अमेरिका ने पिछले हफ्ते ईरान के जिन तीन परमाणु ठिकानों पर हमला करके उन्हें नष्ट करने का दावा किया था, उसकी असलियत सामने आ गई है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम की साइटों को नष्ट नहीं किया जा सका है। यह कार्यक्रम सिर्फ कुछ महीनों के लिए ही पीछे चला गया है। सीएनएन और अमेरिका के अन्य मीडिया आउटलेट ने इस शुरुआती खुफिया आकलन को प्रकाशित कर दिया है। इस रिपोर्ट के सामने आने पर राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे फेक न्यूज़ बताते हुए इसका खंडन किया है।
अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट में क्या है
यह आकलन, जो पहले सार्वजनिक नहीं हुआ था, रक्षा खुफिया एजेंसी (डीआईए) ने तैयार किया है। डीआईए पेंटागन की खुफिया शाखा है। यह अमेरिकी सेंट्रल कमांड द्वारा हमलों के बाद किए गए युद्ध क्षति आकलन (बैटल डैमेज असेसमेंट) पर आधारित है। सूत्रों के अनुसार, हमलों से प्रभावित स्थलों और ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं पर पड़ने वाले प्रभाव का विश्लेषण अभी जारी है और नई खुफिया जानकारी मिलने पर यह बदल सकता है। चार सूत्रों से सीएनएन ने इस रिपोर्ट की पुष्टि की है।
ट्रंप और हेगसेथ के दावों में टकराव
यह शुरुआती निष्कर्ष राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बार-बार किए गए दावों के विपरीत है, जिसमें उन्होंने कहा था कि हमलों ने ईरान की परमाणु संवर्धन सुविधाओं को “पूरी तरह और पूरी तरह से नष्ट” कर दिया। रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने भी रविवार को दावा किया था कि ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएं “नष्ट” हो गई हैं। मंगलवार को ट्रंप ने फिर कहा, “मुझे लगता है कि यह पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। हमारे पायलटों ने अपने लक्ष्यों को सटीकता से भेदा है।”
यूएस हमलों का प्रभाव
आकलन के अनुसार, फोर्दू फ्यूल एनरिचमेंट प्लांट, नतान्ज एनरिचमेंट कॉम्प्लेक्स और इसफहान में मुख्य रूप से जमीन के ऊपर के ढांचों को गंभीर नुकसान पहुंचा। इनमें बिजली बुनियादी ढांचे और यूरेनियम को बम बनाने के लिए धातु में बदलने वाली कुछ सुविधाएं शामिल हैं। हालांकि, सेंट्रीफ्यूज और उच्च संवर्धित यूरेनियम को पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सका। एक सूत्र ने बताया कि ईरान ने हमलों से पहले अपने संवर्धित यूरेनियम के भंडार को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया था।
व्हाइट हाउस का जवाब
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने इस आकलन को “पूरी तरह गलत” करार देते हुए कहा कि यह “टॉप सीक्रेट” था, लेकिन खुफिया समुदाय में एक “निम्न-स्तरीय हारे हुए” शख्स द्वारा सीएनएन को लीक किया गया। उन्होंने दावा किया कि यह लीक राष्ट्रपति ट्रंप को बदनाम करने और हमले को अंजाम देने वाले पायलटों की बहादुरी को कम करने की कोशिश है। लेविट ने कहा, “हर कोई जानता है कि जब आप 14 तीस हजार पाउंड के बम सटीक निशाने पर गिराते हैं, तो वह पूरी तरह तबाह हो जाता है।”
ट्रंप ने कहा- फेक न्यूज
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर सीएनएन और न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्टों को “फर्जी खबर” बताया और कहा कि ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों पर अमेरिकी हमले “इतिहास के सबसे सफल सैन्य हमलों” में से एक थे। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा- “फर्जी समाचार। सी.एन.एन. ने असफल हो रहे न्यूयॉर्क टाइम्स के साथ मिलकर इतिहास के सबसे सफल सैन्य हमलों में से एक को बदनाम करने की कोशिश की है। ईरान में परमाणु स्थल पूरी तरह से नष्ट हो गए हैं! टाइम्स और सी.एन.एन. दोनों को जनता की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है!”
इसराइल की भूमिका
हमलों से पहले इसराइल ने कई दिनों तक ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमले किए थे, लेकिन उसने दावा किया कि काम पूरा करने के लिए अमेरिका के 30,000 पाउंड के बंकर बस्टर बमों की जरूरत थी। अमेरिकी बी-2 बॉम्बर्स ने फोर्डू और नतान्ज पर एक दर्जन से अधिक बम गिराए, लेकिन आकलन के अनुसार, इन बमों से सेंट्रीफ्यूज और यूरेनियम को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सका।
विशेषज्ञों की राय
मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के हथियार विशेषज्ञ जेफरी लुईस ने सैटलाइट चित्रों की समीक्षा के बाद कहा कि हमले ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने में सफल नहीं हुए। वहीं, ज्वाइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के चेयरमैन डैन केन ने रविवार को कहा था कि क्षति का आकलन अभी चल रहा है और यह टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी कि क्या ईरान की कुछ परमाणु क्षमताएं बरकरार हैं।
ईरान का बयान
ईरान के परमाणु प्रमुख मोहम्मद इस्लाम ने मंगलवार को कहा था कि इसराइल द्वारा उसके खिलाफ 12 दिनों तक चलाए गए गहन अभियान के बाद ईरान अपने परमाणु उद्योग को हुए नुकसान का आकलन कर रहा है। इसकी बहाली के लिए व्यवस्था की गई है। ईरान की मेहर न्यूज के अनुसार इस्लाम ने कहा, “योजना का मकसद उत्पादन और सेवाओं की प्रक्रिया में रुकावटों को रोकना है।” उन्होंने दावा किया कि तेहरान अपने परमाणु स्थलों को होने वाले नुकसान के लिए पहले से ही तैयार था।
सीएनएन, न्यूयॉर्क टाइम्स और अन्य अमेरिकी मीडिया की यह खबर मिडिल ईस्ट में तनाव को और बढ़ा सकती है, क्योंकि ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल सिविल ऊर्जा उत्पादन के लिए है। अमेरिका और इसराइल के बीच इस मुद्दे पर तालमेल और भविष्य की रणनीति पर भी सवाल उठ रहे हैं।