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    Home » Navratri Famous Mela in UP: नवरात्र में उत्तर प्रदेश के ये हैं भव्य मेले, जहां लगता है धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक उल्लास का संगम
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    Navratri Famous Mela in UP: नवरात्र में उत्तर प्रदेश के ये हैं भव्य मेले, जहां लगता है धार्मिक आस्था और सांस्कृतिक उल्लास का संगम

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 4, 2025No Comments8 Mins Read
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    Navratri Famous Mela in UP

    Navratri Famous Mela in UP

    Navratri Famous Mela in UP: दुर्गा की आराधना का विशेष पर्व नवरात्र उत्तर प्रदेश में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान राज्य के कई प्रमुख शहरों में भव्य मेलों का आयोजन किया जाता है, जहां दूर-दूर से आए श्रद्धालु पूजा -आराधना और देवी दर्शन के बाद घूमने और खरीदारी का आनंद लेते हैं। ये मेले धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत के संगम के प्रतीक होते हैं। आइए, जानते हैं उत्तर प्रदेश के कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में, जहां नवरात्रि के अवसर पर विशेष मेले लगते हैं।

    1. वाराणसी- मां दुर्गा का पावन धाम

    वाराणसी में नवरात्रि के दौरान दुर्गा मंदिर, संकटमोचन मंदिर से और काशी विश्वनाथ मंदिर में भारी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं। वाराणसी में स्थित सबसे प्रसिद्ध और पवित्र दुर्गा मंदिर के दर्शन करने की बात होती है, तो कई भक्त सबसे पहले दुर्गा कुंड मंदिर ही पहुंचते हैं। यह एक प्राचीन और मंदिर है, जो पूर्णरूप से मां दुर्गा को समर्पित है।

    दुर्गा कुंड मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां देवी दुर्गा की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई थी। मंदिर के पास स्थित ’दुर्गा कुंड’ भी एक पवित्र स्थान माना जाता है। कहा जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से पहुंचता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती है। नवरात्रि के मौके पर यहां राज्य के हर कोने से भक्त अपनी-अपनी मुरादें लेकर पहुंचते हैं।इस अवसर पर लगने वाले मेले में पारंपरिक वस्त्र, आभूषण, धार्मिक साहित्य और सजावटी वस्तुएं प्रमुख रूप से मिलती हैं। इसके साथ ही, बनारसी साड़ियों और पीतल के बर्तनों की खरीदारी का भी विशेष आकर्षण होता है।

    2. अयोध्या: श्रीराम की नगरी में भव्य आयोजन

    अयोध्या में नवरात्रि के दौरान कनक भवन, हनुमानगढ़ी और राम जन्मभूमि मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। महाकुंभ मेले के बाद अयोध्या में रामनवमी मेले का उल्लास देखते ही बनता है।

    नौ दिवसीय रामनवमी मेले का समापन रामनवमी के साथ होता है। यहां लगने वाले मेले में धार्मिक ग्रंथ, मूर्तियां हस्तशिल्प और स्थानीय मिठाइयां प्रमुखता से मांग में रहती हैं। साथ ही,इस दौरान रामलीला मंचन भी मुख्य आकर्षण रहता है।

    3. मथुरा-वृंदावन – कृष्ण भूमि में नवरात्रि की धूम

    नवरात्र के अवसर पर मथुरा और वृंदावन के मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना होती है। नवरात्रि के दौरान, खासकर चैत्र और शारदीय नवरात्रि में, भक्त माता के दर्शन और आशीर्वाद लेने के लिए मंदिरों में आते हैं। इन अवसरों पर, कात्यायनी देवी मंदिर के पास रंग जी के बड़े बगीचा में मेले का आयोजन किया जाता है। मथुरा में प्रमुख देवी मंदिरों में छाता तहसील क्षेत्र का नरी सेमरी देवी मेला और सांचौली देवी मेला आकर्षण का केंद्र होते हैं। वृंदावन में राधा बाग में मां कात्यायनी देवी, राजपुर में मां चामुंडा देवी और कैला देवी मंदिर जैसे प्रमुख स्थलों पर भी श्रद्धालुओं का जमावड़ा होता है।

