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    Home » Maharashtra Ka Itihas: महाराष्ट्र की ऐतिहासिक, प्राकृतिक और साहसिक धरोहर है सह्याद्री पर्वत श्रृंखला
    Tourism

    Maharashtra Ka Itihas: महाराष्ट्र की ऐतिहासिक, प्राकृतिक और साहसिक धरोहर है सह्याद्री पर्वत श्रृंखला

    By March 19, 2025No Comments10 Mins Read
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    Maharashtra Sahyadri Mountain Range History

    Maharashtra Sahyadri Mountain Range History

    Maharashtra Sahyadri Mountain Range: भारत की पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला, जिसे सह्याद्री पर्वत के नाम से भी जाना जाता है, अपने प्राकृतिक वैभव, समृद्ध जैव विविधता और ऐतिहासिक धरोहरों के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्वत श्रृंखला महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्यों में फैली हुई है और इसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है। सह्याद्री पर्वत न केवल पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, बल्कि यह साहसिक यात्राओं और ऐतिहासिक पर्यटन के लिए भी एक प्रमुख केंद्र है।

    महाराष्ट्र में सह्याद्री पर्वत का विशेष महत्व है क्योंकि यहाँ छत्रपति शिवाजी महाराज के कई ऐतिहासिक किले स्थित हैं, जो मराठा इतिहास की गौरवशाली गाथा को संजोए हुए हैं। इन पहाड़ों में अनेक प्रसिद्ध ट्रेकिंग स्थल, झरने, वन्यजीव अभयारण्य और प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जो इसे प्रकृति प्रेमियों और इतिहास के शोधकर्ताओं के लिए समान रूप से आकर्षक बनाते हैं।

    इस लेख में हम सह्याद्री पर्वत श्रृंखला की महत्वपूर्ण चोटियों, उनके ऐतिहासिक और भौगोलिक महत्व, ट्रेकिंग स्थलों और जैव विविधता पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

    सह्याद्री पर्वत श्रृंखला का भूगोल (Geographical Significance)

    पश्चिमी घाट(Western Ghats), जिसे सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला(Sahyadri Mountain Ranges) के नाम से भी जाना जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है। यह पर्वत श्रृंखला भारतीय प्रायद्वीप के पश्चिमी तट के समानांतर लगभग 1,600 किलोमीटर (990 मील) तक फैली हुई है और 160,000 वर्ग किलोमीटर (62,000 वर्ग मील) के विशाल क्षेत्र को कवर करती है। यह गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्यों से होकर गुजरती है।

    भूगर्भीय साक्ष्यों के अनुसार, पश्चिमी घाट का निर्माण गोंडवाना महाद्वीप(Gondwana Continent) के विघटन के दौरान हुआ था। यह पर्वत श्रृंखला जुरासिक काल के उत्तरार्ध और प्रारंभिक क्रेटेशियस काल के दौरान अस्तित्व में आई, जब भारतीय उपमहाद्वीप अफ्रीकी महाद्वीप से अलग हो गया था।

    सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला को भौगोलिक रूप से तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया जा सकता है:

    • उत्तरी भाग – इस क्षेत्र की ऊँचाई 900 से 1,500 मीटर (3,000-4,900 फीट) तक होती है।

    • मध्य भाग – यह गोवा के दक्षिण से शुरू होता है और अपेक्षाकृत कम ऊँचाई का क्षेत्र है, जिसकी अधिकतम ऊँचाई 900 मीटर (3,000 फीट) से कम रहती है।

    • दक्षिणी भाग – यहाँ पर्वतों की ऊँचाई फिर से बढ़ जाती है और कई चोटियाँ 2,000 मीटर (6,600 फीट) से अधिक ऊँचाई तक पहुँचती हैं।

    इस पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊँची चोटी अनामुडी (2,695 मीटर / 8,842 फीट) है, जो केरल राज्य में स्थित है। सह्याद्रि की औसत ऊँचाई लगभग 1,200 मीटर (3,900 फीट) है, जिससे यह भारतीय उपमहाद्वीप के महत्वपूर्ण पर्वतीय क्षेत्रों में शामिल होती है।

    अनाइमुडी सह्याद्रि की सबसे ऊँची चोटी(Highest Point Anamudi)

