
Nathula Pass (Image Credit-Social Media)
Nathula Pass (Image Credit-Social Media)
Nathula Pass: ओल्ड सिल्क रूट ‘नाथुला पास’: अगर आप गर्मी की छुट्टियों में भीड़-भाड़ से दूर किसी शांत, ठंडी और रोमांचक जगह की तलाश में हैं, तो सिक्किम का ‘नाथुला पास’ आपके लिए परफेक्ट डेस्टिनेशन हो सकता है। यह वही ऐतिहासिक रास्ता है जिसे प्राचीन काल में ‘ओल्ड सिल्क रूट’ कहा जाता था। जो भारत और चीन के बीच व्यापार का महत्वपूर्ण मार्ग हुआ करता था। आज यह जगह न सिर्फ अपने ऐतिहासिक और सामरिक महत्व के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि गर्मियों के मौसम में घूमने के लिए एक स्वर्ग समान अनुभव भी देती है। बर्फ से ढकी चोटियां, झरने, याक की सवारी और ऊंचाई पर बसी शांति इस जगह को दिव्यता प्रदान करती है। नाथुला पास की यात्रा एक अनुभव नहीं, बल्कि एक यादगार एहसास है।
क्या है ओल्ड सिल्क रूट का ऐतिहासिक महत्व
नाथुला पास न सिर्फ एक पर्यटन स्थल है, बल्कि भारत-चीन इतिहास का सजीव प्रतीक भी है। प्राचीन समय में यह मार्ग भारत, तिब्बत और चीन के बीच व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का जरिया था। रेशमी वस्त्रों, मसालों, आभूषणों और अन्य सामग्रियों का व्यापार इसी मार्ग से हुआ करता था। यही वजह है कि इसे ‘सिल्क रूट’ कहा गया।

मध्यकाल तक यह मार्ग जीवंत था, लेकिन विभिन्न कारणों से यह बंद हो गया। वर्ष 2003 में भारत और चीन के बीच रणनीतिक समझौते के बाद इसे आंशिक रूप से फिर से खोला गया। आज भी यहां व्यापार सीमित मात्रा में होता है और सैन्य दृष्टि से यह अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है।
गर्मियों में क्यों है परफेक्ट डेस्टिनेशन
जब भारत के अधिकांश हिस्सों में तापमान 40 से 50 डिग्री तक पहुंच जाता है, तब सिक्किम के नाथुला पास का तापमान 10 से 15 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है। अप्रैल से अक्टूबर के बीच यहां का मौसम सबसे अनुकूल होता है। हल्की ठंडक, साफ आसमान, बर्फ की चादर ओढ़े पहाड़ और हरियाली, इस स्थान को प्रकृति प्रेमियों के लिए आदर्श बनाते हैं।
कैसे पहुंचे नाथुला पास?

नाथुला दर्रा सिक्किम की राजधानी गंगटोक से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां पहुंचने के लिए आपको पहले गंगटोक आना होगा, जहां से टैक्सी या स्थानीय गाइड के साथ परमिट लेकर नाथुला की यात्रा की जा सकती है।
गंगटोक कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग- निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा (पश्चिम बंगाल) है, जो गंगटोक से लगभग 125 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग- सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन न्यू जलपाईगुड़ी (NJP) है, जहां से सड़क मार्ग द्वारा गंगटोक पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग- गंगटोक से नाथुला पास तक जाने के लिए निजी टैक्सियान, शेयरिंग जीप और टूर ऑपरेटर्स की सेवाएं मिलती हैं।
परमिट की आवश्यकता और प्रक्रिया

