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    Home » History of Raigad Fort: जाने रायगढ़ किले का इतिहास, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनाया अपनी राजधानी
    Tourism

    History of Raigad Fort: जाने रायगढ़ किले का इतिहास, जिसे छत्रपति शिवाजी महाराज ने बनाया अपनी राजधानी

    By January 18, 2025No Comments8 Mins Read
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    Maharashtra Famous Historical Place Raigad Fort History in Hindi 

    Maharashtra Raigad Killa History: रायगढ़ पश्चिमी भारत के महाराष्ट्र राज्य में सह्याद्री पर्वतों की श्रेणी में एक किला है जिसे पहले रायपुर नाम से जाना जाता था|’रायगढ़’ महाराष्ट्र ऐतिहासिक धरोहर होने के साथ राज्य के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है| यह वही स्थान है जहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ था और उन्होंने इसे मराठा साम्राज्य की राजधानी बनाया था। ‘दुर्गराज’ या ‘किलों के राजा’ के नाम से प्रसिद्ध रायगढ़ किला वास्तुशिल्प की एक अद्वितीय कृति और भारत का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्मारक है। यह किला न केवल अपने भव्य निर्माण के लिए जाना जाता है, बल्कि इसके साथ साहस, बलिदान और मराठा साम्राज्य के गौरव की कई प्रेरणादायक कहानियाँ भी जुड़ी हुई हैं।

    आइये जानते है इसके बारे में विस्तार से

    कहा स्थित है रायगढ़ किला?

    रायगढ़ पश्चिमी भारत का एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक क्षेत्र है, जो महाराष्ट्र में मुंबई के दक्षिण में स्थित है। यह क्षेत्र कोंकण के समुद्रतटीय मैदान का हिस्सा है और अपनी विशिष्ट भौगोलिक संरचना के लिए पहचाना जाता है। यहां की भूमि ऊँची-नीची पहाड़ियों, गहरी घाटियों और सह्याद्रि पर्वतमाला की खड़ी ढलानों से घिरी हुई है, जो अरब सागर के किनारे तक फैली हुई हैं। सह्याद्रि की इन्हीं पहाड़ियों में, समुद्र तल से 820 मीटर (2,700 फीट) की ऊँचाई पर स्थित रायगढ़ किला, मराठा साम्राज्य के गौरव का प्रतीक है।

    रायगढ़ किले का इतिहास:- “महाराष्ट्र की ऐतिहासिक धरोहर रायगढ़ का किला, कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी है”

    किसने किया था किले का निर्माण :- किले का निर्माण पहले एक सामंती सरदार, चंद्ररावजी मोरे ने करवाया था, जो पश्चिमी घाट के जावली क्षेत्र पर शासन करते थे। 1656 में, शिवाजी महाराज ने चंद्ररावजी को एक युद्ध में पराजित कर इस किले पर कब्जा कर लिया। उस समय यह किला ‘रायरी’ के नाम से जाना जाता था, और शिवाजी ने इसे अपने साम्राज्य का हिस्सा बना लिया।

    जिसके बाद शिवाजी महाराज ने इस किले का विस्तार और पुनर्निर्माण कर इसे ‘रायगढ़’ या ‘शाही किला’ का नाम दिया। यह किला तीन तरफ से गहरी और खतरनाक घाटियों से घिरा हुआ है, जिससे इसकी सुरक्षा अजेय हो जाती थी। किले तक पहुंचने का एकमात्र रास्ता एक खड़ी और कठिन चढ़ाई वाला मार्ग था, जो इसे दुश्मनों के लिए लगभग अभेद्य बना देता था।

    शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक :- 1674 में, रायगढ़ किले पर शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक हुआ, और वो ‘छत्रपति’ बने थे । यह ऐतिहासिक घटना भारतीय इतिहास में अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती है, क्योंकि शिवाजी का राज्याभिषेक मुगलों की अनुमति के बिना हुआ था, जो मुगल साम्राज्य के खिलाफ एक साहसिक और निर्णायक कदम था। यह घटना भारतीय इतिहास में इसलिए महत्वपूर्ण मानी जाती है क्योंकि शिवाजी का राज्याभिषेक मुगल सम्राट की स्वीकृति के बिना हुआ था। यह न केवल मुगल साम्राज्य के खिलाफ एक साहसिक कदम था, बल्कि स्वतंत्र हिंदवी स्वराज की स्थापना की दिशा में एक बड़ा प्रतीक भी था।

