मध्य पूर्व में सनसनीखेज हलचल है! ईरान के परमाणु ठिकानों पर अमेरिकी हवाई हमलों ने पहले से ही तनावग्रस्त क्षेत्र को आग के हवाले कर दिया है! राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस क़दम ने वैश्विक मंच पर तीखी बहस छेड़ दी है और दुनिया दो खेमों में बँटी दिख रही है। कुछ देश इसे समर्थन दे रहे हैं, तो कुछ इसे अंतरराष्ट्रीय क़ानून की धज्जियाँ उड़ाने वाला क़दम बता रहे हैं। विश्व समुदाय की मिली-जुली प्रतिक्रियाओं और कूटनीति की पुकार के बीच सवाल यह है: क्या यह संघर्ष शांति की ओर बढ़ेगा या मध्य पूर्व को और अराजकता की भट्टी में झोंक देगा?
दरअसल, संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों- फ़ोर्दू, इसफ़हान और नतन्ज़ पर हवाई हमले किए। इससे इसराइल और ईरान के बीच पहले से चल रहे युद्ध में तनाव और बढ़ गया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार देर रात एक बयान में दावा किया कि इन हमलों ने ईरानी परमाणु सुविधाओं को पूरी तरह तबाह कर दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर तेहरान शांति स्थापित नहीं करता तो ईरान की परमाणु संवर्धन क्षमता को खत्म करने के लिए और हमले किए जाएंगे। ईरान ने इन हमलों की पुष्टि की और कहा कि परमाणु स्थलों पर काम करने वाले सभी कर्मचारियों को हमलों से पहले सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया था। अमेरिका की इस कार्रवाई पर क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर व्यापक प्रतिक्रियाएँ आई हैं।
ईरान: अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन
ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हमलों के बाद अपनी पहली टिप्पणी में अमेरिका पर अंतरराष्ट्रीय क़ानून के उल्लंघन का आरोप लगाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य होने के नाते अमेरिका ने ईरान के शांतिपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करके संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतरराष्ट्रीय क़ानून और परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) का गंभीर उल्लंघन किया है।’
उन्होंने रविवार सुबह की घटनाओं को अपमानजनक क़रार देते हुए कहा कि इसके दूरगामी नतीजे होंगे। अराघची ने चेतावनी दी कि ईरान के पास अपनी संप्रभुता, हितों और लोगों की रक्षा के लिए सभी विकल्प हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों से इस ‘अत्यंत ख़तरनाक़, ग़ैरक़ानूनी और आपराधिक व्यवहार’ पर चिंता व्यक्त करने की अपील की।
इसराइल ने की ट्रंप की तारीफ़
इसराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमलों का समर्थन करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप की प्रशंसा की। एक टेलीविजन बयान में उन्होंने कहा, ‘बधाई हो, राष्ट्रपति ट्रंप। ईरान के परमाणु सुविधाओं पर आपके साहसिक निर्णय और संयुक्त राज्य की जबरदस्त शक्ति विश्व इतिहास को बदल देगी।’ नेतन्याहू ने दावा किया कि ट्रंप ने ‘विश्व के सबसे ख़तरनाक शासन को सबसे ख़तरनाक हथियारों से वंचित करने के लिए’ निर्णायक क़दम उठाया।
संयुक्त राष्ट्र बेहद चिंतित
