
Wetlands of India (Image Credit-Social Media)
Wetlands of India (Image Credit-Social Media)
Wetlands of India: भारत, अपनी जैव-विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनिया भर में मशहूर है। नदियाँ, पहाड़, जंगल और समुद्र तट तो सबके सामने हैं, लेकिन एक और खजाना है जो शायद उतना लाइमलाइट नहीं बटोरता, जितना वो हकदार है – वेटलैंड्स। वेटलैंड्स यानी नमभूमि, जहाँ पानी और जमीन का अनोखा संगम होता है। ये दलदल, झीलें, तालाब, मैंग्रोव जंगल या नदियों के डेल्टा हो सकते हैं। भारत में वेटलैंड्स सिर्फ पर्यावरण का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति, अर्थव्यवस्था और जीवनशैली का आधार हैं। खास बात ये है कि इनमें से कई वेटलैंड्स को रामसर साइट्स का दर्जा मिला है, जो इन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व देता है।
वेटलैंड्स क्या हैं?

वेटलैंड्स वो इलाके हैं, जहाँ जमीन ज्यादातर समय पानी से ढकी या गीली रहती है। ये स्थायी हो सकते हैं, जैसे साल भर पानी वाली झीलें, या अस्थायी, जैसे बरसात में बनने वाले तालाब। इनमें मीठा पानी, खारा पानी या दोनों का मिश्रण हो सकता है। भारत में वेटलैंड्स की विविधता कमाल की है – हिमालय की ऊँची झीलों से लेकर तटीय मैंग्रोव तक, हर तरह का वेटलैंड यहाँ देखने को मिलता है।
ये इकोसिस्टम का दिल हैं, क्योंकि ये अनगिनत पौधों, पक्षियों, मछलियों और जीवों का घर हैं।
ये प्राकृतिक फिल्टर की तरह काम करते हैं, पानी को साफ करते हैं और प्रदूषण को कम करते हैं।
बाढ़ और सूखे को नियंत्रित करने में इनकी बड़ी भूमिका है।
स्थानीय समुदायों के लिए ये आजीविका का स्रोत हैं, जैसे मछली पालन, खेती और पर्यटन।
रामसर साइट्स: वेटलैंड्स की वैश्विक पहचान
रामसर साइट्स वो वेटलैंड्स हैं, जिन्हें रामसर कन्वेंशन के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्व का दर्जा मिला है। ये कन्वेंशन 1971 में ईरान के रामसर शहर में शुरू हुआ था, जिसका मकसद वेटलैंड्स का संरक्षण और समझदारी से इस्तेमाल करना है। भारत में 2025 तक 85 रामसर साइट्स हैं, जो देश की जैव-विविधता और पर्यावरणीय महत्व को दर्शाती हैं। ये साइट्स सिर्फ प्रकृति के लिए नहीं, बल्कि स्थानीय समुदायों, संस्कृति और अर्थव्यवस्था के लिए भी जरूरी हैं।

रामसर साइट्स का चयन: इन्हें उनकी अनोखी विशेषताओं, जैसे दुर्लभ प्रजातियाँ, प्रवासी पक्षियों का ठिकाना, या पानी के प्रबंधन की क्षमता के आधार पर चुना जाता है।
भारत का योगदान: भारत 1981 में इस कन्वेंशन का हिस्सा बना और तब से कई वेटलैंड्स को इस सूची में शामिल किया गया।
महत्व: ये साइट्स जैव-विविधता को बचाने, जलवायु परिवर्तन से लड़ने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सहारा देने में मदद करती हैं।
भारत में वेटलैंड्स का महत्व
वेटलैंड्स भारत के लिए सिर्फ पर्यावरणीय दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से भी अनमोल हैं। गंगा, ब्रह्मपुत्र, सुंदरबन जैसे इलाकों में वेटलैंड्स ने सदियों से लोगों को सहारा दिया है। कई वेटलैंड्स, जो रामसर साइट्स हैं, ने भारत को वैश्विक मंच पर गौरव दिलाया है। आइए, इनके महत्व को और समझें:
जैव-विविधता का खजाना: भारत के वेटलैंड्स में लाखों प्रजातियाँ पाई जाती हैं। मिसाल के तौर पर, चिल्का झील (रामसर साइट, ओडिशा) में साइबेरियन क्रेन जैसे प्रवासी पक्षी सर्दियों में आते हैं। सुंदरबन (रामसर साइट, पश्चिम बंगाल) में रॉयल बंगाल टाइगर, गंगा डॉल्फिन और सैकड़ों पक्षी प्रजातियाँ हैं।
पानी का प्रबंधन: वेटलैंड्स ग्राउंडवाटर को रिचार्ज करते हैं और बाढ़ के समय अतिरिक्त पानी सोख लेते हैं। रन्न ऑफ कच्छ (रामसर साइट, गुजरात) और केरल की बैकवाटर्स इसका उदाहरण हैं।
