोल पाता है। साथ ही, वह हकलाने लगता है। कुंडली में बुध कमज़ोर होने पर मेहनत करने के बाद भी आपकी नौकरी और व्यापार में तरक्की नहीं मिलती है और अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। छात्रों का मन पढ़ाई-लिखाई में मन नहीं लगता है और वह पढ़ाई में कमजोर हो जाते हैं।
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कुंडली में बुध देव को प्रसन्न करने के सरल उपाय
बुध देव की कृपा के लिए भगवान गणेश और मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करें। अगर आप बुध ग्रह को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो आपको मौसी, बेटी, बहन, बुआ और साली के साथ अच्छे संबंध बनाकर रखने चाहिए। प्रतिदिन गाय को रोटी और बुधवार के दिन हरा चारा खिलाएं। मज़बूत बुध के लिए मूंग की दाल का दान करना चाहिए। घर-परिवार में छल कपट और बेईमानी से कमाया हुआ पैसा न लेकर आएं।. आप दिन में जब भी भोजन करें, उसका एक हिस्सा गाय को, एक हिस्सा कुत्ते को और एक हिस्सा कौवे को निकालकर खिलाएं। किन्नरों को हरे रंग की साड़ी और सुहाग की सामग्री दान करें। इस उपाय को करने से बुध ग्रह मजबूत होता है। बुध ग्रह के मंत्र “ॐ बुं बुधाय नमः” का 108 बार जाप करें। साथ ही, नियमित रूप से गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें। किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह लेने के बाद पन्ना धारण करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
जब कोई ग्रह वक्री (उल्टी चाल) गति से पुनः आगे की तरफ बढ़ने लगता है, उसे ग्रह का मार्गी होना कहते हैं।
राशि चक्र में बुध देव मिथुन और कन्या राशि के स्वामी हैं।
मीन राशि को वृश्चिक राशि के शत्रु माना जाता है।
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