अब जल्द ही देशभर में चुनाव का उद्घोष शुरू हो जाएगा। इस समय हर किसी को यही जानने की उत्सुकता है कि इस बार बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आ पाएगी या नहीं और इसके साथ ही बीजेपी के कुछ प्रमुख मंत्रियों को लेकर भी लोगों के बीच काफी उत्सुकता बनी हुई है।
बीजेपी पार्टी के प्रमुख नेता व मंत्री हैं अमित शाह। ऐसे में यहाँ दो सवाल विशेष रूप से लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं, पहला तो यह कि, क्या इस बार चुनाव में बीजेपी जीत अपने नाम कर पाएगी? और दूसरा ये कि अगर बीजेपी जीत अपने नाम कर लेती है तो क्या फिर से अमित शाह को कोई महत्वपूर्ण पद सौंपा जाएगा या उन्हें पार्टी से किनारा कर दिया जाएगा? तो आइए इस दूसरे सवाल का जवाब ढूँढने के लिए अमित शाह की जन्मकुंडली पर किया गया एक खास विश्लेषण पढ़ते हैं।
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क्या कहती है अमित शाह की कुंडली?
देश के वर्तमान गृहमंत्री अमित शाह का जन्म मुंबई में 22 अक्टूबर को सन् 1964 में हुआ था। उनके जन्म का समय सुबह के 05 बजकर 24 मिनट था। अमित शाह कन्या लग्न के हैं और उनकी कुंडली में दो नीचभंग राजयोग विद्यमान हैं। चौथे और सातवें भाव के स्वामी बृहस्पति इनके नौवें भाव में उपस्थित हैं और इससे अर्धराजयोग का निर्माण हो रहा है। अमित शाह को मौजूदा समय में मंत्री पद मिलने का कारण यही योग हैं।
बुध ग्रह को बुद्धि का कारक माना गया है और वह अमित शाह की कुंडली में दूसरे भाव में सूर्य के साथ मिलकर बुधादित्य योग का निर्माण कर रहे हैं। बुद्धि के दाता बुध की इसी स्थिति के कारण अमित शाह अधिक बुद्धिमान और चतुर हैं।
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आने वाले चुनावों में क्या होगा भविष्य?
इस साल वर्ष 2024 में अप्रैल और मई के दौरान लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं और इस बार हर कोई यही जानना चाहता है कि बीजेपी तीसरी बार सत्ता में लौट पाएगी या नहीं। अगर इस साल के चुनावों में बीजेपी को जीत मिलती है तो क्या वो अमित शाह को दोबारा कोई मंत्री पद देंगे?
अप्रैल-मई के महीनों में अमित शाह की बृहस्पति में शनि की दशा शुरू होगी और इस समय प्रत्यंतर दशा भी शनि महाराज की चलेगी। बृहस्पति दो केंद्रों के स्वामी बनकर अमित शाह की कुंडली में केंद्राधिपति दोष का निर्माण कर रहे हैं। वहीं चौथे और सातवें भाव के स्वामी बृहस्पति नौवें भाव में उपस्थित होकर राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। हालांकि, यहां पर गुरु अपनी शत्रु राशि में विराजमान हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रह के शत्रु राशि या भाव में होने पर राजयोग भंग हो जाता है।
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इस समय अमित शाह की शनि की अंतर्दशा और प्रत्यंतर दशा चल रही है। शनि की स्थिति की बात करें, तो वह अपनी मूल त्रिकोण राशि में वक्री अवस्था में हैं और मंगल ग्रह की इन पर दृष्टि पड़ रही है। कुंडली का पांचवां भाव मंत्रीपद का कारक होता है और अमित शाह की कुंडली में इस भाव के स्वामी शनि ग्रह हैं।
शनि के कारण यह आशंका जताई जा रही है कि अमित शाह की प्रतिष्ठा में कमी आ सकती है। इन्हें आने वाले समय में राजनीति में अपने मान-सम्मान का अधिक ध्यान रखने की जरूरत है। कन्या लग्न के लिए बृहस्पति मारक हैं। ग्रहों की स्थिति अमित शाह की सेहत बिगड़ने का भी संकेत कर रही हैं। इस साल इन्हें स्वास्थ्य के लिहाज़ से परेशान रहना पड़ सकता है। ऐसे में हो सकता है कि अमित शाह राजनीति में उतने सक्रिय न रह पाएं, जितने वे अभी हैं।
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स्वास्थ्य बनेगा रुकावट
ग्रहों की स्थिति जानने के बाद यही पता चलता है कि इस साल अमित शाह की सेहत में गिरावट आने की आशंका है और हो सकता है कि उन्हें अपनी खराब सेहत की वजह से राजनीति तक से दूर रहना पड़े। अत: अगर आने वाले चुनाव में बीजेपी एक बार फिर से सत्ता में आती है, तो शायद बीमार या अस्वस्थ रहने की वजह से अमित शाह को मंत्री पद से दूर ही रहना पड़े।
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