आजीविका का सहारा: लाखों लोग वेटलैंड्स पर निर्भर हैं। लोकटक झील (रामसर साइट, मणिपुर) में मछुआरे और किसान अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं। कोलेरु झील (रामसर साइट, आंध्र प्रदेश) में धान की खेती और मछली पालन से हजारों परिवारों का भरण-पोषण होता है।
सांस्कृतिक महत्व: कई वेटलैंड्स धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से खास हैं। पुष्कर झील (रामसर साइट, राजस्थान) और हिमालय की मानसरोवर झील तीर्थस्थल हैं, जहाँ लोग आस्था के साथ जुड़ते हैं।
भारत के प्रमुख वेटलैंड्स और रामसर साइट्स
भारत में वेटलैंड्स की विविधता गजब की है, और इनमें से कई को रामसर साइट्स का दर्जा मिला है। ये साइट्स न सिर्फ भारत की प्राकृतिक धरोहर हैं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण हैं। कुछ प्रमुख रामसर साइट्स और वेटलैंड्स:
सुंदरबन (पश्चिम बंगाल, रामसर साइट): दुनिया का सबसे बड़ा मैंग्रोव जंगल और यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट। यहाँ रॉयल बंगाल टाइगर, मगरमच्छ, और सैकड़ों पक्षी प्रजातियाँ मिलती हैं। गंगा-ब्रह्मपुत्र का डेल्टा इसे और खास बनाता है।
चिल्का झील (ओडिशा, रामसर साइट): एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील। सर्दियों में लाखों प्रवासी पक्षी, जैसे फ्लेमिंगो और साइबेरियन क्रेन, यहाँ आते हैं। इरावदी डॉल्फिन इसकी शान हैं।
- लोकटक झील (मणिपुर, रामसर साइट): तैरते द्वीप (फुमदी) वाली अनोखी झील। ये नॉर्थ-ईस्ट का गहना है और स्थानीय मछुआरों के लिए जीवन रेखा।
- भितरकणिका (ओडिशा, रामसर साइट): मैंग्रोव और दलदली इलाकों का शानदार मिश्रण। खारे पानी के मगरमच्छ और जैतूनी रिडले कछुए यहाँ की खासियत हैं।
- वूलर झील (जम्मू-कश्मीर, रामसर साइट): भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील। कश्मीर की सुंदरता को और बढ़ाती है।
- रन्न ऑफ कच्छ (गुजरात, रामसर साइट): नमक का रेगिस्तान, जो बरसात में वेटलैंड बन जाता है। फ्लेमिंगो और जंगली गधों का ठिकाना।
- कोलेरु झील (आंध्र प्रदेश, रामसर साइट): धान की खेती और मछली पालन के लिए मशहूर। स्थानीय अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा।
- त्सो मोरिरी (लद्दाख, रामसर साइट): हिमालय की ऊँचाई पर बनी ये झील दुर्लभ पक्षियों और पौधों का घर है।
वेटलैंड्स और रामसर साइट्स की चुनौतियाँ

वेटलैंड्स और रामसर साइट्स, अपनी सारी खूबियों के बावजूद, कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं। अगर इनका ध्यान नहीं रखा गया, तो हम इन्हें हमेशा के लिए खो सकते हैं।
कुछ बड़ी चुनौतियाँ:
प्रदूषण: औद्योगिक कचरा, प्लास्टिक और सीवेज वेटलैंड्स को नुकसान पहुँचा रहे हैं। दिल्ली के आसपास के तालाब और यमुना के किनारे इसका उदाहरण हैं। बेलंदूर झील (बेंगलुरु, गैर-रामसर) अब फोम और प्रदूषण से भरी है।
अतिक्रमण: शहरीकरण के कारण वेटलैंड्स पर निर्माण हो रहा है। कई रामसर साइट्स, जैसे ईस्ट कोलकाता वेटलैंड्स, अतिक्रमण का शिकार हैं।
जलवायु परिवर्तन: बढ़ता तापमान और अनियमित बारिश वेटलैंड्स के पानी के स्तर को प्रभावित कर रही है। हिमालयी रामसर साइट्स, जैसे त्सो मोरिरी, इसकी चपेट में हैं।
अवैध शिकार और मछली पालन: कई रामसर साइट्स में मछलियों और पक्षियों का अंधाधुंध शिकार हो रहा है, जैसे कंजली वेटलैंड (पंजाब) में।
जागरूकता की कमी: आम लोग और कई बार सरकारें भी वेटलैंड्स और रामसर साइट्स के महत्व को पूरी तरह समझ नहीं पाते।
वेटलैंड्स और रामसर साइट्स का संरक्षण: क्या करें?
