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    Home » Somalia Samundri Daku: मछुआरों से समुद्री लुटेरों तक, सोमालिया के मछुआरों का संघर्ष कैसे बना संगठित अपराध? जानिए कारण
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    Somalia Samundri Daku: मछुआरों से समुद्री लुटेरों तक, सोमालिया के मछुआरों का संघर्ष कैसे बना संगठित अपराध? जानिए कारण

    Janta YojanaBy Janta YojanaApril 4, 2025No Comments10 Mins Read
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    Somalia Ke Samundri Looteron Ka Itihas (Photo – Social Media)

    Somalia Ke Samundri Looteron Ka Itihas (Photo – Social Media)

    History Of Somalia Piracy: सोमाली समुद्री लुटेरे बीते कुछ दशकों से वैश्विक समुद्री व्यापार के लिए एक गंभीर खतरा बने हुए हैं। ये लुटेरे विशाल जहाजों को अगवा कर भारी फिरौती वसूलते हैं, जिससे न केवल अंतरराष्ट्रीय व्यापार बाधित होता है, बल्कि समुद्री यात्राओं की सुरक्षा पर भी सवाल उठते हैं। लेकिन क्या ये केवल अपराधी हैं, या फिर इसके पीछे कोई गहरी सामाजिक-आर्थिक मजबूरी छिपी है?

    सोमालिया, जो लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता, गरीबी और बेरोजगारी से जूझ रहा है, वहां के तटीय समुदायों के पास जीविका के सीमित साधन हैं। एक समय ये लोग मछली पकड़कर जीवन यापन करते थे, लेकिन विदेशी जहाजों द्वारा अवैध मछली पकड़ने और समुद्र में जहरीले कचरे के निपटान ने इनके परंपरागत व्यवसाय को तबाह कर दिया। ऐसे में, कई युवाओं ने समुद्री लूटपाट को एकमात्र विकल्प के रूप में अपनाया।

    यह लेख सोमाली समुद्री लुटेरों के जन्म, उनके अपराधों, उनके पीछे की सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों और अंतरराष्ट्रिय प्रयासों पर गहराई से प्रकाश डालेगा।

    सोमालिया: एक अस्थिर देश(Somalia: An Unstable Country)

    सोमालिया, अफ्रीका के पूर्वी तट पर स्थित एक देश, दशकों से राजनीतिक अस्थिरता, गृहयुद्ध, गरीबी और आतंकवाद से जूझ रहा है। इस देश का इतिहास, भौगोलिक स्थिति और सामाजिक-आर्थिक परिदृश्य इसे विशेष रूप से जटिल बनाते हैं। किसी समय एक समृद्ध व्यापारिक केंद्र रहने वाला सोमालिया आज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सबसे अस्थिर देशों में गिना जाता है। इसके अस्थिरता के कई कारण हैं, जिनमें ऐतिहासिक, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक पहलू शामिल हैं।

    ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – सोमालिया का इतिहास विभिन्न बाहरी ताकतों के प्रभाव और आंतरिक संघर्षों से भरा रहा है। 19वीं और 20वीं शताब्दी में यूरोपीय शक्तियों ने इस पर नियंत्रण किया। उत्तरी सोमालिया ब्रिटिश सोमालीलैंड के रूप में जाना जाता था, जबकि दक्षिणी भाग इतालवी सोमालीलैंड के नियंत्रण में था। 1960 में दोनों क्षेत्रों को मिलाकर सोमालिया गणराज्य का गठन किया गया। स्वतंत्रता के बाद देश में एक लोकतांत्रिक सरकार स्थापित की गई, लेकिन 1969 में सैन्य तख्तापलट के बाद जनरल सियाद बरे ने सत्ता संभाल ली। उन्होंने समाजवादी नीतियों को अपनाया, लेकिन उनका शासन दमनकारी था। 1991 में सियाद बरे का शासन समाप्त हुआ, लेकिन इसके बाद देश में अराजकता फैल गई। विभिन्न कबीलाई गुटों और युद्ध सरदारों (Warlords) के बीच सत्ता संघर्ष छिड़ गया, जिससे केंद्र सरकार पूरी तरह समाप्त हो गई और सोमालिया एक “विफल राष्ट्र” (Failed State) बन गया।

