Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • SC की कर्नाटक सरकार को फटकार- ‘ठग लाइफ़’ रिलीज़ कराएँ, यह आपकी ड्यूटी
    • Satya Hindi News Bulletin। 19 जून, दोपहर तक की ख़बरें
    • इसराइल का बयान- अस्पताल पर हमले का बदला खामेनेई को खत्म करके लेंगे
    • जस्टिस वर्मा केस: आधे जले नोट बेहद संदिग्ध, गवाहों ने देखी नकदी की बड़ी ढेर- जाँच पैनल
    • पांडवों ने रातोंरात बनाई थी ये बावड़ी- खण्डेला की कालीबाय में छिपा है सदियों पुराना रहस्य
    • ट्रम्प ने आसिम मुनीर से मिलने के बाद क्या बयान दिया, युद्धविराम का फिर जिक्र
    • Live: ईरान के मिसाइल हमले में इसराइल का अस्पताल तबाह
    • ट्रंप ने ईरान पर हमले की योजना को क्या मंजूरी दे दी, कई तरह की सूचनाएं
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » पांडवों ने रातोंरात बनाई थी ये बावड़ी- खण्डेला की कालीबाय में छिपा है सदियों पुराना रहस्य
    Tourism

    पांडवों ने रातोंरात बनाई थी ये बावड़ी- खण्डेला की कालीबाय में छिपा है सदियों पुराना रहस्य

    Janta YojanaBy Janta YojanaJune 19, 2025No Comments5 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Bawadi Made By Pandavas (Image Credit-Social Media)

    Bawadi Made By Pandavas (Image Credit-Social Media)

    Bawadi Made By Pandavas: राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में खण्डेला का स्थान न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह अपने बावड़ियों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां की बावड़ियां, जो वर्षा जल संचयन की अद्भुत तकनीकों का उदाहरण हैं। आज भी जल संरक्षण के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। इनमें से एक प्रमुख बावड़ी है कालीबाय की बावड़ी। इस बावड़ी का निर्माण 16वीं सदी में हुआ था, लेकिन इसकी दीवारों पर लगी 8वीं सदी की प्रतिमाएं इसके प्राचीन स्वरूप को दर्शाती हैं। इसके अलावा, इस बावड़ी को लेकर कई रोचक लोककथाएं और पौराणिक मान्यताएं भी जुड़ी हैं। जिनमें पांडवों और बुद्ध से संबंधित कथाएं विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं।आइए जानते हैं कालीबाय बावड़ी के इतिहास, वास्तुकला, और उससे जुड़ी किवदंतियों से जुड़ी विस्तृत जानकारी के बारे में –

    खण्डेला- बावड़ियों का शहर

    शेखावाटी क्षेत्र का हिस्सा खण्डेला, जिसे महाभारत काल में खण्डपुर के नाम से जाना जाता था। राजपूताना के सबसे बड़े प्रांतों में से एक था। खण्डेला को बावड़ियों का शहर कहा जाता है क्योंकि यहां बीसवीं सदी के पूर्व तक कुल 52 बावड़ियां थीं। ये बावड़ियां न केवल जल संरक्षण का माध्यम थीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक केंद्र भी थीं। जहां लोग एकत्र होकर सामाजिक मेलजोल करते थे।

    कालीबाय बावड़ी का इतिहास

    कालीबाय बावड़ी का निर्माण विक्रम संवत् 1575 (1518 ई.) से शुरू होकर 1592 (1535 ई.) तक चला। यह कार्य अग्रवाल गोत्र के कोल्हा के पौत्र पृथ्वीराज के पुत्र रामा और बाल्हा ने शुरू किया था। उस समय खण्डेला के शासक रावत नाथूदेव निरबाण थे और दिल्ली पर लोदी वंश के सुल्तान इब्राहिम लोदी का शासन था। बावड़ी के निर्माण के समय दिल्ली पर कई शासकों ने शासन किया, जिसमें मिर्ज़ा हुमायूं मुग़ल का भी नाम शामिल है।

    इस बावड़ी का निर्माण लगभग 17-18 वर्षों में पूरा हुआ और यह अपने समय की एक उत्कृष्ट जल संरक्षण परियोजना थी। कालीबाय बावड़ी के संबंध में सीकर के हरदयाल संग्रहालय की क्यूरेटर धर्मजीत कौर ने बताया है कि इसकी दीवारों पर 8वीं सदी की प्रतिमाएं भी लगी हुई हैं, जो इसकी प्राचीनता को दर्शाती हैं।

    वास्तुकला और संरचना

    कालीबाय बावड़ी की वास्तुकला में राजस्थानी स्थापत्य कला की उत्कृष्टता झलकती है। बावड़ी को गहराई में खोदकर बनाया गया है और इसके आसपास जटिल नक्काशी और मूर्तिकला देखी जा सकती है। इसकी सीढ़ियां (स्टेप्स) पानी तक पहुंचने के लिए बनी हैं, जो पानी के स्तर के अनुसार ऊपर-नीचे होती हैं।

