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    Home » Soumendu Adhikari Wikipedia: TMC से BJP तक के राजनैतिक सफर में हमेशा जनता से जुड़े मुद्दों को साथ लेकर चले हैं सौमेंदु अधिकारी
    राजनीति

    Soumendu Adhikari Wikipedia: TMC से BJP तक के राजनैतिक सफर में हमेशा जनता से जुड़े मुद्दों को साथ लेकर चले हैं सौमेंदु अधिकारी

    By March 11, 2025No Comments6 Mins Read
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    BJP MP Soumendu Adhikari Wikipedia (Image Credit-Social Media)

    BJP MP Soumendu Adhikari Wikipedia (Image Credit-Social Media)

    BJP MP Soumendu Adhikari Wikipedia: सौमेंदु अधिकारी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक प्रमुख राजनीतिज्ञ हैं और कांथी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के निर्वाचित सांसद हैं। वे पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और अधिकारी परिवार के एक प्रभावशाली सदस्य हैं, जो इस क्षेत्र की राजनीति में दशकों से सक्रिय रहा है। सौमेंदु अधिकारी की राजनीतिक छवि मजबूत, प्रभावशाली और क्षेत्रीय स्तर पर लोकप्रिय मानी जाती है। हालांकि, उनका राजनीतिक सफर कई उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। सौमेंदु अधिकारी की लोकप्रियता एक स्थानीय जननेता की रही है, जो कांथी और आसपास के क्षेत्रों में जनता के मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं। वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में काफी सक्रिय रहते हैं और जनता से जुड़ने के लिए नियमित रूप से जनसभाओं और बैठकों का आयोजन करते हैं। उन्होंने नगरपालिका प्रशासन के दौरान कई विकास कार्यों को अंजाम दिया, जिससे उनकी एक मजबूत स्थानीय नेता के रूप में पहचान बनी। TMC छोड़ने के बाद भाजपा में शामिल होने से उनकी राजनीतिक छवि एक मजबूत विपक्षी नेता के रूप में उभरी है।

    व्यक्तिगत जीवन और परिवारिक पृष्ठभूमि

    सौमेंदु अधिकारी का जन्म 10-मार्च-1983 पश्चिम बंगाल के कांथी (पूर्व मेदिनीपुर जिला) में हुआ। वे एक प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से आते हैं, जिनका बंगाल की राजनीति में गहरा प्रभाव रहा है। इनके पिता शिशिर अधिकारी पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ राजनीतिज्ञ हैं वहीं इनके भाई सुवेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता और भाजपा के वरिष्ठ नेता दिब्येंदु अधिकारी पूर्व तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद हैं। इस अधिकारी परिवार का प्रभाव मुख्य रूप से पूर्व मेदिनीपुर जिले और आसपास के क्षेत्रों में देखने को मिलता है।

    इन्होंने 2010 में विद्यासागर विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर एम.ए. की डिग्री हासिल की।

    राजनीतिक सफर

    सौमेंदु अधिकारी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत तृणमूल कांग्रेस (TMC) से की थी। वे कांथी नगर पालिका के अध्यक्ष रहे और इस पद पर रहते हुए उन्होंने क्षेत्र के विकास में कई योजनाओं पर काम किया। वे नगरपालिका प्रशासन में सक्रिय रूप से जुड़े रहे और कांथी क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं के विकास में योगदान दिया। अधिकारी परिवार के अन्य सदस्यों की तरह, सौमेंदु भी ममता बनर्जी के करीबी सहयोगी थे और पार्टी संगठन में प्रभावशाली भूमिका निभाते थे।

    भाजपा में शामिल होना

    2020 में, जब उनके बड़े भाई सुवेंदु अधिकारी ने तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) का दामन थामा, तब सौमेंदु अधिकारी ने भी भाजपा में शामिल होने का फैसला किया। दिसंबर 2020 में, उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और राज्य की राजनीति में अपनी सक्रियता बढ़ाई। उनके TMC छोड़ने के बाद, कांथी नगरपालिका अध्यक्ष पद से उन्हें हटा दिया गया, जिसके बाद उन्होंने तृणमूल कांग्रेस पर कई आरोप लगाए।

    2024 लोकसभा चुनाव और जीत

    2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने सौमेंदु अधिकारी को कांथी लोकसभा सीट से टिकट दिया, जहां उन्होंने तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार को हराकर जीत हासिल की। वर्ष 2024 चुनावी प्रदर्शन के दौरान लोकसभा चुनाव में भाजपा की सीट से जीते । इस जीत के साथ ही वे लोकसभा के सदस्य बन गए और अब संसद में अपने निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

