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    भारत

    यूएस-इसराइल-ईरान युद्ध: आरपार की साइबर वॉर का खतरा क्यों बढ़ा

    Janta YojanaBy Janta YojanaJune 23, 2025No Comments4 Mins Read
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    इसराइल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध में अमेरिका के शामिल होने के बाद साइबर हमलों का खतरा तेजी से बढ़ गया है।अमेरिका ने 21 जून को ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों- फोर्दू, न्तांज और इसफहान पर हवाई हमले किए, जिसके बाद ईरान ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियों ने चेतावनी जारी की है कि ईरानी साइबर हमले अमेरिकी बुनियादी ढांचे, जैसे बिजली, पानी, और परिवहन सिस्टम को निशाना बना सकते हैं।

    अमेरिका की कार्रवाई और ईरान का जवाब 

    राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने घोषणा की कि “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” के तहत अमेरिकी सेना ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को निशाना बनाया, जिसे अमेरिका और इसराइल ईरान के परमाणु हथियार विकसित करने की कोशिश मानते हैं। हालांकि, ईरान ने इन आरोपों का बार-बार खंडन किया है। हमलों के बाद, ईरान ने रविवार को इसराइल पर दर्जनों मिसाइलें दागीं, जिससे तेल अवीव में कई इमारतें क्षतिग्रस्त हुईं और लोग घायल हुए। ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराघची ने अमेरिकी हमलों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया, और “नतीजे” भुगतने की चेतावनी दी।

    साइबर युद्ध का बढ़ता खतरा 

    साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि ईरान और इसराइल, दोनों ही साइबर युद्ध में सक्षम देश, अब डिजिटल हमलों को तेज कर सकते हैं। रैडवेयर की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसराइल ने ईरान की वित्तीय बुनियादी संरचना पर साइबर हमले किए, जिसके जवाब में ईरान ने डिजिटल प्रचार और मनोवैज्ञानिक युद्ध शुरू किया। इसराइल के खिलाफ पहले दो दिनों में साइबर हमलों में 700% की वृद्धि देखी गई, जिसमें 30 डीडीओएस (डिनायल ऑफ सर्विस) हमले रोजाना दर्ज किए गए।

    अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने रविवार को एक बुलेटिन जारी कर “अमेरिका में बढ़ते खतरे” की चेतावनी दी। इसमें कहा गया कि ईरान से जुड़े साइबर एक्टर्स और हैक्टिविस्ट्स अमेरिकी नेटवर्क पर हमले कर सकते हैं। यदि ईरानी नेतृत्व ने जवाबी हिंसा के लिए धार्मिक आदेश जारी किया, तो हिंसक चरमपंथी स्वतंत्र रूप से हमले कर सकते हैं।

    अमेरिकी बुनियादी ढांचे पर जोखिम 

    अमेरिका में बिजली, पानी, और परिवहन जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे संचालित करने वाली संस्थाएं हाई अलर्ट पर हैं। फूड एंड एग-आईएसएसी (जिसमें हर्शे, टायसन और कॉनएग्रा जैसी कंपनियां शामिल हैं) और इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी आईएसएसी (जिसमें इंटेल, आईबीएम और एटीएंडटी शामिल हैं) ने संयुक्त रूप से चेतावनी दी कि वैश्विक डिजिटल नेटवर्क की आपस में जुड़ी प्रकृति के कारण, इसराइल पर निशाना बनाए गए हमले अनजाने में अमेरिकी कंपनियों को प्रभावित कर सकते हैं।
    अक्टूबर 2023 में हमास के इसराइल पर हमले के बाद, ईरान से जुड़े साइबर समूह साइबर एवंजर्स ने अमेरिकी बुनियादी ढांचे पर हमले किए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि संघर्ष और बढ़ता है, तो ग्लोबल सप्लाई चेन और बिजनेस भी प्रभावित हो सकते हैं।

    अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस युद्ध पर चिंता जताई है। पीएम नरेंद्र मोदी ने फौरन डी-एस्केलेशन और कूटनीति के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता की बहाली की मांग की। तुर्की के विदेश मंत्रालय ने चेतावनी दी कि अमेरिकी हमलों से क्षेत्र में युद्ध का खतरा बढ़ गया है। अमेरिकी कांग्रेस में डेमोक्रेटिक सांसद सारा जैकब्स और रिपब्लिकन सांसद थॉमस मैसी ने हमलों को असंवैधानिक बताया, क्योंकि ट्रम्प ने कांग्रेस की मंजूरी के बिना कार्रवाई की।ईरान में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और अमेरिकी हमलों के खिलाफ प्रदर्शन किए। अमेरिका में भी कई संगठनों ने युद्ध के खिलाफ प्रदर्शन किए हैं। लेकिन इसराइल आत्मरक्षा का राग अलाप रहा है, जबकि ईरान पर सबसे पहला हमला इसराइल ने ही किया है।विशेषज्ञों का मानना है कि यह संघर्ष अब साइबर मोर्चे पर तेज हो सकता है। अमेरिकी और इसराइली साइबर हमले ईरान की अर्थव्यवस्था और बुनियादी ढांचे को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि ईरान जवाबी साइबर हमलों और मिसाइल हमलों से पलटवार कर सकता है। वैश्विक साइबर सुरक्षा फर्मों ने सभी देशों से सतर्कता बढ़ाने की सलाह दी है, क्योंकि इस “हाइब्रिड युद्ध” में डिजिटल और पारंपरिक हथियार दोनों समान रूप से खतरनाक हैं।

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