    अनाइमुडी(Anamudi), जिसकी ऊँचाई 2,695 मीटर (8,842 फीट) है, पश्चिमी घाट की सबसे ऊँची चोटी है और केरल(Kerala) राज्य में स्थित है। यह भारत की प्रमुख पर्वतीय चोटियों में से एक है और अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए जानी जाती है। यह क्षेत्र कई दुर्लभ और स्थानिक वन्यजीवों का आवास है, जिनमें नीलगिरि तहर, एशियाई हाथी, गौर और मलाबार विशाल गिलहरी शामिल हैं। अनाइमुडी का पर्यावरणीय महत्व इसे संरक्षण और अनुसंधान के दृष्टिकोण से अत्यंत मूल्यवान बनाता है। इसके अलावा, यह पर्वत ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए भी एक लोकप्रिय स्थल है, जहाँ रोमांचक मार्गों और घने जंगलों के बीच से होते हुए पर्वतारोहियों को प्रकृति की अद्भुत छटा का अनुभव करने का अवसर मिलता है।

    महाराष्ट्र में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला की महत्वपूर्ण चोटियां(Other Major Points)

    महाराष्ट्र(Maharashtra) में सह्याद्री पर्वत श्रृंखला की कई महत्वपूर्ण चोटियां हैं, जिनमें से कुछ ऐतिहासिक और पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

    कसारा घाट (Kalsubai) 1646 मीटर – कलसूबाई चोटी महाराष्ट्र की सबसे ऊँची चोटी है, जिसकी ऊँचाई 1,646 मीटर (5,400 फीट) है। यह चोटी अहमदनगर जिले के अकोले तालुका में स्थित है। इसे ‘सह्याद्री की रानी’(Queen of Sahyadri)के रूप में भी जाना जाता है, और इसे ‘महाराष्ट्र का एवरेस्ट’ भी कहा जाता है।

    साल्हेर (Salher) 1567 मीटर – साल्हेर चोटी महाराष्ट्र की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है, जिसकी ऊँचाई लगभग 1,567 मीटर (5,141 फीट) है। यह कासुबाई के बाद दूसरी सबसे ऊँची चोटी है यह चोटी नासिक जिले में स्थित है।

    कुलंग (Kulang) 1473 मीटर – कुलंग चोटी की ऊँचाई लगभग 1,463 मीटर (4,800 फीट) है, जो इसे महाराष्ट्र की तीसरी सबसे ऊँची चोटी बनाती है। यह चोटी नासिक जिले के इगतपुरी क्षेत्र में स्थित है।

    हरिश्चंद्रगड (Harishchandragad)1424 मीटर – हरिश्चंद्रगड की ऊँचाई लगभग 1,422 मीटर (4,665 फीट) है, जो इसे महाराष्ट्र के पश्चिमी घाटों में एक प्रमुख स्थान प्रदान करती है कोकणकड़ा (Konkan Kada) इस किले की एक प्रसिद्ध विशेषता है। यह एक विशाल खड़ी चट्टान है।जो ट्रेकर्स को आकर्षित करती है। यहाँ से दृश्य अत्यंत मनोरम होता है, और यह स्थान ट्रैकिंग के दौरान एक प्रमुख आकर्षण बन जाता है।

    राजगढ़ (Rajgad) 1376 मीटर – राजगढ़ किला छत्रपति शिवाजी महाराज की राजधानी था और इसकी भौगोलिक स्थिति इसे एक मजबूत किला बनाती है। यह पुणे जिले में स्थित है और यहाँ तक पहुंचने के लिए कठिन ट्रेकिंग करनी पड़ती है।

    तोरणा (Torna)1403 मीटर – तोरणा किला सह्याद्री की ऊँची चोटियों में से एक है और इसे शिवाजी महाराज ने अपना पहला किला बनाया था। यह ट्रेकर्स के लिए एक रोमांचक स्थल है।

    लोहगड और विसापुर (Lohagad & Visapur) – लोहगड और विसापुर पुणे के पास स्थित दो प्रमुख ऐतिहासिक किले हैं। यह मानसून ट्रेकिंग के लिए बहुत लोकप्रिय हैं और इनसे सह्याद्री का अद्भुत दृश्य दिखाई देता है।

    सह्याद्री में प्रमुख ट्रेकिंग स्थल(Major Tracking Places)

    सह्याद्री पर्वत श्रृंखला(Sahyadri Mountain Range) ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए स्वर्ग के समान है, जहाँ अनेक रोमांचक और खूबसूरत ट्रेकिंग मार्ग मौजूद हैं।

    • कसारा घाट – कलसूबाई ट्रेक महाराष्ट्र की सबसे ऊँची चोटी पर ले जाता है, जहाँ से घाटियों का अद्भुत नज़ारा दिखता है।

