Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • Komark Sun Temple: कोणार्क के सूर्य मंदिर का भूल-भूलैया राज़
    • NDA को बड़ा झटका! रेणु कुशवाहा का ‘पाला बदल’ प्लान सफल, थामा तेजस्वी का दामन
    • Lucknow News: छत्रपति शाहूजी महाराज जयंती पर मायावती ने दी श्रद्धांजलि: BJP-सपा पर केजीएमयू का नाम बदलने का लगाया आरोप, असली नाम बहाल करने की मांग
    • मानसून में भीगी वादियां, चाय की महक और जंगल का रोमांच – वालपराई चाय बागानों और वनों के बीच प्रकृति का शांत स्वर्ग
    • ट्रंप की तकरीर से NATO में दरार!
    • Sonbhadra News: सुभासपा के अरविंद ने कहा- सरकारें बदलीं लेकिन नहीं बदला सिस्टम, बाहर से आए लोगों ने लूटा सोनभद्र के बाशिंदों का हक
    • ईरान ने माना- उसके परमाणु ठिकानों को काफी नुकसान हुआ, आकलन हो रहा है
    • Satya Hindi News Bulletin। 25 जून, शाम तक की ख़बरें
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » पर्याप्त सुविधाओं के अभाव से प्रभावित होती बालिका शिक्षा
    ग्रामीण भारत

    पर्याप्त सुविधाओं के अभाव से प्रभावित होती बालिका शिक्षा

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 14, 2024Updated:August 11, 2024No Comments7 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email
    हाल ही में आईसीएसई समेत विभिन्न राज्यों के दसवीं और बारहवीं के परिणाम घोषित हुए हैं, जिनमें बड़ी संख्या में छात्राओं ने उम्मीद से कहीं अधिक बढ़कर प्रदर्शन किया है. यह आंकड़े बताते हैं कि यदि अवसर और सुविधाएं प्रदान किये जाएं तो लड़कियां भी किसी भी परिणाम को अपने पक्ष में करने की भरपूर सलाहियत रखती हैं. दरअसल आज़ादी के बाद हमारे देश में चाहे केंद्र की सरकार हो, या राज्य की सरकारें, सभी ने जिन बुनियादी सुविधाओं के विकास पर सबसे अधिक फोकस किया उसमें शिक्षा भी एक अहम विषय था. शहर से लेकर गांव और अमीर से लेकर गरीब तक के सभी बच्चों को समान रूप से शिक्षा प्राप्त हो इसके लिए कई स्तर पर योजनाएं तैयार की गई. बच्चों के लिए स्कूल तक पहुंच को आसान बनाने पर ज़ोर दिया गया, गरीब के बच्चों की शिक्षा में कोई बाधा न आये इसके लिए अनिवार्य और मुफ्त शिक्षा की व्यवस्था की गई, किताब-कॉपियां और स्कूल ड्रेस मुफ्त उपलब्ध कराये जाने लगे. 
     
    सरकार की इस पहल का बहुत सकारात्मक परिणाम भी नज़र आने लगा. आज़ादी के बाद 1951 की पहली जनगणना में जहां देश में साक्षरता की कुल दर महज़ 18.33 प्रतिशत थी वहीं 60 वर्षों बाद 2011 में यह बढ़कर 74 प्रतिशत से अधिक हो गई. लेकिन इस सुखद आंकड़ों के साथ सिक्के का एक दूसरा पहलू यह है कि अभी भी किशोरियों विशेषकर दूर दराज़ के ग्रामीण क्षेत्रों की किशोरियों के सामने शिक्षा प्राप्त करना एक बड़ी चुनौती है. अभी भी हमारे देश में कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां महिलाओं की साक्षरता दर बेहद कम है. जहां मुश्किल से लड़कियां 12वीं तक भी शिक्षा प्राप्त कर पाती हैं. ऐसा ही एक गांव राजस्थान के अलवर जिला स्थित शादीपुर है. जहां आज भी महिलाओं में साक्षरता की दर दहाई के आंकड़े को भी पार नहीं कर सका है. इस गांव में बालिका शिक्षा के प्रति जहां समाज में उदासीनता है वहीं शिक्षा के क्षेत्र में सरकार की योजनाएं भी दम तोड़ती नज़र आती है.
     
