
BJP appoints ‘state election officers’
BJP appoints ‘state election officers’
BJP appoints ‘state election officers’: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने संगठनात्मक चुनावों को रफ़्तार देने के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए बीते शुक्रवार को महाराष्ट्र, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में ‘राज्य चुनाव अधिकारी’ नियुक्त किए हैं। पार्टी ने इन राज्यों के संगठनात्मक चुनावों पर नज़र बनाकर रखने के लिए वरिष्ठ केंद्रीय नेताओं को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है।
इन्हें किया गया राज्य चुनाव के रूप में नियुक्त
भाजपा के राष्ट्रीय निर्वाचन अधिकारी लक्ष्मण ने एक बयान में बताया कि केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू को महाराष्ट्र, हर्ष मल्होत्रा को उत्तराखंड और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को पश्चिम बंगाल का राज्य चुनाव अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया है। ये नेता न केवल राज्य अध्यक्षों के चुनाव बल्कि राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के चुनाव की पूरी प्रक्रिया पर गंभीरता से नज़र बनाकर रखेंगे।
जे.पी. नड्डा के उत्तराधिकारी के चुनाव के मार्ग में एक कोशिश
भाजपा का यह बड़ा कदम मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा के उत्तराधिकारी के चुनाव के मार्ग में एक निर्णायक कोशिश माना जा रहा है। नड्डा का कार्यकाल जनवरी साल 2023 में समाप्त होना था, लेकिन साल 2024 के आम चुनावों को ध्यान में रखते हुए इसे बढ़ाया गया था। अब पार्टी बहुत जल्द ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को आखिरी रूप देने की तैयारी में जुट गयी है।
14 राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है
भाजपा के पास कुल 37 संगठनात्मक राज्य इकाइयाँ हैं। पार्टी संविधान के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है जब कम से कम 19 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो चुके हों। अब तक 14 राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जबकि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात जैसे प्रमुख राज्यों में चुनाव प्रक्रिया अभी लंबित है। हालांकि, जनवरी महीने में इन राज्यों के लिए भी राज्य चुनाव अधिकारी नियुक्त किए जा चुके हैं।
भविष्य की रणनीति
यह पूरी कवायद भाजपा के संगठनात्मक ढांचे को बजबूती देने के लिए और भविष्य की रणनीति को धार देने के मार्ग में एक बड़ा कदम है। पिछले साल सितंबर महीने में शुरू हुआ सदस्यता अभियान इस प्रक्रिया की पहली कड़ी था, जो अब संगठनात्मक चुनावों के आखिरी चरण में पहुंच चुका है।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में संगठनात्मक मजबूती, संसदीय चुनावों में प्रदर्शन और क्षेत्रीय संतुलन जैसे कई कारकों को गंभीरता से लिया जाएगा। ऐसे में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा की गई ये नियुक्तियाँ भविष्य के राजनीतिक समीकरणों का मार्ग भी तय कर सकती हैं।