Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • प्रो. रविकांत पर मुक़दमा चलाने की मंजूरी देने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी पर सवाल क्यों?
    • भारतीयों को बांग्लादेश क्यों धकेला ? ममता सरकार ने कराई घर वापसी
    • ट्रंप की ईरान को धमकी, बिना शर्त आत्मसमर्पण करो
    • शांति के लिए ख़तरा बनी इसराइल की जासूसी एजेंसी मोसाद की जन्म-कथा!
    • भारत का यह मंदिर, दुनिया का सबसे बड़ा मंदिर, जिसमें एक पूरा शहर बसा है, यूरोप की वेटिकन सिटी से भी विशाल है!
    • इसराइल-ईरान युद्ध से वैश्विक अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका? जानें क्या असर होगा
    • यूएस और ईरान के बीच अहम बैठक के संकेत, किसको तेहरान भेज रहे हैं ट्रम्प
    • हैदराबाद का फलकनुमा पैलेस, मानो हिंदुस्तान की धरती पर आसमान का एक टुकड़ा उतर आया हो, लेकिन इसे बनवाने वाले नवाब को इसकी भव्यता ने कंगाल कर दिया
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » यूजीसी का नया ड्राफ्टः ये नियम कर देंगे उच्च शिक्षा का कबाड़ा
    भारत

    यूजीसी का नया ड्राफ्टः ये नियम कर देंगे उच्च शिक्षा का कबाड़ा

    By January 8, 2025No Comments6 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    उच्च शिक्षा (हायर एजुकेशन) संस्थानों में कुलपतियों (वी-सी) और फैकल्टी की नियुक्ति के संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सोमवार को नियमों का ड्राफ्ट जारी किया है। उस पर देशभर में गंभीर चिंता जताई जा रही है। दरअसल, इन प्रस्तावित नियमों के जरिये केंद्र सरकार ने वीसी और फैकल्टी की नियुक्ति में राज्य सरकारों का पूरा दखल ही खत्म करने का इंतजाम किया है। गैर बीजेपी शासित राज्यों में पहले से ही वीसी और फैकल्टी की नियुक्ति में वहां की सरकार और राज्यपाल के बीच रस्साकशी चल रही थी, कुछ मामले सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचे।

    इस मसौदे में विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति और पदोन्नति के लिए न्यूनतम योग्यता और उच्च शिक्षा के स्टैंडर्ड में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है। इतना ही नहीं इन्हें चुनने या नियुक्त करने के लिए जो कमेटियां हैं, उनके ढांचे में भी बदलाव का प्रस्ताव किया गया है।

    अभी तक राज्य सरकारों ने यह स्थिति अपनाई हुई थी कि यूजीसी के नियम उनकी उच्च शिक्षण संस्थाओं पर बाध्यकारी नहीं हैं। अगर कोई राज्य सरकार विश्वविद्यालयों को नियंत्रित करने वाले संबंधित अधिनियमों को औपचारिक रूप से अपना लेती है तो ही वो मानना बाध्यकारी होता है। लेकिन यूजीसी ने अब अपने ड्राफ्ट में प्रस्ताव किया है कि राज्यों के जो उच्च शिक्षण संस्थान नए नियमों का उल्लंघन करेंगे तो उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। यहां तक कि यूजीसी उनके डिग्री कार्यक्रम की मान्यता खत्म कर सकता है। उनके ऑनलाइन कार्यक्रम रोके जा सकते हैं। 

    यूजीसी के नए मसौदे के अनुसार, वीसी सर्च पैनल में तीन सदस्य होंगे। राज्य के गवर्नर यानी चांसलर का नामित सदस्य, यूजीसी का नामित सदस्य, सीनेट या सिंडिकेट जैसे विश्वविद्यालय के शीर्ष निकाय द्वारा नामित तीसरा सदस्य।

    मौजूदा समय में स्टेट यूनिवर्सिटीज के लिए वीसी सर्च पैनल संबंधित विश्वविद्यालय के नियम के अनुसार बनते हैं। ज्यादातर विश्वविद्यालयों में गवर्नर का नामित शख्स, सीनेट और सिंडिकेट से नामित व्यक्ति और राज्य सरकार का एक नामित कोई शख्स तीन सदस्यीय पैनल में होता है। 

