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    Home » Haunted Railway Station: आखिर क्यों पिछले 92 वर्षों से यहाँ एक भी ट्रेन नहीं रुकी? जानिए कंकालगढ़ रेलवे स्टेशन की भूतिया कहानी
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    Haunted Railway Station: आखिर क्यों पिछले 92 वर्षों से यहाँ एक भी ट्रेन नहीं रुकी? जानिए कंकालगढ़ रेलवे स्टेशन की भूतिया कहानी

    Janta YojanaBy Janta YojanaMay 1, 2025No Comments5 Mins Read
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    Haunted Story Of Kankal Garh Railway Station 

    Haunted Story Of Kankal Garh Railway Station 

    Haunted Story Of Kankal Garh Railway Station: भारत का भूभाग अपनी ऐतिहासिक धरोहर और रहस्यमय स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। इन स्थानों में से एक है कंकालगढ़, जो एक वीरान और प्रेतवाधित रेलवे स्टेशन के रूप में जाना जाता है। कंकालगढ़ की कहानी रहस्य और रोमांच से भरपूर है, जो सदीयों से लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है। यह स्टेशन न केवल अपनी भूतिया घटनाओं के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि इसका इतिहास भी उतना ही दिलचस्प और रहस्यमय है। इस लेख में हम कंकालगढ़ के इतिहास, यहां घटित होने वाली रहस्यमय घटनाओं, और इसकी वर्तमान स्थिति पर विस्तार से चर्चा करेंगे

    कंकालगढ़ का भूगोलिक विवरण

    कंकालगढ़ राजस्थान(Rajasthan) राज्य में अरावली पर्वतमाला(Aravali Mountain Ranges) के बीच स्थित एक छोटा सा गाँव है। यह क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है।

    ब्रिटिश शासन(British Period) के दौरान, भारत में रेलवे नेटवर्क का विस्तार तेजी से हुआ, जिससे कई नए रेलवे स्टेशनों का निर्माण हुआ। कंकालगढ़ रेलवे स्टेशन भी इन्हीं में से एक था, जिसका उद्देश्य आसपास के क्षेत्रों में यातायात सुविधा प्रदान करना था।

    कंकालगढ़ रेलवे स्टेशन का निर्माण और प्रारंभिक दिन 

    19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में निर्मित कंकालगढ़ रेलवे स्टेशन (Kankal Garh Railway Station) अपने समय में एक महत्वपूर्ण यातायात केंद्र था। यह स्टेशन न केवल यात्रियों के आवागमन के लिए उपयोगी था, बल्कि मालगाड़ियों के संचालन से स्थानीय व्यापार और कृषि को भी बढ़ावा मिला।

    स्टेशन के आसपास के गाँवों के लोग नियमित रूप से इस सुविधा का लाभ उठाते थे, जिससे क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियाँ जीवंत बनी रहती थीं। यहाँ से होकर गुजरने वाली गाड़ियों ने व्यापारिक आदान-प्रदान को आसान बनाया, जिससे स्थानीय बाजारों और व्यवसायों को मजबूती मिली।

    दुर्घटना और रहस्यमय घटनाओं की शुरुआत 

    27 फरवरी 1931 को स्वतंत्रता सेनानी चंद्रशेखर आज़ाद की शहादत के बाद, 13 मार्च को विद्रोही किसानों से भरी एक ट्रेन इलाहाबाद की ओर जा रही थी। कहा जाता है कि इस ट्रेन को कंकालगढ़ स्टेशन पर रोक दिया गया, जहाँ अंग्रेज़ी सैनिकों ने निर्दयता से किसानों का नरसंहार किया। इस अमानवीय घटना में कुछ किसानों को पेड़ों से लटकाकर फांसी दी गई, कुछ को नहर में फेंककर डुबा दिया गया, और कई को रेलवे ट्रैक पर लिटाकर ट्रेन से कुचल दिया गया। इस भयानक हत्याकांड में लगभग 1300 से अधिक निर्दोष लोग मारे गए थे।

    इस वीभत्स घटना के बाद, कहा जाता है कि स्टेशन की नींव उन मृतकों की हड्डियों और कंकालों पर रखी गई, जिससे इसे ‘कंकालगढ़’ नाम मिला। इस स्थान से कई रहस्यमय और डरावनी घटनाओं की कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। लोगों का मानना है कि यह स्टेशन प्रेतवाधित है, और यहाँ समय-समय पर अजीबोगरीब घटनाएँ घटित होती रहती हैं। यात्रियों और कर्मचारियों ने अक्सर रहस्यमय आवाज़ें सुनने और अदृश्य शक्तियों के प्रभाव को महसूस करने का दावा किया है। इस इतिहास और रहस्यमय घटनाओं के कारण कंकालगढ़ स्टेशन आज भी रहस्य और भय का केंद्र बना हुआ है।

