
Maharashtra Politics :�महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी ने महायुति में अपने सहयोगी दल शिंदे सेना को एक और झटका दिया है। महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति पद पर शिंदे सेना की ओर से दावेदारी जताई जा रही थी मगर भाजपा के राम शिंदे ने बुधवार को इस पद के लिए अपना नामांकन दाखिल कर दिया।
राम शिंदे के नामांकन दाखिल करने के समय मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार उनके साथ थे मगर इस महत्वपूर्ण मौके पर दूसरे डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे नहीं दिखे। इसे शिंदे की नाराजगी के साथ जोड़कर देखा जा रहा है। मुख्यमंत्री पद और मनोवांछित मंत्रालय न मिलने के बाद इसे शिंदे को भाजपा का तीसरा झटका माना जा रहा है।
शिंदे गुट की दावेदारी को नकारा
दरअसल विधान परिषद के सभापति पद पर शिंदे सेना ने भी निगाहे गड़ा रखी थीं। शिवसेना के शिंदे गुट की उपाध्यक्ष नीलम गोरे को विधान परिषद सभापति पद के लिए संभावित उम्मीदवार माना जा रहा था। हालांकि शिंदे सेना की ओर से इस बाबत खुलकर कोई बयान नहीं दिया गया मगर पार्टी के नेता नीलम गोरे के लिए गोटियां सेट करने में लगे हुए थे मगर भाजपा ने इस पद पर अपनी पार्टी के राम शिंदे का नामांकन दाखिल कर दिया।
राम शिंदे के नामांकन के मौके पर एकनाथ शिंदे की नामौजूदगी को लेकर सियासी हलकों में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। वैसे शिंदे सेना की ओर से इस संबंध में खुलकर कोई बयान नहीं दिया गया है मगर माना जा रहा है की नाराजगी के कारण ही शिंदे ने नामांकन से दूरी बना ली।
अब दोनों अध्यक्ष पदों पर भाजपा का ही कब्जा
शिवसेना और एनसीपी में विभाजन के कारण 2022 और 2023 में विधान परिषद के सभापति का चुनाव नहीं हो सका था। विधान परिषद में भाजपा के पास बहुमत है मगर शिंदे सेना परिषद के सभापति का पद हासिल करने की इच्छुक थी। दरअसल भाजपा के पास विधानसभा के अध्यक्ष का भी पद है और ऐसे में शिंदे सेना की ओर से विधान परिषद के सभापति का पद दिए जाने की डिमांड की जा रही थी मगर डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे की यह मुराद भी पूरी नहीं हो सके। अब विधानसभा और विधान परिषद दोनों के अध्यक्ष की कुर्सी पर भाजपा के ही चेहरे विराजमान होंगे।
पिछले दो चुनावों में हार चुके हैं राम शिंदे
भाजपा ने धनगर समुदाय से आने वाले राम शिंदे को इस पद पर बिठाकर जातीय समीकरण साधने का प्रयास किया है। हालांकि राम शिंदे 2019 और 2024 दोनों विधानसभा चुनावों में हार चुके हैं मगर फिर भी उन्हें इस पद पर बिठाने का फैसला किया गया। दोनों ही चुनाव में करजत जामखेड सीट पर राम शिंदे को एनसीपी के रोहित पवार के सामने हार का सामना करना पड़ा था।
राम शिंदे का निर्विरोध चुना जाना तय
2019 का विधानसभा चुनाव हारने के बाद धनगर बिरादरी को साधने के लिए भाजपा की ओर से राम शिंदे को विधान परिषद सदस्य बनाया गया था। धनगर समुदाय से ताल्लुक रखने वाले विधायक गोपीचंद पाडलकर को पहले ही फडणवीस मंत्रिमंडल में जगह मिल चुकी है।
ऐसे में भाजपा ने राम शिंदे को विधान परिषद सभापति के लिए चुनकर बड़ा सियासी दांव चला है। विधान परिषद में भाजपा की ताकत को देखते हुए उनका निर्विरोध चुना जाना तय माना जा रहा है। वैसे राम शिंदे की उम्मीदवारी डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे के लिए बड़े झटके के तौर पर देखी जा रही है।