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    Home » Mussoorie Haunted Place: लैंबि डेहर खान में गूँजती हैं खनिकों की आत्माओं की रहस्यमयी आवाजें, आज भी ऐसा क्यों , आइए जानते हैं
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    Mussoorie Haunted Place: लैंबि डेहर खान में गूँजती हैं खनिकों की आत्माओं की रहस्यमयी आवाजें, आज भी ऐसा क्यों , आइए जानते हैं

    Janta YojanaBy Janta YojanaJune 20, 2025No Comments8 Mins Read
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    Mussoorie Haunted Place Lambi Dehar Mine (Image Credit-Social Media)

    Mussoorie Haunted Place Lambi Dehar Mine (Image Credit-Social Media)

    Mussoorie Haunted Place Lambi Dehar Mine: मसूरी, जिसे पहाड़ों की रानी कहते हैं, अपनी खूबसूरत वादियों, ठंडी हवाओं और हरियाली के लिए मशहूर है। लेकिन इस हसीन हिल स्टेशन के बाहरी इलाके में एक ऐसी जगह है, जो डर और रहस्य से भरी है – लैंबि डेहर खान। ये पुरानी चूना पत्थर की खान, जो 1990 के दशक में बंद हो गई, आज भारत की सबसे भूतिया जगहों में गिनी जाती है। कहते हैं कि यहाँ हज़ारों खनिकों की आत्माएँ भटकती हैं, जिनकी चीखें और आहटें रात के सन्नाटे में गूंजती हैं।

    एक डरावना इतिहास

    लैंबि डेहर खान मसूरी से 10 किलोमीटर दूर, हathiपांव और जॉर्ज एवरेस्ट पीक के पास बसी है। ये खान 2 किलोमीटर लंबी है और ब्रिटिश ज़माने में चूना पत्थर निकालने का बड़ा केंद्र थी। 19वीं सदी के अंत से लेकर 1990 के दशक तक यहाँ हज़ारों मजदूर दिन-रात काम करते थे। लेकिन खराब हालात, धूल और जहरीली गैसों की वजह से कई मजदूरों की जान गई। कुछ लोग कहते हैं कि 50,000 मजदूरों की मौत हुई, हालाँकि इसकी कोई पक्की रिकॉर्ड नहीं है। 1996 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ये खान बंद हो गई, और तब से ये जगह खंडहर बनकर रह गई। आज ये खान अपनी भूतिया कहानियों के लिए मशहूर है, जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचती है।

    स्थान और माहौल: लैंबि डेहर खान चारों तरफ से घने जंगल और पहाड़ों से घिरी है। यहाँ का कोहरा और सन्नाटा इसे और डरावना बनाता है। हर साल 50,000 पर्यटक मसूरी आते हैं, लेकिन सिर्फ 5 फीसदी खान तक जाते हैं।

    आंकड़े: खान 1890 से 1996 तक चली। 2024 में एक सर्वे में 70 फीसदी स्थानीय लोगों ने कहा कि उन्होंने यहाँ अजीब आवाज़ें सुनीं।

    पर्यटन: दिन में खान की सैर रोमांचक है, लेकिन रात में यहाँ जाना खतरनाक माना जाता है। स्थानीय प्रशासन ने रात में प्रवेश पर रोक लगा रखी है।

    लैंबि डेहर की भूतिया कहानियाँ

    लैंबि डेहर खान की सबसे मशहूर कहानी है खनिकों की आत्माओं की। कहते हैं कि खराब वेंटिलेशन और सुरक्षा के अभाव में हज़ारों मजदूर फेफड़ों की बीमारी से तड़प-तड़पकर मर गए। उनकी चीखें और दर्द आज भी खान में गूंजता है।

    खनिकों की चीखें: स्थानीय लोग और पर्यटक बताते हैं कि रात में खान से चीखने और रोने की आवाज़ें आती हैं। 2023 में एक यूट्यूबर ने रात में खान के पास रिकॉर्डिंग की, जिसमें फुसफुसाहट जैसी आवाज़ें कैप्चर हुईं। वीडियो को 3 लाख लोग देख चुके हैं।

    चुड़ैल का साया: एक लोककथा के मुताबिक, खान में एक चुड़ैल भटकती है, जो किसी मज़दूर की पत्नी थी। कहते हैं कि अपने पति की मौत का बदला लेने के लिए उसने काला जादू सीखा और उसकी आत्मा अब भी यहाँ घूमती है। 2022 में एक पर्यटक ने दावा किया कि उसने खान के पास एक औरत की छाया देखी, जो पलक झपकते गायब हो गई।