    राजनीतिक अस्थिरता और गृहयुद्ध – गृहयुद्ध के कारण सोमालिया कई छोटे-छोटे गुटों में बंट गया, जिनमें से प्रत्येक ने अपनी-अपनी सरकारें बना लीं। सोमालिया का समाज पारंपरिक रूप से कबीलाई संरचना पर आधारित है, और गृहयुद्ध के दौरान विभिन्न कबीलाई गुटों ने अपने-अपने इलाकों पर कब्जा कर लिया। इससे एक संगठित राष्ट्रीय सरकार की संभावना खत्म हो गई और देश अराजकता की स्थिति में पहुंच गया। इस अस्थिरता का फायदा उठाकर कट्टरपंथी इस्लामिक गुटों ने अपनी जड़ें मजबूत कर लीं। 2006 से अल-शबाब नामक आतंकवादी संगठन ने सोमालिया में अपनी पकड़ बना ली। यह संगठन शरीयत आधारित इस्लामी शासन लागू करना चाहता है और सोमालिया की सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहा है। अल-शबाब अक्सर आतंकी हमलों को अंजाम देता है, जिससे देश में शांति और स्थिरता कायम करना और भी मुश्किल हो गया है।

    आर्थिक संकट और गरीबी – राजनीतिक अस्थिरता और गृहयुद्ध के कारण सोमालिया की अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई। पहले सोमालिया के तटीय क्षेत्र के लोग मछली पकड़कर अपनी जीविका चलाते थे, लेकिन विदेशी मछुआरों और अवैध ट्रॉलिंग ने समुद्री संसाधनों को नष्ट कर दिया। इसके परिणामस्वरूप स्थानीय मछुआरे बेरोजगार हो गए और कुछ ने मजबूरी में समुद्री डकैती (Piracy) का रास्ता अपना लिया। सोमालिया की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर थी, लेकिन लगातार सूखा और युद्ध के कारण कृषि प्रणाली बर्बाद हो गई। इसके कारण देश में अकाल (Famine) और खाद्य संकट उत्पन्न हुआ, जिससे लाखों लोग भुखमरी का शिकार हो गए। इसके अलावा, बेरोजगारी की दर भी बहुत अधिक हो गई, जिससे युवक या तो समुद्री लूटपाट में शामिल हो गए या आतंकवादी समूहों में भर्ती होने लगे। इन समस्याओं के कारण सोमालिया की अर्थव्यवस्था और समाज दोनों ही गंभीर संकट में फंस गए हैं।

    सोमालिया में समुद्री डकैती का उदय(The Rise of Piracy in Somalia)

    सोमालिया में समुद्री लूटपाट (Piracy) कोई नई घटना नहीं है, लेकिन 21वीं सदी में इसने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर दी। 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में, सोमाली समुद्री लुटेरों ने बड़े जहाजों को अगवा कर फिरौती मांगना शुरू किया। देखते ही देखते यह एक संगठित अपराध में बदल गया, जिसने दुनिया भर की सरकारों और कंपनियों को चिंतित कर दिया।

    समुद्री लूटपाट की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि(Historical Background of Piracy)

    पारंपरिक मछुआरे और अवैध मछली पकड़ने की समस्या

    • सोमालिया एक समुद्र तटीय देश है, जहां पारंपरिक रूप से मछली पकड़ना स्थानीय लोगों का मुख्य व्यवसाय रहा है।

    • 1991 में जब सोमालिया में गृहयुद्ध शुरू हुआ, तब इसकी सरकार पूरी तरह से विघटित हो गई और तटों की सुरक्षा कमजोर पड़ गई।

    • इस स्थिति का फायदा उठाकर कई विदेशी मछली पकड़ने वाली कंपनियों ने अवैध रूप से सोमालिया के समुद्री क्षेत्र में मछली पकड़ना शुरू कर दिया।

    • जापान, चीन, स्पेन और अन्य देशों के बड़े जहाज अत्याधुनिक तकनीक के साथ यहां आकर मछली पकड़ने लगे, जिससे स्थानीय मछुआरों का रोजगार छिन गया।

