Close Menu
    Facebook X (Twitter) Instagram
    Trending
    • डिंपल यादव ही नहीं, कभी छोटी स्कर्ट तो कभी फटी हुई जीन्स… महिलाओं के कपड़ों से नेताओं को है पुरानी दुश्मनी
    • वाह नीतीश बाबू… चुनाव से पहले जनता को लुभाने में जुटे मुख्यमंत्री, फिर कर दिया एक बड़ा ऐलान
    • ‘उपराष्ट्रपति’ बना बीजेपी की नई टेंशन! धनखड़ के इस्तीफे से लटक गया राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव, UP भी लपेटे में
    • Azamgarh News: सपा सांसद अफजाल अंसारी का तीखा हमला, भाजपा चालाक है
    • लालू के लाल ने फूंका बगावती बिगुल! तेज प्रताप यादव महुआ से लड़ेंगे निर्दलीय चुनाव
    • कर्नाटक में कुर्सी की जंग अब ‘जूते’ तक पहुंची, CM और DCM के खासमखास आपस में भिड़े, सरकार में मची खलबली
    • Mysterious Village Story: एक खोया हुआ पूरा गाँव, आइए जाने रोआनोक कॉलोनी के बारे में
    • हद हो गई चिराग बाबू! कहा- दुखी हूं… विफल हैं सीएम साहब; सियासी आंच में गजब रोटियां सेंक लेते हैं ‘रामविलास के बेटे’
    • About Us
    • Get In Touch
    Facebook X (Twitter) LinkedIn VKontakte
    Janta YojanaJanta Yojana
    Banner
    • HOME
    • ताज़ा खबरें
    • दुनिया
    • ग्राउंड रिपोर्ट
    • अंतराष्ट्रीय
    • मनोरंजन
    • बॉलीवुड
    • क्रिकेट
    • पेरिस ओलंपिक 2024
    Home » Odanthurai Village History: ओदन्थुराई, एक ऐसा गांव जो देता है सरकार को बिजली, आइए इसे जानते हैं
    Tourism

    Odanthurai Village History: ओदन्थुराई, एक ऐसा गांव जो देता है सरकार को बिजली, आइए इसे जानते हैं

    Janta YojanaBy Janta YojanaJuly 2, 2025No Comments10 Mins Read
    Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Share
    Facebook Twitter LinkedIn Pinterest Email

    Odanthurai (Image Credit-Social Media)

    Odanthurai (Image Credit-Social Media)

    Odanthurai Village History: ओदन्थुराई तमिलनाडु के कोयम्बटूर जिले में बसा एक छोटा सा गांव है जो अपनी अनोखी कहानी से सबका दिल जीत लेता है। ये गांव सिर्फ अपनी हरियाली या शांत माहौल के लिए नहीं जाना जाता बल्कि एक ऐसे कारनामे के लिए मशहूर है जिसने पूरे देश को हैरान कर दिया। ओदन्थुराई भारत का पहला ऐसा गांव है जिसने अपनी बिजली खुद बनाई और सरकार को बेचकर कमाई की। ये कहानी मेहनत एकता और दूरदर्शी सोच की मिसाल है। भवानी नदी के किनारे बसे इस गांव ने दिखाया कि छोटे से गांव की बड़ी सोच दुनिया बदल सकती है। कोयम्बटूर शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर पश्चिमी घाट की तलहटी में बसा ओदन्थुराई एक साधारण सा गांव है।

    भवानी नदी इसके पास से बहती है जो इसे हरियाली और सुंदरता देती है। करीब 1500 परिवारों का ये गांव अपनी सादगी और एकजुटता के लिए जाना जाता है। लेकिन इसकी असली शान है इसका बिजली प्रोजेक्ट। 2006 में गांव ने बायोगैस और विंडमिल से बिजली बनाना शुरू किया। ये भारत का पहला ऐसा गांव बन गया जो अपनी जरूरत से ज्यादा बिजली बनाकर तमिलनाडु इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड यानी TNEB को बेचता है। इस कमाल ने ओदन्थुराई को आत्मनिर्भरता की मिसाल बना दिया।

