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    Home » ईरान परमाणु अप्रसार संधि छोड़ने की तैयारी में; हथियार बनाने या दबाव बनाने की रणनीति?
    भारत

    ईरान परमाणु अप्रसार संधि छोड़ने की तैयारी में; हथियार बनाने या दबाव बनाने की रणनीति?

    Janta YojanaBy Janta YojanaJune 16, 2025No Comments5 Mins Read
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    तेहरान से सनसनीखेज ख़बर है! ईरान ने परमाणु अप्रसार संधि से हटने की तैयारी की चौंकाने वाली घोषणा की है। इस ख़बर ने वैश्विक मंच पर हलचल मचा दी है। क्या यह इसराइल और पश्चिमी देशों के ख़िलाफ़ ईरान की दबाव बनाने की चतुर रणनीति है या वास्तव में परमाणु हथियारों की दौड़ की ओर उसका ख़तरनाक़ क़दम? मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच, यह फ़ैसला दुनिया की सियासत को कैसे बदलेगा? आइए, इसको समझते हैं।
    दरअसल, ईरान की संसद परमाणु अप्रसार संधि से हटने के लिए एक विधेयक तैयार कर रही है। इसने वैश्विक समुदाय में चिंता की लहर दौड़ा दी है। ईरान के विदेश मंत्रालय ने इस क़दम की पुष्टि की है। इसे परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में एक संभावित कदम माना जा रहा है। यह निर्णय हाल ही में इसराइल के साथ बढ़ते संघर्ष और अंतरराष्ट्रीय परमाणु निगरानी एजेंसी यानी आईएईए द्वारा ईरान को गैर-अनुपालन के लिए दोषी ठहराए जाने के बाद आया है। इस घटनाक्रम ने मध्य पूर्व में सैन्य और राजनयिक तनाव को और बढ़ा दिया है।
    परमाणु अप्रसार संधि यानी एनपीटी 1970 में लागू हुई थी। इसका मक़सद परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना और शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना है। ईरान 1970 से इस संधि का हिस्सा रहा है, लेकिन हाल के वर्षों में उसका परमाणु कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय विवाद का केंद्र रहा है। ईरान परमाणु समझौता के नाम से पहचाने जाने वाली संयुक्त व्यापक कार्य योजना पर 2015 में हस्ताक्षर किया गया था। इसने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने का प्रयास किया था, लेकिन 2018 में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा इस समझौते से हटने के बाद स्थिति जटिल हो गई।
    हाल के महीनों में ईरान ने अपने यूरेनियम संवर्धन को तेज कर दिया है। इसके बारे में कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि यह हथियार-ग्रेड यूरेनियम की ओर बढ़ने का संकेत है। इसके अलावा, इसराइल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर कथित हमलों और ईरान द्वारा जवाबी मिसाइल हमलों ने क्षेत्रीय तनाव को चरम पर पहुंचा दिया है।
    यह लगभग दो दशकों में पहली बार था जब आईएईए ने ईरान के ख़िलाफ़ इतना सख्त रुख अपनाया। जवाब में ईरान ने घोषणा की कि वह एक नया यूरेनियम संवर्धन केंद्र स्थापित करेगा और एनपीटी से हटने की प्रक्रिया शुरू कर सकता है।
    ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘यह क़दम हमारे राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए उठाया जा रहा है। इसराइल और पश्चिमी देशों द्वारा हमारे ख़िलाफ़ लगातार हमले और प्रतिबंध हमें मजबूर कर रहे हैं।’ कुछ एक्स पोस्टों में दावा किया गया है कि ईरान ने अमेरिका के साथ चल रही परमाणु वार्ता को भी रद्द कर दिया है, हालाँकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
    इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दावा किया है कि ईरान पहले ही नौ परमाणु बम बनाने की क्षमता रखता है। हालाँकि, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों और आईएईए ने अभी तक इस दावे की पुष्टि नहीं की है। विशेषज्ञों का कहना है कि एनपीटी से हटने का मतलब होगा कि ईरान अपनी संवर्धन गतिविधियों को तेज कर सकता है, जिससे हथियार-ग्रेड यूरेनियम का उत्पादन संभव हो सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने हाल के महीनों में अपने परमाणु कार्यक्रम को तेज किया है और उसे अब परमाणु हथियार बनाने के लिए सिर्फ़ एक फ़ैसला ही करना है।
    ईरान ने बार-बार कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है और उसका कोई गुप्त हथियार कार्यक्रम नहीं है। हालाँकि, एनपीटी से हटने का क़दम इस दावे पर सवाल उठाता है और इसे क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरे के रूप में देखा जा रहा है।
    नेतन्याहू ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान परमाणु हथियार विकसित करता है तो तेहरान जल उठेगा। इसराइल ने पहले ही ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए हैं और इस क़दम को और बढ़ाने की धमकी दी है।
    रूस और चीन ने आईएईए के फ़ैसले की आलोचना की है और कहा है कि यह तनाव को और बढ़ाएगा। उन्होंने ईरान के साथ राजनयिक बातचीत की वकालत की है। यूरोपीय देशों ने ईरान से एनपीटी से नहीं हटने की अपील की है और ईरान परमाणु समझौता यानी जेसीपीओए को फिर से ज़िंदा करने की कोशिशों को तेज करने की बात कही है।
    एनपीटी से ईरान का संभावित रूप से निकलना मध्य पूर्व में हथियारों की एक दौड़ को जन्म दे सकता है। सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देश पहले ही अपने परमाणु कार्यक्रमों पर विचार कर रहे हैं। इसके अलावा, यह क़दम वैश्विक परमाणु अप्रसार व्यवस्था को कमजोर कर सकता है, क्योंकि अन्य देश भी इस संधि से हटने पर विचार कर सकते हैं।
    ईरान का एनपीटी से हटना एक गंभीर कदम होगा, जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। जानकारों का कहना है कि राजनयिक प्रयासों को तेज करना और ईरान को बातचीत की मेज पर लाना अभी भी संभव है। हालाँकि, इसराइल और अमेरिका के सख़्त रुख और ईरान की जवाबी कार्रवाइयों ने इस संभावना को जटिल बना दिया है।
    ईरान का एनपीटी से हटने का प्रस्ताव एक जटिल रणनीति का हिस्सा लगता है, जिसमें दबाव की राजनीति और परमाणु हथियारों की महत्वाकांक्षा दोनों शामिल हो सकती हैं। यह क़दम न केवल मध्य पूर्व, बल्कि वैश्विक शांति के लिए एक गंभीर चुनौती है। हालाँकि, राजनयिक प्रयासों के जरिए अभी भी इस संकट को टाला जा सकता है। क्या ईरान इस कदम को लागू करेगा, या यह केवल एक दबाव की रणनीति है? अब सवाल है कि क्या ईरान वास्तव में एनपीटी से हटता है या अंतरराष्ट्रीय दबाव उसे अपने क़दम पीछे खींचने के लिए मजबूर करता है।
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