    हेलीकॉप्टर क्रैश: 1990 के दशक में खान के पास एक हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ, जिसमें 5 लोग मरे। स्थानीय लोग इसे खान की बुरी शक्तियों से जोड़ते हैं।

    इतिहास और त्रासदी का सच

    लैंबि डेहर खान की कहानियाँ सिर्फ लोककथाएँ नहीं, बल्कि इसके दुखद इतिहास से भी जुड़ी हैं। ब्रिटिश ज़माने में ये खान चूना पत्थर का बड़ा स्रोत थी, जो निर्माण के लिए इस्तेमाल होता था। लेकिन मजदूरों की हालत बेहद खराब थी।

    खराब हालात: खान में वेंटिलेशन की कमी थी, और चूना पत्थर की धूल से मजदूरों को सिलिकोसिस जैसी बीमारी हो जाती थी। 1980-90 के दशक में 5000 से ज्यादा मजदूरों की मौत का अनुमान है, हालाँकि कुछ लोग 50,000 का आंकड़ा बताते हैं, जो अतिशयोक्ति लगता है। कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं मिलता।

    बंद होने की वजह: 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण को नुकसान की वजह से खान को बंद कर दिया। इसके बाद यहाँ इको-रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट शुरू हुआ, जिसने जंगल को फिर से हरा करने की कोशिश की। 2000-2007 तक चले इस प्रोजेक्ट से 1000 पेड़ लगाए गए, लेकिन खान का इलाका अब भी खंडहर है।

    आंकड़े: खान में 5000 मजदूर रोज काम करते थे। 2025 तक खान के 90 फीसदी ढांचे जस के तस हैं। पर्यावरण प्रोजेक्ट से 20 फीसदी जंगल वापस आया है।

    स्थानीय लोगों और पर्यटकों के अनुभव

    लैंबि डेहर खान की कहानियाँ स्थानीय लोगों और पर्यटकों के अनुभवों से और डरावनी हो जाती हैं। यहाँ आने वाले लोग अपने साथ कुछ ना कुछ अजीब अनुभव लेकर जाते हैं।

    स्थानीय गाइड की कहानी: 2024 में एक गाइड, मोहन सिंह, ने बताया कि उसने खान के पास रात में हथौड़ों की आवाज़ सुनी, जैसे कोई पत्थर तोड़ रहा हो। जब उसने टॉर्च जलाकर देखा, तो वहाँ कोई नहीं था। उसने कहा, “रात में यहाँ जाना मतलब जान से खेलना है।”

    पर्यटकों का अनुभव: 2022 में देहरादून से आए चार दोस्तों ने खान में रात को कैंपिंग की। उन्होंने बताया कि आधी रात को उनके टेंट के पास किसी के चलने की आहट सुनाई दी। जब उन्होंने बाहर देखा, तो एक पतला सा आदमी दिखा, जो अचानक गायब हो गया। बाद में स्थानीय लोगों ने बताया कि ये “खनिक का भूत” था, जो रास्ता ढूंढता है।

    paranormal जांच: मशहूर भूत शिकारी गौरव तिवारी ने 2010 में अपनी इंडियन पैरानॉर्मल सोसाइटी के साथ खान की जांच की। उन्होंने EVP रिकॉर्डर से अजीब आवाज़ें और थर्मल कैमरे से ठंडे धब्बे रिकॉर्ड किए। उनके वीडियो को यूट्यूब पर 5 लाख लोग देख चुके हैं।

    लैंबि डेहर का पर्यटक आकर्षण

    लैंबि डेहर खान सिर्फ भूतिया कहानियों के लिए नहीं, बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी जानी जाती है। दिन में ये जगह ट्रैकिंग और फोटोग्राफी के लिए शानदार है, लेकिन रात में इसका माहौल डरावना हो जाता है।

    ट्रैकिंग और सैर: खान तक 3 किलोमीटर का ट्रैकिंग रास्ता है, जो मसूरी के मॉल रोड से शुरू होता है। यहाँ से हिमालय और दून घाटी का नज़ारा दिखता है। हर साल 5000 लोग यहाँ ट्रैकिंग करते हैं।

    पास की जगहें: खान से 5 किलोमीटर दूर जॉर्ज एवरेस्ट हाउस और 15 किलोमीटर दूर केम्पटी फॉल्स पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। 2025 में मसूरी में 10 लाख पर्यटक आए, जिनमें से 50,000 ने खान देखी।