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने हमलों पर गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, ‘मैं आज अमेरिका द्वारा ईरान के ख़िलाफ़ बल प्रयोग से बेहद चिंतित हूँ। यह एक ऐसे क्षेत्र में ख़तरनाक स्थिति है जो पहले से ही कगार पर है।’
गुटेरेस ने इसे अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए ‘सीधा ख़तरा’ बताया और चेतावनी दी कि इस संघर्ष के तेजी से नियंत्रण से बाहर होने का जोखिम बढ़ रहा है। इसके नागरिकों, क्षेत्र और विश्व के लिए विनाशकारी नतीजे हो सकते हैं। उन्होंने सभी सदस्य देशों से तनाव कम करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर तथा अन्य अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का पालन करने की अपील की। उन्होंने कहा, ‘इस ख़तरनाक घड़ी में अराजकता के चक्र से बचना अहम है। सैन्य समाधान कोई रास्ता नहीं है। एकमात्र रास्ता कूटनीति है। एकमात्र आशा शांति है।’
हमास: हम ईरान के साथ
फलस्तीनी सशस्त्र समूह हमास ने एक बयान में अमेरिका की ‘नंगी आक्रामकता’ की कड़े शब्दों में निंदा की। उन्होंने इसे ‘इसराइल के एजेंडे का अंधा समर्थन’ और अंतरराष्ट्रीय क़ानून का साफ़ उल्लंघन बताया। हमास ने कहा, ‘हम ईरान, उसके नेतृत्व और उसके लोगों के साथ एकजुटता से खड़े हैं और हमें ईरान की अपनी संप्रभुता की रक्षा करने की क्षमता पर पूरा भरोसा है।’
सऊदी अरब: सभी पक्ष संयम बरतें
सऊदी अरब ने हमलों के बाद गहरी चिंता व्यक्त की। विदेश मंत्रालय ने एक्स पर एक बयान में कहा, ‘सऊदी अरब इस्लामिक गणराज्य ईरान में होने वाले घटनाक्रमों, अमेरिका द्वारा ईरानी परमाणु सुविधाओं को निशाना बनाने को गंभीर चिंता के साथ देख रहा है।’
सऊदी अरब ने सभी पक्षों से संयम बरतने, तनाव कम करने और इसके बढ़ने से बचने की ज़रूरत पर बल दिया। मंत्रालय ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस संकट को ख़त्म करने के लिए राजनीतिक समाधान तक पहुँचने के प्रयासों को बढ़ाने की अपील की।
यूनाइटेड किंगडम: ईरान बातचीत करे
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने ईरान से बातचीत की मेज पर लौटने का आग्रह किया। डाउनिंग स्ट्रीट के एक बयान के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘ईरान का परमाणु कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर ख़तरा है। ईरान को कभी भी परमाणु हथियार विकसित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और अमेरिका ने इस ख़तरे को कम करने के लिए कार्रवाई की है।’
चीन: अमेरिका इराक वाली ग़लती दोहरा रहा
चीन की सरकारी मीडिया CGTN ने एक त्वरित टिप्पणी में पूछा कि क्या अमेरिका ईरान में अपनी इराक की गलती दोहरा रहा है। इसने कहा कि अमेरिकी हमले एक खतरनाक मोड़ लगते हैं। लेख में कहा गया, ‘इतिहास ने बार-बार दिखाया है कि मध्य पूर्व में सैन्य हस्तक्षेप अक्सर अनपेक्षित परिणाम लाते हैं। इसमें लंबे समय तक चलने वाले संघर्ष और क्षेत्रीय अस्थिरता शामिल हैं।’ इसने 2003 में इराक पर अमेरिकी आक्रमण का हवाला देते हुए सैन्य टकराव के बजाय बातचीत को प्राथमिकता देने वाली कूटनीतिक दृष्टिकोण को मध्य पूर्व में स्थिरता की सर्वोत्तम आशा बताया।
ऑस्ट्रेलिया: तनाव कम किया जाए
