फ्रांसीसी अर्थशास्त्री थॉमस पिकेटी ने कहा है कि भारत सरकार देश के अरबपतियों और सबसे अमीर 100 लोगों के विस्तृत इनकम टैक्स डेटा को जारी करे। उन्होंने कहा कि इसके जरिये यह पता लग सकेगा कि ऐसे लोगों पर संपत्ति और विरासत कर (Wealth and Inheritance Tax) क्यों लगना चाहिए। वर्ल्ड इनइक्वलिटी लैब के सह-निदेशक पिकेटी ने सुझाव दिया कि उस पैसे से भारत में स्वास्थ्य और शिक्षा पर अधिक खर्च करने में मदद मिलेगी। पिकेटी ने कहा कि पिछले छह दशकों से अधिक समय से “सूचना की पारदर्शिता और गुणवत्ता” में गिरावट आई है। यानी अमीर लोगों का विस्तृत आयकर डेटा जारी नहीं किया जा रहा है।
भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने फौरन ही अमीरों पर अधिक टैक्स लगाने के सुझाव का विरोध किया। नागेश्वरन ने कहा कि टैक्स की ऊंची दर से पूंजी का पलायन हो सकता है। सीईए ने कहा कि डेटा यह बता रहा है कि 2014 और 2023 के बीच 248 मिलियन लोग गरीबी रेखा पार करने से बच गए, जो भारत में अरबपतियों की संख्या से कहीं अधिक मायने रखता है। उन्होंने कहा, “गरीबी में कमी, असमानता नहीं, समावेशी विकास की परीक्षा है।”
भारत में अरबपति अमीरों के बारे में विस्तृत डेटा नहीं
फ्रांसीसी अर्थशास्त्री पिकेटी ने कहा कि उन्होंने कई देशों के आय आंकड़ों पर काम किया है। लेकिन, भारत की काफी अनोखी स्थिति है, यहां सूचना की पारदर्शिता और गुणवत्ता में गिरावट है। यानी अरबपतियों और अमीरों से संबंधित विस्तृत डेटा उपलब्ध नहीं है। आज हमारे पास जो आयकर आंकड़ा है… वह 1960 और 1970 के दशक की तुलना में बहुत कम साफ सुथरा है। इसका मतलब यह नहीं है कि ’60, 70 के दशक में, कोई टैक्स चोरी नहीं होती थी… लेकिन अगर आप डेटा प्रकाशित नहीं करते हैं, तो हम स्थिति में सुधार करने में कैसे सक्षम होंगे दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स ने ‘असमानता, आय वृद्धि और समावेशन’ पर चर्चा आयोजित की थी। पिकेटी ने उसी चर्चा में भारत से संबंधित तमाम बातें रखीं। पिकेटी ने कहा, ”मैं अपने अनुमानों को बेहतर बनाने के लिए चर्चा करने के पक्ष में हूं, लेकिन कृपया भारत में टैक्स प्रणाली के कामकाज के बारे में अधिक पारदर्शी रहें।”
लोकसभा चुनाव याद कीजिएः लोकसभा चुनाव 2024 का समय याद कीजिए। कांग्रेस एक घोषणापत्र लाई। जिसमें उसने कहा कि अरबपतियों पर टैक्स की सीमा बढ़ाकर उस पैसे को जनता के स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य कल्याण पर खर्च किया जाएगा। कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने इसी बात को दूसरी तरह से कहा था। पित्रोदा का सुझाव था कि भारत के अमीरों पर विरासत कर लगाना चाहिए। भाजपा और पीएम मोदी ने इस बात को तोड़मरोड़ कर चुनावी सभाओं में पेश करना शुरू कर दिया। मोदी और भाजपा ने कहा कि कांग्रेस सत्ता में आएगी तो हिन्दुओं की संपत्ति का हिस्सा छीनकर मुसलमानों को बांट देगी। वो हिन्दू महिलाओं का मंगलसूत्र मुस्लिम महिलाओं को दे देगी। जिनके पास दो घर या दो भैंस हुई, उनमें से एक मुसलमान को दे देगी। विपक्ष ने केंद्रीय चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की थी। लेकिन चुनाव आयोग ने क्या किया होगा, इसका अंदाजा आपको होगा। फ्रांसीसी अर्थशास्त्री पिकेटी के बहाने उन बयानों को याद करने की जरूरत है।
पिकेटी स्कूल फॉर एडवांस्ड स्टडीज इन सोशल साइंसेज फ्रांस और पेरिस स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में अर्थशास्त्र और आर्थिक इतिहास के प्रोफेसर भी हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो भी डेटा है, उसमें जो भी कमी या अपूर्णता है, वही असमानता भी है। निष्कर्ष यह है कि भारत एक बहुत बड़ा देश है। यहां असमानता कम करके गरीबी को तेजी से कम किया जा सकता है।
पिकेटी ने कहा “मैं आपसे एक आसान सवाल पूछ रहा हूं – पिछले 10 वर्षों में बड़े अरबपतियों ने कितना इनकम टैक्स चुकाया है यदि आप भारत के 100 सबसे अमीर व्यक्तियों को लेते हैं – मैं नाम नहीं पूछ रहा हूं – लेकिन बस हमें 100 सबसे अमीर करदाताओं का औसत बताएं। मुझे जो पता है, मेरे पास जो भी डेटा है, उससे पता चलता है कि वे जिस आय की रिपोर्ट भारत के इनकम टैक्स सिस्टम को देते हैं, वह उनकी संपत्ति का 0.01 प्रतिशत है। तो आप अपनी टैक्स दर को 43 प्रतिशत से बढ़ाकर 70 प्रतिशत या 99 प्रतिशत कर सकते हैं…लेकिन अगर वे जो इनकम बताते हैं वह वास्तव में उनकी संपत्ति का एक छोटा सा अंश है, तो टैक्स बढ़ाने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ेगा।”
(इस रिपोर्ट का संपादन यूसुफ किरमानी ने किया)