    अलवर (Alwar) जिला से करीब 67 किमी और तिजारा तहसील से लगभग 20 किमी की दूरी पर आबाद इस गांव की जनसंख्या 300 के आसपास है. इसमें महिलाओं की जनसंख्या करीब 48 प्रतिशत है. मुस्लिम बहुल इस गांव में 2011 की जनगणना के अनुसार कुल साक्षरता की दर 18 प्रतिशत से भी कम है. पुरुषों में जहां साक्षरता की दर करीब 30 प्रतिशत है वहीं महिलाओं में यहां साक्षरता की दर पांच प्रतिशत से भी कम है. जो न केवल चिंता का विषय है बल्कि बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने वाले हमारे आंकड़ों पर भी प्रश्न चिन्ह लगाता है. इतना ही नहीं गांव में न तो कोई पंचायत घर है, न आंगनबाड़ी और न ही सार्वजानिक शौचालय की कोई सुविधा उपलब्ध है. गांव वालों के रोज़गार का मुख्य साधन पशुपालन, दैनिक मज़दूरी, थ्रेसर मशीन चलाना, ट्रक ड्राइवर का काम करना और कुछ परिवार की अपनी ज़मीन है जिस पर वह खेती करते हैं. महिलाएं घर के काम के साथ साथ खेती के काम में भी पुरुषों का हाथ बटाती हैं. गांव में पक्की सड़क का अभाव होने के कारण आवागमन की सुविधा भी सुलभ नहीं है.
     
    गांव में बालिका शिक्षा की चिंताजनक स्थिति के बारे में 35 वर्षीय अब्बास बताते हैं कि गांव में केवल 8वीं तक ही स्कूल है. इससे आगे की शिक्षा प्राप्त करने के लिए लड़कियों को 10 किमी दूर अन्य गांव में जाना पड़ेगा. लेकिन आवागमन की सुविधाओं का अभाव, लड़कियों के साथ होने वाले छेड़छाड़ का डर और बालिका शिक्षा के प्रति समाज की सीमित सोच के कारण अभिभावक लड़कियों को इतनी दूर भेजने से इंकार कर देते हैं. जिससे चाह कर भी कोई लड़की 9वीं या 10वीं की शिक्षा प्राप्त करने से वंचित रह जाती है. वह बताते हैं कि गांव में 8वीं तक जो सरकारी विद्यालय संचालित हैं उनमें भी सुविधाओं का घोर अभाव है. प्रधानाध्यापक सहित केवल 4 शिक्षकों के भरोसे यह पूरा स्कूल चल रहा है. इसके अतिरिक्त स्कूल में न तो पीने के साफ़ पानी की व्यवस्था है और न ही छात्र-छात्राओं के लिए शौचालय की उचित व्यवस्था है.
     
    नाम नहीं बताने की शर्त पर एक छात्रा की मां बताती है कि उनकी बेटी कई बार स्कूल में सुविधाओं की कमी की शिकायत कर चुकी है. लेकिन वह आर्थिक रूप से इतनी सशक्त नहीं हैं कि अपनी बेटी का एडमिशन गांव से बाहर या किसी निजी शिक्षण संस्थान में करा सकें. वह बताती है कि स्कूल में कोई महिला शिक्षिका के नहीं होने से लड़कियों को अक्सर माहवारी के दौरान समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसीलिए माहवारी के दिनों में गाँव की लड़कियां स्कूल जाना बंद कर देती हैं. जिससे वह धीरे धीरे शिक्षा में पिछड़ती चली जाती हैं. 8वीं के बाद की शिक्षा के लिए दूसरे गाँव जाने के प्रश्न पर एक अन्य महिला कहती हैं कि “हमें अपनी लड़कियों की सुरक्षा की चिंता होती है. ज़माना ठीक नहीं है. यदि किसी लड़की के साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ की घटना हो जाए तो न केवल उस लड़की की बल्कि उसके पूरे खानदान की इज्जत चली जाएगी. इसलिए कोई भी अभिभावक 8वीं के बाद इतनी दूर अपनी लड़की को स्कूल भेजने के लिए कभी तैयार नहीं होते हैं.”
     
