इस बीच, ट्रंप ने एबीसी न्यूज़ के साथ एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि “यह संभव है कि हम इसराइल और ईरान के बीच सैन्य संघर्ष में शामिल हो सकते हैं”।
लेकिन उन्होंने दोहराया कि अमेरिका “इस समय संघर्ष में शामिल नहीं है”।
यह योजना उस समय बनाई गई जब इसराइली बलों ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत ईरान के परमाणु ठिकानों और शीर्ष सैन्य अधिकारियों को निशाना बनाया था।
लेकिन तभी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस योजना को वीटो कर दिया।
उन्होंने इसराइली नेताओं से साफ कहा:
“क्या ईरान ने अभी तक किसी अमेरिकी को मारा है? नहीं। जब तक ऐसा नहीं होता, हम उनके राजनीतिक नेतृत्व पर हमला करने की बात भी नहीं करेंगे।”
ट्रंप ने हत्या की योजना को वीटो क्यों किया?
- अभी तक ईरान ने अमेरिका को सीधे कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है।
- ईरान पर इतना बड़ा हमला करना अनावश्यक उकसावा होगा।
- किसी देश के शीर्ष नेता की हत्या से युद्ध बेकाबू हो सकता है।
- ईरान के सुप्रीम लीडर की हत्या से पूरी मध्य पूर्व की स्थिरता खतरे में पड़ जाती।
- खामेनेई सिर्फ शिया मुस्लिमों में ही लोकप्रिय नहीं हैं, तमाम सुन्नी देश उनको पसंद करते हैं
ट्रम्प ने इसराइल के हमलों का समर्थन तो किया, लेकिन स्पष्ट कर दिया कि राजनीतिक नेतृत्व की हत्या अमेरिका की नीति के खिलाफ है।
इस फैसले के बड़े नतीजे निकलते
- मिडिल ईस्ट में संभावित युद्ध टल गया। क्योंकि फिर कई और देश इस युद्ध में शामिल हो जाते।
- अगर ख़ामेनेई की हत्या होती, तो हिज़्बुल्लाह, हूती, और इराक-सीरिया की शिया मिलिशिया सीधे युद्ध में कूद जातीं।
- परमाणु वार्ता की संभावना भी अभी बची हुई है। ट्रम्प हालात पैदा कर रहे हैं कि ईरान बातचीत करे।
उन्होंने युद्ध को सीमित करने और कूटनीति को अंतिम मौका देने की सोच रखा है- चाहे वह कामयाब हो या नहीं।
यह प्रकरण बताता है कि ईरान को जवाब देने के बीच, अमेरिका का नेतृत्व कितना निर्णायक और संवेदनशील है।