    प्रेतवाधित कथाएँ और स्थानीय मान्यताएँ 

    स्थानीय निवासियों के अनुसार, हर महीने की 13 तारीख को कंकालगढ़ स्टेशन पर असामान्य गतिविधियाँ देखने और सुनने को मिलती हैं। लोगों का दावा है कि उन्होंने रात के समय रहस्यमय आवाज़ें सुनी हैं, जैसे कि चीख-पुकार, तेज़ कदमों की आहट, और ट्रेन के आने की आवाज़, जबकि उस समय स्टेशन पर कोई ट्रेन नहीं होती। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने अदृश्य आकृतियाँ देखने का भी दावा किया है, जो अचानक प्रकट होती हैं और फिर रहस्यमय तरीके से गायब हो जाती हैं।

    इन भयावह घटनाओं के कारण स्थानीय लोग सूर्यास्त के बाद स्टेशन के पास जाने से बचते हैं। डर और अजीब घटनाओं के चलते यहाँ काम करने वाले रेलवे कर्मचारियों ने भी अपनी ड्यूटी छोड़ दी, जिससे यह स्टेशन धीरे-धीरे वीरान और सुनसान होता चला गया। आज भी, यह स्थान रहस्यमयी घटनाओं और डरावनी कहानियों के कारण भारत के सबसे प्रेतवाधित रेलवे स्टेशनों में से एक माना जाता है।

    गायब हुए शिक्षक की रहस्यमय कहानी(Mysterious Disappearance of the Teacher)

    कंकालगढ़ स्टेशन से जुड़ी सबसे डरावनी घटनाओं में से एक है एक प्राइमरी स्कूल के शिक्षक का रहस्यमय ढंग से लापता होना। कहा जाता है कि यह शिक्षक नई पोस्टिंग के कारण कंकालगढ़ आया था, और संयोगवश, उसकी आवधिक तिथि भी 13 तारीख थी—वही तारीख, जिससे इस स्टेशन की भूतिया घटनाएँ जुड़ी हुई हैं।

    रात के समय जब वह स्टेशन पहुँचा, तो उसने अजीब गतिविधियों का अनुभव किया। यात्रियों की चीख-पुकार, दूर से आती ट्रेन की आवाज़ और अज्ञात परछाइयों के दिखने जैसी घटनाएँ उसने महसूस कीं। अगले दिन, स्टेशन पर उसका बैग और फोन पड़ा मिला, लेकिन वह खुद गायब था। स्थानीय प्रशासन और पुलिस द्वारा कई बार खोजबीन की गई, लेकिन आज तक उसका कोई सुराग नहीं मिला।

    यह घटना कंकालगढ़ स्टेशन की भूतिया कहानियों को और भी रहस्यमय और भयावह बना देती है। कई लोग मानते हैं कि 13 तारीख को इस स्टेशन पर कोई अज्ञात शक्ति सक्रिय होती है, जो यहाँ आने वाले अकेले यात्रियों को अपना शिकार बना लेती है।

    वर्तमान स्थिति में कंकालगढ़ रेलवे स्टेशन 

    आज, कंकालगढ़ रेलवे स्टेशन पूरी तरह से बंद हो चुका है, और यहाँ कोई ट्रेन नहीं रुकती। इस स्टेशन पर पिछले 92 वर्षों से एक भी ट्रेन नहीं रुकी है, जिससे यह एक वीरान और रहस्यमय स्थान बन चुका है। स्टेशन की इमारत जर्जर हो चुकी है, और पटरियाँ भी खराब हालत में हैं। 

    हालांकि, इसके प्रेतवाधित होने की कहानियाँ सुनकर कई साहसिक पर्यटक यहाँ आते हैं, जो इस स्थान की खोजबीन और रहस्यमय अनुभवों को महसूस करना चाहते हैं। स्थानीय प्रशासन ने इस स्टेशन को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रयास किए हैं, ताकि इसके इतिहास और रहस्य को संरक्षित किया जा सके। लेकिन, अजीब घटनाओं और डरावनी कहानियों के कारण, यह स्थान आज भी रहस्य और भय का प्रतीक बना हुआ है।

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