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    Home » Bandhavgarh Fort History: 2000 साल पुराने इतिहास के साक्ष्य देखने के साथ बेहद रोमांचक कर देने वाली है बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की जंगल सफारी
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    Bandhavgarh Fort History: 2000 साल पुराने इतिहास के साक्ष्य देखने के साथ बेहद रोमांचक कर देने वाली है बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान की जंगल सफारी

    By December 20, 2024No Comments7 Mins Read
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    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    Bandhavgarh Fort History Wiki in Hindi: आप इस समय अगर अपने फैमिली और फ्रेंड्स के साथ एक शानदार विंटर डेस्टिनेशन ट्रिप प्लान कर रहें हैं तो बांधवगढ़ की यात्रा आपकी उम्मीद पर पूरी तरह से खरी उतरने वाली साबित होगी। बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश का एक प्रमुख वन्यजीव अभ्यारण्य है। यह उद्यान बाघों की बड़ी संख्या के लिए मशहूर है, जहां उन्हें देखने का सबसे अच्छा मौका मिलता है। यहां कई अनोखी और अद्वितीय प्रजातियों के पक्षी, तेंदुए, हिरण और अन्य वन्यजीव भी पाए जाते हैं। भारत का सबसे पुराना किला, बांधवगढ़ किला रामायण में श्री राम की पौराणिक कथा को उजागर करता है। आइए जानते हैं बांधवगढ़ से जुड़े पर्यटन स्थलों के बारे में –

    प्राचीन बांधवगढ़ किला

    मध्य प्रदेश में बांधवगढ़ पौराणिक महत्व का स्थान है। इस किले का नाम शिवपुराण में मिलता है। इस किले को रीवा के राजा विक्रमादित्य सिंह ने बनवाया था। प्राचीन बांधवगढ़ किला बहुत सारे रहस्यों से भरा हुआ है। बांधवगढ़ का इतिहास 2000 साल पुराना है। आपको यहां शिलालेखों और शैल चित्रों के साथ कई मानव निर्मित गुफाएं मिलेंगी। कभी महाराजाओं का शिकारगाह रहा बांधवगढ़ अब बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान है और पौराणिक महत्व से संबंधित इस जगह के बारे में यह मान्यता भी है कि, श्री राम रावण से युद्ध जीतने के बाद अपने राज्य वापस लौटने पर इस स्थान पर रुके थे और बांधवगढ़ किला लक्ष्मण को उनके बड़े भाई भगवान राम ने लंका पर नजर रखने जिम्मेदारी के साथ उपहार में दिया था। इसलिए इस किले का नाम बांधवगढ़ रखा गया क्योंकि ‘बांधव’ का मतलब भाई और ‘गढ़’ का मतलब किला होता है।

    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    बांधवगढ़ किले के आस पास

    जंगल सफारी के अलावा, कई अन्य आकर्षण स्थान हैं। जिनका आनंद पर्यटक बांधवगढ़ आकर अपनी यात्रा के दौरान ले सकते हैं। उनमें बांधवगढ़ किला पार्क में 32 पहाड़ियों के केंद्र में स्थित है, जिसकी चट्टानें 800 मीटर तक ऊँची हैं। किले के अंदर और आसपास कई गुफाएँ हैं जो प्रागैतिहासिक काल की हैं।

    बघेल संग्रहालय

    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    बांधवगढ़ में बघेल संग्रहालय एक ऐसी जगह है, जहाँ आपको इस जंगल सफारी की यात्रा के दौरान जरूर जाना चाहिए। यह संग्रहालय खासतौर से महाराजा रीवा की संपत्ति को संरक्षित और प्रदर्शित करता है। बांधवगढ़ का बघेल संग्रहालय एक शानदार शाही हवेली है, जहाँ रीवा के महाराजा से जुडी कई वस्तुओं को उनकी विरासत को प्रदर्शित करने के लिए बरकरार रखा गया है। इस संग्रहालय में मोहन नामक पहले सफेद बाघ का संरक्षित शरीर भी रखा हुआ है जिसे रीवा के महाराजा द्वारा यहां लाया गया था। यहां पर महाराजा द्वारा शिकार के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले प्राचीन उपकरणों को भी संरक्षित किया गया है। संग्रहालय में महाराजा द्वारा जिसे बांधवगढ़ घूमने आने वाले लोग ज़रूर देखना पसंद करते हैं।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान

    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    अगर आप बड़ी बिल्ली यानी चीतों को बेहद करीब से देखना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश का बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान घूमने के लिए सबसे अच्छी जगह है। यह भारत में बाघों के लिए सबसे बेहतरीन निवास स्थान है, यहाँ रॉयल बंगाल टाइगर्स की संख्या दुनिया में सबसे ज़्यादा है। दुनिया के सभी सफ़ेद बाघों की जड़ें बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से जुड़ी हैं। मध्य प्रदेश का बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भारत का पहला ऐसा उद्यान है, जिसने पर्यटकों के लिए ’हॉट एयर बैलून सफारी’ शुरू की है। अब आप बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के अनदेखे रत्नों को उसके सबसे शानदार रूप में देख सकते हैं। प्रतिबंधित बफर जोन और कोर जोन का हवाई दृश्य सफारी प्रेमियों के लिए एक विशेष अनुभव होगा। ऐसा कहा जाता है कि यहां आकर खतरनाक बाघों को नजदीक से देखना आपके जीवन का बेहद रोमांचक क्षण हो सकता है।बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान को कोर और बफर जोन में बांटा गया है। कोर जोन बाघ अभयारण्य का मध्य भाग है और इसे तीन जोन में बांटा गया है।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के तीन कोर जोन ताला, मगधी और खितौली हैं जो 716 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले हुए हैं। बफर जोन को भी तीन जोन में बांटा गया है – धमोखर, जोहिला (कलवा) और पनपथा (पचपेड़ी) जो शेष 820 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं। ताला, मगधी और खितौली बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य कोर जोन हैं, जहां जीप सफारी सबसे ज्यादा पसंद की जाती है।सुबह और शाम की सफारी सबसे अच्छी होती हैं, क्योंकि इस समय जानवर अधिक सक्रिय होते हैं वहीं बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में सफारी करना एक अनोखा अनुभव हो सकता है। यहां आप जीप या हाथी वाली सफारी कर सकते हैं, जो आपको जंगल की उन गहराईयों में ले जाती हैं।जहां तक जाकर आप दुनिया के एक बेहद अनोखे यादगार पलों को अनुभव करते हो।

