ग़ज़ा में खान यूनिस का इलाका
इज़राइल ने एक बार फिर ग़ज़ा पट्टी पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले शुरू कर दिए हैं, जिसमें कम से कम 413 फिलिस्तीनी मारे गए हैं। यह हमला हमास के साथ जनवरी में हुए संघर्ष विराम को पूरी तरह से तोड़ने वाला साबित हुआ है। इज़राइली सेना ने दावा किया है कि यह हमला हमास के ठिकानों को निशाना बनाने के लिए किया गया, लेकिन स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, इसमें बड़ी संख्या में आम नागरिक, महिलाएं और बच्चे भी शिकार हुए हैं। इस हमले ने इज़राइल के युद्ध अपराधों और मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय में फिर से बहस छेड़ दी है।
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इज़राइली बंधकों के परिवारों ने नेतन्याहू पर आरोप लगाया कि उन्होंने अपने नागरिकों की जान को खतरे में डालकर राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की है।
इज़राइली वायुसेना ने मंगलवार तड़के ग़ज़ा के उत्तरी, मध्य और दक्षिणी इलाकों में भारी बमबारी की। ग़ज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, मरने वालों में 200 से अधिक महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। हमले में ग़ज़ शहर, खान यूनिस और देयर अल-बलाह जैसे घनी आबादी वाले इलाकों को निशाना बनाया गया। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि रात भर बमबारी से घर, स्कूल और अस्पताल तबाह हो गए, जिससे सैकड़ों लोग मलबे में दब गए। ग़ज़ा के सिविल डिफेंस ने कहा कि कई इलाकों में एक साथ हमले होने के कारण बचाव कार्य बेहद मुश्किल हो गया है।
यह हमला 17 महीने की जंग में सबसे घातक हमलों में से एक है, जिसने गाजा की 90% आबादी को विस्थापित कर दिया है। तुर्की ने इसे “नरसंहार नीति का नया चरण” करार दिया और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से ठोस कदम उठाने की मांग की। ग़ज़ा में मानवीय संकट गहराता जा रहा है, जहां अस्पताल घायलों से भरे हैं और बुनियादी सुविधाएं पूरी तरह चरमरा गई हैं।
The Trump Regime is attacking on behalf of Israel.
Israelis broke the ceasefire agreement. Now they attack Gaza.
One extremely impoverished country – Yemen – stands up against Israel. pic.twitter.com/HSM7HFIK8Y
— Scott A McMillan (@scott4670) March 18, 2025
यह हमला इज़राइल के उन कथित युद्ध अपराधों की लंबी सूची में एक और काला अध्याय जोड़ता है, जिनका आरोप उस पर पिछले कई दशकों से लगता रहा है। 7 अक्टूबर, 2023 को हमास के हमले के बाद शुरू हुई जंग में इज़राइल ने ग़ज़ा पर लगातार बमबारी की, जिसमें अब तक 48,000 से अधिक फिलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने इज़राइल पर गंभीर अपराधों के आरोप लगाए हैं।
Israel has restarted its genocide on Palestinians in Gaza with the backing of US President Donald Trump who was consulted before the attacks began, as Al Jazeera’s Heidi Zhou-Castro explains. pic.twitter.com/AC7a2156Sl
— Al Jazeera English (@AJEnglish) March 18, 2025
हमास ने इस हमले को “मानवीय संधि का खुला उल्लंघन” करार दिया और कहा कि इज़राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बंधकों की रिहाई के लिए चल रही बातचीत को तोड़ने का फैसला किया है। हमास के एक अधिकारी ताहेर नुनु ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अब यह नैतिक परीक्षा है कि वह इज़राइल के अपराधों को रोके या ग़ज़ा में नरसंहार को चुपचाप देखता रहे।”
A grieving child bids farewell to his father, who, along with other family members, was killed in a deadly Israeli attack on the southern Gaza Strip. pic.twitter.com/IanzTfFmpk
— Quds News Network (@QudsNen) March 18, 2025
मिस्र, जो संघर्ष विराम में मध्यस्थ की भूमिका निभा रहा था, ने इज़राइल की निंदा करते हुए इसे “संघर्ष विराम का घोर उल्लंघन” बताया। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने हमले पर “चिन्ता” जताई और सभी पक्षों से अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करने की मांग की। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने कहा, “हम सभी पक्षों से संघर्ष विराम का सम्मान करने की अपील करते हैं। ग़ज़ा पहले ही बहुत दुख झेला जा चुका है।”
हालांकि इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमले का बचाव करते हुए कहा कि यह हमास के खिलाफ “मजबूत कार्रवाई” का हिस्सा है, जो बंधकों को रिहा करने और संघर्ष विराम को आगे बढ़ाने में विफल रहा।
इज़राइल पर आरोप
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नागरिकों पर हमले: इज़राइल ने बार-बार नागरिक बस्तियों, स्कूलों, अस्पतालों और शरणार्थी शिविरों को निशाना बनाया है। इस हमले में भी अल-अहली अस्पताल के पास मारे गए लोगों के शवों की तस्वीरें सामने आई हैं।
- मानवीय सहायता पर रोक: ग़ज़ा में भोजन, पानी, दवाइयों और ईंधन की आपूर्ति पर इज़राइल ने सख्त नाकाबंदी लगाई, जिसके कारण वहां अकाल और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
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जबरन विस्थापन: इज़राइल ने उत्तरी गाजा के 11 लाख लोगों को दक्षिण की ओर जाने का आदेश दिया था, लेकिन दक्षिण में भी हमले जारी रखे, जिससे लोगों के पास कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं बचा।
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हथियारों का अवैध इस्तेमाल: अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इजरायल पर फॉस्फोरस बम जैसे प्रतिबंधित हथियारों के इस्तेमाल का आरोप लगाया है, जो नागरिकों को गंभीर नुकसान पहुंचाते हैं।
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पत्रकारों और राहतकर्मियों की हत्या: इस जंग में 130 से अधिक फिलिस्तीनी पत्रकार मारे गए हैं, जिनमें हालिया हमले में उमर अल-देरावी भी शामिल हैं। इसके अलावा, चिकित्सा कर्मियों और राहतकर्मियों को भी निशाना बनाया गया।
इस बीच, यह सवाल उठ रहा है कि क्या इज़राइल के इन कृत्यों के खिलाफ कोई जवाबदेही तय होगी, या यह हिंसा का चक्र अनवरत जारी रहेगा। ग़ज़ा के लोग एक बार फिर दहशत और तबाही के बीच जीने को मजबूर हैं, जबकि दुनिया की नजरें इस संकट पर टिकी हैं।
रिपोर्ट और संपादनः यूसुफ किरमानी