    • हरिश्चंद्रगड – टोलारखिंड ट्रेक ऐतिहासिक किले और कोकणकडा की मनोरम दृश्यावली के लिए प्रसिद्ध है।

    • राजगढ़ – तोरणा ट्रेक शिवाजी महाराज के गौरवशाली इतिहास को संजोए हुए है और यह मराठा इतिहास प्रेमियों के लिए एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।

    • लोहगड – भंडारा ट्रेक अपनी आसान चढ़ाई और हरे-भरे परिदृश्यों के कारण बेहद लोकप्रिय है।

    • साल्हेर – सालोट ट्रेक भारत के सबसे ऊँचे किलों में से एक साल्हेर किले तक पहुँचाने वाला एक चुनौतीपूर्ण मार्ग है।

    • वहीं, अलंग, मदन और कुलंग ट्रेक कठिन चढ़ाई और एडवेंचर प्रेमियों के लिए परफेक्ट माना जाता है।

    इन सभी ट्रेकिंग स्थलों पर जाने से न केवल रोमांचक अनुभव मिलता है, बल्कि सह्याद्री की प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक धरोहर को भी नजदीक से देखने का अवसर प्राप्त होता है।

    सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला के कुछ प्रसिद्ध पर्यटन स्थल(Famous tourist places)

    सह्याद्रि पर्वत श्रृंखला(Sahyadri Mountain Range) अपने खूबसूरत परिदृश्यों और प्राकृतिक सौंदर्य के कारण कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों का घर है। यह क्षेत्र न केवल प्रकृति प्रेमियों के लिए, बल्कि एडवेंचर और ट्रेकिंग के शौकीनों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है।

    माथेरान(Matheran) भारत का एकमात्र हिल स्टेशन है जहाँ वाहनों पर प्रतिबंध है, जिससे यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शुद्ध वातावरण बना रहता है।

    महाबलेश्वर(Mahabaleshwar) अपनी हरी-भरी घाटियों, स्ट्रॉबेरी फार्म और प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।

    अंबोली घाट(Amboli Ghats) सह्याद्रि की एक सुरम्य घाटी है, जो खासकर मानसून के दौरान झरनों और हरियाली से भर जाती है।

    पंचगनी(Panchgani), अपने खूबसूरत व्यू पॉइंट्स और शांति भरे वातावरण के कारण पर्यटकों को आकर्षित करता है।

    दक्षिण में स्थित कुद्रेमुख(Kundremukh) अपने घने जंगलों और ट्रेकिंग ट्रेल्स के लिए जाना जाता है, जबकि कोडागु (कूर्ग) कॉफी बागानों और पहाड़ी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।

    लोनावाला और खंडाला(Lonavala & Khandala)मुंबई और पुणे के निकट होने के कारण सप्ताहांत की यात्राओं के लिए लोकप्रिय हैं।

    सह्याद्री पर्वत श्रृंखला की जैव विविधता(Biodiversity at Sahyadri)

    सह्याद्री पर्वत श्रृंखला अपनी समृद्ध जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध है और यहाँ कई दुर्लभ वनस्पतियाँ, वन्यजीव और पक्षी पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में घने जंगलों से लेकर घास के मैदानों तक विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्र मौजूद हैं, जो अनेक प्रजातियों को आश्रय प्रदान करते हैं। वनस्पतियों में नागफनी (Cactus) और बांस (Bamboo) प्रमुख हैं, जबकि औषधीय पौधों में अश्वगंधा, सर्पगंधा और ब्राह्मी जैसी जड़ी-बूटियाँ पाई जाती हैं। इसके अलावा, यहाँ दुर्लभ जड़ी-बूटियाँ जैसे गुग्गुल और सर्पगंधा भी उगती हैं, जो आयुर्वेदिक चिकित्सा में उपयोग की जाती हैं।

    वन्यजीवों की बात करें तो यहाँ भारतीय तेंदुआ (Indian Leopard), मालाबार जायंट गिलहरी (Malabar Giant Squirrel), ब्लैक पैंथर (Black Panther), गौर (Indian Bison), सांभर और चीतल हिरण जैसे महत्वपूर्ण जीव पाए जाते हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए भी सह्याद्री एक स्वर्ग के समान है, जहाँ मालाबार ट्रोगॉन (Malabar Trogon), गोल्डन ओरियोल (Golden Oriole), पहाड़ी मैना (Hill Myna) और भारतीय बाज (Indian Eagle) जैसी कई रंग-बिरंगी और दुर्लभ प्रजातियाँ देखने को मिलती हैं। इस जैव विविधता के कारण सह्याद्री पर्वत श्रृंखला न केवल पारिस्थितिकी और पर्यावरणीय अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि प्रकृति प्रेमियों और वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वालों के लिए भी एक आदर्श स्थान है। यहाँ स्थित साइलेंट वैली, अनामलाई टाइगर रिजर्व, कुद्रेमुख राष्ट्रीय उद्यान और महाबलेश्वर जैव विविधता के लिए प्रसिद्ध हैं।

