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    Home » Divorce Temple History: जापान का तलाक मंदिर, जहां महिलाओं को मिलता है सहारा, रोचक है इतिहास
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    Divorce Temple History: जापान का तलाक मंदिर, जहां महिलाओं को मिलता है सहारा, रोचक है इतिहास

    By January 6, 2025No Comments4 Mins Read
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    Divorce Temple (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    Divorce Temple: आमतौर पर आपने अनेक ऐसे मंदिर देखे होंगे जहां वैवाहिक जोड़े अपने जीवन में खुशियां लाने के लिए देवी देवताओं से आशीर्वाद लेने जाते हैं। ताकि उनके जीवन में शुभता बनी रहे। वहीं, एक मंदिर ऐसा भी जहां शादी के बाद लोग आशीर्वाद लेने के लिए नहीं बल्कि की यहां लोग अपनी शादी तोड़ने के बाद आते हैं। तलाक की पीड़ा सह रही महिलाओं के लिए एक बड़ा सहारा बन चुका है यह- ‘डिवोर्स टेंपल’। आइए जानते हैं इस मंदिर की खूबियों के बारे में-

    इतने समय तक महिलाओं को इस मंदिर में मिलता हैं आसरा

    डिवोर्स टेंपल में महिलाओं को रहने के लिए इस मंदिर की संस्था द्वारा एक निश्चित समय सीमा निर्धारित की गई है। जिस नियम के तहत अपने पतियों को तलाक देने के बाद महिलाएं यहां कम से कम से तीन साल तक ठहर सकती हैं।

    मिलती है आत्मनिर्भरता की शिक्षा

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    तलाक शुदा महिलाओं को मजबूत आसरा प्रदान करने से लेकर उनकी रोजी रोजगार का प्रबंध करने के लिए, उन्हें सशक्त बनाने के लिए तीन साल तक कई तरह के हुनर सीखने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है। यह मंदिर अब तक कई महिलाओं को आत्मनिर्भर बना चुका है। हालांकि अब इस अवधि को घटाकर दो साल कर दिया गया है। अपने जीवन से हताश हो चुकीं महिलाएं यहां रह कर रोजगार का हुनर सीखने के साथ शारीरिक और मानसिक रूप से भी स्वस्थ हो रहीं हैं।

    कई सालों तक इस मंदिर में केवल तलाक शुदा आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग की महिलाओं को ही रहने की अनुमति प्रदान की जाती थी। वहीं 1902 में इस मंदिर में तलाकशुदा पुरुषों के लिए भी एक अलग स्थान तैयार किया गया है। इस मंदिर में अब महिला मठाधीश के अलावा अब एक पुरुष मठाधीश की भी नियुक्ती की गई है। जिसके उपरांत यहां तलाकशुदा पुरुषों को रोजगार से जोड़ने के साथ यहां आश्रय भी प्रदान किया जा रहा है।

    700 वर्ष पुराना है इस मंदिर का इतिहास (Divorce Temple History In Hindi)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    इस अजूबा ’डिवोर्स टेंपल’ का निर्माण 700 वर्ष पहले जापान के कामाकुरा शहर (Divorce Temple In Kamakura) में हुआ था। इस मंदिर से जुड़ा इतिहास भी इतना ही पुराना है। ’तलाक मंदिर’ के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर का निर्माण बौद्ध संप्रदाय से जुड़ी एक क्रिश्चन नन काकुसन ने अपने पति होजो टोकीमून के साथ मिलकर करवाया था। जब महिलाओं के पास कोई भी कानूनी अधिकार नहीं होते थे, उनकी शिक्षा और रोजगार के विकल्प भी बेहद सीमित थे। इसके अलावा उस समय महिलाओं के पास शादी के बाद तलाक लेना भी कोई आसान काम नहीं होता था। जबकि पुरुषों के ऊपर ऐसी कोई बाध्यता नहीं थी। वे अपनी मर्जी से कभी भी पत्नी को तलाक दे सकते थे।

    डिवोर्स मंदिर की संस्थापक काकुसन जो कि खुद एक ऐसी ही तकलीफों से होकर गुजर रहीं थीं। उन्होंने तलाक लेने वाली महिलाओं की तकलीफ को देखते हुए एक ऐसा स्थान बनाने का फैसला किया जहां महिलाएं अपने पतियों से अलग होकर आत्मनिर्भर होकर बिना किसी कष्ट के रह सकें।

    महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है यह मंदिर

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    जापान का यह मंदिर महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) का प्रतीक है। इसका प्रमुख कारण है कि यह मंदिर घरेलू हिंसा (Domestic Violence) या अत्याचार का शिकार हुई महिलाओं के लिए एक आश्रय स्थल कहा जाता है। मान्यता है कि पुराने समय में, जब जापान के समाज में महिलाओं के अधिकार बहुत कम थे, तब इस मंदिर की स्थापना की गई थी। आज भी जापान का यह मंदिर महिला सशक्तिकरण का प्रतीक है।

    उस समय जब जापान में महिलाओं के पास अपनी सुरक्षा के मौलिक अधिकार नहीं थे, तब पुरुषों का अपनी पत्नियों को तलाक देना बहुत आम बात थी। तब इस मंदिर में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं आश्रय की तलाश में आती थीं। यहां उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से ठीक होने के लिए सही माहौल और सोशल सपोर्ट मिलता था।

    महिलाओं को अध्यात्म से भी जोड़ता है यह मंदिर

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    यह मंदिर आज भी उन सभी महिलाओं के लिए सुरक्षा का प्रतीक है जो किसी भी तरह के अत्याचार का सामना कर रही हैं। ये ’डिवोर्स टेंपल’ (Divorce Temple) हर उस महिला के लिए लोकप्रिय आश्रय स्थल बन चुका है, जो अपने वैवाहिक जीवन से खुश नहीं थी। अत्याचार का शिकार बन रही थी। इस मंदिर में उन्हें आर्थिक और मानसिक सुरक्षा मिलने के साथ उनके खुशनुमा माहौल देने के लिए उन्हें आध्यात्म से भी जोड़ने का प्रयास किया जाता है।

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