    यूजीसी के पहले के दिशानिर्देशों में कहा गया था कि सभी कमेटियों में एक चौथा सदस्य, यूजीसी अध्यक्ष का नामित व्यक्ति शामिल किया जाना चाहिए। हालाँकि, कई राज्य सरकारों ने इसका कड़ा विरोध किया था, क्योंकि इससे चयन प्रक्रिया में संतुलन राज्यपाल और यूजीसी की ओर झुक जाएगा।

    “

    यूजीसी के नए नियम राज्य सरकारों की हालत को और खराब कर देंगे। क्योंकि प्रस्तावित तीन सदस्यीय पैनल में कोई राज्य सरकार का मेंबर नहीं होगा और पूरी कमेटी पर राज्यपाल और यूजीसी का कब्जा होगा। राज्यपाल और केंद्र के अधीन काम करने वाला यूजीसी अध्यक्ष जिन्हें चाहेगा वीसी बनायेगा और फैकल्टी में रखेगा।


    यह स्पष्ट है कि नया मसौदा उन राज्यों को टारगेट करने के लिए तैयार किया गया है जो राज्य विश्वविद्यालयों में राज्यपाल के हस्तक्षेप का विरोध कर रहे हैं क्योंकि राज्य सरकार का वीसी चयन प्रक्रिया में कोई दखल नहीं होगा।

    अन्ना विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी ई बालागुरुसामी का कहना है कि “यह बिल्कुल भी स्वीकार्य नहीं है कि राज्य सरकार की राज्य विश्वविद्यालय में वीसी के चयन में कोई भागीदारी नहीं होगी।” उन्होंने कहा कि यूजीसी और चांसलर पद के उम्मीदवार दोनों ही केंद्र सरकार का पक्ष लेंगे और इससे राज्यों के विश्वविद्यालयों के संचालन में बाधा आएगी।

    कई शिक्षाविद नाम न छापने की शर्त पर इसी तरह की चिंताएं साझा कर रहे हैं। उनका कहना है कि पहले तो ऐसा भी होता था कि राज्यपाल के नामित शख्स को भी वास्तव में राज्य सरकार चुनती थी। लेकिन 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद से समीकरण बदल गए क्योंकि राज्यपालों ने अपनी पसंद के उम्मीदवारों को चुनने में अपनी शक्ति का दावा करना शुरू कर दिया। 

    राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी)  को लेकर भी विवाद

    यूजीसी मसौदे में राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (एनईटी) को लेकर भी बदलाव का प्रस्ताव है। नये नियमों में प्रस्ताव किया गया है कि अब सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति के लिए इसे पास करना अनिवार्य योग्यता नहीं होगी। दिल्ली विश्वविद्यालय के अकादमिक परिषद के सदस्यों इसका दबी जुबान से विरोध किया है। इसके सदस्यों ने एक बयान जारी कर कहा कि नया भर्ती मानदंड अत्याधुनिक रिसर्च से हटकर केवल मौजूदा ज्ञान को दोहराने पर ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि मुख्य योग्यता समाप्त हो गई है।

    दिल्ली यूनिवर्सिटी एसी सदस्यों ने कहा कि किसी विषय में विशेषज्ञता को खत्म करने से फैकल्टी की गुणवत्ता में बड़े पैमाने पर कमी आएगी। नये नियम भर्ती मानदंड में सामान्य पाठ्यक्रमों का समर्थन करते हैं। कहीं कई विशेषज्ञता नहीं। यह घटियापन है।

    दिल्ली में एक मशहूर कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर ने यूजीसी के नये ड्राफ्ट नियमों पर कहा कि शैक्षणिक योग्यता, रिसर्च पेपर और शिक्षण अनुभव का दौर खत्म होने वाला है। अब भर्ती मानदंड अत्याधुनिक अनुसंधान से हटकर सिर्फ मौजूदा ज्ञान को दोहराने पर ध्यान केंद्रित करते हैं क्योंकि मुख्य योग्यता को खत्म कर दिया गया है।