    बिजली की कहानी का आगाज

    2000 के दशक की शुरुआत में ओदन्थुराई में बिजली की हालत ठीक नहीं थी। बार-बार बिजली गुल हो जाती थी और वोल्टेज कम रहता था। गांव वालों को रात में अंधेरे में रहना पड़ता था। तब पंचायत अध्यक्ष आर शनमुगम ने ठान लिया कि वो इस समस्या का हल निकालेंगे। उन्होंने गांव वालों को इकट्ठा किया और एक अनोखा रास्ता चुना। 2006 में गांव ने बायोगैस प्लांट लगाया जो गोबर और जैविक कचरे से बिजली बनाता है। साथ ही 350 किलोवाट का विंडमिल भी लगाया गया जो हवा की ताकत से बिजली पैदा करता है। गांव अपनी जरूरत की बिजली इस्तेमाल करता है और बाकी TNEB को बेचता है। इस कमाई से गांव में स्कूल सड़कें और पानी की व्यवस्था बेहतर हुई। ये मॉडल इतना कामयाब रहा कि ओदन्थुराई को पूरे देश में सम्मान मिला।

    बिजली मॉडल का जादू

    ओदन्थुराई का बिजली मॉडल इतना सरल और असरदार है कि इसे समझना आसान है। हर घर से गोबर और जैविक कचरा इकट्ठा होता है जो बायोगैस प्लांट में जाता है। वहां मीथेन गैस बनती है जो जनरेटर चलाती है और बिजली पैदा होती है। 60 किलोवाट का ये प्लांट गांव की छोटी-मोटी जरूरतें पूरी करता है। दूसरी तरफ विंडमिल हवा से बिजली बनाता है खासकर मानसून में जब हवाएं तेज चलती हैं। ये 350 किलोवाट बिजली पैदा करता है। गांव अपनी जरूरत के लिए करीब 200 किलोवाट बिजली रखता है और बाकी सरकार को बेच देता है। इससे हर साल 15-20 लाख रुपये की कमाई होती है। बदले में हर घर को मुफ्त बायोगैस मिलती है जिससे रसोई का खर्च बचता है। गांव के लोग मिलकर प्लांट चलाते हैं और इसकी देखभाल करते हैं। ये एकता ही इस मॉडल की सबसे बड़ी ताकत है।

    गांव की जिंदगी पर असर

    इस बिजली प्रोजेक्ट ने ओदन्थुराई की तस्वीर बदल दी। गांव में पहले जहां अंधेरा और बिजली की कमी थी वहां अब रौशनी और विकास है। बिजली बेचने से मिलने वाला पैसा गांव के स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम बनाने सड़कों को पक्का करने और पानी की टंकियां बनाने में लगा। इससे बच्चों की पढ़ाई बेहतर हुई और गांव की सड़कें चमकने लगीं। महिलाओं को सबसे ज्यादा फायदा हुआ। बायोगैस ने रसोई का काम आसान कर दिया। अब उन्हें लकड़ी जमा करने या गैस सिलेंडर की लाइन में नहीं लगना पड़ता। इससे उनका वक्त और मेहनत बची।

     बायोगैस और विंडमिल प्लांट ने कई युवाओं को नौकरियां दीं। कोई गोबर इकट्ठा करता है तो कोई प्लांट की मशीनें संभालता है। पर्यावरण की बात करें तो बायोगैस ने कचरे को कम किया और गोबर का सही इस्तेमाल हुआ। इससे गांव साफ रहा और प्रदूषण कम हुआ।

    हाल की खबरें

    ओदन्थुराई की कहानी आज भी सुर्खियों में है। 2025 में आई कुछ खबरें इसे और खास बनाती हैं। 1 जुलाई 2025 को तमिलनाडु सरकार ने बिजली के दाम 3.16 फीसदी बढ़ाए। घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए सरकार ने TNEB को सब्सिडी दी।

    हाल की खबरें

    1 जुलाई, 2025 को तमिलनाडु में बिजली के दाम 3.16 फीसदी बढ़ाए गए। घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए सरकार ने TNEB को सब्सिडी दी। इसका फायदा ओदन्थुराई जैसे गांवों को हुआ क्योंकि अब उन्हें बिजली बेचने के लिए प्रति यूनिट ज्यादा कीमत मिलेगी। इससे गांव की कमाई बढ़ने की उम्मीद है।