    पंद्रह वर्षों के भीतर, रायगढ़ पर मराठों का नियंत्रण समाप्त हो गया, और यह किला दूसरी शक्तियों के अधीन आ गया। 1689 ईस्वी में मुगल सेनापति ज़ुल्फ़िकार खान ने रायगढ़ पर आक्रमण किया और मराठों के तीसरे छत्रपति, राजाराम भोंसले प्रथम की सेना को हरा दिया। इस विजय के बाद, मुगल बादशाह औरंगज़ेब ने किले का नाम बदलकर ‘इस्लामगढ़’ रख दिया।

    1707 तक अहमदनगर सल्तनत के प्रतिनिधि फतेह खान ने इस किले पर कब्जा कर लिया और अगले दो दशकों तक शासन किया।

    इसी दौरान, मराठों ने एक बार फिर किले पर नियंत्रण स्थापित किया और 1813 तक इस पर शासन करते रहे। लेकिन 1765 में अंग्रेजों की नजर इस किले पर पड़ी। उन्होंने इसे जीतने का पहला प्रयास किया, लेकिन असफल रहे। अंततः 1818 में तोपों की बमबारी के बाद ही वे किले पर कब्जा करने में सफल हुए। अंग्रेजों ने किले को लूटकर इसे भारी नुकसान पहुंचाया। इसकी मजबूत और दुर्गम संरचना की तुलना भूमध्य सागर के पास स्थित जिब्राल्टर से करते हुए, अंग्रेजों ने इसे “पूर्व का जिब्राल्टर” कहा।

    रायगढ़ किले की वास्तुकला

    रायगढ़ किले की वास्तुकला इसकी भव्यता और रणनीतिक महत्व को दर्शाती है। जब शिवाजी ने इस किले पर कब्जा किया, तो उन्होंने इसके विकास और पुनर्निर्माण के लिए प्रमुख वास्तुकार हिरोजी इंदुलकर को नियुक्त किया। किले में कई नई सार्वजनिक और निजी संरचनाएँ बनाई गईं, जिनमें शाही महल और हवेलियाँ प्रमुख हैं।

    किले के परिसर में अन्य महत्वपूर्ण परिवर्धनों में एक शाही टकसाल, तीन सौ पत्थर के घर, विभिन्न प्रशासनिक कार्यालय, हज़ारों सैनिकों के लिए एक विशाल छावनी, और एक मील लंबा बाजार शामिल हैं। साथ ही, किले को और अधिक आकर्षक और उपयोगी बनाने के लिए जलाशय, बगीचे, स्तंभ, और सुव्यवस्थित मार्ग भी बनाए गए।

    किले के मुख्य आकर्षण

    1. शाही महल और हवेलियाँ :- किले के अंदर शाही महल और विभिन्न हवेलियों का निर्माण किया गया, जो शिवाजी महाराज और उनके दरबार के निवास के लिए थीं। इनका निर्माण मजबूत पत्थरों और पारंपरिक मराठा शैली में किया गया था।
    2. बाजार क्षेत्र :- किले में एक मील लंबा बाजार बनाया गया था, है।इस बाजार को इस प्रकार डिज़ाइन किया गया था कि शाही परिवार और सैनिक आवश्यक वस्तुएं सीधे अपने घोड़ों पर बैठे हुए ही प्राप्त कर सकते थे। यह बाजार उस समय की उन्नत सोच और व्यवस्थित योजना का प्रतीक
    3. शाही टकसाल :- किले में शाही मुद्रा निर्माण के लिए एक टकसाल बनाई गई थी, जहाँ मराठा साम्राज्य की मुद्रा का निर्माण होता था।
    4. सैनिक छावनी :- हज़ारों सैनिकों के लिए विशाल छावनियाँ बनाई गईं, जो किले की सुरक्षा के लिए रणनीतिक रूप से आवश्यक थीं।
    5. जलाशय और बगीचे :- किले के भीतर सुंदर जलाशयों और बगीचों का निर्माण किया गया, जो जल प्रबंधन और किले को सजाने के उद्देश्य से बनाए गए थे। किले के भीतर गंगा सागर नामक विशाल कृत्रिम जलाशय मौजूद है, जिसमें किले की संरचना का प्रतिबिंब दिखता है।
    6. स्तंभ और मार्ग :- किले के परिसर में स्तंभों और मार्गों का निर्माण किया गया, जो इसकी वास्तुकला में शाही भव्यता और सौंदर्य को जोड़ते हैं।

