इसराइल ने ईरान के सोरोका अस्पताल पर मिसाइल हमले की निंदा कर इसे मानवता के ख़िलाफ़ अपराध बताया है, लेकिन ग़ज़ा में अस्पतालों पर 697 इसराइली हमलों का क्या जिसमें 94% अस्पताल तबाह हो गए! सोशल मीडिया पर इसको लेकर सवाल क्यों खड़े किए जा रहे हैं? क्या है इस दोहरे रवैये की सच्चाई?
दरअसल, ईरान ने 18 जून को इसराइल पर 30 मिसाइलें दागीं, जिनमें से एक मिसाइल बेर्शेबा के सोरोका मेडिकल सेंटर के पास गिरी। इस हमले में 40 लोग घायल हुए और अस्पताल के कुछ हिस्सों को नुक़सान पहुँचा। ईरान ने दावा किया कि उसका मुख्य निशाना इसराइली सेना का एक खुफिया केंद्र था, न कि अस्पताल। मीडिया रिपोर्टों में इसराइली स्रोतों के हवाले से भी इस बात की पुष्टि की गई कि सोरोका अस्पताल के पास एक सैन्य ठिकाना था, लेकिन इसराइल ने हमले की निंदा करते हुए इसे नागरिक सुविधाओं पर हमला क़रार दिया।
इसराइल के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘ईरान का यह हमला अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन है और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध है। अस्पतालों को निशाना बनाना अस्वीकार्य है।’ इसराइल ने संयुक्त राष्ट्र से इस हमले की जाँच की मांग की है।
इसराइल की इस निंदा को कई संगठनों और सोशल मीडिया यूज़रों ने पाखंडपूर्ण बताया है, क्योंकि इसराइल ने 7 अक्टूबर 2023 से शुरू हुए ग़ज़ा युद्ध में स्वास्थ्य सुविधाओं पर सैकड़ों हमले किए हैं जिनमें सैकड़ों मेडिकल स्टाफ़ और मरीज़ मारे गए हैं। ग़ज़ा में स्वास्थ्य सुविधाओं पर इसराइली हमलों की संख्या विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ और संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने ही जारी किए हैं।
ग़ज़ा में अस्पतालों पर हमले
डब्ल्यूएचओ के अनुसार 7 अक्टूबर 2023 से मई 2025 तक ग़ज़ा में स्वास्थ्य सुविधाओं पर कम से कम 697 हमले दर्ज किए गए हैं। इनमें अस्पताल, क्लीनिक, और एम्बुलेंस शामिल हैं। इन हमलों में कम से कम 521 लोग मारे गए, जिनमें 16 मेडिकल स्टाफ़ शामिल थे और 24 अन्य घायल हुए।
ग़ज़ा के सबसे बड़े अल-शिफा अस्पताल पर 14 दिन की घेराबंदी के बाद मार्च 2024 में सैकड़ों लोग मारे गए, जिनमें मेडिकल स्टाफ़ और मरीज शामिल थे।
2023 में अल-अहली अस्पताल पर हमले का आरोप इसराइल ने हमास पर लगाया, लेकिन अंतरराष्ट्रीय जांचों में इसे विवादास्पद माना गया। ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दावा किया कि इसमें बड़ी संख्या में लोग मारे गए। अल-अक्सा अस्पताल पर 2025 में इसराइली हवाई हमले में 5 लोग मारे गए और 65 घायल हुए। विस्थापित लोगों के टेंटों में आग लग गई।
फ़रवरी 2024 में इसराइली सेना ने नासेर अस्पताल पर एक सप्ताह तक घेराबंदी और हमला किया, जिसे ग़ज़ा का सबसे बड़ा दक्षिणी अस्पताल माना जाता है। अल-कुद्स, अल-नासर और अल-रंतीसी अस्पतालों पर भी कई बार हमले हुए, जिससे स्वास्थ्य सेवाएँ पूरी तरह ठप हो गईं।
संयुक्त राष्ट्र की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार ग़ज़ा में 94% अस्पताल क्षतिग्रस्त या तबाह हो चुके हैं। इन हमलों ने ग़ज़ा की स्वास्थ्य सिस्टम को तबाह कर दिया है, जिससे मरीजों और घायलों के लिए इलाज लगभग असंभव हो गया है।
इस हमले का एक वीडियो भी सामने आया जिसे ईरानी अधिकारियों ने सबूत के तौर पर पेश किया। हालाँकि, इसराइल ने इन आरोपों का खंडन किया है और कहा कि उसका निशाना सैन्य ठिकाने थे।
इसके अलावा इसराइल पर लेबनान और सीरिया में भी स्वास्थ्य सुविधाओं को निशाना बनाने के आरोप लगे हैं, लेकिन इनकी संख्या और प्रभाव के बारे में सटीक आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इन हमलों की जांच की मांग की है, लेकिन अभी तक कोई ठोस निष्कर्ष सामने नहीं आया है।
सोशल मीडिया पर इसराइल की निंदा और ग़ज़ा के अस्पतालों पर उसके हमलों की तुलना सोरोका हमले से की जा रही है। कई यूजरों ने लिखा कि जब इसराइल ने ग़ज़ा के 36 अस्पतालों को तबाह कर दिया, तब उसने इसे आत्मरक्षा बताया, लेकिन अब ईरान के एक हमले को ‘मानवता के ख़िलाफ़ अपराध’ क़रार दे रहा है। एक यूज़र ने लिखा, ‘जब पहली बार ग़ज़ा के अस्पताल पर हमला हुआ तो इसराइल ने कहा कि यह हमास का रॉकेट था। लेकिन आज ग़ज़ा के सभी 36 अस्पताल तबाह हो चुके हैं, जिनमें अल-शिफा भी शामिल है। इंसानियत कहां थी तब?’
संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने ग़ज़ा में अस्पतालों पर इसराइली हमलों की बार-बार निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय ने 31 दिसंबर 2024 को एक रिपोर्ट में कहा कि इसराइल का ग़ज़ा में अस्पतालों पर हमलों का पैटर्न अंतरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का उल्लंघन हो सकता है। मेडिसिन्स सैन्स फ्रंटियर्स ने भी कहा कि ग़ज़ा में स्वास्थ्य सेवाएँ ‘पूरी तरह ध्वस्त’ हो चुकी हैं।
इसराइल द्वारा ईरान के सोरोका अस्पताल हमले की निंदा और ग़ज़ा में उसके अपने हमलों की चुप्पी ने वैश्विक स्तर पर पाखंड के आरोपों को हवा दी है। ग़ज़ा में स्वास्थ्य सुविधाओं पर 697 हमलों ने वहां की स्वास्थ्य प्रणाली को पूरी तरह तबाह कर दिया है, जबकि इसराइल ने एक हमले को मानवता के ख़िलाफ़ अपराध बताया। यह मामला अंतरराष्ट्रीय क़ानून, मानवाधिकार, और युद्ध के नियमों पर गंभीर सवाल उठाता है। जैसे-जैसे यह बहस गर्म होती जा रही है दुनिया की नज़र इस बात पर है कि क्या इन हमलों की निष्पक्ष जाँच होगी और क्या दोषियों को जवाबदेह ठहराया जाएगा।