    मथुरा के प्रमुख मंदिरों में रंगेश्वर काली मंदिर, गायत्री तपोभूमि और कृष्णा नगर स्थित मां दुर्गा मंदिर जैसे कई स्थानों पर श्रद्धालु पूजा अर्चना करने आते हैं। यहां कुंवारे लड़के और लड़कियां मनचाहे वर और वधु प्राप्त करने के लिए माता का आशीर्वाद लेने आते हैं। यहां के मेलों में राधा-कृष्ण की मूर्तियां, टेराकोटा की कलाकृतियों, फूल बंगला सजावट की सामग्री और स्थानीय मिठाइयां विशेष रूप से बिकती हैं।

    4. लखनऊ – हुसैनाबाद और चौक क्षेत्र में मेले

    राजधानी लखनऊ में दुर्गा पूजा के दौरान वैसे तो कई स्थानों पर मेले लगते हैं। जिसमें हुसैनाबाद में स्थित भुईयन देवी मंदिर और चौक क्षेत्र में छोटी और बड़ी काली मंदिर में लगने वाले मेले की काफी पुरानी परम्परा रही है। ये देवी मंदिर चौक चौराहे के बेहद करीब स्थित है। यहां पर लक्ष्मी नारायण की प्रतिमा स्थित है। लेकिन उन्हें काली के रूप में पूजा जाता है।

    यह मंदिर औरंगजेब के वक्त का है। नवरात्रि में यहां पर मेला लगता है जो कि लखनऊ का सबसे बड़ा मेला होता है। नवरात्रि में यहां दर्शन करने के लिए न सिर्फ लखनऊ बल्कि उत्तर प्रदेश के अलग जिलों से भी भक्त आते हैं। यहां के मेलों में चिकनकारी के कपड़े, लकड़ी की और पारंपरिक अवधी व्यंजन विशेष रूप से उपलब्ध होते हैं। बड़ी संख्या में लोग इन मेलों में घूमने और खरीदारी करने आते हैं।

    5. इलाहाबाद (प्रयागराज)- संगम तट पर आस्था का मेला

    प्रयागराज में अलोपशंकरी देवी का प्राचीन मंदिर लाखों भक्‍तों की आस्‍था से जुड़ा है। यहां देवी की प्रतिमा नहीं स्‍थापित है, बल्कि उनके प्रतीक स्‍वरूप पालने की पूजा होती है। इस मंदिर का पुराणों में भी वर्णन बताया जाता है। मान्‍यता है कि मां सती के हाथ का पंजा यहां गिरने के बाद विलुप्त हो गया था। इसी कारण इस शक्तिपीठ का नाम अलोपशंकरी हुआ। स्थानीय लोग इसे अलोपीदेवी के नाम से भी जानते हैं। मां दुर्गा के कई स्वरूप हैं, जिनके दर्शन-पूजन के लिए शक्तिपीठों में देवी भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। देवी के इन मंदिरों में अपने विभिन्न रूपों में मां विद्यमान हैं। प्रयागराज में दारागंज से रामबाग की ओर जाने वाले मार्ग पर अलोपशंकरी का मंदिर स्थित है। इन्हीं के नाम पर यहां अलोपीबाग मुहल्ला है। मंदिर की देखरेख करने वाले महंत भी बताते हैं कि इस मंदिर का पुराणों में भी वर्णन मिलता है।

    प्रयागराज में नवरात्र के दौरान मां बगलामुखी और अन्य शक्तिपीठों पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है। संगम तट पर लगने वाले मेले में धार्मिक वस्तुएं, संगमरमर की मूर्तियां, पूजा सामग्री और हर्बल उत्पादों की खूब बिक्री होती है।

    6. देवीपाटन (बलरामपुर) – शक्तिपीठ पर विशाल मेला

    बलरामपुर स्थित देवीपाटन मंदिर उत्तर प्रदेश के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है। शक्तिपीठ मंदिर देवीपाटन 51 शक्तिपीठों में शुमार है। यहां पूरे वर्ष देश के कोने-कोने के अलावा दूसरे देशों से भी श्रद्धालु पहुंचते हैं। मान्यता है कि यहां माता सती का वाम स्कंध पट सहित गिरा था। पट सहित गिरने से यहां आदिशक्ति को माता पाटेश्वरी के नाम से पूजन किया जाता है। माता पाटेश्वरी के नाम पर ही इस क्षेत्र का नाम देवीपाटन है। यही के नाम पर मंडल का नाम भी देवीपाटन है। यहां पूरे वर्ष देश के कोने-कोने सहित दूसरे देशों से भी श्रद्धालुओं का आवागमन होता है।