    सावधानियाँ: खान का इलाका उबड़-खाबड़ है। रात में जाना खतरनाक है, क्योंकि रास्ते में जंगली जानवर और फिसलन हो सकती है। स्थानीय प्रशासन सलाह देता है कि ग्रुप में और दिन में ही जाएँ।

    सच्चाई या अंधविश्वास

    क्या लैंबि डेहर खान सचमुच भूतिया है, या ये सिर्फ कहानियाँ हैं? वैज्ञानिकों का कहना है कि कई अनुभव प्राकृतिक कारणों से हो सकते हैं।

    प्राकृतिक कारण: खान की गहरी सुरंगों में हवा की गति से साय-साय की आवाज़ें बनती हैं। कोहरा और ठंडी हवाएँ अजीब सा माहौल बनाती हैं। 2023 में एक वैज्ञानिक सर्वे में कहा गया कि 60 फीसदी अनुभव मनोवैज्ञानिक प्रभाव से होते हैं।

    ऐतिहासिक सच: खनिकों की मौतें सिलिकोसिस और खराब हालात की वजह से हुईं। लेकिन 50,000 मौतों का दावा अतिशयोक्ति लगता है, क्योंकि इतने बड़े हादसे का कोई रिकॉर्ड नहीं है। शायद 500-1000 मौतें हुई हों, जो समय के साथ बढ़ा-चढ़ाकर बताई गईं।

    स्थानीय विश्वास: फिर भी, 80 फीसदी स्थानीय लोग खान को भूतिया मानते हैं और रात में यहाँ जाने से बचते हैं।

    लैंबि डेहर का सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

    लैंबि डेहर खान सिर्फ एक भूतिया जगह नहीं, बल्कि मसूरी की संस्कृति और इतिहास का हिस्सा है।

    लोककथाएँ: खान की कहानियाँ गढ़वाल और कुमाऊँ की लोककथाओं में

    पर्यावरण संरक्षण: खान के बंद होने के बाद शुरू हुए इको-रेस्टोरेशन प्रोजेक्ट ने इस क्षेत्र में कुछ हद तक हरियाली लौटाई। 2000-2007 के प्रोजेक्ट में 1000 पेड़ लगाए गए, और 20 फीसदी जंगल वापस आया। फिर भी, खान का क्षेत्र अब भी उजाड़ है, जो इसे और रहस्यमय बनाता है।

    सामाजिक प्रभाव: स्थानीय लोग खान की कहानियों को अपनी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा मानते हैं। कुछ लोग इसे मजदूरों के दुख की याद के रूप में देखते हैं, जो श्रमिक सुरक्षा की अहमियत को उजागर करता है।

    पर्यटन और अर्थव्यवस्था: लैंबि डेहर की कहानियाँ मसूरी के पर्यटन को बढ़ावा देती हैं। 2025 में मसूरी के पर्यटन से 5000 करोड़ रुपये की कमाई हुई, जिसमें खान का 10 फीसदी योगदान है।

    सावधानियाँ और सुझाव

    अगर आप लैंबि डेहर खान घूमने जा रहे हैं, तो कुछ बातों का ध्यान रखें:

    • दिन में जाएँ, क्योंकि रात में खान का इलाका खतरनाक और डरावना हो सकता है।
    • स्थानीय गाइड के साथ जाएँ, जो रास्तों और कहानियों से वाकिफ हो।
    • उबड़-खाबड़ रास्तों के लिए मजबूत जूते पहनें और टॉर्च साथ रखें।
    • खान के आसपास कचरा ना फैलाएँ, ताकि इसकी प्राकृतिक सुंदरता बनी रहे।

    लैंबि डेहर खान, मसूरी की एक ऐसी जगह है, जो सुंदरता, दुख और रहस्य का अनोखा मेल है। जैसे समुद्र अपने गहरे पानी में अनगिनत रहस्य छिपाता है, वैसे ही ये खान अपने खंडहरों में अनकही कहानियाँ समेटे है। 2025 में, जब हम डिजिटल दुनिया में जी रहे हैं, तब भी लैंबि डेहर की कहानियाँ हमें अतीत के दर्द और मानवता के सबक की याद दिलाती हैं। चाहे आप इसे भूतिया मानें या प्राकृतिक प्रभाव, ये जगह हर किसी को अपनी ओर खींचती है। अगर आप यहाँ जाएँ, तो सिर्फ रोमांच नहीं, बल्कि उन मजदूरों की कहानी भी साथ लाएँ, जिनका दर्द आज भी इस खान में गूंजता है।

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