    सह्याद्री पर्वत श्रृंखला और इसका मानसून पर प्रभाव(Effect on Mansoon)

    सह्याद्री पर्वत श्रृंखला मानसून को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाएँ अरब सागर से उठती हैं, तो ये पर्वत श्रृंखला एक बाधा की तरह कार्य करती है, जिससे दो प्रभाव उत्पन्न होते हैं:

    पश्चिमी ढलानों पर भारी वर्षा – मानसूनी हवाएँ पर्वतों से टकराकर ऊपर उठती हैं और ठंडी होकर घनीभूत हो जाती हैं, जिससे महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल के पश्चिमी घाट क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है। महाबलेश्वर, अंबोली, कुद्रेमुख और अगुंबे भारत के सर्वाधिक वर्षा वाले क्षेत्रों में शामिल हैं।

    वर्षा की छाया प्रभाव (Rain Shadow Effect) – अधिकतर नमी पश्चिमी ढलानों पर गिर जाने के कारण पूर्वी ढलानों पर कम वर्षा होती है। इससे महाराष्ट्र और कर्नाटक के पूर्वी भागों में सूखा प्रवणता बढ़ जाती है। मराठवाड़ा और विदर्भ क्षेत्र इसी प्रभाव के कारण अक्सर सूखे की समस्या से प्रभावित रहते हैं।

    सह्याद्री से निकलने वाली प्रमुख नदियाँ(Major rivers of Sahyadri)

    सह्याद्री पर्वत श्रृंखला(Sahyadri Mountan Rangers) से कई महत्वपूर्ण नदियाँ निकलती हैं, जो महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों के लिए जल जीवन रेखा के रूप में कार्य करती हैं। इनमें सबसे प्रमुख गोदावरी(Godavari) नदी, जिसे “दक्षिण गंगा” भी कहा जाता है, महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्र्यंबकेश्वर से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में प्रवाहित होती है। इस नदी पर जयकवाड़ी, श्रीराम सागर और पोलावरम जैसे महत्वपूर्ण बाँध बने हुए हैं। इसी तरह, कृष्णा(Krushana) नदी महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से निकलती है और आंध्र प्रदेश में बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। इस पर अलमाट्टी, नागार्जुनसागर और श्रीशैलम जैसे प्रमुख बाँध स्थित हैं, जो कृषि और जल आपूर्ति के लिए आवश्यक हैं।

    भीमा नदी(Bhima River), जो पुणे जिले के भीमाशंकर से निकलती है, कृष्णा नदी की एक महत्वपूर्ण सहायक नदी है। यह महाराष्ट्र और कर्नाटक में जल आपूर्ति का प्रमुख स्रोत है, और इस पर उजानी और भीमा बाँध बनाए गए हैं।

    इसके अलावा, सह्याद्री से निकलने वाली अन्य महत्वपूर्ण नदियों में कावेरी, ताप्ती और नर्मदा(Kaveri Tapti & Narmada) शामिल हैं। कावेरी नदी कर्नाटक और तमिलनाडु के लिए जल स्रोत प्रदान करती है, जबकि ताप्ती और नर्मदा नदियाँ पश्चिम की ओर बहते हुए अरब सागर में गिरती हैं।

    सह्याद्री पर्वत श्रृंखला का ऐतिहासिक महत्व(Historical Significance)

    सह्याद्री पर्वत श्रृंखला भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है, विशेष रूप से मराठा साम्राज्य के उत्कर्ष में। छत्रपति शिवाजी महाराज, जो मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे, ने इस पर्वत श्रृंखला का कुशलतापूर्वक उपयोग अपनी सैन्य रणनीतियों में किया। उन्होंने सह्याद्री के दुर्गम क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण दुर्गों का निर्माण कराया और कई प्राचीन किलों को सुदृढ़ किया, जिससे मराठाओं को गुरिल्ला युद्ध नीति (गनिमी कावा) को अपनाने में मदद मिली।

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