Maharashtra Politics : महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के लिए 5 दिसंबर की तारीख तय की गई है। विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने वाले महायुति गठबंधन की ओर से अभी तक मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान नहीं किया गया है, मगर भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस को सीएम पद का सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण से पहले एनसीपी के अजित पवार घुटने बड़ा सियासी पेंच फंसा दिया है। एनसीपी ने कहा है कि पार्टी को सरकार में एकनाथ शिंदे की शिवसेना के बराबर हिस्सेदारी मिलनी चाहिए।
पार्टी के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा कि हाल के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी का स्ट्राइक रेट बेहतर रहा है और ऐसी स्थिति में उनकी पार्टी शिंदे की पार्टी के बराबर हिस्सेदारी से कम पर नहीं मानेगी। महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन की कोशिशों के बीच एनसीपी की ओर से की गई यह मांग महायुति का संकट बढ़ाने वाली साबित हो सकती है।
शिंदे सेना के बराबर मंत्री पद की मांग
अजित पवार गुट के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने कहा कि विधानसभा चुनाव के दौरान हमारी पार्टी का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है। ऐसे में हमारी पार्टी नई सरकार में शिंदे की शिवसेना के बराबर प्रतिनिधित्व की हकदार है।
उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा चुनाव के दौरान स्ट्राइक रेट को देखा जाए तो इस मामले में भी हम शिंदे सेना से आगे हैं। स्ट्राइक रेट के मामले में भाजपा नंबर वन, हमारी पार्टी नंबर दो जबकि शिंदे की शिवसेना तीसरे नंबर पर है। इसलिए नई सरकार में बराबर हिस्सेदारी की हमारी मांग को गलत नहीं ठहराया जा सकता।
भाजपा विधायक दल के नेता का चुनाव कल
महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के नतीजे 23 नवंबर को घोषित किए गए थे मगर 10 दिन का समय बीत जाने के बावजूद अभी तक नई सरकार का गठन नहीं किया जा सका है। दरअसल सत्तारूढ़ महायुति में मुख्यमंत्री पद को लेकर पेंच फंसा होने के कारण अभी तक मामला अटका हुआ है। नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के लिए 5 दिसंबर की तारीख तय की गई है। माना जा रहा है कि भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद देवेंद्र फडणवीस पांच तारीख को मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं।
भाजपा विधायक दल की कल बैठक होने वाली है और इसके लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी को पर्यवेक्षक बनाया गया है। माना जा रहा है कि इस बैठक के दौरान फडणवीस के नाम पर मुहर लग जाएगी।
नई सरकार में अजित पवार का डिप्टी सीएम बनना तय माना जा रहा है मगर अभी तक यह तय नहीं हो सका है कि एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम पद स्वीकार करेंगे या नहीं। अगर एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बनने के लिए तैयार नहीं हुए तो उनके बेटे श्रीकांत शिंदे को डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। हालांकि कई और दावेदारों के नाम भी सामने आए हैं।
सरकार के गठन में भी होगी काफी खींचतान
सियासी जानकारों का मानना है कि नए मुख्यमंत्री को चुनने के बाद सरकार के गठन की राह भी आसान नहीं होगी। एनसीपी के अजित पवार गुट की शिंदे की शिवसेना के बराबर हिस्सेदारी की मांग से साफ हो गया है कि पार्टी अधिक से अधिक मंत्री पद हासिल करने की कोशिश करेगी। दूसरी ओर मुख्यमंत्री पद छोड़ने के बाद शिंदे सेना सरकार में नंबर दो की पोजीशन छोड़ने के लिए तैयार नहीं होगी। ऐसे में सरकार गठन के दौरान भी खींचतान होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
मंत्री पद के साथ ही विभागों का बंटवारा भी मुश्किलों भरा होगा क्योंकि भाजपा के साथ ही शिंदे की शिवसेना और अजित पवार गुट के बीच मलाईदार और अहम मंत्रालयों को लेकर पहले ही खींचतान की स्थिति दिख रही है। नए मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण के बाद यह खींचतान और तेज होने की आशंका है।