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    Home » Duniya Ka Azab Gajab Desh: विदेशी धरती में भारतीयों द्वारा बसाया गया शहर, आइए जानें भारत से जुड़े एक ऐतिहासिक नगर की कहानी
    Tourism

    Duniya Ka Azab Gajab Desh: विदेशी धरती में भारतीयों द्वारा बसाया गया शहर, आइए जानें भारत से जुड़े एक ऐतिहासिक नगर की कहानी

    By February 4, 2025No Comments6 Mins Read
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    Duniya Ka Azab Gajab Desh Aden (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    Duniya Ka Azab Gajab Desh Aden: आदेन, जो भारत से 3,708 किलोमीटर दूर समुद्र पार स्थित है, कभी भारतीय व्यापार और रणनीतिक गतिविधियों का एक प्रमुख केंद्र हुआ करता था। यह एक बंदरगाह शहर (Port City) है, जो व्यापारिक और सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। आज यह यमन (Yemen) का हिस्सा है। लेकिन ऐतिहासिक रूप से इसका भारत से गहरा संबंध रहा है। प्राचीन काल से ही यह नगर तेल और मसाला व्यापार के लिए प्रसिद्ध था और भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में इसका विशेष स्थान था। स्वतंत्रता के बाद, इसका भू-राजनीतिक परिदृश्य बदल गया। यह अब यमन के प्रमुख शहरों में से एक बन चुका है।

    भौगोलिक और रणनीतिक महत्व (Geographic And Strategic Importance)

    आदेन अरब सागर के प्रमुख समुद्री मार्ग के पास स्थित है, जिसने इसे व्यापारिक और सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाया है। इसकी भौगोलिक स्थिति ने इसे सदियों से एक महत्वपूर्ण बंदरगाह के रूप में स्थापित किया। भारतीय इतिहास में भी इस नगर की अहम भूमिका रही है, क्योंकि यह भारत और पश्चिम एशिया के बीच व्यापार का प्रमुख केंद्र था।

    आदेन का प्राचीन इतिहास (Aden Ancient History In Hindi)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    आदेन का इतिहास उसके रणनीतिक स्थल के कारण अत्यंत समृद्ध और प्रभावशाली रहा है। यह शहर हजारों वर्षों से व्यापार और वाणिज्य का एक प्रमुख केंद्र रहा है। दक्षिणी यमन के तट पर स्थित होने के कारण, यह व्यापार मार्गों के लिए एक आदर्श स्थान था। विशेष रूप से, आदेन मसालों, तेल और अन्य व्यापारिक वस्तुओं के निर्यात में अग्रणी रहा है। यमनी सम्राटों ने इसे अपनी राजधानी के रूप में भी स्थापित किया था, जिससे इसका राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व और बढ़ गया।

    रोमनों और यूनानियों के युग में एडन

    रोमन साम्राज्य के दौर में, एडन का महत्व बढ़ गया क्योंकि यह लाल सागर और हिंद महासागर के बीच व्यापार मार्ग का एक प्रमुख केंद्र था। यूनानी और रोमन यात्री इस बंदरगाह का उपयोग भारत और अन्य पूर्वी देशों के साथ व्यापार के लिए करते थे।

    इस्लाम के आगमन के बाद एडन

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    7वीं शताब्दी में इस्लाम के आगमन के बाद, एडन तेजी से इस्लामी दुनिया का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गया। उमय्यद और अब्बासी खलीफा इस बंदरगाह को नियंत्रित करने की कोशिश करते रहे क्योंकि यह अरब व्यापारिक मार्गों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण था।

    मध्यकालीन युग में एडन

    13वीं और 14वीं शताब्दी में एडन का स्वर्ण युग रहा। यह शहर व्यापार, जहाज निर्माण और इस्लामी संस्कृति का एक प्रमुख केंद्र बन गया था। मंगोल आक्रमणों के दौरान जब बगदाद नष्ट हो गया, तब कई विद्वान और व्यापारी एडन की ओर प्रवास कर गए, जिससे शहर की समृद्धि और बढ़ी।

    पुर्तगालियों और तुर्कों का प्रभुत्व

    15वीं शताब्दी के अंत में, यूरोपीय शक्तियों ने हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी। पुर्तगाली जहाजों ने 16वीं शताब्दी की शुरुआत में एडन पर आक्रमण किया।,लेकिन स्थानीय शासकों ने प्रतिरोध किया। जल्द ही, ओटोमन साम्राज्य ने इस क्षेत्र में अपना प्रभाव जमाया और एडन को अपने नियंत्रण में ले लिया।

    ब्रिटिश शासन और आदेन

    ब्रिटिश शासन के दौरान, 1839 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने आदेन पर कब्जा कर लिया और इसे भारत के एक प्रशासनिक क्षेत्र के रूप में स्थापित किया। ब्रिटिशों ने इसे एक महत्वपूर्ण नौसैनिक और व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया। 1937 में, इसे ब्रिटिश भारत से अलग कर क्राउन कॉलोनी का दर्जा दिया गया, जो 1963 तक बरकरार रहा।