    कई राज्यों में चल रहा है विवादः वीसी का पद लंबे समय से राज्य सरकारों और राज्यपालों के बीच रस्साकशी का मुद्दा रहा है। पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल में तो विवाद चरम सीमा पर जा पहुंचा था। अप्रैल 2024 में, सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस से बंगाल सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए उम्मीदवारों की सूची में से छह उपयुक्त लोगों को कुलपति नियुक्त करने को कहा।

    बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने आरोप लगाया कि राज्यपाल नियुक्तियों और पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 पर अपनी सहमति नहीं दे रहे हैं, जिससे कुलपतियों की नियुक्ति के लिए सर्च कमेटी में सदस्यों की संख्या बढ़ गई है।

    भारतीय जनता पार्टी ने इस आधार पर विधेयक का विरोध किया कि इससे पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ दल को कुलपतियों की नियुक्ति पर अधिक नियंत्रण मिल जाएगा।

    इससे पहले मई 2022 में तत्कालीन राज्यपाल जगदीप धनखड़ और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच भी ऐसा ही टकराव हुआ था जब धनखड़ ने रवीन्द्र भारती विश्वविद्यालय के लिए नया वीसी नियुक्त किया था।

    2022 में, तमिलनाडु में भी इसी तरह की खींचतान देखी गई थी जब राज्य सरकार ने 13 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति में राज्यपाल की पावर को मुख्यमंत्री को ट्रांसफर करने की मांग करते हुए दो विधेयक पारित किए थे। राज्यपाल आरएन रवि ने विधेयकों पर अपनी सहमति रोक ली।
    2023 में इन विधेयकों को फिर से अधिनियमित किया गया। तमिलनाडु में गवर्नर आरएन रवि की हठधर्मिता अभी भी जारी है।

    इससे पहले 2021 में, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन को पत्र लिखकर विश्वविद्यालयों के अधिनियमों में संशोधन करने के लिए कहा था ताकि वह चांसलर बने रह सकें। आरिफ अब बिहार के राज्यपाल बन गये हैं। दिसंबर 2022 में, कई हफ्तों के टकराव के बाद, केरल सरकार ने राज्य विश्वविद्यालयों के प्रशासन से संबंधित कानूनों में संशोधन करने और आरिफ को चांसलर पद से हटाने के लिए विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक पेश किया।

    2020 से पहले छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र में भी ऐसे ही मामले देखने को मिले थे। उस समय वहां गैरभाजपाई सरकारें थीं।

    यूजीसी के नये नियमों को लेकर आशंका यह भी जताई जा रही है कि इसके जरिये आरएसएस के लोग गैरभाजपा शासित राज्यों के विश्वविद्यालयों में भी अपनी पैठ बनायेंगे। कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में वीसी की नियुक्ति विवाद का विषय रही है। लेकिन नये नियम लागू होते ही राज्यों के विश्वविद्यालयों में केंद्र का दखल बढ़ जायेगा।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous Articleआप के ‘राजमहल’ के सामने टिक पाएगा बीजेपी का ‘शीशमहल’?
    Next Article UP Politics: यूपी कांग्रेस का संगठन सृजन कार्यक्रम शुरू, वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में सशक्त संगठन बनाने की दिशा में कदम

    Related Posts

    प्रो. रविकांत पर मुक़दमा चलाने की मंजूरी देने के लिए लखनऊ यूनिवर्सिटी पर सवाल क्यों?

    June 18, 2025

    भारतीयों को बांग्लादेश क्यों धकेला ? ममता सरकार ने कराई घर वापसी

    June 17, 2025

    ट्रंप की ईरान को धमकी, बिना शर्त आत्मसमर्पण करो

    June 17, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025

    किसान मित्र और जनसेवा मित्रों का बहाली के लिए 5 सालों से संघर्ष जारी

    May 14, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025

    बैंक ऑफ बड़ौदा में ऑफिस असिस्टेंट के 500 पदों पर निकली भर्ती, 3 मई से शुरू होंगे आवेदन

    May 3, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.