
Siliguri Corridor: सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जिसे ‘चिकन नेक’ भी कहा जाता है, भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को शेष देश से जोड़ने वाला एक संकरा भू-भाग है। यह कॉरिडोर पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी शहर के पास स्थित है और इसकी चौड़ाई कुछ स्थानों पर केवल 20 से 22 किलोमीटर है। यह भू-भाग भूटान, नेपाल और बांग्लादेश की सीमाओं से सटा हुआ है, जो इसे रणनीतिक रूप से अत्यंत संवेदनशील और महत्वपूर्ण बनाता है।
भौगोलिक और रणनीतिक महत्व
यह कॉरिडोर भारत के सात पूर्वोत्तर राज्यों—अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड और त्रिपुरा—को भारत के मुख्य भाग से जोड़ता है। यदि यह मार्ग किसी कारणवश अवरुद्ध हो जाए, तो पूर्वोत्तर भारत का संपर्क शेष भारत से कट सकता है। यही कारण है कि यह क्षेत्र चीन और अन्य पड़ोसी देशों की नजरों में भी रहता है।

वास्तव में, डोकलाम विवाद (2017) के दौरान यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय सुर्खियों में आया था, जब भारत और चीन के बीच सैन्य तनाव इस इलाके के करीब उत्पन्न हुआ। चीन इस कॉरिडोर के सामरिक महत्व को भलीभांति समझता है और अपने बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के जरिए क्षेत्र में प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
भारत सरकार की पहलें और योजनाएं
सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा और सुदृढ़ीकरण के लिए भारत सरकार ने कई कदम उठाए हैं:
ऑल वेदर रोड निर्माण – भारत ब्रह्मपुत्र नदी के समानांतर वैकल्पिक सड़क मार्ग विकसित कर रहा है जिससे युद्धकाल या आपदा के समय सप्लाई चेन प्रभावित न हो।

रेल और हवाई संपर्क – पूर्वोत्तर राज्यों में रेलवे नेटवर्क का विस्तार और सस्ती विमान सेवा (UDAN योजना) के तहत कनेक्टिविटी को बेहतर किया जा रहा है।
बांग्लादेश के साथ संपर्क मार्ग – भारत बांग्लादेश के जरिए वैकल्पिक मार्गों को सक्रिय कर रहा है, जैसे कि ‘बंदरगाह से पूर्वोत्तर तक’ की योजना, जिससे माल ढुलाई सुगम हो सके।
Act East Policy – भारत की पूर्वोन्मुखी नीति (Act East Policy) के तहत यह क्षेत्र दक्षिण-पूर्व एशिया से व्यापार और संपर्क के केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है।

अन्य समान रणनीतिक योजनाएं
सिलीगुड़ी कॉरिडोर जैसे अन्य कॉरिडोरों की योजना भी चल रही है:
कलादान मल्टीमॉडल प्रोजेक्ट (भारत-म्यांमार) – यह भारत के मिजोरम राज्य को म्यांमार के सितवे बंदरगाह से जोड़ता है।
भारत-नेपाल आर्थिक गलियारा – यह भारत के बिहार और उत्तर प्रदेश को नेपाल के तराई क्षेत्रों से जोड़ने की योजना है।
इंटरनेशनल नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) – यह भारत को ईरान, मध्य एशिया और रूस से जोड़ता है।
सिलीगुड़ी कॉरिडोर न केवल भौगोलिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की सुरक्षा, आर्थिक स्थिरता और क्षेत्रीय संतुलन का केंद्र भी है। भारत को इस क्षेत्र में सतत आधारभूत संरचना विकास, रणनीतिक भागीदारी और बहुपक्षीय सहयोग के जरिए अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी। साथ ही, वैकल्पिक मार्गों का विकास और स्थानीय आबादी का समावेशी विकास भी उतना ही जरूरी है।