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    Home » Tibet Tourist Attractions: तिब्बत में घूमने की जगह, आध्यात्मिक और प्राकृतिक स्थल की सैर
    Tourism

    Tibet Tourist Attractions: तिब्बत में घूमने की जगह, आध्यात्मिक और प्राकृतिक स्थल की सैर

    By January 4, 2025No Comments9 Mins Read
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    Tibet Me Ghumane Ki Jagah: एशिया का एक प्राचीन देश तिब्बत जिसे संस्कृत ग्रन्थों में ‘त्रिविष्टप’ कहा गया है और इसका अर्थ होता है- तीन प्रवेश द्वार वाला स्थान। इसकी सीमाएं भारत , चीन जनवादी गणराज्य, अफगानिस्तान और बर्मा से सटी हैं। कहा जाता है कि तिब्बत नाम मंगोलियन थुबेट, चीनी तुफान, ताई तिब्बत और अरबी तुब्बत से लिया गया है। इसे ‘संसार की छत’ भी कहा जाता है। यहां का मुख्य धर्म बौद्ध धर्म है, जिसकी चार मुख्य परंपराएं हैं। पारंपरिक रूप से तिब्बत को बोड या भोट भी कहा जाता है।

    • प्राचीन काल से ही भारत के तिब्बत के साथ करीबी संबंध रहे हैं।
    • 16000 फुट की ऊंचाई पर हिमालय के बीच में बसा तिब्बत अपनी प्राकृतिक सुंदरता और खूबसूरत मठों के लिए पूरे विश्व में मशहूर है। यह स्थान योगियों और सिद्धों की भूमि भी कही जाती है।
    • विशिष्ट कला और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध तिब्बत का ऐतिहासिक वर्णन करीब 7वीं शताब्दी से मिलता है।
    • हिंदू धर्म में भगवान शिव का निवास स्थान माना जाने वाला कैलाश पर्वत भी तिब्बत में ही मौजूद है। पौराणिक हिंदू ग्रंथों में वर्णित मानसरोवर झील भी यहीं मौजूद है।
    • यहां की आधिकारिक मुद्रा चीनी युआन है। भारतीय पर्यटकों को तिब्बत जाने के लिए यात्रा परमिट लेना पड़ता है, जिसे किसी पंजीकृत स्थानीय तिब्बत ट्रैवल एजेंसी से ले सकते हैं। परमिट के लिए, पासपोर्ट की फ़ोटोकॉपी जमा करना पड़ता है।इसके आवेदन करने में करीब 15-20 दिन लग जाते हैं।
    • यहां कई प्रमुख मठ, मंदिर और झीलें हैं, जिसे सैलानी देख सकते हैं। तिब्बत के प्रमुख स्थल जिन्हें आप घूम सकते हैं वे इस प्रकार हैं :

    शाक्य मठ :

    शांग्य काउंटी में ‘ पेल साक्य ‘ के नाम से मशहूर इस जगह तिब्बत का एक सुंदर बौद्ध मठ है। ट्रम चू नदी के कारण यह मठ परिसर दो भागों में बटा हुआ है।

    इस मठ में सभा भवन और एक आंतरिक प्रांगण के अलावा पुस्तकालय भी है जिसमें बौद्ध धर्मग्रंथों, थंगका और भित्तिचित्रों के लगभग 40,000 खंड देखे जा सकते हैं।

    ताशी ल्हुंपो मठ :

    शिगात्से में तारा पर्वत की तलहटी में स्थित यह मठ तिब्बत के येलो हैट या गेलुग्पा संप्रदाय के लोगों का धार्मिक स्थल है। यह मठ 1447 में प्रथम दलाई लामा द्वारा स्थापित किया गया था। इसके परिसर में पंचेन लामा का महल, केलसांग मंदिर और मैत्रेय चैपल देखने योग्य है।

    जोखांग मंदिर :

    ल्हासा शहर में स्थित यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में गिना जाता है। तिब्बत का यह एक पवित्र स्थल है, जिसे राजा मठ भी कहा जाता है।

    करीब 1,400 साल पुराने इस मंदिर का बौद्ध धर्म के विकास में अहम योगदान है। इसे देखने दुनिया भर से लोग आते हैं।

    सेरा मठ :

    तीन महान गेलुग्पा संप्रदाय मठों में से एक ल्हासा स्थित यह मठ एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। इस मठ का नाम यहां की पहाड़ी ढलानों पर भारी तादाद में उगने वाली जंगली गुलाबों से लिया गया है। यहां पर्यटक बौद्ध जीवन और संस्कृति के बारे में जानकारी ले सकते हैं। इस मठ में कोकेन हॉल, कामकुन और झाकांग देखने लायक जगह है।

    साम्ये मठ :

