इसराइली हमलों के बीच डोनाल्ड ट्रंप ने चेताया है कि यदि अमेरिका के साथ परमाणु समझौते के लिए ईरान तैयार नहीं होता है तो उसे और भी बड़ा हमला झेलना होगा। उन्होंने कहा है कि ईरान को परमाणु कार्यक्रम को लेकर जल्द से जल्द समझौता करना होगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने शुक्रवार को अपने सोशल मीडिया सोशल ट्रूथ पर लिखा, “मैंने ईरान को बार-बार समझौता करने का मौक़ा दिया। मैंने उन्हें सख़्त शब्दों में कहा कि ‘बस कर लो’, लेकिन चाहे उन्होंने कितनी भी कोशिश की, चाहे वे कितने करीब पहुँचे, वे समझौता नहीं कर पाए। मैंने उन्हें बताया कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो हालात उनके सोचने, उम्मीद करने या सुनने से कहीं ज़्यादा ख़राब होंगे।”
ट्रंप ने आगे चेताया, ‘अमेरिका के पास दुनिया का सबसे बेहतरीन और घातक सैन्य उपकरण हैं और इसराइल के पास इसका बहुत सारा हिस्सा है और भी ज़्यादा आने वाला है और वे इसका इस्तेमाल करना अच्छे से जानते हैं।’
ट्रंप ने कहा, ‘ईरान के कुछ कट्टरपंथियों ने बहादुरी से बातें कीं, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि क्या होने वाला है। अब वे सब मर चुके हैं और हालात और बिगड़ेंगे! पहले ही बहुत मौत और तबाही हो चुकी है लेकिन अभी भी समय है कि इस नरसंहार को रोका जाए, क्योंकि पहले से ही अगले हमले के प्लान किए जा चुके हैं और भी ख़तरनाक होंगे। ईरान को समझौता करना होगा, वरना कुछ भी नहीं बचेगा और वह जो कभी ईरानी साम्राज्य के नाम से जाना जाता था, उसे बचाना होगा। और मौत नहीं, और तबाही नहीं, बस समझौता कर लो, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए। भगवान आप सभी का भला करे!’
इसराइल के इन हमलों में ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के प्रमुख होसैन सलामी और छह परमाणु वैज्ञानिकों की मौत की ख़बरें सामने आई हैं।
इसराइल रक्षा बल यानी आईडीएफ़ ने दावा किया कि ये हमले ईरान के परमाणु हथियार विकास को रोकने और क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी थे। ईरान ने इन हमलों को युद्ध की घोषणा और संप्रभुता का उल्लंघन करार दिया। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामनेई ने कहा, ‘इसराइल ने हमारे देश पर जघन्य अपराध किया है। उसे कठोर सजा मिलेगी।’ ईरान ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इसकी निंदा करने की मांग की है। इस बीच आईडीएफ़ ने दावा किया कि ईरान ने 100 से ज़्यादा ड्रोनों से उस पर हमला किया।
ईरान ने अपनी वायु रक्षा प्रणालियों को सक्रिय कर दिया है और सैन्य बलों को हाई अलर्ट पर रखा है। ईरानी सांसद अलाद्दीन बोरोजेर्दी ने घोषणा की कि इसराइली हमले के बाद ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता का छठा दौर रद्द कर दिया गया है।
ट्रंप की यह टिप्पणी क्षेत्र में बढ़ते तनाव और वैश्विक कूटनीति पर नए सवाल खड़े कर रही है। कुछ जानकारों का मानना है कि ट्रंप इस हमले का इस्तेमाल ईरान पर दबाव डालने और परमाणु समझौते के लिए अधिक रियायतें हासिल करने की रणनीति के तौर पर अपना रहे हैं। एक्स पर एक यूज़र ने लिखा, ‘ट्रंप ने इसराइल के हमलों को आंशिक रूप से हरी झंडी दी होगी ताकि ईरान को वार्ता की मेज पर लाया जा सके।’ हालाँकि, यह दावा पुष्ट नहीं है। ट्रंप ने पहले भी कहा था कि वह ईरान के साथ युद्ध के बजाय कूटनीति को प्राथमिकता देंगे, लेकिन उनकी ताज़ा टिप्पणियाँ सख्त रुख को दिखाती हैं।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने कहा कि नतांज़ परमाणु स्थल पर रेडिएशन स्तरों में कोई वृद्धि नहीं हुई है, लेकिन हमले ने परमाणु वार्ता को गंभीर झटका दिया है। यह स्थिति वैश्विक तेल कीमतों और आपूर्ति श्रृंखलाओं को प्रभावित कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की सख्त चेतावनियाँ और इसराइल की आक्रामक कार्रवाइयाँ क्षेत्र में अस्थिरता को और बढ़ा सकती हैं।
ट्रंप की चेतावनी और इसराइल के हमले ने मध्य पूर्व में एक नए और ख़तरनाक दौर की शुरुआत की है। ईरान पर परमाणु समझौते के लिए दबाव बढ़ रहा है, लेकिन उसकी जवाबी कार्रवाई की धमकी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। वैश्विक समुदाय अब कूटनीतिक समाधान की तलाश में है, लेकिन क्षेत्रीय शांति की संभावनाएँ अनिश्चितता के अधर में लटक रही हैं।