ईरान द्वारा इसराइल पर हाल ही में किए गए मिसाइल हमलों ने दुनिया के सबसे मज़बूत माने जाने वाले इसराइली एयर डिफेंस सिस्टम की कमजोरियों को उधेड़ कर रख दिया है। इसराइल का आयरन डोम, डेविड्स स्लिंग और एरो मिसाइल डिफेंस सिस्टम को अभेद्य माना जाता था, लेकिन इसराइली हमलों के जवाब में ईरान ने जो मिसाइलें दागीं उसने इसराइल को काफ़ी नुक़सान पहुँचाया। ईरान ने कलस्टर बम का इस्तेमाल किया है। इसके द्वारा दागी गई मिसाइलों ने इसराइल के बेर्शेबा स्थित सोरोका मेडिकल सेंटर के पास निशाना साधा, जिसमें 40 लोग घायल हुए। इन हमले ने यह सवाल खड़ा कर दिया कि आखिर ईरान इसराइल की हाई-टेक डिफ़ेंस सिस्टम को भेदने में कैसे कामयाब रहा?
ईरान ने इसराइल के एयर डिफ़ेंस सिस्टम को कैसे भेदा, इसका जवाब जानने से पहले यह समझ लें कि आख़िर इसराइल का डिफ़ेंस सिस्टम कैसा है और यह कैसे काम करता है।
कैसा है इसराइल का एयर डिफ़ेंस सिस्टम
इसराइल का एयर डिफ़ेंस सिस्टम दुनिया के सबसे उन्नत सिस्टमों में से एक है, जिसमें तीन स्तर शामिल हैं।
- आयरन डोम- छोटी दूरी के रॉकेट और मिसाइलों को रोकने के लिए।
- डेविड्स स्लिंग- मध्यम दूरी की मिसाइलों और ड्रोनों के ख़िलाफ़।
- एरो सिस्टम- लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को निशाना बनाने के लिए।
इसराइल के एयर डिफ़ेंस सिस्टम में तीन हिस्से हैं- रडार सिस्टम, कमांड और कंट्रोल सेंटर, और इंटरसेप्टर मिसाइलों वाला लॉन्चर। दुश्मन की मिसाइल को रडार ट्रैक करता है। यह कंट्रोल सेंटर को सचेत करता है कि किन लक्ष्यों पर हमला करना है। लॉन्चर आमतौर पर एक दुश्मन मिसाइल के लिए दो इंटरसेप्टर मिसाइलें दागता है। सभी एयर डिफ़ेंस सिस्टम में इंटरसेप्टर मिसाइलों की संख्या सीमित होती है।
कहा जाता है कि ये सिस्टम अमेरिका के सहयोग से विकसित किए गए हैं और अब तक हजारों रॉकेटों को रोकने में सफल रहे हैं। हालाँकि, ईरान के हालिया हमलों ने इस तंत्र की कुछ कमजोरियाँ उजागर की हैं।
- इंटरसेप्टर मिसाइलों की कमी: एक साथ सैकड़ों मिसाइलों के हमले से इंटरसेप्टर मिसाइलें जल्दी ख़त्म हो सकती हैं।
- हाइपरसोनिक मिसाइलों का ख़तरा: आयरन डोम और डेविड्स स्लिंग हाइपरसोनिक मिसाइलों को रोकने में कम प्रभावी हैं।
- रडार की सीमाएं: डिकॉय ड्रोन और कम ऊंचाई पर उड़ने वाली क्रूज मिसाइलें रडार को चकमा दे सकती हैं।
सैचुरेशन अटैक
ईरान ने इसराइल पर सैचुरेशन अटैक किया। यानी इसने एक साथ सैकड़ों मिसाइलें दागीं। इसराइल डिफेंस फोर्सेज यानी आईडीएफ़ के अनुसार, हाल के हमलों में ईरान ने क़रीब 400 बैलिस्टिक मिसाइलें और ड्रोन लॉन्च किए, जिनमें से लगभग 40 मिसाइलें इसराइल के रक्षा तंत्र को चकमा देने में कामयाब रहीं। यह रणनीति इसराइल के रक्षा तंत्र को भेदने की थी, जिसमें एक साथ इतनी मिसाइलें दागी जाती हैं कि इंटरसेप्टर मिसाइलें ख़त्म हो जाएँ।
हाइपरसोनिक, क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल
ईरान ने होवेज़ेह क्रूज मिसाइल और फतह-1 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलों की अपनी उन्नत मिसाइलों का इस्तेमाल किया। ये मिसाइलें तेज गति और अप्रत्याशित उड़ान के कारण आयरन डोम जैसे तंत्रों को चकमा दे सकती हैं। हाइपरसोनिक मिसाइलें 5 मैक यानी ध्वनि की गति से पांच गुना से अधिक की रफ्तार से चलती हैं। इससे इंटरसेप्ट करना मुश्किल हो जाता है।
डिकॉय ड्रोनों का इस्तेमाल
रक्षा विशेषज्ञ मरिना मिरोन ने अल जज़ीरा को बताया कि ईरान ने डिकॉय यानी चकमा देने वाले ड्रोनों का इस्तेमाल कर इसराइल के रक्षा तंत्र को भटकाया। ये ड्रोन इसराइली रक्षा मिसाइलों के पास तैनात किए गए, जिससे रडार और इंटरसेप्टर सिस्टम असली मिसाइलों के बजाय इन ड्रोनों को निशाना बनाए। इस रणनीति ने इसराइल के इंटरसेप्टर मिसाइलों को समय से पहले कम करवा दिया।
पहले से कमजोर किए गए रडार सिस्टम
कुछ एक्स पोस्टों में दावा किया गया कि इसराइल ने अक्टूबर 2024 में ईरान के रडार और वायु रक्षा तंत्र को तबाह कर दिया था, जिसके जवाब में ईरान ने अपनी रणनीति को और आक्रामक बनाया। हालाँकि, यह दावा पूरी तरह सत्यापित नहीं है, लेकिन इसने ईरान को इसराइल के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर हमले की रणनीति बनाने में मदद की।
ईरान ने इसराइल के एयर डिफ़ेंस सिस्टम को भेदने के लिए सैचुरेशन हमलों, हाइपरसोनिक मिसाइलों और डिकॉय ड्रोनों की रणनीति का इस्तेमाल किया। इसने आयरन डोम और अन्य सिस्टमों की खामियों को उजागर किया। यह हमला न केवल सैन्य नज़रिए से अहम है, बल्कि इसने मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा दिया है।