    करीब 25 हज़ार वर्ग मीटर के क्षेत्र में यारलुंग ज़ंगबो नदी घाटी में स्थित यह यह खूबसूरत मठ है। करीब 700 ई. में स्थापित यह मठ तिब्बत के सबसे पुराने मठों में से एक है। इस ऐतिहासिक स्थल से बौद्ध धर्म के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यहां के मुख्य आकर्षण में मुख्य मंदिर और उसके छिपे हुए भित्ति चित्र के साथ सभागार भी है।

    तिब्बत में उपरोक्त मठों के अलावा घूमने लायक कई शानदार झीलें भी हैं जो आपकी यात्रा को जीवन भर के लिए यादगार बना देंगी। इनमें प्रमुख हैं:

    यमड्रोक झील :

    नंगार्टसे काउंटी में स्थित यह झील नमत्सो और मानसरोवर झीलों के किनारे है। इस झील का अपना धार्मिक महत्व है। ऐसी मान्यता है कि जब दलाई लामा का निधन होता है, तो बौद्ध भिक्षु उस पुनर्जीवित आत्मा को इस झील में खोजने का प्रयत्न करते हैं। इस झील के पास पेडे द्ज़ोंग किला और न्यिंगमा मंदिर भी देखने लायक जगह है। इस मनमोहक झील के किनारे सैलानी पक्षी देखने और मछली पकड़ने का आनंद भी ले सकते हैं।

    नम्त्सो झील :

    ल्हासा में बैंगोइन और दमक्सुंग काउंटियों के बीच यह पहाड़ी झील सैलानियों के घूमने के लिए एक खूबसूरत जगह है।

    दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी खारे पानी की इस झील को देखने दुनिया भर से कई पर्यटक आते हैं। इस झील के किनारे टहलने का आनंद लिया जा सकता है और यहां आसपास स्थित पुराने मठों को भी घूम सकते हैं।

    बासुम त्सो झील :

    निंगची प्रांत में स्थित यह झील एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। यह झील तिब्बत की सबसे पवित्र झीलों में से एक है। पहाड़ों के बीच स्थित यह झील प्रकृति प्रेमियों को एक सुखद एहसास देती है।

    तांगरा युम्को :

    न्यिमा काउंटी में समुद्र तल से 4600 किमी की ऊंचाई पर स्थित यह स्थल बौद्ध धर्म के लोगों का एक पवित्र पूजा स्थल है, जहां झील के अलावा बौद्ध पैगोडा देख सकते हैं।

    यहां पर्यटक साहसिक गतिविधियों का आनंद उठा सकते हैं।

    नोरबुलिंगका :

    ल्हासा में नोरबुलिंगका एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। तिब्बती भाषा में नोरबुलिंगका का मतलब होता है खज़ाना या रत्नजड़ित पार्क । करीब 36 हज़ार वर्ग मीटर में फैले इस स्थल का निर्माण 18वीं शताब्दी में हुआ था। यहां लगभग तीस हज़ार से अधिक अवशेष हैं। यह जगह अपने सुव्यवस्थित उद्यानों और जटिल वास्तुकला के लिए पूरे विश्व में मशहूर है।

    पोटाला पैलेस :

    ल्हासा शहर में स्थित यह महल दुनिया के सबसे पुराने मौजूदा शाही निवास स्थानों में से एक है। अब यह स्थल यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थल में शामिल है।

    यह ऐतिहासिक स्थल कभी दलाई लामाओं का शीतकालीन महल हुआ करता था। अब यह पैलेस एक संग्रहालय में बदल गया है। इसके अंदर कई प्राचीन खज़ाने रखे गए हैं जिसे पर्यटकों को देखने का एक अनोखा अवसर मिलता है।

    बरखोर स्ट्रीट :

    ल्हासा स्थित इस स्ट्रीट में पर्यटक तिब्बत की अर्थव्यवस्था, धर्म और कला के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह जगह सैलानियों को खूब आकर्षित करती है। इस इलाके में स्थानीय संस्कृति का आनंद ले सकते हैं और कई मंदिर और मठों के दर्शन भी कर सकते हैं।

    यारलुंग त्सांगपो ग्रैंड कैन्यन :

    शिगात्से शहर के कैलाश पर्वत स्थित यह कैन्यन दुनिया का सबसे लंबा और गहरा कैन्यन है। यहां पर्यटक कई अनोखे पेड़ पौधों के अलावा जानवरों को भी देख सकते हैं।

    कैलाश पर्वत :

    तिब्बत के न्गारी प्रांत में स्थित यह पर्वत दुनिया के सबसे खूबसूरत जगहों में से एक है और हर साल भारी तादाद में आध्यात्मिक पर्यटन के लिए यहां तीर्थयात्री आते हैं। कई सैलानी यहां ट्रेकिंग के हिसाब से आते हैं। मानसरोवर झील, पशुपतिनाथ मंदिर, यम द्वार, गौरी कुंड यहां के खास आकर्षण केंद्र हैं।