    सामाजिक कार्यकर्त्ता और मेवात शिक्षा पंचायत के सदस्य ज़फ़र कहते हैं कि “जब गाँव में शिक्षा का कोई माहौल ही नहीं है तो बालिका शिक्षा की बात बहुत दूर है. गाँव में आज तक केवल एक लड़के को सरकारी नौकरी लगी है. किसी लड़की को जब ग्रेजुएशन तक पढ़ाया ही नहीं जाएगा तो उसके सरकारी नौकरी में होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है?” वह कहते हैं कि “हालांकि पहले की तुलना में अब गांव में शिक्षा के प्रति थोड़ी बहुत जागरूकता भी बढ़ी है. लोग अपने बच्चों को पढ़ाना भी चाहते हैं लेकिन बालिका शिक्षा के प्रति अभी भी बहुत जागरूकता की आवश्यकता है. यदि गांव में ही 10वीं या 12वीं तक स्कूल खुल जाए तो शायद किशोरियों के लिए भी उच्च शिक्षा तक पहुंच बनाना आसान हो सकता है.” 
     
    उन्होंने बताया कि “अलवर मेवात शिक्षा एवं विकास संस्थान जैसी कुछ एनजीओ ने इस दिशा में पहल की है. जिन्होंने अज़ीम प्रेमजी फाउंडेशन के सहयोग से गांव में किशोरी बालिकाओं के शिक्षण केंद्र (एजीएलसी) की शुरुआत की है. इसमें 11 से 18 वर्ष की न केवल उन बालिकाओं को पढ़ाया जाता है जिनकी 8वीं के बाद पढ़ाई छूट गई थी, बल्कि उन बालिकाओं को भी शिक्षित किया जा रहा है जो किसी कारणवश कभी स्कूल भी नहीं गई हैं. इस संस्था के माध्यम से 14 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी किशोरियों को राजस्थान ओपन स्कूल से 10वीं और 12वीं की परीक्षा में भी सम्मिलित होने में मदद की जा रही है. संस्था के इस प्रयास का परिणाम है कि साइमा नाम की लड़की इस गाँव की पहली लड़की बनी है जिसने 10वीं की परीक्षा दी है.” 
     
    दरअसल, हमारे देश में आज भी कुछ गांव ऐसे हैं जहाँ लड़कियों को बीच में ही स्कूल छुड़ा दिया जाता है. इसके पीछे कुछ मुख्य कारक हैं जिनमें लैंगिक भेदभाव, आर्थिक स्थिति, स्कूलों तक पहुंच का अभाव, जल्दी शादी और सामाजिक एवं सांस्कृतिक मानदंड. यह वह पहलू हैं जिससे कहीं न कहीं बालिकाओं की शिक्षा प्रभावित होती है. जो किसी भी समाज के विकास के लिए सबसे बड़ी बाधा है. इसे किसी योजना के माध्यम से नहीं बल्कि समाज में जागरूकता फैला कर ही समाप्त किया जा सकता है.

    यह भी पढ़ें

    पर्यावरण बचाने वाले उत्तराखंड के शंकर सिंह से मिलिए
    मिलिए हज़ारों मोरों की जान बचाने वाले झाबुआ के इस किसान से
    देसी बीजों को बचाने वाली पुणे की वैष्णवी पाटिल
    जवाई लेपर्ड सेंचुरी के आस-पास होते निर्माण कार्य पर लगते प्रश्नचिन्ह

    पर्यावरण से जुड़ी खबरों के लिए आप ग्राउंड रिपोर्ट को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब और वॉट्सएप पर फॉलो कर सकते हैं। अगर आप हमारा साप्ताहिक न्यूज़लेटर अपने ईमेल पर पाना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleअव्यवस्थित सड़क निर्माण भी विकास को प्रभावित करता है
    Next Article महंगे सिलेंडर के कारण फिर से मिट्टी के चूल्हे जलाती महिलाएं
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.