    2025 में तमिलनाडु सरकार ने नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर दिया। सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने की योजना में ओदन्थुराई का मॉडल एक मिसाल बना। सरकार अब ऐसे गांवों को और फंडिंग दे रही है जो अपनी बिजली बनाते हैं।

    2024 में ओदन्थुराई को तमिलनाडु सरकार ने ग्रीन विलेज अवॉर्ड दिया। ये सम्मान इसके बायोगैस और विंडमिल प्रोजेक्ट की वजह से मिला।

    खबर है कि 2025 में कोयम्बटूर और तिरुपुर के 10 और गांव ओदन्थुराई के मॉडल को अपनाने की तैयारी में हैं। ये गांव भी बायोगैस और विंडमिल से बिजली बनाकर आत्मनिर्भर बनना चाहते हैं।

    ओदन्थुराई की जिंदगी और संस्कृति


    ओदन्थुराई के लोग मेहनती और जिंदादिल हैं। ज्यादातर लोग खेती और पशुपालन से जुड़े हैं। गांव में धान नारियल और केले की खेती होती है।

    पशुपालन न सिर्फ उनकी आजीविका है बल्कि बायोगैस प्लांट के लिए गोबर भी देता है। दीवाली पोंगल और स्थानीय मंदिरों के उत्सव यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं। बिजली की बदौलत अब रात के आयोजन भी आसान हो गए हैं। गांव की सबसे बड़ी ताकत है इसकी एकता। चाहे बिजली प्रोजेक्ट हो या कोई उत्सव लोग एक साथ मिलकर काम करते हैं। बिजली की कमाई से स्कूलों में स्मार्ट क्लासरूम बने जिससे बच्चों की पढ़ाई बेहतर हुई।

    गांव की महिलाएं अब बायोगैस से खाना बनाती हैं जिससे उनका समय और मेहनत बचती है। स्थानीय मंदिर और भवानी नदी के किनारे होने वाले मेले गांव की संस्कृति को और रंगीन बनाते हैं।

    पर्यटन का आकर्षण

    ओदन्थुराई अब पर्यटकों और रिसर्चरों के लिए भी खास बन गया है। लोग इसके बिजली मॉडल को देखने आते हैं। कोयम्बटूर रेलवे स्टेशन और हवाई अड्डा 30 किलोमीटर दूर है। वहां से बस या टैक्सी से गांव पहुंचा जा सकता है। रास्ते में भवानी नदी और हरे-भरे खेत मन मोह लेते हैं। गांव में रहने के लिए छोटे गेस्टहाउस और होमस्टे हैं। कोयम्बटूर में अच्छे होटल और रिसॉर्ट्स मिलते हैं। खाने में तमिल खाना जैसे इडली डोसा और सांभर खास है। कुछ छोटे ढाबों पर भारतीय और चीनी खाना भी मिलता है।

    अक्टूबर से मार्च का मौसम सबसे अच्छा है क्योंकि गर्मी कम होती है और गांव की हरियाली देखने लायक होती है। पर्यटकों को भवानी नदी के किनारे टहलने और बायोगैस प्लांट देखने का मौका मिलता है। स्थानीय लोग मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत करते हैं।

    चुनौतियां और उनका हल

    ओदन्थुराई का सफर आसान नहीं था। बायोगैस और विंडमिल प्लांट लगाने में लाखों रुपये का खर्च आया। गांव ने बैंक लोन और सरकारी मदद से इसे मुमकिन किया। प्लांट चलाने के लिए ट्रेंड लोग चाहिए थे। इसके लिए गांव के युवाओं को ट्रेनिंग दी गई। मानसून में विंडमिल ज्यादा बिजली बनाता है लेकिन गर्मियों में हवा कम होने से उत्पादन घटता है। इस कमी को बायोगैस प्लांट पूरा करता है। शुरू में कुछ लोग गोबर देने में हिचकिचाए लेकिन पंचायत ने उन्हें मुफ्त बायोगैस का फायदा समझाया। अब हर घर इस प्रोजेक्ट का हिस्सा है। बिजली की लाइनें और मशीनों का रखरखाव भी एक चुनौती है लेकिन गांव के लोग इसे मिलकर संभालते हैं।

