अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल आसीम मुनीर की व्हाइट हाउस में हुई मुलाक़ात ने वैश्विक कूटनीति में भूचाल ला दिया है। ईरान-इसराइल तनाव के बीच दोनों की इस चर्चा ने सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या अमेरिका पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र को ईरान के ख़िलाफ़ रणनीतिक हथियार बना रहा है?
इस सवाल का जवाब खुद डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तानी सेना के बयानों में ही मिल सकता है। पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसीम मुनीर ने बुधवार को व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ट्रृंप के साथ एक विशेष लंच बैठक में हिस्सा लिया। यह मुलाक़ात इसलिए भी अहम है क्योंकि पाकिस्तानी सेना प्रमुख का व्हाइट हाउस में इस तरह का दौरा असामान्य माना जाता है और मध्य पूर्व में इसराइल और ईरान के बीच जंग छिड़ी है। ट्रंप ने मुलाक़ात के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘मुझे जनरल मुनीर की मेजबानी करने का सम्मान मिला। हमने ईरान-इसराइल तनाव सहित कई अहम मुद्दों पर चर्चा की। पाकिस्तान ईरान को बहुत अच्छी तरह जानता है, शायद सबसे बेहतर, और वे इस स्थिति से खुश नहीं हैं।’
ट्रंप ने कहा, ‘यह नहीं कि वे इसराइल के साथ बुरे हैं। वे वास्तव में दोनों को जानते हैं, लेकिन शायद वे ईरान को बेहतर जानते हैं, और वे देख रहे हैं कि क्या हो रहा है, और उन्होंने मेरी बात से सहमति जताई।’
इस्लामाबाद में पाकिस्तानी सेना ने गुरुवार को एक बयान में पाकिस्तान सेना ने कहा, ‘ईरान और इसराइल के बीच मौजूदा तनावों पर भी विस्तृत विचार-विमर्श हुआ, जिसमें दोनों नेताओं ने संघर्ष के समाधान के महत्व पर जोर दिया।’ इसने कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने दीर्घकालिक रणनीतिक हितों के आधार पर पाकिस्तान के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार संबंध विकसित करने में गहरी रुचि दिखाई।
पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति यह है कि वह ईरान के पड़ोस में है। यही स्थिति इस क्षेत्र में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बनाती है। यह भी बताया जा रहा है कि ट्रंप ने पाकिस्तान के साथ व्यापार और आतंकवाद विरोधी सहयोग को बढ़ाने की संभावनाओं पर भी चर्चा की।
हाल के महीनों में ईरान और इसराइल के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है। इसराइल द्वारा ईरान के सैन्य ठिकानों पर हवाई हमले किए गए हैं। इसके जवाब में ईरान ने कड़ी प्रतिक्रिया देने की धमकी दी है। इस स्थिति में इसराइल का प्रमुख सहयोगी अमेरिका क्षेत्र में अपनी सैन्य रणनीति को मज़बूत करने की कोशिश कर रहा है। ट्रंप ने इस मुलाक़ात में यह भी दावा किया कि उनकी मध्यस्थता ने भारत और पाकिस्तान के बीच एक ख़तरनाक परमाणु युद्ध को रोका। इसके लिए उन्होंने जनरल मुनीर की प्रशंसा की और यहाँ तक कि कहा कि मुनीर उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करना चाहते हैं।
हालाँकि, इस दावे को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ यूजरों ने इसे ट्रंप की बढ़ाचढ़ा कर पेश करने शैली का हिस्सा बताया, जबकि अन्य ने इसे क्षेत्रीय तनाव को कम करने में पाकिस्तान की भूमिका के रूप में देखा। एक यूजर ने लिखा, ‘ट्रंप ने मुनीर को बुलाया क्योंकि वे ईरान पर हमले के लिए पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र और रनवे का उपयोग करना चाहते हैं। पाकिस्तान इस स्थिति में ना कहने की स्थिति में नहीं है।’
पाकिस्तान की दुविधा
पाकिस्तान के लिए यह मुलाक़ात एक मुश्किल कूटनीतिक चुनौती लेकर आई है। एक ओर, वह अमेरिका के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करना चाहता है, जो उसे आर्थिक और सैन्य सहायता प्रदान करता है। दूसरी ओर, ईरान के साथ उसका पड़ोसी रिश्ता और साझा सीमा इसे एक संवेदनशील मुद्दा बनाती है।
मीडिया रिपोर्टों में सूत्रों के हवाले से संकेत दिया गया है कि ट्रंप ने मुनीर से ईरान के ख़िलाफ़ खुफ़िया जानकारी साझा करने और हवाई क्षेत्र के उपयोग की मांग की। यह मांग इसलिए भी अहम है क्योंकि पाकिस्तान ने पहले अफ़ग़ानिस्तान में अमेरिकी सैन्य अभियानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति दी थी।
इस मुलाक़ात ने भारत सहित क्षेत्रीय शक्तियों के बीच चिंता पैदा की है। ईरान के साथ मजबूत आर्थिक और रणनीतिक संबंध रखने वाला भारत इस घटनाक्रम पर क़रीबी नज़र रख रहा है। कुछ लोग इसे अमेरिका और पाकिस्तान के बीच बढ़ती निकटता के रूप में देख रहे हैं, जो भारत की क्षेत्रीय रणनीति के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
वैश्विक स्तर पर यह मुलाक़ात अमेरिका की ईरान नीति में बदलाव का संकेत दे सकती है। ट्रंप प्रशासन ने पहले भी ईरान के ख़िलाफ़ सख़्त रुख़ अपनाया था, और इस मुलाक़ात को इसराइल के समर्थन में अमेरिका की सक्रियता के रूप में देखा जा रहा है।
ट्रंप और मुनीर की यह मुलाक़ात न केवल अमेरिका-पाकिस्तान संबंधों के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व के लिए अहम है। यह मुलाक़ात क्षेत्रीय शक्ति संतुलन, ईरान-इसराइल तनाव और अमेरिका की विदेश नीति के भविष्य पर गहरा प्रभाव डाल सकती है। लेकिन सवाल वही है कि क्या पाकिस्तान अमेरिका के दबाव में आएगा या वह अपने पड़ोसी ईरान के साथ संतुलन बनाए रखेगा?