    इस बावड़ी की दीवारों पर न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक चित्रांकन है, बल्कि प्राकृतिक जल संचयन के लिए विभिन्न तकनीकी उपाय भी शामिल हैं। बावड़ी के डिज़ाइन में वर्षा जल के संचयन के साथ-साथ पानी के संरक्षण और संचरण का कुशल प्रबंधन है। वर्तमान में इस बावड़ी को अपनी प्राचीनता और वास्तुशिल्प के कारण संरक्षण की जरूरत है। इसकी कई मूर्तियां और नक्काशी क्षतिग्रस्त हो रही हैं, जिससे इतिहास की यह अमूल्य धरोहर खतरे में है।

     पांडवों से जुड़ी किवदंती

    कालीबाय बावड़ी को लेकर एक प्राचीन लोककथा प्रचलित है। जिसके अनुसार इसे पांडवों ने बनाया था। महाभारत काल के इस पौराणिक उल्लेख के अनुसार, वनवास के दौरान पांडवों की माता (कुंती) को बहुत प्यास लगी थी और उन्होंने अपने पुत्रों से जल की व्यवस्था करने को कहा। तब पांडवों ने एक ही रात में बावड़ी का निर्माण किया ताकि सभी को पानी मिल सके, विशेषकर अपनी माता को। यह कहानी केवल एक किवदंती नहीं, बल्कि उस समय के सामाजिक और धार्मिक महत्व को दर्शाती है। जब जल की उपलब्धता जीवन का आधार थी और उसे संरक्षित करने के लिए जल संरचनाओं का निर्माण महत्वपूर्ण था।

    बुद्ध से भी जुड़ा है कथात्मक कनेक्शन

    कुछ स्थानीय मान्यताओं और शोधकर्ताओं का मानना है कि इस क्षेत्र में भगवान बुद्ध का भी संबंध रहा है। उनके दर्शन और ध्यान स्थल के रूप में इस बावड़ी का उपयोग किया गया होगा। बावड़ी की दीवारों पर मिली 8वीं सदी की प्रतिमाएं इस बात का सूचक हैं कि यह स्थल प्राचीन काल से धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा होगा। बौद्ध धर्म में जल का महत्व शुद्धता और जीवन के स्रोत के रूप में माना जाता है। अतः बावड़ी का निर्माण धार्मिक कर्मकांडों के लिए भी आवश्यक था।

    जल संरक्षण की अनुपम धरोहर

    कालीबाय बावड़ी केवल एक ऐतिहासिक संरचना नहीं है, बल्कि यह वर्षा जल संचयन और संरक्षण की एक अद्भुत मिसाल है। राजस्थान जैसे शुष्क प्रदेश में जल स्रोतों का संरक्षण बेहद आवश्यक था। इसलिए बावड़ी जैसी संरचनाओं का निर्माण जीवनदायिनी साबित हुआ।

    बावड़ी न केवल वर्षा जल को संग्रहित करती है, बल्कि इससे आसपास के भूजल स्तर को भी बनाए रखने में मदद मिलती है। कालीबाय बावड़ी की डिज़ाइन में इस बात का पूरा ध्यान रखा गया था कि यह लंबे समय तक जल संचयन कर सके। 

    वर्तमान स्थिति और संरक्षण की आवश्यकता

    आज कालीबाय बावड़ी पुरानी होती उम्र के कारण कई खतरों से जूझ रही है। इसकी दीवारों की नक्काशी ध्वस्त हो रही है और संरचना जर्जर हो रही है। हरदयाल संग्रहालय की क्यूरेटर धर्मजीत कौर के अनुसार, इसकी दीवारों पर लगी प्राचीन प्रतिमाएं खतरे में हैं और संरक्षण न होने पर ये इतिहास की अमूल्य धरोहर मिट सकती हैं।

    स्थानीय प्रशासन, पुरातत्व विभाग और सामाजिक संगठनों को मिलकर इस बावड़ी को संरक्षित करने और पुनर्निर्माण के प्रयास करने चाहिए ताकि यह धरोहर आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रह सके। खण्डेला की कालीबाय बावड़ी न केवल राजस्थान की ऐतिहासिक और स्थापत्य धरोहर है बल्कि यह जल संरक्षण के महत्व को भी बखूबी दर्शाती है। पांडवों और बुद्ध से जुड़ी लोककथाएं इस बावड़ी को एक पौराणिक और आध्यात्मिक आयाम प्रदान करती हैं। ऐसी धरोहरें हमारे अतीत की गवाही हैं और इनकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। कालीबाय बावड़ी का संरक्षण केवल एक ऐतिहासिक संरचना के संरक्षण का प्रश्न नहीं बल्कि जल संरक्षण के प्रति हमारे सामाजिक दायित्व का भी प्रतीक है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleट्रम्प ने आसिम मुनीर से मिलने के बाद क्या बयान दिया, युद्धविराम का फिर जिक्र
    Next Article जस्टिस वर्मा केस: आधे जले नोट बेहद संदिग्ध, गवाहों ने देखी नकदी की बड़ी ढेर- जाँच पैनल
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    कर्नाटक में बाइक टैक्सी पर लगा ब्रेक-ओला, उबर, रैपिडो को झटका…क्या अन्य राज्य भी उठा सकते हैं यही कदम

    June 18, 2025

    Beach in Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में भी है बीच का मजा! पूरनपुर का ‘मिनी गोवा’ आपको कर देगा हैरान

    June 18, 2025

    भारत का यह मंदिर, दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर, जिसमें एक पूरा शहर बसा है, यूरोप की वेटिकन सिटी से भी विशाल है!

    June 17, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.