    समुद्री प्रदूषण और जहरीले कचरे का निपटान

    • अवैध मछली पकड़ने के साथ-साथ, विदेशी कंपनियों ने सोमालिया के समुद्र में जहरीला कचरा (Toxic Waste) डालना शुरू कर दिया।

    • यूरोपीय कंपनियां अपने जहरीले रासायनिक और औद्योगिक कचरे को सोमाली जल में फेंकने लगीं, जिससे समुद्री जीव-जंतुओं की मौत होने लगी और मछुआरों का रोजगार खत्म हो गया।

    • इस प्रदूषण से कई तटीय इलाकों में बीमारियां फैलने लगीं और कई सोमालियों का स्वास्थ्य प्रभावित हुआ।

    मछुआरों से लुटेरे बनने तक की कहानी(The story of fishermen turning into pirates)

    • जब विदेशी जहाजों ने सोमाली जल क्षेत्र में अवैध रूप से मछली पकड़नी शुरू की, तब स्थानीय मछुआरों ने अपनी नौकाओं और छोटे हथियारों से उनका मुकाबला किया।

    • शुरुआत में ये मछुआरे केवल “समुद्री रक्षक” (Coast Guards) के रूप में कार्य कर रहे थे। वे विदेशी जहाजों से पैसे मांगते थे ताकि उन्हें सोमाली जल से दूर रखा जा सके।

    • लेकिन धीरे-धीरे उन्हें एहसास हुआ कि बड़े जहाजों से फिरौती वसूलना अधिक फायदेमंद हो सकता है।

    • 1990 के दशक के अंत और 2000 के दशक की शुरुआत में, सोमाली मछुआरों ने छोटे मालवाहक जहाजों को निशाना बनाना शुरू किया।

    • वे जहाजों को कुछ समय के लिए कब्जे में रखते थे और उनसे पैसे लेकर छोड़ देते थे।

    • शुरुआत में ये हमले छोटे पैमाने पर थे, लेकिन जब सोमाली लुटेरों ने देखा कि फिरौती की रकम करोड़ों डॉलर तक पहुंच सकती है, तो यह एक संगठित अपराध में बदल गया।

    समुद्री लूटपाट का संगठित अपराध में बदलना(The transformation of piracy into organized crime)

    • 2005 के बाद, समुद्री लूटपाट एक पेशेवर आपराधिक गतिविधि बन गई।

    • कई स्थानीय गिरोहों (Warlords) ने इस व्यापार को संगठित कर दिया और अपने लड़ाकों को आधुनिक हथियार और तेज़ रफ्तार नौकाएं उपलब्ध कराईं।

    • अब हमले केवल छोटे जहाजों तक सीमित नहीं रहे, बल्कि बड़े तेल टैंकरों और मालवाहक जहाजों को भी निशाना बनाया जाने लगा।

    • पहले सोमाली लुटेरे जहाजों से छोटी-मोटी रकम लेते थे, लेकिन जब उन्होंने देखा कि विदेशी कंपनियां और सरकारें अपने बंधकों को छुड़ाने के लिए करोड़ों डॉलर देने को तैयार हैं, तो फिरौती की रकम कई गुना बढ़ गई।

    • कुछ मामलों में, एक जहाज को छोड़ने के लिए 5 से 10 मिलियन डॉलर तक की फिरौती ली गई।

    लूटपाट की प्रक्रिया(The process of looting)

    सोमाली समुद्री लुटेरे आमतौर पर छोटे लेकिन तेज़ स्पीडबोट का उपयोग करते हैं। वे AK-47 राइफलों और RPG (रॉकेट लॉन्चर) से लैस होते हैं। उनके हमले इस प्रकार होते हैं:

    टारगेट की पहचान: वे बड़े व्यापारी जहाजों को पहचानते हैं जो सोमालिया के पास के जलमार्गों से गुजरते हैं।

    हमला: वे स्पीडबोट में सवार होकर तेजी से जहाज के करीब पहुंचते हैं और हथियारों के बल पर कब्जा कर लेते हैं।