    पर्यावरण और ओदन्थुराई

    ओदन्थुराई का बिजली मॉडल पर्यावरण के लिए भी वरदान है। बायोगैस प्लांट ने गांव के कचरे को कम किया। गोबर और जैविक कचरे का सही इस्तेमाल होने से प्रदूषण घटा। विंडमिल हवा से बिजली बनाता है जो कार्बन उत्सर्जन को कम करता है। गांव की हरियाली और भवानी नदी इसे और खूबसूरत बनाते हैं। लेकिन कुछ चुनौतियां भी हैं। मानसून में नदी में बाढ़ आती है जिससे खेतों को नुकसान होता है। गांव ने रेनवाटर हार्वेस्टिंग शुरू की है ताकि पानी की कमी न हो।

    सरकार और स्थानीय लोग मिलकर पेड़ लगाने और मिट्टी बचाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि पर्यावरण सुरक्षित रहे।

    ओदन्थुराई की कहानी कई सबक देती है। इसने दिखाया कि एकता और मेहनत से कोई भी गांव अपनी तकदीर बदल सकता है। बायोगैस और विंडमिल जैसे प्रोजेक्ट बताते हैं कि विकास और पर्यावरण साथ चल सकते हैं। अपनी जरूरतें खुद पूरी करना और बाकी बेचना आत्मनिर्भर भारत का सच्चा उदाहरण है। ओदन्थुराई का मॉडल अब स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ाया जाता है। ये छोटे गांवों को सिखाता है कि वो भी बड़े बदलाव ला सकते हैं। गांव के लोग कहते हैं कि उनका मकसद सिर्फ बिजली बनाना नहीं बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए बेहतर भविष्य बनाना है।

    ओदन्थुराई का भविष्य और चमकदार हो सकता है। गांव अब सोलर पैनल लगाने की योजना बना रहा है। इससे बिजली उत्पादन और बढ़ेगा। तमिलनाडु के 10 और गांव इस मॉडल को अपनाने की तैयारी में हैं। ये कोयम्बटूर और तिरुपुर के गांव हैं जो बायोगैस और विंडमिल से बिजली बनाना चाहते हैं। ओदन्थुराई को इको-टूरिज्म का केंद्र बनाने की बात चल रही है। लोग यहां बिजली मॉडल और गांव की संस्कृति देखने आ सकते हैं। तमिलनाडु सरकार नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है और ओदन्थुराई जैसे गांवों को और फंडिंग मिलने की उम्मीद है। गांव के लोग चाहते हैं कि उनकी कहानी और गांवों तक पहुंचे ताकि देश का हर कोना आत्मनिर्भर बने।

    स्थानीय कहानियां और अनुभव

    ओदन्थुराई के लोगों की कहानियां इस गांव को और खास बनाती हैं। एक बुजुर्ग किसान मुरुगन बताते हैं कि पहले बिजली की कमी से खेतों में पानी देना मुश्किल था। अब बायोगैस और विंडमिल ने उनकी जिंदगी आसान कर दी। उनकी बेटी अनीता स्कूल में स्मार्ट क्लासरूम में पढ़ती है और इंजीनियर बनना चाहती है। पंचायत अध्यक्ष शनमुगम की मेहनत की हर कोई तारीफ करता है। वो कहते हैं कि गांव का हर बच्चा उनका परिवार है और बिजली की कमाई से उनकी पढ़ाई और भविष्य बेहतर करना उनका मकसद है। एक स्थानीय महिला राधा बताती हैं कि बायोगैस ने उनकी रसोई का बोझ हल्का किया। अब वो अपने बच्चों के साथ ज्यादा वक्त बिता पाती हैं। ये छोटी-छोटी कहानियां ओदन्थुराई की आत्मा हैं।

    ओदन्थुराई एक छोटा सा गांव है लेकिन इसकी सोच आसमान छूती है। इसने दिखाया कि मेहनत एकता और सही नेतृत्व से कोई भी गांव अपनी कहानी खुद लिख सकता है। बिजली बेचने वाला ये गांव न सिर्फ अपने घरों को रोशन करता है बल्कि पूरे देश को प्रेरणा देता है। हाल की खबरें बताती हैं कि इसका मॉडल अब और गांवों तक पहुंच रहा है। ओदन्थुराई की कहानी सिखाती है कि छोटे कदम बड़े बदलाव ला सकते हैं। अगर आप इस गांव का जादू देखना चाहते हैं तो कोयम्बटूर की राह पकड़ें और इस अनोखे गांव की कहानी को करीब से जानें। बस भवानी नदी के किनारे बैठकर उस हवा का मजा लें जो ओदन्थुराई को बिजली देती है।