    प्रत्येक वर्ष चैत्र नवरात्रि में एक माह का विशाल मेला लगता है। मंदिर की ऐतिहासिकता को देखते हुए प्रदेश सरकार के द्वारा लगने वाले मेले को राजकीय मेले का दर्जा प्राप्त है। इंडो-नेपाल सीमा के सुहेलवा वन के समीप यह शक्तिपीठ होने के चलते सुरक्षा के दृष्टिगत जिला प्रशासन के द्वारा यहां सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त रहते हैं। देवीपाटन मंदिर की व्यवस्था और देखरेख गोरक्षनाथ मंदिर, गोरखपुर के द्वारा की जा रही है। गोरक्ष पीठाधीश्वर सीएम योगी आदित्यनाथ मंदिर की व्यवस्थाओं को लेकर स्वयं समीक्षा करते रहते हैं।नवरात्रि में यहां भव्य मेला लगता है, जिसमें धार्मिक वस्तुएं, खिलौने, मिट्टी के बर्तन और हस्तनिर्मित सामान विशेष रूप से बिकते हैं।

    7. चंद्रिका देवी मंदिर, लखनऊ

    बक्शी का तालाब स्थित चंद्रिका देवी मंदिर एक शक्तिपीठ और सिद्धपीठ मंदिर है। चंद्रिका देवी को लखनऊ की कुलदेवी भी कहा जाता है इसीलिए लखनऊ के लोगों को इनके दर्शन करना अनिवार्य माना जाता है।

    नवरात्र के दौरान यहां लगने वाले मेले की भव्यता देखते ही बनती है।

    8. विंध्याचल (मिर्जापुर): मां विंध्यवासिनी धाम का प्रसिद्ध मेला

    विंध्यवासिनी देवी मंदिर मिर्जापुर से 8 किमी की दूरी पर पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित है। यह विंध्यवासिनी देवी के सबसे प्रतिष्ठित सिद्धपीठों में से एक है। माना जाता है कि देवी विंध्यवासिनी बृद्धावस्था की तात्कालिक सर्वश्रेष्ठ शक्ति हैं।मंदिर में रोजाना बड़ी संख्या में लोग आते हैं।मिर्जापुर स्थित विंध्याचल धाम में नवरात्रि के दौरान विशाल मेला लगता है।

    यहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और देवी माँ के दर्शन के बाद मेला घूमने का आनंद लेते हैं। यहां विशेष रूप से लकड़ी और धातु की मूर्तियां, धार्मिक पुस्तकें और हस्तशिल्प वस्तुएं मिलती हैं।

    9. गोरखपुर – गोरखनाथ मंदिर का नवरात्रि मेला

    गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर बड़ा मेला लगता है। गोरखपुर जिले के भटहट बांसस्थान रोड पर बामंत मां का मंदिर स्थित है. 200 वर्ष से इस मंदिर में ऐतिहासिक मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला नवरात्र के पहले दिन से लेकर पूर्नवासी तक लगता है।

    मंदिर में दूर-दूर से लोग दर्शन करने आते हैं.यहां खिलौने, पारंपरिक वस्त्र, हस्तशिल्प और आर्टिफिशियल ज्वेलरी प्रमुख रूप से बिकती हैं। साथ ही, लोकगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। उत्तर प्रदेश में नवरात्रि के दौरान लगने वाले ये भव्य मेले न केवल धार्मिक आस्था को बल देते हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देते हैं। ये मेले श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक आनंद और सांस्कृतिक समृद्धि का संगम प्रस्तुत करते हैं। यदि आप नवरात्रि के दौरान इन शहरों में जाते हैं, तो इन मेलों का हिस्सा बनकर धार्मिक आस्था और पारंपरिक खरीदारी का अद्भुत अनुभव प्राप्त कर सकते हैं।

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