जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले की जांच में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को बड़ी सफलता मिली है। एनआईए ने पुष्टि की है कि इस हमले के तीनों हमलावर पाकिस्तानी नागरिक थे और वे प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े थे। यह खुलासा दो स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी के बाद हुआ, जिन्होंने हमलावरों को भोजन और शरण दी थी।22 अप्रैल को पहलगाम के बैसारन घाटी में भारी हथियारों से लैस आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें 26 नागरिकों की मौत हो गई थी। इस हमले को 2008 के मुंबई हमलों के बाद देश में नागरिकों पर सबसे घातक आतंकी हमला माना जा रहा है। हमले के बाद जम्मू-कश्मीर पुलिस ने तीन संदिग्धों- पाकिस्तानी नागरिक हाशिम मूसा, अली भाई उर्फ तल्हा और स्थानीय कश्मीरी आदिल हुसैन ठोकर की स्केच जारी की थी। हालांकि, एनआईए की जांच में अब यह साफ हो गया है कि ये तीनों व्यक्ति हमलावर नहीं थे।
दो स्थानीय लोगों की गिरफ्तारी से मिला सुराग
जांच में यह भी पता चला कि हमलावर 20 अप्रैल की देर शाम इनके घर आए थे और उन्होंने भोजन पैक करने को कहा था। जाने से पहले उन्होंने दोनों को कुछ पैसे दिए और किसी को भी इस बारे में न बताने की धमकी दी। एनआईए ने गिरफ्तारियों से पहले 200 से अधिक लोगों, जिसमें पौनी ऑपरेटर, दुकानदार और फोटोग्राफर शामिल थे, से पूछताछ की थी।
सुलेमान शाह पर शक, पुराने हमलों से भी जुड़ाव
जांच के दौरान केंद्रीय एजेंसियों ने जुनैद रमजान भट्ट के फोन से बरामद तस्वीरों को दोनों गिरफ्तार स्थानीय लोगों को दिखाया। जुनैद, जो दिसंबर 2024 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था, के फोन में चार आतंकियों की एक तस्वीर थी, जिसमें से तीन की पहचान हमले में शामिल लोगों के रूप में हुई। गवाहों ने भी इन तस्वीरों की पुष्टि की।
पहले की धारणा में बदलाव
भारत-पाक तनाव और ऑपरेशन सिंदूर
आगे की जांच
पहलगाम हमला जम्मू-कश्मीर में पर्यटन के लिए बड़ा झटका था। सरकार और सुरक्षा एजेंसियां अब इस तरह के हमलों को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने की योजना बना रही हैं। इस हमले ने इस सीजन में कश्मीर के पर्यटन को बहुत ज्यादा झटका दिया है। जम्मू कश्मीर सरकार, बॉलीवुड के एक्टर-एक्ट्रेसेज को अपील जारी करना पड़ी कि कश्मीर में अब हालात बेहतर है, लोग बेधड़क होकर जम्मू कश्मीर आ सकते हैं।