सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़े एक अहम पहलू पर बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य सरकार द्वारा बनाए गए अतिरिक्त (सुपरन्यूमरेरी) शिक्षक पदों की सीबीआई जांच का निर्देश दिया गया था। यह फ़ैसला ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस सरकार के लिए राहत की खबर लेकर आया है, लेकिन शिक्षक भर्ती घोटाले की मूल जांच अभी भी जारी रहने से राज्य सरकार की चुनौतियाँ कम नहीं हुई हैं।
पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग यानी डब्ल्यूबीएसएससी द्वारा 2016 में की गई 25,753 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती में भारी अनियमितताएँ सामने आई थीं। कलकत्ता हाई कोर्ट ने पिछले साल इस भर्ती को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया था। इसके बाद मई 2022 में राज्य सरकार ने वेटलिस्टेड उम्मीदवारों को समायोजित करने के लिए अतिरिक्त पद सृजित करने का फ़ैसला किया था। हाई कोर्ट ने इसे भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाला क़दम माना और सीबीआई जाँच के आदेश दिए। ममता सरकार ने इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने अपने फ़ैसले में कहा कि राज्य मंत्रिमंडल के निर्णय की सीबीआई जाँच का आदेश देना हाई कोर्ट का अधिकार क्षेत्र से बाहर था। कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 163(3) का हवाला देते हुए साफ़ किया कि मंत्रिमंडल के फ़ैसले संवैधानिक संरक्षण के दायरे में आते हैं और जब तक इसमें साफ़ दुर्भावना का सबूत न हो, इसे जाँच के दायरे में नहीं लाया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि इन अतिरिक्त पदों को राज्यपाल की मंजूरी मिली थी, जिससे यह क़दम क़ानूनी रूप से वैध ठहरता है।
हालाँकि, कोर्ट ने 2016 की भर्ती प्रक्रिया में हुई धांधली की व्यापक जांच को बरकरार रखा। पिछले हफ्ते ही सुप्रीम कोर्ट ने इस भर्ती को ‘धोखाधड़ी और हेराफेरी से दूषित’ करार देते हुए पूरी तरह रद्द कर दिया था, जिससे हजारों शिक्षकों की नौकरियां ख़तरे में पड़ गईं।
यह फ़ैसला ममता बनर्जी के लिए दोधारी तलवार जैसा है। एक ओर, कैबिनेट के फैसले की जांच रद्द होने से उनकी सरकार पर सीधा हमला रुक गया है। यह टीएमसी के उस दावे को मज़बूती देता है कि विपक्ष इस मामले को राजनीतिक हथियार बना रहा था। लेकिन दूसरी ओर भर्ती घोटाले की मुख्य जाँच अभी भी सीबीआई के पास है, जो सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकती है।
ममता ने हाल ही में बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात कर उनके लिए लड़ने का वादा किया और सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दायर करने की बात कही।
विपक्षी दल बीजेपी और सीपीएम ने इस फ़ैसले को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी ने कहा कि भले ही अतिरिक्त पदों की जाँच रद्द हुई हो, लेकिन भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुँचने की प्रक्रिया रुकी नहीं है। वहीं, प्रभावित शिक्षकों ने इसे आधा न्याय बताया, क्योंकि उनकी नौकरियां अभी भी ख़तरे में हैं। सोशल मीडिया पर जनता ने इस फ़ैसले को संवैधानिक रूप से सही माना, लेकिन कई ने सवाल उठाया कि क्या यह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करेगा।
सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला पश्चिम बंगाल की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था पर गहरा असर डाल सकता है। ममता सरकार को भले ही तात्कालिक राहत मिली हो, लेकिन भर्ती घोटाले की चल रही जांच उनकी साख को प्रभावित कर सकती है, खासकर 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी 25 हज़ार शिक्षकों के मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। राहुल गांधी ने मंगलवार को चिट्ठी लिखी है और कहा है, ‘मैंने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में हजारों योग्य स्कूल शिक्षकों के मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है, जिन्होंने न्यायपालिका द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के बाद अपनी नौकरी खो दी है। मैंने उनसे अनुरोध किया है कि वे सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी क़दम उठाने का आग्रह करें कि निष्पक्ष तरीके से चुने गए उम्मीदवारों को जारी रखने की अनुमति दी जाए।’
I have written to the Honourable President of India, Smt. Droupadi Murmu ji, seeking her kind intervention in the matter of thousands of qualified school teachers in West Bengal who have lost their jobs following the judiciary’s cancellation of the teacher recruitment process.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 8, 2025
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला सत्ता और विपक्ष के बीच चल रही जंग में एक अहम पड़ाव है। सुप्रीम कोर्ट ने संवैधानिक सीमाओं को रेखांकित करते हुए ममता सरकार को राहत दी, लेकिन भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई अभी ख़त्म नहीं हुई है। यह भी देखना होगा कि क्या राज्य सरकार बर्खास्त शिक्षकों को न्याय दिलाने में कामयाब होती है, या यह मामला और उलझता जाता है।