    Share. Facebook Twitter Pinterest LinkedIn Tumblr Email
    Previous ArticleE.T Muhammad Basheer Wikipedia: ई.टी. मुहम्मद बशीर का मिशन शिक्षा, संविधान और समावेश: संसद में IUML की एक सशक्त आवाज
    Next Article Meghalay Tourist Place: कश्मीर भूल जाएँगे मॉसिनराम आ कर, दुनिया का सबसे गीला ठिकाना
    Janta Yojana

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    Related Posts

    Mysterious Village Story: एक खोया हुआ पूरा गाँव, आइए जाने रोआनोक कॉलोनी के बारे में

    July 26, 2025

    80000-Ton Cruise Ship: भाई कुछ नहीं टाइटैनिक जहाज! पूरी दुनिया है 80,000 टन के इस क्रूज शिप में

    July 26, 2025

    MP Mysterious Shiv Mandir: भोलेनाथ के ये तीन चमत्कारी मंदिर इनमें छिपे रहस्य को विज्ञान नहीं सुलझा पाया

    July 26, 2025
    Leave A Reply Cancel Reply

    ग्रामीण भारत

    गांवों तक आधारभूत संरचनाओं को मज़बूत करने की जरूरत

    December 26, 2024

    बिहार में “हर घर शौचालय’ का लक्ष्य अभी नहीं हुआ है पूरा

    November 19, 2024

    क्यों किसानों के लिए पशुपालन बोझ बनता जा रहा है?

    August 2, 2024

    स्वच्छ भारत के नक़्शे में क्यों नज़र नहीं आती स्लम बस्तियां?

    July 20, 2024

    शहर भी तरस रहा है पानी के लिए

    June 25, 2024
    • Facebook
    • Twitter
    • Instagram
    • Pinterest
    ग्राउंड रिपोर्ट

    मूंग की फसल पर लगा रसायनिक होने का दाग एमपी के किसानों के लिए बनेगा मुसीबत?

    June 22, 2025

    केरल की जमींदार बेटी से छिंदवाड़ा की मदर टेरेसा तक: दयाबाई की कहानी

    June 12, 2025

    जाल में उलझा जीवन: बदहाली, बेरोज़गारी और पहचान के संकट से जूझता फाका

    June 2, 2025

    धूल में दबी जिंदगियां: पन्ना की सिलिकोसिस त्रासदी और जूझते मज़दूर

    May 31, 2025

    मध्य प्रदेश में वनग्रामों को कब मिलेगी कागज़ों की कै़द से आज़ादी?

    May 25, 2025
    About
    About

    Janta Yojana is a Leading News Website Reporting All The Central Government & State Government New & Old Schemes.

    We're social, connect with us:

    Facebook X (Twitter) Pinterest LinkedIn VKontakte
    अंतराष्ट्रीय

    पाकिस्तान में भीख मांगना बना व्यवसाय, भिखारियों के पास हवेली, स्वीमिंग पुल और SUV, जानें कैसे चलता है ये कारोबार

    May 20, 2025

    गाजा में इजरायल का सबसे बड़ा ऑपरेशन, 1 दिन में 151 की मौत, अस्पतालों में फंसे कई

    May 19, 2025

    गाजा पट्टी में तत्काल और स्थायी युद्धविराम का किया आग्रह, फिलिस्तीन और मिस्र की इजरायल से अपील

    May 18, 2025
    एजुकेशन

    MECL में निकली भर्ती, उम्मीवार ऐसे करें आवेदन, जानें क्या है योग्यता

    June 13, 2025

    ISRO में इन पदों पर निकली वैकेंसी, जानें कैसे करें आवेदन ?

    May 28, 2025

    पंजाब बोर्ड ने जारी किया 12वीं का रिजल्ट, ऐसे करें चेक

    May 14, 2025
    Copyright © 2017. Janta Yojana
    • Home
    • Privacy Policy
    • About Us
    • Disclaimer
    • Feedback & Complaint
    • Terms & Conditions

    Type above and press Enter to search. Press Esc to cancel.