    भाजपा में भूमिका और कार्य

    भाजपा में शामिल होने के बाद, सौमेंदु अधिकारी को संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां दी गईं। वे पश्चिम बंगाल में भाजपा के विस्तार और पार्टी की मजबूती के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। अपने प्रमुख मुद्दे और राजनीतिक एजेंडे के तहत सौमेंदु अधिकारी, उनके भाई सुवेंदु अधिकारी और भाजपा के अन्य नेता ममता बनर्जी सरकार की नीतियों की खुलकर आलोचना करते रहे हैं।

    भ्रष्टाचार विरोधी अभियान

    सौमेंदु अधिकारी ने बीजेपी बीजेपी का दामन संभालने के साथ ही TMC शासन में भ्रष्टाचार और प्रशासनिक विफलताओं को उजागर किया। उन्होंने पूर्व मेदिनीपुर जिले के बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान केंद्रित किया है। भाजपा की विचारधारा के अनुसार, उन्होंने बंगाल में हिंदुत्व और राष्ट्रवाद को बढ़ावा देने की रणनीति अपनाई है।

    विवाद और आलोचना

    जब सौमेंदु अधिकारी ने TMC छोड़ा, तब पार्टी ने उन पर गद्दारी और अवसरवादिता के आरोप लगाए। तृणमूल कांग्रेस का कहना था कि अधिकारी परिवार ने TMC की मदद से सत्ता पाई थी, लेकिन अब वे व्यक्तिगत स्वार्थ के कारण भाजपा में शामिल हो गए हैं।TMC नेताओं ने उन पर नगरपालिका फंड में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए। हालांकि, अधिकारी परिवार ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया। पश्चिम बंगाल सरकार ने CBI और ED जांच का समर्थन किया, लेकिन सौमेंदु अधिकारी ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया।

    भाजपा का विस्तार करने के लिए कर रहे संघर्ष

    कांथी नगरपालिका से निकाले जाने के बाद, सौमेंदु अधिकारी और TMC कार्यकर्ताओं के बीच कई बार तनाव बढ़ा। भाजपा में शामिल होने के बाद, वे TMC के गढ़ में भाजपा का विस्तार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

    कांथी लोकसभा क्षेत्र में सौमेंदु अधिकारी की जीत के पीछे थी ये मुख्य वजहें

    कांथी लोकसभा क्षेत्र में सौमेंदु अधिकारी की जीत के पीछे कई बड़े कारण थें। असल में कांथी और पूर्व मेदिनीपुर में अधिकारी परिवार की अत्यधिक लोकप्रियता है। जो इनकी जीत की नींव को मजबूत करती है। दूसरा बड़ा कारण भाजपा की पार्टीगत बढ़ती ताकत है। पश्चिम बंगाल में भाजपा का तेजी से बढ़ता जनाधार, खासकर अधिकारी परिवार के प्रभाव क्षेत्र में इनकी जीत की वजह बनी। तीसरी वजह राज्य में भ्रष्टाचार और हिंसा को लेकर जनता की TMC से नाराजगी ने भाजपा को समर्थन दिया। वहीं हिंदुत्व फैक्टर की भाजपा की नीति ने बंगाल में काफी लोगों को आकर्षित किया।

    भविष्य की संभावनाएं और चुनौतियां

    सौमेंदु अधिकारी पश्चिम बंगाल के एक प्रमुख राजनेता हैं, जिन्होंने TMC से भाजपा में आकर अपनी नई पहचान बनाई है। उनकी लोकसभा में जीत इस बात का संकेत है कि अधिकारी परिवार अभी भी बंगाल की राजनीति में प्रभावशाली है। पश्चिम बंगाल भाजपा में नेतृत्व की भूमिका मिल सकती है। 2026 विधानसभा चुनाव में भाजपा के अभियान का प्रमुख चेहरा बन सकते हैं। भाजपा पश्चिम बंगाल में 2026 विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बना रही है और सौमेंदु अधिकारी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। संभावना है कि भाजपा उन्हें राज्य की राजनीति में अधिक जिम्मेदारियां दे सकती है।

    अपने लोकसभा क्षेत्र में विकास परियोजनाओं पर जोर दे सकते हैं। हालांकि, उन्हें TMC से चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे भाजपा में रहकर अपनी राजनीतिक ताकत को कितना बढ़ा पाते हैं।

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