नाथुला पास सामरिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है, इसलिए यहां जाने के लिए भारतीय नागरिकों को विशेष परमिट लेना होता है। यह परमिट केवल भारतीय नागरिकों को ही दिया जाता है। परमिट लेने के लिए किसी पंजीकृत टूर एजेंसी से संपर्क करना होता है।
एक पहचान पत्र (आधार या वोटर कार्ड) और दो पासपोर्ट साइज़ फोटोज़ की आवश्यकता होती है।
परमिट शुल्क लगभग ₹200 होता है। विदेशी नागरिकों को यहां प्रवेश की अनुमति नहीं है, लेकिन वे नाथुला से नीचे तक के क्षेत्र जैसे बाबा मंदिर या त्सोंगो लेक तक घूम सकते हैं।
घूमने की मुख्य जगहें
नाथुला पास
बर्फ से ढकी सड़कों पर से होकर गुजरना, भारतीय सैनिकों को सलामी देना और चीन की सीमा की एक झलक देखना। यह अनुभव किसी भी भारतीय के लिए गौरव का विषय होता है। यहां भारत और चीन की सीमा को लोहे के फाटक से अलग किया गया है। कभी-कभी दोनों देशों के सैनिक बातचीत करते हुए भी दिख जाते हैं।
बाबा हरभजन सिंह मंदिर
यह मंदिर एक भारतीय सैनिक ‘हरभजन सिंह’ की याद में बनाया गया है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे शहीद होने के बाद भी अपनी आत्मा से सैनिकों की रक्षा करते हैं। यहां हर साल हजारों श्रद्धालु आते हैं।
त्सोंगो लेक (चांगू लेक)
नाथुला के रास्ते में पड़ने वाली यह खूबसूरत झील चारों ओर से बर्फ से ढकी होती है। अप्रैल से जून के बीच यह झील एक आईने की तरह शांत होती है, जिसमें पहाड़ों की परछाई भी साफ दिखती है।
हनुमान टोक
यह एक उच्च स्थान पर स्थित हनुमान जी का मंदिर है जहां से पूरे गंगटोक का शानदार दृश्य दिखाई देता है। शांत वातावरण और प्रकृति का संगम यहां देखने को मिलता है। पर्यटकों के लिए सबसे पसंदीदा स्थान माना जाता है।
ताशी व्यू पॉइंट
कंचनजंघा की बर्फीली चोटियों को सूर्योदय के समय देखने के लिए यह पॉइंट एक शानदार स्थान है। यहां से सूरज की पहली किरण जब बर्फ पर पड़ती है तो पूरा पर्वत सोने सा चमकता है।
हिमालयन जूलॉजिकल पार्क
यहां हिम तेंदुआ, लाल पांडा, याक, तिब्बती भेड़िया जैसे दुर्लभ प्राणी देखने को मिलते हैं। खासतौर पर बच्चों और वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी के शौकीनों के लिए यह स्थान आकर्षण का केंद्र है।
यहां से जुड़े अनुभव जो आपकी यादों में कैद होकर रह जाएंगे

याक की सवारी का अनुभव
नाथुला के रास्ते में या त्सोंगो लेक के पास याक की सवारी करने का अनुभव बेहद अनोखा होता है। बर्फ में धीरे-धीरे चलती इस विशालकाय जानवर की सवारी बच्चों और बड़ों सभी को रोमांचित करती है।
फोटो ग्राफी और एडवेंचर
अगर आप ट्रेवल ब्लॉगर या फोटोग्राफर हैं, तो नाथुला पास आपके लिए किसी खजाने से कम नहीं। यहां की घाटियां, बर्फीले रास्ते, सैन्य चौकियां और आसमान छूते बादल जैसे हर दृश्य लेंस में कैद करने लायक होता है।
आध्यात्मिक शांति और आत्म-साक्षात्कार
नाथुला का वातावरण न सिर्फ शरीर को ठंडक देता है, बल्कि मन को भी शांत करता है। यहां आकर कई लोग ध्यान, योग और आत्म-साक्षात्कार के क्षण भी महसूस करते हैं।
सावधानियां और सुझाव
नाथुला पास की ऊंचाई 14,000 फीट से अधिक है, इसलिए कुछ लोगों को ऑक्सीजन की कमी महसूस हो सकती है।
ठंडी हवाओं और बर्फ से बचाव के लिए गर्म कपड़े जरूर रखें। सर्दी-जुकाम, सिर दर्द या सांस लेने की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। फोटो खींचते समय सेना की गतिविधियों या सीमा क्षेत्र की तस्वीरें न लें यह प्रतिबंधित होता है।
भारत का ओल्ड सिल्क रूट यानी नाथुला दर्रा, सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि इतिहास, प्रकृति, सैन्य गौरव और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम है। गर्मियों के मौसम में जब देश के अन्य हिस्से गर्मी से झुलसते हैं, तब यह स्थान एक शांत, ठंडी और रोमांचकारी शरण बन जाता है।
अगर आप इस बार गर्मियों की छुट्टियों को सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक यादगार अनुभव बनाना चाहते हैं, तो नाथुला पास जरूर जाएं। यहां की ठंडी हवा, अद्भुत नज़ारे, और ऐतिहासिक महत्ता आपको एक नई ऊर्जा से भर देंगे।