    इस क्राउन कॉलोनी में बंदरगाह शहर आदेन और उसके आसपास का 192 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल था। ब्रिटिश शासन के तहत, शहर की आर्थिक और प्रशासनिक संरचना में व्यापक सुधार किए गए।इस समय, ब्रिटिश प्रशासन ने बड़ी संख्या में भारतीयों को एडन में बसने के लिए प्रेरित किया, जिससे यह एक बहुसांस्कृतिक शहर बन गया। भारतीय व्यापारी, श्रमिक, डॉक्टर और अन्य व्यवसायी एडन में बड़ी संख्या में बस गए और उन्होंने यहां की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस वजह से एडन को भारतीय प्रवासियों द्वारा बसाया गया एक प्रमुख विदेशी शहर माना जाता है।

    द्वितीय विश्व युद्ध और एडन (World War II and Aden)

    द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान, एडन एक महत्वपूर्ण नौसैनिक अड्डा बन गया। यह ब्रिटिश सेना के लिए एक प्रमुख केंद्र था और युद्ध के दौरान इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही। युद्ध के बाद, एडन धीरे-धीरे राष्ट्रीयता और स्वतंत्रता आंदोलनों का केंद्र बनने लगा।

    यमनी स्वतंत्रता आंदोलन और एडन (Yemeni Independence Movement And Aden)

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    1960 के दशक में, एडन में ब्रिटिश विरोधी आंदोलन तेज हुआ। 1967 में, दक्षिण यमन को स्वतंत्रता मिली और एडन को नई गणराज्य की राजधानी बनाया गया। हालाँकि, जल्द ही यह क्षेत्र राजनीतिक अस्थिरता और संघर्षों का शिकार हो गया।

    भारत और आदेन के संबंध (India and Aden Relations)

    आदेन और भारत के संबंध व्यापार, सामरिक गतिविधियों और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर आधारित रहे हैं। भारतीय व्यापारियों ने आदेन के तेल उत्पादन और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान दिया। भारतीय समुदाय यहां व्यापार, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय रहा। उन्होंने आदेन की अर्थव्यवस्था को मजबूती दी।

    भारतीय नागरिकों ने यहां व्यापारिक गतिविधियों के साथ-साथ सांस्कृतिक समन्वय भी स्थापित किया। समुद्री व्यापार के माध्यम से भारत और आदेन के बीच आर्थिक संबंध गहरे होते गए, जिससे दोनों देशों के बीच व्यापारिक साझेदारी मजबूत हुई।

    आदेन का विभाजन और यमन में विलय

    1967 में, आदेन ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की और यमन का हिस्सा बन गया। इसके बाद से, यह शहर यमन सरकार के प्रशासन के अधीन है।� यमन सरकार ने इसे व्यापार और उद्योग का केंद्र बनाए रखने के लिए कई प्रयास किए हैं।

    आधुनिक आदेन और उसकी अर्थव्यवस्था

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    वर्तमान में, आदेन यमन का एक प्रमुख बंदरगाह और औद्योगिक केंद्र है। यहाँ समुद्री व्यापार, तेल और गैस का निर्यात और अन्य व्यावसायिक गतिविधियाँ प्रमुख रूप से संचालित होती हैं।

    यहाँ के प्रमुख उद्योगों में:

    तेल और गैस निर्यात

    वस्त्र उद्योग

    मिश्रित धातु उत्पादन

    खाद्य प्रसंस्करण उद्योग शामिल हैं।

    एडन को ‘विदेश में शहर’ कहे जाने के पीछे कई कारण हैं

    (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

    भारतीयों की बड़ी आबादी: ब्रिटिश शासन के दौरान एडन में भारतीयों की एक बड़ी आबादी बस गई थी, जिससे यह विदेश में एक भारतीय शहर जैसा महसूस होता था।

    भारतीय संस्कृति और व्यापार: एडन में भारतीय व्यापारियों और व्यावसायिक संस्थानों की भरमार थी, जिससे भारतीय संस्कृति का व्यापक प्रभाव पड़ा।

    शैक्षिक और सामाजिक योगदान: भारतीय समुदाय ने एडन में स्कूल, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे और अन्य सामाजिक संस्थानों की स्थापना की, जिससे यह एक संगठित प्रवासी समाज बन गया।

    प्रवास और पुनर्वास: ब्रिटिश शासन के अंत के बाद भी, कई भारतीय परिवार एडन में ही बसे रहे, हालांकि कुछ बाद में अन्य देशों में चले गए।

    संस्कृति और जीवनशैली: भारतीय त्योहारों, खानपान और रीति-रिवाजों का प्रभाव एडन में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता था, जिससे यह भारतीयों के लिए एक विदेशी, लेकिन आत्मीय शहर बन गया।

    एडन का इतिहास संघर्षों, विजय, व्यापार और सांस्कृतिक समृद्धि से भरा हुआ है। यह शहर सदियों से विभिन्न सभ्यताओं के प्रभाव में रहा है। आज भी अपनी ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्ता बनाए हुए है। भारतीयों के बड़े पैमाने पर बसने के कारण इसे ‘विदेश में शहर’ की संज्ञा दी गई। भविष्य में, यदि शांति और स्थिरता बहाल होती है, तो एडन फिर से एक महत्वपूर्ण वैश्विक व्यापार केंद्र के रूप में उभर सकता है।

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