    गांव ताला बांधवगढ़

    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    ताला गांव बांधवगढ़ में पर्यटकों द्वारा देखी जाने वाली सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली जगहों में से एक है। यह एक भारतीय गांव की पूरी झलक दिखाता है जो आज भी सबसे ज़्यादा जातीय जीवनशैली को दर्शाता है। इस गांव में एक दिन बिताने के दौरान पर्यटक कई मनमोहक नज़ारे देख सकते हैं। साधारण घर, मिट्टी के गुच्छेदार घर, खाट पर बैठे हुक्का पीते बुज़ुर्ग ऐसे शानदार नज़ारे हैं जो समय को थाम देते हैं। बांधवगढ़ का सबसे निचला इलाका- ताला गांव अपने आस-पास कई मनमोहक नज़ारे लेकर आता है। इसके साथ ही गांव में घूमने के दौरान पर्यटक गांव में शानदार ठहरने के लिए अलग-अलग होटल और रिसॉर्ट पा सकते हैं।

    • ताला गांव बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान के पास स्थित एक छोटा-सा गांव है। यहां आकर आप स्थानीय लोगों की संस्कृति और जीवनशैली को करीब से देख सकते हैं।
    • यहां कई छोटे-छोटे बाजार हैं, जहां आप स्थानीय हस्तशिल्प खरीद सकते हैं। इस गांव में घूमते हुए आप ग्रामीण जीवन का अनुभव कर सकते हैं और यहां के लोगों की सरलता और आतिथ्य का आनंद ले सकते हैं।
    • ताला गांव की यात्रा आपकी बांधवगढ़ यात्रा को और भी यादगार बना देगी।

    शेष शैय्या – विष्णु प्रतिमां स्थल

    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    Bandhavgarh Fort (Image Credit-Social Media)

    यहां पर शेष शैय्या नाम से मशहूर स्थल पर शेष नाग पर लेटे भगवान विष्णु की एक भव्य प्रतिमा 10वीं शताब्दी से ज्यों की त्यों मौजूद है और यह पर्यटकों को खासतौर से आकर्षित करती है। भगवान विष्णु की प्रतिमा के अलावा, ब्रह्मा और शिव शिवलिंग को दर्शाती प्रतिमाएँ भी यहां मौजूद हैं, जो पवित्र त्रिमूर्ति को पूरा करती हैं। यहां चरण गंगा नदी भगवान विष्णु के पैर से निकलती है। स्थानीय लोग साल में दो बार बांधवगढ़ किले में स्थित राम-सीता मंदिर तक नंगे पैर चलते हुए जाते हैं। क्लाइंबर्स पॉइंट इस जगह की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता का शानदार नज़ारा पेश करता है।बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान भारत में सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव स्थलों में से एक है। भारत के मध्य प्रदेश राज्य के, उमरिया जिले में स्थित राष्ट्रीय उद्यान वास्तव में आकर्षण का केंद्र है।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान ने मुख्य रूप से रॉयल बंगाल टाइगर्स की समृद्ध आबादी के कारण पर्यटकों, विशेष रूप से वन्यजीव खोजकर्ताओं के बीच पहचान हासिल की है। बांधवगढ़ मध्य प्रदेश में बाघों की सबसे अधिक आबादी का निवास स्थान है, जो इसे यात्रियों के बीच एक पसंदीदा स्थान बनाता है। बाघों के साथ-साथ यहाँ कई अन्य प्रकार के जंगली जानवर और पक्षी भी हैं। हालाँकि, तथ्य यह है कि बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान केवल वनस्पतियों, जीवों और पक्षी-पक्षियों की प्रचुर आबादी के कारण ही प्रसिद्ध नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय उद्यान के घने जंगल के अंदर संस्कृति, इतिहास और पौराणिक कथाओं का मिश्रण भी मौजूद है जो बांधवगढ़ सफारी अभियान का एक अभिन्न अंग बन जाता है।

    कैसे पहुंचे

    कटनी रेलवे स्टेशन के बाद उमरिया सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन है, वहां से नेचर हेरिटेज तक लगभग 40 मिनट की ड्राइव है। वैकल्पिक रूप से, दिल्ली से उमरिया के लिए रात भर की ट्रेन लें और पार्क तक ड्राइव (30 मिनट) करें । केवल जीप ही स्थानान्तरण के लिए उपलब्ध हैं। खजुराहो / बांधवगढ़ की दूरी 250 किलोमीटर है, (8 घंटे की ड्राइव)।

    बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान का निकटतम हवाई अड्डा जबलपुर हवाई अड्डा है, जो उद्यान से लगभग 184 किमी दूर स्थित है। जबलपुर हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई और कोलकाता जैसे प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। हवाई अड्डे से, आगंतुक टैक्सी किराए पर ले सकते हैं या बांधवगढ़ की आगे की यात्रा के लिए निजी वाहन ले सकते हैं।

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