वेटलैंड्स और रामसर साइट्स को बचाना सिर्फ सरकार का काम नहीं, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है। कुछ उपाय जो मदद कर सकते हैं:
- जागरूकता फैलाएँ: स्कूल, कॉलेज और सोशल मीडिया के जरिए लोगों को वेटलैंड्स और रामसर साइट्स के महत्व के बारे में बताएँ।
- प्रदूषण रोकें: प्लास्टिक का इस्तेमाल कम करें और स्थानीय तालाबों या रामसर साइट्स को साफ रखने में मदद करें।
- जिम्मेदार पर्यटन: रामसर साइट्स जैसे चिल्का या सुंदरबन में घूमने जाएँ, लेकिन वहाँ कचरा न फैलाएँ।
- स्थानीय समुदायों को शामिल करें: मछुआरों और किसानों को संरक्षण में भागीदार बनाएँ, जैसे लोकटक झील में हो रहा है।
- कानून का पालन: रामसर साइट्स के लिए बने नियमों का सम्मान करें और अवैध गतिविधियों की शिकायत करें।
भारत सरकार ने भी कदम उठाए हैं। वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के तहत रामसर साइट्स और अन्य वेटलैंड्स की रक्षा के लिए दिशा-निर्देश हैं। कई एनजीओ और समुदाय भी काम कर रहे हैं। मिसाल के तौर पर, सुंदरबन में स्थानीय लोग मैंग्रोव की रक्षा के लिए पेड़ लगा रहे हैं।
वेटलैंड्स और रामसर साइट्स सिर्फ प्रकृति का हिस्सा नहीं, बल्कि हमारे अस्तित्व का आधार हैं। अगर हम इन्हें खो देंगे, तो पर्यावरण, आजीविका, संस्कृति और स्वास्थ्य सब खतरे में पड़ जाएंगे। सोचिए, अगर सुंदरबन न हो, तो रॉयल बंगाल टाइगर कहाँ जाएगा? अगर चिल्का सूख जाए, तो उन लाखों प्रवासी पक्षियों का क्या होगा? और अगर लोकटक के फुमदी गायब हो जाएँ, तो मणिपुर की वो अनोखी पहचान कहाँ बचेगी?
वेटलैंड्स को सिर्फ दलदल या तालाब के रूप में नहीं देखना चाहिए। ये जिंदगी का स्रोत हैं। रामसर साइट्स के रूप में इनकी वैश्विक पहचान हमें गर्व देती है, लेकिन साथ ही जिम्मेदारी भी। इनमें छिपा है वो संतुलन, जो प्रकृति और इंसान को जोड़ता है। तो अगली बार जब आप किसी रामसर साइट या वेटलैंड के पास जाएँ, जैसे वूलर झील या रन्न ऑफ कच्छ, तो एक पल रुककर सोचिए – ये सिर्फ पानी का गड्ढा नहीं, बल्कि एक पूरी दुनिया है, जो हमें जिंदगी दे रही है।
भारत के वेटलैंड्स और रामसर साइट्स हमारी धरोहर हैं। ये पर्यावरण को संतुलित रखते हैं, जैव-विविधता को सहारा देते हैं और हमें आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से समृद्ध करते हैं। रामसर कन्वेंशन ने इन्हें वैश्विक मंच पर पहचान दी है, लेकिन इन्हें बचाने की जिम्मेदारी हमारी है। छोटे-छोटे कदम, जैसे कचरा न फैलाना, जागरूकता बढ़ाना और स्थानीय समुदायों का साथ देना, बड़ा बदलाव ला सकता है। आइए, इस अनमोल खजाने को संजोएँ, ताकि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनका आनंद ले सकें और भारत की रामसर साइट्स दुनिया को प्रेरित करती रहें।