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    Home » Ajmer Dargah Controversy: अजमेर दरगाह विवाद…ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती… पीएम मोदी की ‘चादर’, ये नहीं जानते होंगे आप?
    राजनीति

    Ajmer Dargah Controversy: अजमेर दरगाह विवाद…ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती… पीएम मोदी की ‘चादर’, ये नहीं जानते होंगे आप?

    By January 3, 2025No Comments4 Mins Read
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    ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती, पीएम मोदी ने भेजी चादर, अमजेर दरगाह (Pic – Social Media)

    Ajmer Dargah Controversy: शिव मंदिर विवाद के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अजमेर शरीफ दरगाह पर औपचारिक ‘चादर’ चढ़ाएंगे। इसके लिए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू और भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी को ‘चादर’ सौंपी गई है, वह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813वें उर्स पर चार जनवरी को दरगाह पर चादर चढ़ाई जाएगी। बता दें कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी अजमेर शरीफ दरगाह पर 10 बार चादर चढ़ा चुके हैं, इस साल वे इस परंपरा में 11वीं बार शामिल होंगे।

    Greetings on the Urs of Khwaja Moinuddin Chishti. May this occasion bring happiness and peace into everyone’s lives. https://t.co/vKZDwEROli

    — Narendra Modi (@narendramodi)
    January 2, 2025

    केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजू ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दरगाह पर उनकी ओर से चढ़ाई जाने वाली चादर चढ़ाने के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यह भाव प्रधानमंत्री के भारत की आध्यात्मिक विरासत और सद्भाव और करुणा के मूल्यों के प्रति गहरे सम्मान को दर्शाता है।

    वहीं, पीएम मोदी ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के उर्स पर बधाई। यह अवसर सभी के जीवन में खुशियां और शांति लाए। पिछले साल 812वें उर्स पर पीएम मोदी की ओर से तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और जमाल सिद्दीकी ने मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले प्रतिनिधिमंडल के साथ चादर चढ़ाई थी।

    अजमेर दरगाह के प्रमुख नसरुद्दीन चिश्ती (Pic - Social Media)�

    अजमेर दरगाह के प्रमुख नसरुद्दीन चिश्ती (Pic – Social Media)�

    1947 से चली आ रही परंपरा

    वहीं, सूफी फाउंडेशन और अजमेर दरगाह के प्रमुख नसरुद्दीन चिश्ती ने कहा कि प्रधानमंत्री के द्वारा चादर भेजने की परंपरा 1947 से ही चली आ रही है। पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी लगातार दरगाह पर चादर भेजते आए हैं, यह 11 वीं बार है, जब वह चादर भेज रहे हैं। इसी के साथ वह देश की संस्कृति और सभ्यता को निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम उनकी चादर का खैर-मकदम करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी कितनी अकीदत के साथ अजमेर दरगाह पर संदेश भेजेंगे, ये उन लोगों को करारा जवाब है कि हमें मंदिर-मस्जिद विवाद की जरूरत नहीं है, बल्कि इस देश को एकता और अखंडता की जरूरत है।

    28 दिसंबर से शुरु हुआ उर्स

    गौरतलब है कि हज़रत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का 813वां उर्स 28 दिसंबर 2024 से शुरु हुआ है। मान्यता है कि उर्स के दौरान ‘चादर’ चढ़ाने से मन्नतें पूरी होती हैं। भारत में सबसे अधिक सूफी स्थलों में से एक है अजमेर शरीफ दरगाह, जहां हर साल उर्स के दौरान लाखों श्रद्धालु आते हैं। यह आयोजन ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की पुण्यतिथि के पर मनाया जाता है।

    कौन थे ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती?

    ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती एक सूफी संत और दार्शनिक थे। उनका जन्म 1143 ई. में ईरान के सिस्तान में हुआ था। बचपन से बचपन से ही धर्मपरायण दयालु स्वभाव के थे। किशोरावस्था में ही उनके पिता की मौत हो गई थी। इसके बाद ही वह आध्यात्म से जुड़ गए थे। कहा जा रहा है कि ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती 1192 में मोहम्मद गौरी के साथ भारत आए थे। यहां उनकी मुलाकात प्रसिद्ध संत हजरत ख्वाजा उस्मान से हुई थी। उन्होंने मोइनुद्दीन चिश्ती को अपना शिष्य बना लिया था। इसके बाद मोइनुद्दीन चिश्ती ने अजमेर को अपना केंद्र बना लिया।

    ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Pic - Social Media)

    ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Pic – Social Media)

    ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की मृत्यु 1236 ई. में हुई। उन्हें अजमेर में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। उनकी कब्र (दरगाह) को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती अजमेर शरीफ दरगाह के नाम से जाना जाता है। उनकी दरगाह पर इल्तुतमिश, अकबर, रजिया सुल्ताना, जहांगीर, शाहजहाँ, औरंगज़ेब आदि ने भी जियारत की थी।

    क्या है विवाद?

    बता दें कि अजमेर शरीफ दरगाह पिछले साल विवाद का विषय बन गई थी, जब 27 नवंबर को अजमेर की एक स्थानीय अदालत ने एक सिविल मुकदमे में तीन पक्षों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के भीतर एक शिव मंदिर मौजूद है। 20 दिसंबर को अजमेर शरीफ दरगाह समिति ने कोर्ट आवेदन दाखिल करके दरगाह के नीचे मंदिर के अस्तित्व का आरोप लगाने वाली याचिका को खारिज करने का आग्रह किया गया। इस मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को होगी।�

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