    प्रवेश द्वार और बुर्ज :- किले का मुख्य प्रवेश द्वार ‘महा दरवाजा’ कहलाता है, जो अपनी 20 मीटर ऊँची दो विशाल बुर्जों के कारण बेहद भव्य और प्रभावशाली लगता है। किले की तलहटी से ऊपर तक पहुंचने के लिए ‘चित्त दरवाजा’ या ‘जीत दरवाजा’ का इस्तेमाल किया जाता था। किले की सुरक्षा के लिए ‘खूबलढा बुर्ज’ एक महत्वपूर्ण स्थान था, जहाँ से चारों दिशाओं में दुश्मनों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती थी। मुख्य प्रवेश द्वार के अलावा, रानियों और शाही महिलाओं के लिए ‘पालकी दरवाजा’ नामक एक विशेष द्वार बनाया गया था। प्रवेश द्वार के पास ‘रनिवास’ स्थित है, जो रानियों के लिए बने छह कमरों की एक पंक्ति है। हालांकि, समय के साथ यह आवासीय संरचना काफी क्षतिग्रस्त हो गई है। किले में एक और दिलचस्प स्थान ‘नगरखाना दरवाजा’ है।‘नगरखाना दरवाजा’ से ‘राज सदर’ की ओर भी प्रवेश किया जा सकता है। ‘राज सदर’ वह स्थान था जहाँ शिवाजी महाराज जन सभाएँ करते थे और अपने दरबार में अभिजात वर्ग तथा विदेशी दूतों से मुलाकात करते थे।इसके अलावा शाही सिंहासन वह स्थान जहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज का सिंहासन हुआ करता था, अब वहाँ एक अष्टकोणीय (आठ कोनों वाला) छत्र बनाया गया है।

    किले के अंदर जगदीश्वर मंदिर नामक एक मंदिर भी स्थित है जो भगवान शिव को समर्पित है | 1680 ईस्वी में शिवाजी महाराज की मृत्यु के बाद रायगढ़ किले में ही छत्रपति शिवाजी महाराज की समाधि का निर्माण किया गया था ।

    इसके अलावा रायगढ़ किले को “बल्ले किल्ला” नाम से भी जाना जाता है, जिसका मतलब है किले का मुख्य भाग या गढ़।

    ऐतिहासिक महत्व :- रायगढ़ किला अनेक ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी रहा है, जिनमें छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक सबसे प्रमुख है। यह किला मराठा साम्राज्य की राजधानी के रूप में भी प्रसिद्ध था, जिससे इसका ऐतिहासिक महत्व और बढ़ जाता है|

    राजनीतिक और रणनीतिक महत्व :- रायगढ़ किला मराठा साम्राज्य का राजनीतिक और प्रशासनिक मुख्यालय था। यहाँ से शिवाजी ने अपने साम्राज्य का विस्तार और शासन किया जो इसे राजनितिक दृष्टिकोण से अधिक महत्वपूर्ण बनता है । साथ ही सह्याद्रि पहाड़ियों की ऊँचाई पर स्थित यह किला तीन ओर से खड़ी घाटियों से घिरा हुआ है, जिससे इसे दुश्मनों के लिए अभेद्य बना दिया गया। जो इसका रणनीतिक महत्त्व बढ़ाता है

    पर्यटन महत्व :- किले में शिवाजी महाराज की समाधि, जगदीश्वर मंदिर, महा दरवाजा, नगरखाना और गंगा सागर जलाशय जैसे स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। तो वही किला समुद्र तल से 820 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है और जो पर्यटकों को सह्याद्रि पर्वतमाला के सुरम्य दृश्य प्रस्तुत करता है। यह किला महाराष्ट्र के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है |

    वर्त्तमान समय में रायगढ़ किला :- वर्त्तमान समय में किला महाराष्ट्र शासन के पुरातत्व विभाग मे संरक्षित स्मारक की सूची में शामिल है।

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