ऑस्ट्रेलियाई सरकार के प्रवक्ता ने कहा, ‘हमने साफ़ किया है कि ईरान का परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए ख़तरा रहा है।’ उन्होंने ट्रंप के बयान का ज़िक्र किया कि ‘अब शांति का समय है’ लेकिन साथ ही कहा कि क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति बेहद अस्थिर है। प्रवक्ता ने तनाव कम करने, संवाद और कूटनीति की अपील की।
न्यूज़ीलैंड: सैन्य कार्रवाई चिंताजनक
विदेश मंत्री विंस्टन पीटर्स ने कहा, ‘हम ट्रंप द्वारा ईरान के परमाणु सुविधाओं पर अमेरिकी हमलों सहित पिछले 24 घंटों में हुए घटनाक्रमों से अवगत हैं।’ उन्होंने मध्य पूर्व में चल रही सैन्य कार्रवाइयों को बेहद चिंताजनक बताया और कहा कि आगे तनाव बढ़ने से बचना अहम है। न्यूज़ीलैंड ने कूटनीति के प्रयासों का जोरदार समर्थन किया और सभी पक्षों से बातचीत में लौटने का आग्रह किया।
मेक्सिको: कुटनीतिक बातचीत हो
मेक्सिको के विदेश मंत्रालय ने एक्स पर एक बयान में कहा, ‘मंत्रालय मध्य पूर्व संघर्ष में शामिल पक्षों के बीच शांति के लिए तत्काल कूटनीतिक बातचीत की मांग करता है।’ मंत्रालय ने मेक्सिको की शांतिवादी नीति के अनुरूप क्षेत्र में तनाव कम करने की अपील की और कहा कि क्षेत्र के देशों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की बहाली सर्वोच्च प्राथमिकता है।
वेनेजुएला ने की निंदा
वेनेजुएला के विदेश मंत्री इवान गिल ने टेलीग्राम पर लिखा, ‘वेनेजुएला अमेरिका की ईरान के ख़िलाफ़ सैन्य आक्रामकता की निंदा करता है और तत्काल शत्रुता ख़त्म करने की मांग करता है।’ उन्होंने कहा कि अमेरिका ने इसराइल के अनुरोध पर फ़ोर्दू, इसफ़हान और नतन्ज़ परमाणु सुविधाओं पर बमबारी की, जिसे वेनेजुएला दृढ़ता और साफ़ तौर पर निंदनीय मानता है।
चिली: अमेरिकी कार्रवाई अवैध
चिली के राष्ट्रपति गैब्रियल बोरिक ने भी अमेरिकी कार्रवाई को अवैध बताया। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘चिली इस अमेरिकी हमले की निंदा करता है। शक्ति होने का मतलब यह नहीं कि आप मानवता द्वारा बनाए गए नियमों का उल्लंघन कर सकते हैं, भले ही आप संयुक्त राज्य हों।’
अमेरिकी डेमोक्रेट्स का ट्रंप पर आरोप
हाउस ऑफ़ रिप्रेजेंटेटिव्स के शीर्ष डेमोक्रेट हकीम जेफ्रीज ने ट्रंप पर देश को युद्ध की ओर धकेलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति ट्रंप ने अपनी मंशा के बारे में देश को गुमराह किया, सैन्य बल के उपयोग के लिए कांग्रेस की मंजूरी नहीं मांगी और मध्य पूर्व में संभावित रूप से विनाशकारी युद्ध में अमेरिका को उलझाने का जोखिम उठाया।’ जेफ्रीज ने कहा कि ट्रंप इस एकतरफा सैन्य कार्रवाई के किसी भी प्रतिकूल परिणाम के लिए पूरी तरह ज़िम्मेदार हैं।
अमेरिकी समूह की प्रतिक्रियाएँ
अमेरिका में मुस्लिम अधिकार समूह काउंसिल ऑन अमेरिकन-इस्लामिक रिलेशंस यानी सीएआईआर ने हमले को अवैध और ग़लत युद्ध की कार्रवाई बताया। इसने कहा कि यह नियंत्रण से बाहर है और इसराइली सरकार के दबाव में हुई। इसने कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने लंबे समय से निष्कर्ष निकाला है कि ईरान परमाणु हथियार नहीं बना रहा है। दूसरी ओर, शक्तिशाली प्रो-इसराइल समूह अमेरिकन-इसराइल पब्लिक अफेयर्स कमेटी ने ट्रंप के हमलों की प्रशंसा की और कहा कि अमेरिका को अब अपने सहयोगियों के साथ मिलकर ईरानी हमलों से सैनिकों और क्षेत्रीय हितों की रक्षा करनी चाहिए।