    फिरौती की मांग: जहाज को अगवा करने के बाद, वे जहाज के मालिकों से लाखों डॉलर की फिरौती मांगते हैं।

    रिहाई: जब उन्हें पैसे मिल जाते हैं, तो वे चालक दल को छोड़ देते हैं और खुद को सुरक्षित ठिकाने पर ले जाते हैं।

    अंतरराष्ट्रीय चिंता और नौसेना की कार्रवाई(International concern and naval action)

    2008 के बाद, जब सोमाली समुद्री लुटेरों के हमले बढ़ने लगे, तो कई देशों ने अपनी नौसेनाओं को इस क्षेत्र में गश्त लगाने के लिए भेजा। संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, भारत और चीन सहित कई देशों ने अपने युद्धपोत तैनात किए ताकि इन लुटेरों को रोका जा सके। सोमाली समुद्री लुटेरों के बढ़ते खतरे को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र और नाटो (NATO) की नौसेनाएं भी सक्रिय हो गईं और लुटेरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी। कई बार इन लुटेरों को पकड़कर जेल में डाल दिया गया, लेकिन इसके बावजूद वे पूरी तरह खत्म नहीं हुए। अंतरराष्ट्रीय प्रयासों के चलते समुद्री लूटपाट की घटनाओं में कुछ हद तक कमी आई, लेकिन यह समस्या अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।

    सोमाली समुद्री लुटेरों की क्रूरता(The brutality of Somali pirates)

    हालांकि कुछ लोग इन्हें “मजबूरी में अपराधी” मानते हैं, लेकिन इनके अपराधों की गंभीरता को नकारा नहीं जा सकता। ये लुटेरे न केवल जहाजों को लूटते हैं, बल्कि कई बार यात्रियों और चालक दल के सदस्यों को प्रताड़ित भी करते हैं। कुछ घटनाओं में तो उन्होंने बंधकों को मार भी डाला।

    नायक या खलनायक?( Hero or Villain?)

    यह सवाल उठता है कि क्या सोमाली समुद्री लुटेरे नायक हैं या खलनायक? इस पर दो दृष्टिकोण हो सकते हैं:

    नायक का दृष्टिकोण: कुछ लोगों का मानना है कि ये लुटेरे अपने देश के मछुआरों के अधिकारों की रक्षा कर रहे हैं। वे विदेशी कंपनियों द्वारा अवैध रूप से मछली पकड़ने और समुद्र को प्रदूषित करने का बदला ले रहे हैं।

    खलनायक का दृष्टिकोण: दूसरी ओर, इन लुटेरों की हिंसा, फिरौती और हत्याओं को देखते हुए उन्हें अपराधी मानना भी उचित लगता है। वे निर्दोष लोगों को बंधक बनाते हैं और अपनी निजी संपत्ति के लिए उनकी जान को खतरे में डालते हैं।

    समुद्री लूटपाट के मुख्य कारण(Main causes of maritime piracy)

    राजनीतिक अस्थिरता – सोमालिया की कोई प्रभावी सरकार नहीं थी, जो इस समस्या को रोक सके।

    आर्थिक बदहाली – रोजगार न होने के कारण लोग इस अवैध व्यवसाय की ओर आकर्षित हुए।

    विदेशी शोषण – अवैध मछली पकड़ने और समुद्री प्रदूषण ने स्थानीय मछुआरों को उनकी आजीविका से वंचित कर दिया।

    मिलिशिया और गिरोहों का प्रभुत्व – हथियारबंद गुटों ने इसे एक आपराधिक उद्योग में बदल दिया।

    समुद्री लूटपाट के प्रभाव(Effects of Piracy)

    अंतरराष्ट्रीय व्यापार बाधित हुआ – कई जहाजों ने सोमाली जलमार्गों से गुजरना बंद कर दिया।

    बीमा दरें बढ़ गईं – जहाज मालिकों को समुद्री डकैती से बचाव के लिए भारी बीमा राशि चुकानी पड़ी।

    अंतरराष्ट्रीय नौसेना की कार्रवाई बढ़ी – कई देशों को अपनी नौसेनाओं को सोमालिया के पास तैनात करना पड़ा।

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