    कैलाश पर्वत की यात्रा पर जाने वाले भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए तिब्बत यात्रा परमिट, चीन वीज़ा या चीन समूह वीज़ा के अलावा एक और विशेष वीज़ा की आवश्यकता होती है। यह विशेष वीज़ा सरकारी विदेश मामलों के कार्यालय , सैन्य कार्यालय, फ्रंटियर डिफेंस के सशस्त्र पुलिस कोर और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के सार्वजनिक सुरक्षा विभाग द्वारा संयुक्त रूप से जारी किया जाता है। भारतीय पर्यटक इस वीज़ा के लिए ‘पिलग्रिम रिसेप्शन सेंटर ‘ नामक एक विशेष गैर-सरकारी संगठन की मदद ले सकते हैं। यह संगठन कैलाश यात्रा के लिए आवश्यक दस्तावेजों को दिलवाने में मार्गदर्शन दे सकता है।

    यांग्बाजिंग हॉट स्प्रिंग :

    तिब्बत के यांग्बाजिंग में स्थित यह गरम पानी का झरना पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय जगह है। यहां की प्राकृतिक छटा सैलानियों को अपनी ओर खूब आकर्षित करती है। इसके आसपास नामत्सो झील, यांगपाचेन मठ, न्येनचेन तांगुला पर्वत, रेटिंग मठ, त्सुरफू मठ जैसे कई पर्यटक स्थल हैं जिसका पर्यटक लुत्फ उठा सकते हैं। स्थानीय क्षेत्र के लिए यह जगह बिजली का स्रोत है।

    लुलांग वन :

    तिब्बत का यह वन कई प्रकार की जड़ी-बूटियों के लिए मशहूर है। प्रकृति प्रेमी और पर्यटक गर्मियों में यहां के फूलों का मौसम देख सकते हैं ।

    वहीं सर्दियों में यहां बर्फ का मज़ा ले सकते हैं।

    कैसे पहुंचें

    भारत से तिब्बत जाना आसान है, पहले विकल्प में पर्यटक भारत से काठमांडू तक हवाई मार्ग या सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। भारत के कई बड़े शहरों से काठमांडू के लिए सीधी उड़ाने हैं। फिर काठमांडू से तिब्बत के लिए हवाई मार्ग या सड़क मार्ग से यात्रा कर सकते हैं। काठमांडू से तिब्बत के लिए ट्रेन सेवा नहीं है।

    वहीं दूसरे विकल्प के तौर पर चीन से तिब्बत पहुंच सकते हैं फिर उधर ल्हासा के लिए घरेलू उड़ान या तिब्बत के लिए ट्रेन ले सकते हैं। भारत के सभी प्रमुख शहरों से चीन के लिए सीधी उड़ान उपलब्ध है।

    नेपाल के रास्ते तिब्बत जाने के लिए उपाय :

    नेपाल के रास्ते तिब्बत में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को तिब्बत यात्रा परमिट , जिसे तिब्बत वीज़ा भी कहा जाता है और चीन समूह वीज़ा लेना जरूरी होता है। नेपाल से तिब्बत में प्रवेश करने के लिए पर्यटकों को चीन समूह वीज़ा के लिए आवेदन करना होगा ।

    इस वीज़ा के आवेदन के लिए आप तिब्बत पर्यटन ब्यूरो द्वारा जारी किए गए स्थानीय तिब्बत ट्रैवल एजेंसी की मदद ले सकते हैं।

    तिब्बत यात्रा के लिए परमिट की आवश्यकता होती है। इस कार्य में आमतौर पर 10 कार्य दिवस लगते हैं। इस परमिट की जरूरत आपको तिब्बत के लिए उड़ान या ट्रेन में सवार होने पर पड़ती है।

    काठमांडू पहुंचने के बाद, आप चीन समूह वीज़ा के लिए आवेदन कर सकते हैं ।इसके लिए आपको अपना पासपोर्ट और एक पर्यटक आमंत्रण पत्र देने की जरूरत पड़ती है।

    चीन के रास्ते तिब्बत जाने के लिए उपाय :

    चीन के रास्ते तिब्बत जाने के लिए पर्यटकों को चीनी वीज़ा की जरूरत पड़ती है। इसके लिए आप अपने नजदीकी चीनी दूतावास में आवेदन कर सकते हैं।

    तिब्बत घूमने के लिए जून का महीना सबसे उपयुक्त माना जाता है।

    इस दौरान तापमान 9°C से 24°C तक होता है। यह तिब्बत में गर्मी और बरसात के मौसम का शुरुआत का महीना भी माना जाता है। हालांकि यहां पर बारिश आमतौर पर रात में ही होती है। दोपहर में कभी कभी हल्की बारिश हो जाती है।

    नए साल की शुरुआत हो चुकी है, तो क्यों न इस साल तिब्बत की सैर करने का प्लान बनाया जाए और उसकी पहले से तैयारी कर ली जाए ताकि सफर सुहाना और आनंददायक हो जाए।

    ( लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं ।)�

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