अमेरिका के ईरानी परमाणु ठिकानों पर हमलों के बाद रूसी राष्ट्रपति पुतिन के शीर्ष सहयोगी और पूर्व राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने सनसनीखेज दावा किया है। मेदवेदेव ने संकेत दिया कि कई देश अब ईरान को परमाणु हथियारों की आपूर्ति के लिए तैयार हैं। तो क्या यह संकट शांति की राह लेगा या विश्व को एक नए युद्ध के मुहाने पर खड़ा कर देगा?
इस सवाल के जवाब से पहले यह जान लें कि आख़िर पुतिन के सहयोगी ने परमाणु समर्थन को लेकर क्या कहा है। रूस के सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति दमित्री मेदवेदेव ने एक्स पर एक के बाद एक कई पोस्ट की हैं। उन्होंने कहा है कि अमेरिकी हमलों ने न केवल अपने उद्देश्य को हासिल करने में असफल रहे, बल्कि उल्टा नतीजा दिया।
दमित्री मेदवेदेव का दावा
दमित्री मेदवेदेव ने एक्स पर लिखा, ‘परमाणु ईंधन साइकल की अहम संरचनाएँ या तो प्रभावित नहीं हुईं या उनमें बहुत कम नुक़सान हुआ है। अब हम खुलकर कह सकते हैं कि भविष्य में परमाणु सामग्री का संवर्धन और परमाणु हथियारों का उत्पादन जारी रहेगा। कई देश ईरान को अपने परमाणु हथियार सीधे देने के लिए तैयार हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘इसराइल पर हमले हो रहे हैं, देश में विस्फोट हो रहे हैं, और लोग डर के मारे घबरा रहे हैं। अमेरिका अब एक नए संघर्ष में उलझ गया है और भविष्य में जमीनी कार्रवाई की संभावना दिख रही है। ईरान का राजनीतिक शासन बच गया है और संभवतः यह और भी मज़बूत होकर उभरा है। लोग देश के आध्यात्मिक नेतृत्व के इर्द-गिर्द एकजुट हो रहे हैं, जिसमें वे लोग भी शामिल हैं जो पहले इसके प्रति उदासीन या विरोधी थे।’
रूस-ईरान संबंध
रूस और ईरान के बीच सैन्य और रणनीतिक संबंध हाल के वर्षों में मज़बूत हुए हैं, खासकर यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद। हालाँकि, जनवरी 2025 में पुतिन और ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान द्वारा हस्ताक्षरित 20-वर्षीय रणनीतिक साझेदारी समझौते में रूस ने ईरान को सैन्य सहायता देने का कोई वादा नहीं किया था। फिर भी, मेदवेदेव का बयान इस संभावना को जन्म देता है कि रूस ईरान के समर्थन में अपनी स्थिति को और सख्त कर सकता है।
मेदवेदेव का यह बयान तब आया है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार देर रात घोषणा की थी कि अमेरिकी सेना ने ईरान की परमाणु सुविधाओं को ‘पूरी तरह तबाह’ कर दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि ईरान शांति नहीं बनाता तो और हमले हो सकते हैं। ईरान ने इन हमलों की पुष्टि की, लेकिन कहा कि उसके परमाणु स्थलों पर काम करने वाले कर्मचारियों को पहले ही सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया था। ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने हमलों को अंतरराष्ट्रीय क़ानून का उल्लंघन क़रार देते हुए कहा कि तेहरान जवाबी कार्रवाई के लिए सभी विकल्पों पर विचार कर रहा है।
ईरान का रूस की ओर रुख
हमलों के बाद ईरानी विदेश मंत्री अराघची ने रविवार को घोषणा की कि वह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ गहन परामर्श के लिए मॉस्को की यात्रा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘रूस के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी है और हम हमेशा एक-दूसरे के साथ परामर्श करते हैं।’ इस क़दम को ईरान द्वारा रूस से समर्थन मांगने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है, ख़ासकर तब जब मध्य पूर्व में स्थिति तेज़ी से बिगड़ रही है।
रूस के विदेश मंत्रालय ने रविवार को अमेरिकी हमलों की कड़े शब्दों में निंदा की। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘किसी संप्रभु देश पर मिसाइल और बम हमले करने का यह ग़ैर-ज़िम्मेदाराना फ़ैसला अंतरराष्ट्रीय क़ानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का खुला उल्लंघन है।’ रूस ने आक्रामकता को रोकने और स्थिति को कूटनीतिक रास्ते पर लाने की मांग की।
परमाणु ख़तरे की संभावना
रूस ने पहले ही इसराइली हमलों के संदर्भ में परमाणु जोखिम की चेतावनी दी थी। रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा था कि परमाणु सुविधाओं पर हमले दुनिया को आपदा के कगार पर ला खड़ा करते हैं। रूस ने बुशहर परमाणु संयंत्र पर हमले की आशंका जताई थी, जहाँ रूसी विशेषज्ञ काम कर रहे हैं। रूस के परमाणु ऊर्जा निगम के प्रमुख ने चेतावनी दी थी कि बुशहर पर हमला चेरनोबिल जैसी आपदा को पैदा कर सकता है।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी यानी आईएईए ने कहा कि हमलों से रेडियोधर्मी रिसाव का कोई सबूत नहीं मिला, लेकिन परमाणु सुरक्षा की स्थिति गंभीर है।
जानकारों का कहना है कि अमेरिकी हमले ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह तबाह करने में शायद सफल न हुए हों। कुछ विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि ये हमले ईरान को परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में और तेजी से धकेल सकते हैं।