अमेरिकी हमले ने ईरान के फ़ोर्दू परमाणु स्थल को हिलाकर रख दिया है, जहां ‘बेहद गंभीर नुक़सान’ की आशंका है। आईएईए प्रमुख राफेल ग्रॉसी ने खुलासा किया है कि ईरान ने परमाणु सामग्री की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय शुरू किए हैं, लेकिन क्या वह अपनी संवेदनशील यूरेनियम और तकनीक को गुप्त ठिकानों पर ले जा रहा है?
इस सवाल का जवाब पाने से पहले यह जान लें कि इसको लेकर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी यानी आईएईए ने क्या बयान जारी किया है। ईरान की फ़ोर्दू परमाणु फ़ैसिलिटी पर अमेरिकी हमले के बाद आईएईए के प्रमुख राफेल मारियानो ग्रॉसी ने खुलासा किया कि ईरान ने 13 जून को एक पत्र के माध्यम से जानकारी दी थी कि वह अपनी परमाणु सामग्री और उपकरणों की सुरक्षा के लिए विशेष उपाय करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी परमाणु सामग्री को दूसरी जगह भेजने से पहले वह आईएईए को जानकारी देगा। यह परमाणु अप्रसार संधि यानी एनपीटी और आईएईए की निगरानी व्यवस्था के तहत ज़रूरी है।
ग्रॉसी वियना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। ग्रॉसी ने किसी भी परमाणु सामग्री को दूसरी जगह ले जाने से पहले आईएईए को जानकारी देने के ईरान के आश्वासन को पारदर्शिता की दिशा में एक सकारात्मक संकेत बताया। लेकिन साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की किसी भी गतिविधि की निगरानी के लिए आईएईए को पूरी पहुँच और सहयोग की ज़रूरत होगी। उन्होंने यह भी कहा कि फ़ोर्दू पर हमले के बाद मुश्किल हालात को देखते हुए यह तय करना अहम है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम के सभी पहलुओं पर पारदर्शिता बनाए रखे।
फ़ोर्दू पर हमले से नुक़सान
फ़ोर्दू ईरान की सबसे सुरक्षित और गहरी अंडरग्राउंड परमाणु फ़ैसिलिटी में से एक है। यह हाल ही में अमेरिकी हमले का निशाना था। इस हमले में अत्याधुनिक बंकर-बस्टर बमों का उपयोग किया गया। ये बम ख़ासकर गहरे अंडरग्राउंड ढाँचों को तबाह करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। ग्रॉसी ने कहा कि इस्तेमाल किए गए विस्फोटक पेलोड की तीव्रता और सेंट्रीफ्यूज की बेहद कंपन वाली ख़ासियत को देखते हुए फ़ोर्दू में बहुत गंभीर नुक़सान होने की आशंका है।’
आईएईए ने कहा है कि अंडरग्राउंड फ़ैसिलिटी में नुक़सान का पूरी तरह आकलन अभी तक संभव नहीं हो सका है, क्योंकि यह फ़ैसिलिटी पहाड़ों के भीतर गहराई में है। ग्रॉसी ने कहा, ‘इस समय आईएईए सहित कोई भी फ़ोर्दू में अंडरग्राउंड नुक़सान का पूरी तरह मूल्यांकन करने की स्थिति में नहीं है।’
परमाणु सामग्री पर आशंका क्यों?
ग्रॉसी के बयान और ईरान के पत्र से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या ईरान वास्तव में फ़ोर्दू से यूरेनियम, अन्य परमाणु सामग्री, या तकनीकी उपकरणों को अन्य स्थानों पर स्थानांतरित करने की योजना बना रहा है। जानकारों का मानना है कि फ़ोर्दू पर हमले के बाद ईरान अपनी संवेदनशील परमाणु संपत्तियों को सुरक्षित करने के लिए उन्हें अन्य गुप्त या सुरक्षित स्थानों पर ले जा सकता है।
हालाँकि, आईएईए ने अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं की है कि क्या ऐसा कोई स्थानांतरण शुरू हो चुका है। ग्रॉसी ने साफ़ किया है कि ‘आईएईए को अभी तक फ़ोर्दू या अन्य फ़ैसिलिटी से परमाणु सामग्री के स्थानांतरण की कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है।’ उन्होंने यह भी कहा कि अगर ईरान ऐसी कोई कार्रवाई करता है तो उसे पहले से आईएईए को बताना होगा और एजेंसी इसकी निगरानी करेगी।
जानकारों का मानना है कि ईरान का ‘विशेष उपाय’ वाला बयान इस बात का संकेत हो सकता है कि वह अपनी परमाणु सामग्री को और अधिक सुरक्षित या गुप्त स्थानों पर ले जाने की योजना बना रहा है, ताकि भविष्य के हमलों से बचा जा सके। कुछ जानकारों ने यह भी आशंका जताई है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को और अधिक गोपनीय बनाने की कोशिश कर सकता है, जिससे आईएईए की निगरानी प्रक्रिया मुश्किल हो सकती है।
फ़ोर्दू में रेडिएशन पर आईएईए ने क्या कहा
ग्रॉसी ने फ़ोर्दू में हमले की जैसी स्थिति में आईएईए की अहम भूमिका पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि परमाणु फ़ैसिलिटी पर हमले वैश्विक परमाणु सुरक्षा और एनपीटी के लिए गंभीर ख़तरा हैं। उन्होंने सभी पक्षों से अधिकतम संयम बरतने और कूटनीतिक वार्ता की ओर लौटने की अपील की।
आईएईए ने ईरान में ऑफ़-साइट रेडिएशन स्तरों की निगरानी की और पुष्टि की कि अभी तक कोई रेडियोलॉजिकल आपातकाल नहीं है। हालाँकि, फ़ोर्दू जैसे अत्यधिक सुरक्षित स्थल के नुक़सान का आकलन करने के लिए आईएईए को ईरान के पूरे सहयोग की ज़रूरत होगी, जो मौजूदा तनावपूर्ण स्थिति में चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
फ़ोर्दू पर यूएन में क्या हुआ
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर चर्चा हुई, जहाँ कई देशों ने फ़ोर्दू पर हमले की निंदा की, जबकि कुछ ने इसे ईरान के परमाणु हथियार विकास को रोकने का एक ज़रूरी क़दम बताया। रूस और चीन ने इस हमले को ‘उकसावे वाला’ क़रार दिया, जबकि अमेरिका और इसराइल ने इसे अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ज़रूरी बताया।
जानकारों का मानना है कि यदि ईरान वास्तव में अपनी परमाणु सामग्री को गुप्त स्थानों पर स्थानांतरित करता है, तो यह 2015 के ईरान परमाणु कार्यक्रम को फिर से शुरू करने कोशिशों को और मुश्किल बना सकता है। साथ ही यह मध्य पूर्व में तनाव को और बढ़ा सकता है, जिसका असर वैश्विक ऊर्जा बाज़ारों और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा पर पड़ सकता है।