एक महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी से प्रभावित इलाक़ों में तबाही के निशान अभी भी साफ़ दिखाई दे रहे हैं। पीड़ितों के चेहरों पर अभी भी डर और दहशत के साये दिखाई दे रहे हैं।
नेता प्रतिपक्ष सुनील शर्मा के नेतृत्व में कई विधायकों के दल द्वारा सीमावर्ती इलाकों के दस दिवसीय दौरे के बाद सरकार को सौंपी गई विस्तृत रिपोर्ट के अनुसार घाटी के कुपवाड़ा और बारामुल्ला तथा जम्मू के पोख और राजौरी इलाकों में सीमा पार से गोलाबारी के कारण कम से कम दो हजार रिहायशी मकान और अन्य ढांचे क्षतिग्रस्त हुए हैं। अंधाधुंध गोलाबारी में रिहायशी मकान, दुकानें, पूजा स्थल, स्कूल भवन और कई वाहन भी तबाह हो गए। सबसे भयावह 7 मई से 10 मई तक के चार दिन थे। यानी ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत से लेकर दोनों देशों द्वारा युद्ध विराम की घोषणा तक, चारों जिलों की सीमावर्ती आबादी तबाह हो गई थी।
अकेले पुंछ जिले में दो महिलाओं और चार बच्चों समेत अठारह लोगों की जान चली गई। मरने वालों में सैंतालीस वर्षीय रमीज खान के बारह वर्षीय जुड़वां बच्चे जैन अली और उर्वा फातिमा भी शामिल थे। रमीज खुद घायल होने के कारण जम्मू के एक अस्पताल में लेटे थे। सीमा पार से दागे गए मोर्टार शेल के टुकड़े उनके लीवर और पसलियों में धंस गए थे। 7 मई की सुबह सीमा पार से दागा गया एक गोला उनके घर के पिछले हिस्से पर लगा। उनके दोनों बच्चों की मौक़े पर ही मौत हो गई। ऐसी ही दर्दनाक कहानियां कई अन्य पीड़ितों की सुनने को मिलती हैं। किसी ने अपनों को खोया तो किसी ने अपना घर। प्रभावित इलाकों में अभी भी मातम का माहौल है।
कुपवाड़ा के करनाह सेक्टर के निवासी मंजूर अहमद को ऐसा लग रहा है जैसे उनकी दुनिया ही उलट गई हो। वह मजदूर हैं और उनके दो बेटे भी मजदूरी करते हैं। सात मई की आधी रात को उनके घर पर गोलाबारी हुई। घर तो तबाह हो ही गया, साथ ही गोशाला भी नष्ट हो गई और उनकी दो गायें मर गईं। रकीम से फोन पर बातचीत के दौरान उनके शब्द दिल दहला देने वाले थे, ‘मेरा पुश्तैनी घर 2005 के भूकंप में तबाह हो गया था। उसके बाद मुझे यह नया घर बनाने में बीस साल लग गए। अब मेरा यह तीन कमरों का घर हाल ही में बनकर तैयार हुआ था। जब भूकंप में मेरा घर गिरा, उस समय मेरे दोनों बच्चे छोटे थे, लेकिन मैंने हालात का सामना करने की हिम्मत रखी। मैंने सालों मेहनत की और आखिरकार नया घर बना लिया, लेकिन अब नया घर बनाना मेरे बस की बात नहीं है। छोटी-मोटी कयामत ऐसी ही होती है।’
इस स्थिति के दौरान सीमा के नज़दीक रहने वाले सैकड़ों परिवार पलायन भी कर गए। ये लोग गोलाबारी के दौरान अपने घर, खेत और यहां तक कि जानवर भी छोड़कर भाग गए थे। बारामूला के उरी इलाके में भी इसी तरह का पलायन एक परिवार के लिए आफत लेकर आया। यह परिवार अपनी कार से सुरक्षित इलाके की ओर भाग रहा था, तभी घर से कुछ किलोमीटर दूर सीमा पार से दागा गया गोला उनकी कार से टकराया, जिसमें गृहिणी नरगिस बानो की मौत हो गई और परिवार के दो सदस्य घायल हो गए।
अब ज्यादातर लोग लौट आए हैं, लेकिन उनके सामने कई परेशानियां हैं। शायद उनकी सबसे बड़ी समस्या मोर्टार के गोले हैं, जो बिना फटे रह गए हैं। हालांकि सेना ने बड़े अभियान के तहत इनमें से ज्यादातर गोले बरामद कर उन्हें बेकार कर दिया है, लेकिन ऐसी स्थिति में हमेशा यह आशंका बनी रहती है कि किसी खेत या घर की छत आदि पर कोई गोला बिना फटा रह गया हो। पहले भी कई बार ऐसे गोले बाद में फट चुके हैं और कई लोगों की जान जा चुकी है।
ऐसा भी नहीं है कि जम्मू-कश्मीर में सीमा पर रहने वाली आबादी को आज पहली बार ऐसी स्थिति का सामना करना पड़ा हो। वे गोलियों की गड़गड़ाहट और गोलाबारी की गूंज में रहे हैं। उन्होंने पिछले आठ दशकों में भारत और पाकिस्तान के बीच कई युद्ध देखे और झेले हैं। पिछले पैंतीस वर्षों में हजारों सशस्त्र झड़पें देखीं। वे एक जैसे हालात में रहे। वे मरते रहे और अपनी जान के लिए संघर्ष करते रहे। जब भी भारत और पाकिस्तान की सेना ने एक-दूसरे पर गोलियां चलाईं, तो सीमा पर रहने वाले लोगों पर आफत आ गई।
2003 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए, तो सीमा पर रहने वाले लोगों ने पहली बार राहत की सांस ली थी। यह राहत लंबे समय तक चलने वाली साबित हुई। हालांकि, 2019 में जब मोदी सरकार ने एकतरफा तरीके से संसदीय अधिनियम के जरिए जम्मू-कश्मीर का विशेष संवैधानिक दर्जा खत्म कर दिया और उसका राज्य का दर्जा छीनकर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया, तो दोनों देशों के बीच दुश्मनी फिर से शुरू हो गई और इसके साथ ही सीमाओं पर गोलाबारी फिर से शुरू हो गई।
जाहिर है, इस साल 10 मई को दोनों देशों के बीच युद्ध विराम की घोषणा की गई, लेकिन यह निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है कि यह लंबे समय तक चलने वाला साबित होगा या नहीं।